नोट :- होरी आ चुकी है और कल रंगों का दिन है । जो भी रंगों से परहेज करते हों वे घर से न निकलें । मेरे जैसे छिछोरे रंग लेकर घूम रहे हैं और जो किसी का कोई लिहाज नहीं करते हैं रंग डालने से पहले ।
हम तो पहिले ही कहे रहे कि ये सब कुछ ऊपर की पीढ़ी से ही आ रहा है । सब लोग फिजूल में ही नयी पीढ़ी पे इल्जाम दे रहे हैं । अब यही देखा ना कि सारे के सारे किस कदर गन्ना रहे हैं । इतरा इतरा कर जाने क्या क्या कर रहे हैं । इतनी भी शरम नहीं है कि नये बच्चे क्या सोचेंगें ।
होली की सवारी तिलक राज कपूर जी और समीर लाल जी
एक पति दो पत्नियां ( एक कली दो पत्तियां )
समीर जी के साथ राकेशी और नीरजा बाइयां
सुखी परिवार
आय हाय राकेश खंडेलवाल जी मैं मर जाऊं गुड़ खाके क्या छब बनाई है
हजार किस्से जो इश्क वाले पढ़े तो जागा ह्रदय का रांझा
चला लड़ाने वो इश्क अपना चिलम में भर कर छटाँक गाँजा
शहर की सड़कों को छोड़ पकड़ी इक रहगुजर तेरे गांव वाली
तेरे दरीचे तले खड़ा हो हुआ था दीदार का सवाली
उछाले गुल जो थे हाथ रक्खे, खरीदे जितने इक पावली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
जो फूल उछले थे हाथ से वो गिरे थे अब्बू मियाँ के सर पर
नजर उठाई तो मुझको देखा, हुए खड़े वो तुरत तमक कर
बगल में अपने रखी उठाली जो एक बन्दूक थी दुनाली
लगा के कांधे निशाना मुझको बना लिया फिर ट्रिगर संभाली
थी खैर मानी बस भागने में लगाके पर अपनी पगतली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
बनी हुई थी गली के कोने में नांद, गोबर की गैस वाली
गिरा फ़िसले के उसी में, छिप कर थी जान अपनी जरा बचाली
जो निकला पीछे पड़ा अचानक् इक मरखना बैल था वो शायद
हुआ ज्यों मेजर मिलिटरी का, करा ली हफ़्ता भरी कवायद
पड़े थे कुत्ते भी चार पीछे अजब मची ऐसी धांधली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
मुहल्ले भर में थे जितने आशिक, सभी ने पकड़ा गरेबाँ मेरा
लगा के कीचड़ सजाया मेरा था लोरियेल से धुला जो चेहरा
बिठाया फिर लाकर इक गधे पर जुलूस मेरा गया निकाला
फ़टे हुए जूते चप्पलों की गले में मेरे सजाई माला
सजाई सर पे ला एक टोपी सनी हुई सरसों की खली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
गधे की दुम में न जाने किसने लगा दिया फिर कोई पटाखा
दुलत्ती झाड़ी गिराया मुझको उठा के अपनी वो दुम को भागा
संभल उठा मैं ले चोटें अपनी , न जाने क्यों गांव आ गया था
लगा है जैसे अजाने में ही मैं दो किलो भांग खा गया था
उठाईं कसमें पड़ेंगें फिर न इस इश्क की धुन करमजली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
दे नाम तरही का छेड़ डाला है दुखती रग को सुबीरजी ने
बहाना होली का है बनाया दिवाली करने को तीरगी में
मैं दूध हल्दी औ फिटकरी से ही काम अपना चला रहा हूँ
उन्हें तो मल्हार सूझती है, मैं अपना दुखड़ा सुना रहा हूँ
खिलाई तीखी मिरच हरी है, छुपा के मिसरी के इक डली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
अरे नीरज गोस्वामी जी गधे पर ही बैठने का शौक था तो हमसे तो कहते एक बार
कमीने, पाजी, हरामी, अहमक, टपोरी सारे, तेरी गली में
रकीब बन कर मुझे डराते मैं आऊँ कैसे, तेरी गली में
खडूस बापू, मुटल्ली अम्मा, निकम्मे भाई, छिछोरी बहनें
सदा ही घेरें, भले ही आऊं, दुबक-दुबक के, तेरी गली में
हमारी मूंछो, को काट देना, जो हमने होली, के दिन ही आके
न भांग छानी, न गटकी दारू, न खाये गुझिये, तेरी गली में
अकड़ रहे थे ये सोच कर हम, जरा भी मजनू से कम नहीं हैं
उतर गया है, बुखार सारा, पड़े वो जूते, तेरी गली में
किसी को मामा किसी को नाना किसी को चाचा किसी को ताऊ
बनाये हमने तुम्हारी खातिर ये फ़र्ज़ी रिश्ते, तेरी गली में
तमाम रस्ता कि जैसे कीचड़, कहीं पे गढ्ढा कहीं पे गोबर
तेरी मुहब्बत में डूबकर हम मगर हैं आये, तेरी गली में
भुला दी अपनी उमर तो देखो ये हाल इसका हुआ है लोगों
पड़ा हुआ है जमीं पे 'नीरज' लगा के ठुमके, तेरी गली में
उफ ये टेन पैक्स समीर लाल जी इन पर ये दोनों सुंदरियां फिदा न हों तो क्या हो
ये कैसा जलवा दिखाया तुमने, मुझे बुलाके तेरी गली में
उतर गया बुखार सारा, पड़े जो जूते तेरी गली में
मुझे भरम था कि मेरी खातिर, मिठाई तूने बना रखी है
कसम खुदा की भरम है टूटा, पिटाई खा के तेरी गली में
वो तेरे भाई हैं या कसाई, न उनको जन्नत नसीब होगी.
