शायद ही कोई ऐसा हो जिसके फेवरेट गीतकार की सूची में गुलजार साहब का नाम नहीं आता हो । मेरे लिये तो वो क्या हैं मैं बता ही नहीं सकता । उनके गीतों को सुन सुन कर ही बड़ा हुआ हूं । प्रेम पत्र और बंदिनी से लेकर स्लमडाग तक का सफर गुलजार साहब का एक ऐसा सफर है जिसमें सब कुछ है । अपनी कहूं तो मैं तो लता जी की आवाज़ का पुजारी हूं । और उसी कारण लता जी और गुलज़ार साहब के इस मेजीकल काम्बिनेशन के सभी गीत मुझे पसंद हैं । उनकी पहली फिलम बंदिनी थी और रिलीज पहले हुई थी प्रेमपत्र मगर दोनों में ही गीत लता जी के ही थे । मोरा गोरा रंग लई ले तथा सावन की रातों में । आपकी सूचना के लिये बता दूं कि लता जी और गुलजार साहब की जोड़ी ने कुल 90 फिल्मी तथा 2 गैर फिल्मी गीत दिये हैं । उसमें से भी 6 गीत ऐसे हैं जो कि रिलीज ही नहीं हो पाये इसलिये फिल्मी गीत 84 ही उपलब्ध हैं । सभी 84 गीत जादुई गीत हैं । मेरे पास कलेक्शन में शायद सभी हैं । प्रेमपत्र, बंदिनी, पूर्णिमा, सन्नाटा, आशिर्वाद, राहगीर, खामोशी, आनंद, मेरे अपने, परिचय, अनोखा दान, दूसरी सीता, मौसम, खुश्बू, आंधी, घर, खट्टा मीठा, किनारा, पलकों की छांव में, देवता, स्वयंवर, गोलमाल, थोड़ी सी बेवफाई, सितारा, बसेरा, मासूम, एक पल, गुलामी, लिबास, लेकिन, माया मेमसाब, रुदाली, माचिस, सत्या, दिल से, जहां तुम ले चलो, हुतूतू, लाल सलाम ये वो 38 फिल्में हैं जिनमें वे 84 गीत आपको मिलेंगें । एक लता जी का एल्बम है ऐ मेरे वतन के लोगों उसमें 2 गैर फिल्मी गीत मिलेंगें । और अभी अभी, देवदास, खुश्बू, भरोसा तथा ख्वाहिश ये वो फिल्में हैं जिनमें वे अनरिलीज्ड 6 गीत हैं । तो कुल मिलाकर 92 गीत लताजी और गुलजार साहब की जोड़ी ने दिये हैं । आपको चाहिये तो पूरी सूची भी उपलब्ध करवा सकता हूं 92 गीतों की । इन 92 गीतों में 58 गीत लता जी के सोलो गीत हैं और 34 गीत युगल गीत हैं । ये मेरा अपना अपडेट है यदि आपको लगे कि कोई फिल्म छूटी है तो अवश्य बतायें । वैसे मैंने सजीव सारथी जी को अपने पसंदीदा लता जी के 10 गीत दिये हैं आवाज़ पर लगाने के लिये उसमें मैंने लता जी और गुलजार साहब के 10 दुर्लभ गीत छांटे हैं । एक बार वहां जाकर अवश्य सुनें और बताएं कि कैसे गीत हैं ।
तो इस बार हम गुलजार साहब और लता जी का ही एक अनोखा गीत ले रहे हैं संगीत वसंत देसाई का है । गीत के लिये कुछ भी लिखना मेरे लिये असंभव है । ये वो गीत है जिसको सुनकर हमेशा आंखे भर आती हैं अपने पूज्य दादाजी की याद आ जाती है, जिनके प्रति एक अपराध मैने किया था लेकिन क्षमा मांगने से पूर्व ही वे चले गये, जीवन भर के लिये मेरे मन पर अपराध बोध का बोझ छोड़कर । 1968 में आई ऋषिकेश मुखर्जी दादा की फिल्म आशीर्वाद का ये गीत सुनें ।
और अब देखें इस कार्यक्रम की चित्रमय झांकी जो हम लोग सीहोर में पिछले 15 सालों से लगातार आयोजित कर रहे हैं । 15 अगस्त को ये आयोजन हम करते हैं । और इसका उद्देश्य है नयी प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना । इसके लिये हम कोई चंदा नहीं करते अपने ही स्तर पर ये आयोजन करते हैं । कार्यक्रम का नाम होता है देशभक्ति गीत प्रतियोगिता । इसमें स्कूली बच्चों के लिये देश भक्ति के गीतों की प्रतियोगिता तीन वर्गों सब जूनियर, जूनियर तथा सूमह वर्ग में आयोजित की जाती है । पिछले 15 वर्षों से मैं, मेरे मित्र सुनील भालेराव तथा हितेंद्र गोस्वामी ये कार्यक्रम करते आ रहे हैं । हमारे स्थानीय विधायक श्री रमेश सक्सेना जी का भी पूरा सहयोग हमें मिलता है । ये भी संयोग ही है कि वे भी पिछले 15 सालों से हमारे क्षेत्र के विधायक हैं । खैर देखें चित्रमय झांकी ।
