शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

होली के मिसरे की बहुत ही प्रचलित बहर है और गायी जाने वाली बहर है तो इस पर काम करने में आप लोगों को कोई परेशानी नहीं आयेगी।

ब्लॉगिंग का सुनहरा समय तो अब लगभग बीत चुका है, मगर यादें कब पीछा छोड़ती हैं। कुछ न कुछ ऐसा होता है जिसके कारण बस फिर से यहाँ आने की इच्छा हो जाती है। जैसे कोई त्योहार आ जाता है और याद आ जाता है कि पहले हम किस प्रकार यहाँ पर सारे त्योहार मनाते थे। अब तो ख़ैर वह समय एक सुनहरी याद बन कर मन में बसा हुआ है। अब उतने लोग तो नहीं आते हैं मगर फिर भी जितने आ जाते हैं, उनके साथ ही एक बार फिर से हम उन यादों को ताज़ा कर लेते हैं। होली का त्योहार सामने आ चुका है, इस बार मिसरा देने में कुछ देर हो गयी है, मगर विश्वास है कि पन्द्रह दिनों में आप लोग ग़ज़लें तैयार कर लेंगे।

इस बार मुशायरा एक बहुत ही लोकप्रिय बहर पर होने वाला है- बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम, मतलब मुफाईलुन-मुफाईलुन-मुफाईलुन-मुफाईलुन, 1222-1222-1222-1222

होली के मिसरे की बहुत ही प्रचलित बहर है और गायी जाने वाली बहर है तो इस पर काम करने में आप लोगों को कोई परेशानी नहीं आयेगी।

मिसरा कुछ इस प्रकार है-

कहा दिल तोड़ कर उसने बुरा मानो न होली है

कहा दिल तो (मुफाईलुन-1222) ड़ कर उसने (मुफाईलुन-1222) बुरा मानो (मुफाईलुन-1222) न होली है (मुफाईलुन-1222)

अब इसमें जो क़ाफ़िया की ध्वनि है वह है शब्द ‘उसने’ में आ रही ‘ए’ की मात्रा, मतलब बैठे, चलते, देखे, गिरते, के, ले, आए, जाए, आओगे, जाओगे, पहनाए, लगाओगे, दिखाओगे, उतरवाए, उतारेंगे और रदीफ़ है उसके आगे का पूरा ‘बुरा मानो न होली है’ । मतलब आपको क़ाफ़िया रखना है 2 जैसे ‘के’ या 22 जैसे ‘आए, देखे’ या 222 जैसे ‘पहनाए, आओगे’ या 1222 जैसे ‘लगाओगे, उतरवाए’ मतलब कुल मिलाकर यह कि मात्रिक वज़न यही हो मगर अंत में ‘ए’ की मात्रा पर शब्द समाप्त हो रहा हो। और इस प्रकार से हो रहा हो कि उसके आगे जब रदीफ़ आये ‘बुरा मानो न होली है’ तो एकदम ठीक से कनेक्ट भी हो जाए। वाक्य पूरा हो जाए।

चलिए अब इस बहर पर गानों की बात करते हैं-

ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा

बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है,

सुहानी चाँदनी रातें, हमें सोने नहीं देतीं

मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता
और यदि आपको मुशायरों की धुन चाहिए तो कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है इसी बहर पर है।

तो मेरे विचार में इतना कुछ काफ़ी है कि आप काम शुरू कर सकें। तो लिख डालिए आपनी ग़ज़ल और भेज दिजिए 12 मार्च तक subeerin@gmail.com पर। इंतज़ार रहेगा। कृपया कमेंट बॉक्स में न भेजें ग़ज़ल को मेल पर ही भेजें।

सोमवार, 27 जनवरी 2025

शोध, समीक्षा तथा आलोचना की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका शिवना साहित्यिकी का वर्ष : 9, अंक : 36, जनवरी-मार्च 2025 अंक

मित्रों, संरक्षक एवं सलाहकार संपादक- सुधा ओम ढींगरा, संपादक- पंकज सुबीर, कार्यकारी संपादक- शहरयार, सह संपादक- शैलेन्द्र शरण, आकाश माथुर के संपादन में शोध, समीक्षा तथा आलोचना की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका शिवना साहित्यिकी का वर्ष : 9, अंक : 36, जनवरी-मार्च 2025 अंक अब उपलब्ध है।

