मित्रों, संरक्षक एवं सलाहकार संपादक, सुधा ओम ढींगरा, प्रबंध संपादक नीरज गोस्वामी, संपादक पंकज सुबीर, कार्यकारी संपादक, शहरयार, सह संपादक शैलेन्द्र शरण, पारुल सिंह के संपादन में शिवना साहित्यिकी का वर्ष : 5, अंक : 20, त्रैमासिक : जनवरी-मार्च 2021 अंक अब उपलब्ध है। इस अंक में शामिल हैं- आवरण कविता / भगवत रावत, आवरण चित्र / पंकज सुबीर, संपादकीय / शहरयार, व्यंग्य चित्र / काजल कुमार । पुस्तक समीक्षा- निमुँहा गाँव (कहानी संग्रह), डॉ. नीलोत्पल रमेश / जयनंदन, डांग (उपन्यास), नंद भारद्वाज / हरिराम मीणा, वैश्विक प्रेम कहानियाँ (कहानी संकलन)- दीपक गिरकर / सुधा ओम ढींगरा, भूरी आँखें घुँघराले बाल (कहानी संग्रह)- रमेश शर्मा / अनुपमा तिवाड़ी, स्ट्राइक 2.0 (व्यंग्य संग्रह)- कैलाश मण्डलेकर / राजशेखर चौबे, कोरोना काल की दंश कथाएँ (निबंध संग्रह)- दीपक गिरकर / अजय बोकिल, साक्षात्कारों के आईने में (साक्षात्कार संग्रह)- दीपक गिरकर / डॉ. रेनू यादव, हिन्दी साहित्य और सिनेमा : रूपांतरण के आयाम (आलोचना)- अनिल गोयल / डॉ. विजय कुमार मिश्र, खिड़कियों से झाँकती आँखें (कहानी संग्रह)- भारती पाठक / सुधा ओम ढींगरा, मेरे गाँव का पोखरा (कविता संग्रह)- नीरज नीर / डॉ. नीलोत्पल रमेश, माँ के लिये (कविता संग्रह)- पूनम मनु / हेमधर शर्मा, सच कुछ और था (कहानी संग्रह)- मधूलिका श्रीवास्तव / सुधा ओम ढींगरा, समस्या का पंजीकरण व अन्य व्यंग्य (व्यंग्य संग्रह)- कैलाश मंडलेकर / विवेक रंजन श्रीवास्तव, प्रेम में पड़े रहना (कविता संग्रह)- डॉ. नीलोत्पल रमेश / रंजीता सिंह फलक, कविता का जनपक्ष (आलोचना)- रमेश खत्री / शैलेंद्र चौहान, सिर्फ़ स्थगित होते हैं युद्ध (कविता संग्रह)- डॉ. शशिप्रभा / प्रभा मुजुमदार। केन्द्र में पुस्तक- अटकन-चटकन (उपन्यास)- डॉ. ज्योतिष जोशी, राजीव तनेजा, सलिल वर्मा, डॉ. अभिलाषा द्विवेदी / वंदना अवस्थी दुबे, प्रेम (कहानी संग्रह)- दीपक गिरकर, डॉ. सीमा शर्मा, मीरा गोयल / पंकज सुबीर 51। पुस्तक चर्चा- वो 17 दिन (पत्रकारिता)- राजेश बादल / ब्रजेश राजपूत, शब्द गूँज (कविता संग्रह)- रमाकांत नीलकंठ / अरुण सातले, मैं किन सपनों की बात करूँ (नवगीत संग्रह)- श्रीराम परिहार / श्याम सुन्दर तिवारी, काग भुसण्ड (व्यंग्य उपन्यास)- अंजू शर्मा / राजीव तनेजा, नज़रबट्टू (कहानी संग्रह)- निधि प्रीतेश जैन / ज्योति जैन,
कासे कहूँ (कविता संग्रह)- पंकज त्रिवेदी / विश्व मोहन, पंचामृत (संस्मरण)- अमिताभ मिश्र / अश्विनी कुमार दुबे, नक्कारख़ाने की उम्मीदें (कविता संग्रह)- पुरुषोत्तम दुबे / संतोष सुपेकर, जाएँ तो जाएँ कहाँ (कहानी संग्रह)- डॉ. श्रद्धा श्रीवास्तव / सागर सियालकोटी। नई पुस्तक - पंकज सुबीर की कहानियों का समाजशास्त्रीय अध्ययन (शोध)- दिनेश कुमार पाल, अपराजिता (उपन्यास)- श्रद्धा जोशी, समकालीनों से संवाद (साक्षात्कार, संस्मरण)- विजय बहादुर सिंह, एक कम साठ राजुरकर राज (जीवनी)- रामराव वामनकर, मीडिया का मायाजाल (पत्रकारिता)- लेखक : डॉ. मुकेश कुमार, रिश्ते (कहानी संग्रह)- पंकज सुबीर। शोध- सारांश- स्त्री पाठ : दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता- (पंकज सुबीर की कहानी 'दो एकांत')- दिनेश कुमार पाल। एकाग्र- नैसर्गिक करुणा, आक्रोश, इंकार और मनुष्यतापूर्ण ज़िद की कलम: राकेश कबीर- भरत प्रसाद। डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी, सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी। आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्करण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
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शुक्रवार, 22 जनवरी 2021
शिवना साहित्यिकी का वर्ष : 5, अंक : 20, त्रैमासिक : जनवरी-मार्च 2021 अंक
सोमवार, 18 जनवरी 2021
वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका के वर्ष : 5, अंक : 20, त्रैमासिक : जनवरी-मार्च 2021 अंक
मित्रो, संरक्षक तथा प्रमुख संपादक सुधा ओम ढींगरा एवं संपादक पंकज सुबीर के संपादन में वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका के वर्ष : 5, अंक : 20, त्रैमासिक : जनवरी-मार्च 2021 अंक का वेब संस्करण अब उपलब्ध है। इस अंक में शामिल हैं- संपादकीय, कथा कहानी - जहाँ हवाओं की पीठ पर छाले हैं!! - अनघ शर्मा, सपने का वादा - पुष्पा सक्सेना, देहरी छुड़ाई - रमेश खत्री, अनकहा कुछ - अरुणा सब्बरवाल, मन का कोना - नीलिमा शर्मा, मुझे विपुला नहीं बनना - अभिज्ञात, महकती मुहब्बतों के मौसम - डॉ. गरिमा संजय दुबे, घायल पंखों की उड़ान - अर्चना मिश्र, चन्नर के बहाने से - विनय कुमार, यही ठीक होगा - डॉ. अनिता चौहान, फूलों के आलते में रेत की दीवार - डॉ. उपमा शर्मा। लघुकथाएँ - मधुर मिलन - डॉ. पुष्पलता, महिलाओं का जुगाड़
मीरा गोयल, इतिहास - डॉ. वीरेंद्र कुमार भारद्वाज। भाषांतर - कैडिटे मकल (जंगल की बेटी) - मलयालम कहानी - डॉ. अम्बिकासुतन मंडाग, अनुवाद-डॉ. षीणा ईप्पन। आलेख - रचना और आलोचना का आपसी रिश्ता- नंद भारद्वाज, हम शब्दों के ऋणी हैं- डॉ.शोभा जैन। व्यंग्य- एक भेंट मंत्री जी से - डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल, कैसे हो - बढ़िया हूँ- अखतर अली। शहरों की रूह - कलकत्ता उर्फ़ कोलकाता - पल्लवी त्रिवेदी, शार्लोट एक घरेलू मेट्रो सिटी - रेखा भाटिया। निबंध- आधी रात का चिंतन- डॉ. वंदना मुकेश। लिप्यांतरण - भूबल (उर्दू लघुकथा), नीलम अहमद बशीर, लिप्यांतरण- डॉ. अफ़रोज़ ताज। कविताएँ - वसंत सकरगाए, श्रीविलास सिंह, नरेंद्र नागदेव, अनामिका अनु, नमिता गुप्ता "मनसी"। ग़ज़ल- दीपक शर्मा 'दीप'। आख़िरी पन्ना। आवरण चित्र- वेदांश मिश्रा, रेखाचित्र - रोहित प्रसाद , डिज़ायनिंग सनी गोस्वामी, शहरयार अमजद ख़ान, सुनील पेरवाल, शिवम गोस्वामी, आपकी प्रतिक्रियाओं का संपादक मंडल को इंतज़ार रहेगा। पत्रिका का प्रिंट संस्क़रण भी समय पर आपके हाथों में होगा।
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