दैनिक भास्कर के साथ साप्ताहिक रूप से हर बुधवार का वितरित होती है महिलाओं की अत्यंत लोकप्रिय पत्रिका 'मधुरिमा' । पत्रिका की लोकप्रियता का ये आलम है कि कई घरों में समाचार पत्र केवल इसके लिये ही लिया जाता है । बुधवार की सुबह महिलाएं सबसे पहले समाचार पत्र में से मधुरिमा को छांट कर अलग कर लेती हैं और उसे संभाल कर किसी सुरक्षित जगह पर रख देती हैं जहां से निकाल कर उसे दोपहर के फुरसत के समय में पढ़ सकें । मेरी पहली कहानी भी इसी पत्रिका के होली विशेषांक में प्रकाशित हुई थी । तब मुझे एक कहानी कार के रूप में कोई जानता भी नहीं था । मधुरिमा भले ही महिलाओं की पत्रिका है किन्तु उसमें एक पृष्ठ ऐसा भी होता है जो हर साहित्य प्रेमी के लिये पठनीय होता है और ये पेज होता है सृजन का पेज जहां पर कहानी और कविता को स्थान दिया जाता है । कहा जा सकता है कि मधुरिमा ने साहित्य को अभी भी उचित सम्मान दे रखा है । मेरा जहां तक अंदाजा है कि पूरे भारत में समाचार पत्र के साथ मधुरिमा का एक ही संस्करण बांटा जाता है । इसलिये आप सबसे अनुरोध है कि 14 जनवरी का मधुरिमा अवश्य पढ़ें क्योंकि उसमें वरिष्ठ ब्लागर साथी और सुप्रसिद्ध कवि आदरणीय राकेश खण्डेलवाल जी का एक सुंदर छंद मकर संक्रांति के अवसर पर प्रकाशित किया गया है ।
इसके अलाव राजस्थान पत्रिका ने भी अंधेरी रात का सूरज की जानकारी प्रकाशित की है ।
शुक्रिया पंकज जी इस जानकारी को बांटने के लिए ।
जवाब देंहटाएंदैनिक भाष्कर की प्रति यहां तो आती ही नहीं है गुरूदेव...मैं हिन्दुस्तान लेता हूं कि उसमें हर रोज एक गज़ल आती है,चुनिंदा शायरों की...
जवाब देंहटाएंराकेश जी के छंदों के बारे में तो खैर कहना ही क्या?
धन्यवाद सुबीर जी. मेरे घर दैनिक भास्कर ही आता है पर मधुरिमा नहीं देख पाया था. आज रात में देखूंगा.......
जवाब देंहटाएंaapke dawra mili jaankari se behad khushi hui
जवाब देंहटाएंRakesh ji ko padhna bahut achha lagta hai
unki lekhni bahut shshakt hai
राकेश जी को कहीं भी पढ़ना सुख देता है...
जवाब देंहटाएंदैनिक भास्कर तो नहीं है यहाँ, पर राकेश जी से जब भी बात होती है, वो छंद में ही बात करते हैं। आशुकवि ही नहीं, एक बहुत भले इंसान भी हैं वो। आपकी इस प्रस्तुति का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंदैनिक भास्कर तो नहीं है यहाँ, पर राकेश जी से जब भी भात होती है, वो छंद में ही बात करते हैं। आशुकवि ही नहीं, एक बहुत भले इंसान भी हैं वो। आपकी इस प्रस्तुति का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंराकेश जी सिर्फ़ अमेरिका के ही नहीं,आज के ही नहीं,कहीं के भी और कभी के भी सर्वश्रेष्ट हिन्दी कवियों में से हैं ।
जवाब देंहटाएं'मधुरिमा' में सुविख्यात कवि राकेश खंडेलवाल जी की रचना पढ़वाने के लिए हार्दिक धन्यवाद. बहुत सुन्दर छंद है:
जवाब देंहटाएंरागिनी सी पैंजनी के सुर और ताल की
आपकी गली में रहे, ख़ुश्बुओं में ढली हुई
मीठी-मीठी यादें लिए, बीत गए साल की
आनंद आगया. राकेश जी के विषय में
कुछ कहना सूरज के आगे दीपक की लौ दिखाना है.
aap lajavab ho aanand ji
जवाब देंहटाएंdear sir
जवाब देंहटाएंme apni likhi hui kahani prakashit karwana chahta hu to kya karna hoga pura process bataiye
madhurima patrika nice..
जवाब देंहटाएंMujhe apni likhi hui kahanni or kavita prakashit krvani h Iska process kya h plz bta dijiye?-
जवाब देंहटाएंmujhe meri poem prkasit krwani h plz help me 7023345547
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