बिजली के कारण नेट से दूर हूं जब जिस समय बिजली मिलती है उस समय काम करता हूं । मगर पोस्ट लगाने के लिये जो समय चाहिये वो नही मिल पा रहा है । शिवना प्रकाशन की अगली पुस्तक धूप, गंध, चांदनी की तैयारियों में भी व्यस्तता रही । ये पुस्तक अमेरिका में बसे पांच भारतीय कवियों की कविताओं का संग्रह है श्री घनश्याम जी गुप्ता, श्री राकेश जी खण्डेलवाल, बीना टोडी जी, विशाखा ठाकर जी और अर्चना पंडा जी । पांचों की प्रतिनिधि कविताओं को इसमें स्थान दिया गया है । राकेश जी अपनी मूल विधा से हट कर हास्य कविताएं लेकर आये हैं । पुस्तक का विमोचन आने वाली 31जनवरी वसंत पंचमी शनिवार को भारतीय समय के हिसाब से शाम 5 बजकर तीस मिनट से साढ़े सात बजे तक चलने वाले कार्यक्रम में होगा । कार्यक्रम में शिवना द्वारा सुदीर्घ साहित्य सेवा के लिये दिया जाने वाला शिवना सारस्वत सम्मान डॉ श्रीमती पुष्पा दुबे को दिया जायेगा । कार्यक्रम में एकआनलाइन कवि सम्मेलन करने की भी योजना बन रही है । जिसमें जीटाक के माध्यम से कवियों का काव्य पाठ होगा । कैसे होगा अभी तो कुछ तय नहीं है पर हां काव्य पाठ करने वाले कवियों को पहले subeerin@gmail.com को जीटाक में अपनी मित्रों की सूची में जोड़ना होगा । उसके बाद ही वे कार्यक्रम को सुन पायेंगें या फिर काव्य पाठ कर पायेंगें । जीटाक को http://www.google.com/talk/ यहां से अधोपात ( डाउनलोड) करके अपने कम्प्यूटर में संस्थापित ( इंस्टाल) कर लें और फिर उसमें अपने जीमेल एकाउंट का उपयोग करते हुए ऊपर दिये पते को मित्र सूची में दर्ज कर लें । ये कहने की तो जरूरत नहीं है कि आपके पास हेड फोन माइक का सेट होना ही चाहिये वो आपको डाउनलोड में नहीं मिलेगा बाजार से खरीदना ही होगा । साथ ही कम से कम 30 जनवरी की रात तक सूचित करना होगा कि आप कल काव्य पाठ के इच्छुक हैं ।
तरही मुशायरा वसंत पंचमी के दिन या अगले दिन ही आयोजित करने की योजना है । अभी बहुत कम कवियों की रचनाएं मिली हैं तरही मुशायरे के लिये । आशा है तब तक और लोगों की रचनाएं भी दिये गये मिसरे मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं पर मिल जायेंगीं । वसंत पंचमी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस माना जाता है और ये दिन हम सब कलम के सिपाहियों के लिये दीपावली के समान होता है । कहा गया है कि दीपावली पर महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, वसंत पंचमी पर महा सरस्वती का और दुर्गाअष्टमी को महाकाली का । लक्ष्मी अर्थात अपार धन की कामना रखने वालों की आराध्या । काली अर्थात शक्तिशाली तन की कामना रखने वालों की आराध्या और सरस्वती अर्थात विकसित और विचारवान मन की कामना रखने वालों की आराध्या । तो हम कलम और शब्दों के सिपाहियों की दीपावली तो वसंत पंचमी को ही होती है । तन-मन-धन ये तीन प्रतीक हैं तीनों देवियों के । आइये इस बार की वसंत पंचमी को यादगार बनाएं ।
गुरु जी मेल के माध्यम से क्षमा तो माँग ही चुकी हूँ, यहाँ भी क्षमा माँग लेती हूँ कि मानसिक रूप से पारिवारिक व्यस्तता मे लगे रहने के कारण उक्त मिसरे पर गज़ल नही बना पाई हूँ..हाँ आनलाइन कविसम्मेलन में ज़रूर भाग लूँगी यदि तब तक माइक और हेडफोन की व्यवस्था हो गई तो...!