पिला के दारु पटक ही दूँगा, मैं उनको आके तेरी गली में.
बुजुर्ग सा कुछ था बाप तेरा, इसी की खातिर मैं कुछ न बोला
अगर लिहाजे उमर न हो तो दूं एक मिला के तेरी गली में.
मैं तुझको इतना बता रहा हूँ, नहीं मिलेगा समीर तुझको,
हो आशिकी का जो जोश बाकी, वो सर पटक ले तेरी गली में.
अय हय मेरे सुसराल( ग्वालियर ) के तिलक राज कपूर जी तीसरी फोटो तो कमाल की है
चले थे हम तो, करेंगे तुझसे, नयन मटक्के, तेरी गली में
उतर गया है, बुखार सारा, पड़े वो जूते, तेरी गली में।
ये तुमने बोला, फलक का चँदा, बहुत ही प्यारा, सदा लगा है
तभी तो सपने, सजा के आये, शहर के टकले, तेरी गली में।
सुना था छज्जे, पे तुम खड़ी हो, गुलाल मलकर, हमें लुभाने
इसीलिये तो, पहन के टोपी, गधे पे आये, तेरी गली में।
बहुत हैं नादॉं, समझ न पाये, तिरी शरारत, की हद कहॉं है,
मिलाके गोबर, बनाये भजिये, खिलाये तूने, तेरी गली में।
न सेव गुझिया, जलेबी बर्फी, न ही मिठाई, का रूप कोई
हमें मिले हैं, तो बस ये कीचड़, भरे कटोरे, तेरी गली में।
गले मिलोगी, सभी से छुपके, हमें बुलाया, यही तो कहके,
लपेटते हैं, क्यूँ लीद हम पे, सभी ये छोरे, तेरी गली में।
ना भॉंग-गॉंजा, बियर या व्हिस्की, कसम है तेरी, छुई है हमने
तुझे जो देखा, गुलाल में तो, नशे में भटके, तेरी गली में
हमारी बॉंहों, में डाल बॉंहें, तू फाग गाती, हमें नचाती
तो रंग होली के और ज़्यादा, हमें सुहाते, तेरी गली में।
फटा पजामा, अधूरा कुर्ता, ये टूटा चश्मा, और एक चप्पल
बचा के ‘राही’, किसे बताये, मिले जो झटके, तेरी गली में।
उफ योगेन्द्र मौदगिल जी क्या फिगर पाया है ( दूसरे चित्र में )
है चालू आंटी तो ठरकी बुड्ढे हैं लुच्चे लौंडे तेरी गली में
ये लड़कियाँ लागें सारी लैला ग़ज़ब के जलवे तेरी गली में
हम आशिकों की कुंआरी पलटन तेरे मोहल्ले में कैसे आए
के दूर से हमको दिख रहा है खडे़ है बुड्ढे तेरी गली में
पिटाई को ये कहें धुलाई खुदा ही मालिक है आशिकों का
वो लातें बरसी पडे़ वो घूँसे के सूजे चेहरे तेरी गली में
किसी की दुनिया लुभा न पाई किसी को ज़रा भी न रास आया
कि जैसे मैं हूँ शुरू से बिल्लो तेरे ही पीछे तेरी गली में
हैं मेरे बटुए के सारे दुश्मन ये मेरे ससुरे ये मेरे साले
ये कुबडे़ क़ाने ये गंजे अंधे ये झल्ले झबरे तेरी गली में
गली में आजा मना ले होती मैं तुझको रंग हूँ तू मुझको रंग दे
न आई तो मै करूँगा दंगा बजा के घंटे तेरी गली में
तेरा मोहल्ला मेरा मदीना है तेरी चौखट ही मेरी मक्का
ये हर की पौढ़ी ये गंगा मय्या है नल के नीचे तेरी गली में
वो मेरी ग़ज़ले वो मेरे नगमें वो तेरे अब्बू ने फाड़ डाले
सडे टमाटर गले से अंडे दिखा के डंडे तेरी गली में
हुई तबीयत हरी हरी सी बदल गया है मिजाजे मौसम
उतर गया है बुखार सारा पडे वो जूते तेरी गली में
वो दादा लच्छी सुबक रहा है हुड़क रहा है घुड़क रहा है
बुला के लच्छो पटा के लच्छो खिला के लच्छे तेरी गली में
मैं किसको दुखड़ा सुनाऊँ मुदगिल अजब कहानी गजब हैं मुद्दे
फटे हैं कुरते खुले पजामे हैं ढीले कच्छे तेरी गली मैं
सूचना : देखिये ये बहुत ही गलत बात है आज जब कुंभकरण परदे के पीछे बीड़ी पीने गया था तो कोई परदे से निकला और उसकी बीड़ी छुड़ा के भाग गया । कुंभकरण उसके बाद नाराज होकर कपड़े उपड़े समेत घर भाग गया है । इस कारण आज कुंभकरण वध की जगह पर मुन्नी बाई होली का धांसू तम नाच प्रस्तुत कर रही हैं ।
सूचना : रावण की सेना के कलाकारों को मंच के पीछे उल्टी हो रही है । हम पहिले ही बता दिये थे कि कोई भी रामलीला के कलाकारों को कच्ची नहीं पिलाए आप लोग नहीं माने इसलिये अब कल आपको रावण का युद्ध बिना सेना के ही देखना होगा ।
सूचना : शूर्पनखा का रोल करने वाला लड़का कल रात से गायब है पुरुषोत्तम जी से अनुरोध है कि वे अपने लड़के से बोलें के शूर्पनखा को रामलीला मंडली को वापस नहीं किया गया तो हम पुलिस में चले जाएंगें ।
सूचना : होली की सबको बहुत शुभकामनाएं ।