इस अंक में शामिल हैं- आवरण कविता / नव वर्ष / रामदरश मिश्र, संपादकीय / शहरयार, व्यंग्य चित्र / काजल कुमार। शोध आलोचना- संदिग्ध / दीपक गिरकर / तेजेन्द्र शर्मा, क़मर मेवाड़ी की कविताएँ / प्रो. मलय पानेरी / क़मर मेवाड़ी, साज-बाज़ / डॉ. दिलबागसिंह विर्क / प्रियंका ओम, अंजलि भर उजास / रूपसिंह चन्देल / माधव नागदा, हिडिंबा / डॉ. हनी दर्शन / सुमन केशरी। केंद्र में पुस्तक - ज़ोया देसाई कॉटेज / वंदना गुप्ता, दीपक गिरकर, नीरज नीर / पंकज सुबीर। पुस्तक समीक्षा- पिकासो की उदास लड़कियाँ / सुधीर देशपांडे / शैलेन्द्र शरण, अम्मा / सतीश राठी / दीपक गिरकर, चहट चंपा / रमेश शर्मा / उर्मिला आचार्य, लमही जुलाई-दिसम्बर 2024 विशेषांक / डॉ. दया दीक्षित / विजय राय, इक्कीसवीं सदी की कहानियाँ समीक्षा / डॉ. रंजना गुप्ता / सुधा जुगरान, डोर अंजानी सी / डॉ. दिनेश पाठक 'शशि' / ममता त्यागी, रास्ता इधर से भी है / अंतरा करवड़े / अश्विनीकुमार दुबे, ग़ज़लकार अशोक 'अंजुम' / डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ' / अशोक अंजुम, बिखरे हुए लम्हात / के. पी. अनमोल / शिज्जू शकूर, अंजामे-गुलिस्ताँ क्या होगा / दीपक गिरकर / पल्लवी त्रिवेदी, सरई के फूल / अनुराग अन्वेषी / अनीता रश्मि, खाकी में स्थितप्रज्ञ / सरोजिनी नौटियाल / अनिल रतूड़ी, वे लोग / मंजुश्री / सुमति सक्सेना लाल, कहानी का रास्ता / राजेन्द्र नागदेव / संतोष चौबे, राहुल सांकृत्यायन अनात्म बेचैनी का यायावर / प्रियंवदा पाण्डेय / अशोक कुमार पांडेय, मुझे सूरज चाहिए / दीपक गिरकर / आकाश माथुर, जिस लाहौर वेख लेया / दीपक गिरकर / प्रितपाल कौर, विदुर कुटी का संत / डॉ. वेदप्रकाश अमिताभ / योगेन्द्र शर्मा। शोध आलेख / नाटककार रमेश उपाध्याय / प्रो. प्रज्ञा। आवरण चित्र- पंकज सुबीर, डिज़ायनिंग- सनी गोस्वामी, सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी। आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्करण भी समय पर आपके हाथों में होगा।

ऑन लाइन पढ़ें-

https://www.slideshare.net/slideshow/shivna-sahityiki-january-march-2025-pdf/275170679

http://www.vibhom.com/shivna/jan_mar_2025.pdf

साफ़्ट कॉपी पीडीऍफ यहाँ से डाउनलोड करें

http://www.vibhom.com/shivnasahityiki.html

फेसबुक पर- https://www.facebook.com/shivnasahityiki/

ब्लॉग- http://shivnaprakashan.blogspot.com/

शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका विभोम-स्वर का वर्ष : 9, अंक : 36, जनवरी-मार्च 2025 अंक

मित्रो, संरक्षक तथा प्रमुख संपादक सुधा ओम ढींगरा एवं संपादक पंकज सुबीर के संपादन में वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका विभोम-स्वर का वर्ष : 9, अंक : 36, जनवरी-मार्च 2025 अंक अब उपलब्ध है। इस अंक में शामिल है- संपादकीय, मित्रनामा, साक्षात्कार- हम साहित्य में गहरे और व्यापक होने की जगह उथले हो रहे हैं, कहानीकार-उपन्यासकार मनीषा कुलश्रेष्ठ से आकाश माथुर की बातचीत। विस्मृति के द्वार- स्मृतियों के झरोखे से, अरुणा सब्बरवाल। कथा-कहानी- दरवाज़े- उर्मिला शिरीष, एक धड़कन चूक गई- लक्ष्मी शर्मा, किसी और मिट्टी की बनी- डॉ. रमाकांत शर्मा, रेड सिग्नल- सुधा आदेश, मैं तुम्हें गाता रहूँगा- रंजना अनुराग, दस्तूर- विवेक द्विवेदी, सूरज की तरह नहीं ढलते पिता... विनीता राहुरीकर, यूँ ही चलते चलते- छाया श्रीवास्तव, प्रायश्चित- राजा सिंह। लघुकथा- सिग्नल- सौरभ सोनी, तुरपाई- रचना श्रीवास्तव, साहस- वीरेंद्र बहादुर सिंह, रानी गोटी- टि्वंकल तोमर सिंह, बुझी हुई मोमबत्ती- डॉ. मृदुल शर्मा। ललित निबंध- अप्प दीपो भव, डॉ. वंदना मुकेश। संस्मरण- स्मृति शेष - ज़ाकिर हुसैन, जब ताल-तलैयों की नगरी में जागा ताल के उस्ताद का तिलिस्म, विनय उपाध्याय। ग़ज़ल- जयप्रकाश श्रीवास्तव, अशोक 'अंजुम'। व्यंग्य- खट्टे-मीठे संपादक जी, धर्मपाल महेंद्र जैन। शहरों की रूह- तुर्की यात्रा, प्रतिभा अधिकारी। आख़िरी पन्ना। रेखाचित्र- अशोक अंजुम, आवरण चित्र- पंकज सुबीर, डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी, शहरयार अमजद ख़ान, सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी, आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्क़रण भी समय पर आपके हाथों में होगा।

ऑनलाइन पढ़ें पत्रिका-

https://www.slideshare.net/slideshow/vibhom-swar-patrika-januray-march-2025-pdf/275093566

http://www.vibhom.com/pdf/jan_mar_2025.pdf

वेबसाइट से डाउनलोड करें

http://www.vibhom.com/vibhomswar.html

फेस बुक पर

https://www.facebook.com/Vibhomswar

ब्लॉग पर पढ़ें-

http://shabdsudha.blogspot.com/

http://vibhomswar.blogspot.com/

कविता कोश पर पढ़ें

http://kavitakosh.org/kk/विभोम_स्वर_पत्रिका

परिवार