जवाब देंहटाएंपंकज जी
जवाब देंहटाएंआपकी व्यस्तता समझ आ सकती है..........अगर आप इजाज़त देंगे और सरस्वती को मंजूर होगा तो आनलाइन कविसम्मेलन में जरूर भाग लूँगा
मुझे भी इजाजत चाहिये दिगम्बर बाबू की तरह अपनी कविता पढ़ने की, मास्साब. खूब मन लगा कर पढ़ूंगा. इजाजत दिजिये. :)
जवाब देंहटाएंतरही मुशायरे के लिए मिसरा थोड़ा भारी सा पड़ रहा है, फिर भी हाथ आजमाने की कोशिश करुँगा. वो धूप, गंध, चाँदनी का विमोचन आपने ३१ दिसम्बर लिखा है..इसी साल है क्या? बहुत कम समय बचा है..मात्र ११ महिने. :) कैसे हो पायेगा सब?
अरे, आपने तो यह टिप्पणी छाप दी..बस, महज ३१ दिसम्बर वाली त्रुटि पर ध्यानाकर्षित करना चाहता था. :)
जवाब देंहटाएंआप की बिजली हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हो गयी है....आप को बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर देखा पढ़ा तो समझ में आया की बिजली की वजह से आप हम सब से दूर हैं तभी मेरी पोस्ट पर आपके शेरों की जो चर्चा हुई है उसे नजर अंदाज़ कर गए...
जवाब देंहटाएंआप कहें तो एक इनवर्टर भिजवा दूँ आपको....हमें अपने किसी काम तो आने दीजिये प्रभु....
पुस्तक प्रकाशन की सफलता पर अग्रिम बधाई...तरही मुशायरे में कुछ किस्मत आजमाने की कोशिश अवश्य की जायेगी और ओन लाइन कवि सम्मलेन के लिए क्षमा ? ( वैसे भी हमें कौन सुनता है आपके सिवा?)
नीरज
गुरू जी को चरण-स्पर्श !..ये सीहोर की बिजली तो कमबख्त हमारी जानी-दुश्मन हो गयी है...
जवाब देंहटाएंसर इस आन-लाइन कवि-सम्मेलन में हिस्सा लेने का मन तो बहुत है और हेड्फोन भी है,,,शायद गुगल-टाक भी है...मगर समय का कुछ पता नहीं.फौज छोड़ देगी वक्त पर तो आ जाऊंगा,मगर सोच के ही घबड़ा रहा हूँ,इतने दिग्गज होंगे इकट्ठे...
और तरही गज़ल तो ठीक है ना सर?
Main bhi aana chhaungi
जवाब देंहटाएंBasant par di gayi line ka pata bhi aaj hi chala umeed hai kuch aa sakega
Kitab ka naam bahut achha laga
जवाब देंहटाएंmeri hardik subhkamanye aur badhayi sweekar kare
नमस्कार गुरु जी,
जवाब देंहटाएं"धूप, गंध, चांदनी" पुस्तक के विमोचन के लिए शुभकामनायें.
ऑनलाइन मुशायेरे में काव्य पाठ करने की इच्छा है मगर जैसे आपका साथ बिजली नही दे पाती ऐसा मेरे यहाँ नेटवर्क नही दे पाता, मगर मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करूँगा. और क्लासेस नही हुई तो ज़रूर उपलब्ध रहूँगा.
मान्यवर
जवाब देंहटाएंअब आप इतना सुन्दर आयोज्न कर ही रहे हैं तो भला हम कैसे दूर रह सकते हैं. और हां समीर भाई को सुने हुए भी तो लगभग तीन महीने हो गये. आपके सान्निध्य में अब कव्वाली करना भी सीख रहे हैं न.
यहां से आशा है कई लोगों के जुड़ने की.
मान्यवर,
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत आयोजन पर हम न जुड़ें, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. समीर भाई को सुने भी तीन महीने हो गये. यहां से कई लोगों के जुड़ने की आशा है.
इस सुन्दर आयोजन के लिये अग्रिम शुभकामनायें
आदरणीय सुबीर जी,
जवाब देंहटाएंआपसे कल जो स्नेह और आत्मीयता मिली, उसके लिये आभारी हूँ । मैं गज़ल तो नहीं लिखती पर आपकी इस खूबसूरत पंक्ति पे एक छ्न्द लिख के आपको समर्पित कर रही हूँ। इसे मेरा विनम्र धन्यवाद समझें । आपके मुशायरे के लिये बहुत शुभकामनायें :-
"मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं
चाँदनी में नहाते हैं, बादलों पे जा सोते हैं
प्यार दरिया है,तो वे मछ्लियाँ हैं सात रंगों की
उन्हीं का नाम ले झरने पाँव वादी के धोते हैं ।
मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं"
सादर शार्दुला