तीन वर्गों सब जूनियर, जूनियर तथा समूह में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । तीनों ही वर्गों में शहर के विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीतों की शानदार प्रस्तुतियां दीं ।
निर्णायक के रूप में प्रदेश के ख्यात सुगम संगीत कलाकार जुल्फिकार अली, अमजद अली तथा अखिलेश तिवारी उपस्थित थे ।
नन्हे नन्हे बच्चों ने अपने स्वर कौशल से न केवल हाल में उपस्थित श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया बल्कि निर्णायकों को भी उलझन में डाल दिया ।
बच्चों की प्रस्तुतियों पर प्रसन्न होकर श्रोताओं ने खूब नकद पुरस्कार भी प्रदान किये ।
प्रतियोगिता का परिणाम इस प्रकार रहा सब जूनियर वर्ग में प्रथम समीक्षा जोशी, द्वितीय नमन मेहता तथा तृतीय राधा गुप्ता, जूनियर वर्ग में प्रथम जया मेवाड़ा, द्वितीय शिरोनी पालीवाल तथा तृतीय रूपाली गुप्ता, समूह वर्ग में प्रथम सेंट एन्स स्कूल का दल, द्वितीय सरस्वती शिशु मंदिर का दल तथा तृतीय एंजिल ग्रुप रहा ।
सभी विजेताओं को संस्कृति की ओर से आकर्षक चमचमाती हुईं ट्राफियां प्रदान की गईं, साथ ही विधायक रमेश सक्सेना ने तीनों वर्गों के प्रथम विजेताओं को इक्कीस सौ, द्वितीय को पन्द्रह सौ तथा तृतीय को ग्यारह सौ रुपये की नकद राशि अपनी ओर से देने की महती घोषणा की । श्री सक्सेना ने इस अवसर पर बच्चों को कार्यक्रम में संगत देने वाले संगीतकारों सत्यम, मुकेश कटारे, रितुल, विशाल तथा साउंड सिस्टम के शोएब को पुष्पहार पहना कर सम्मानित किया । सीहोर के सुप्रसिध्द वायलिन वादक मोहम्मद रईस को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।
श्रोताओं के विशेष अनुरोध पर निर्णायकों जुल्फीकार अली तथा अखिलेश तिवारी ने देशभक्ति के गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
कार्यक्रम का संचालन पंकज सुबीर ने किया । आभार संस्कृति के संयोजक सुनील भालेराव ने किया ।
मिलते हैं अगले अंक में तरही मुशायरे के परिणाम के साथ तथा नयी बहर के साथ ।
Ghulzar ji ko janmadivas ki shubhkamanaeN....! Sehore jaisi jagaho par aap jis tarah Saanskritik utthaan kar le rahe hai.N..vo log bade shahro me bhi nahi kar pate...! Naman
जवाब देंहटाएंगुलजार जी को जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनायें..!!
जवाब देंहटाएंआपका गुलज़ार और लता जी के प्रति प्रेम स्तुत्य है...ये दोनों हैं ही ऐसे...इनसे प्रेम किये बिना जीवन जीना व्यर्थ है...
जवाब देंहटाएंइक था बचपन बेहद भावपूर्ण गीत है...आँखों का गीला होना स्वाभाविक है...
आपके द्वारा नयी प्रतिभाओं के लिए हर साल किये जाने वाला कार्यक्रम अनूठा है और प्रशंशनीय है...
कमीने ख़राब फिल्म है ये आपसे किसने कह दिया...जबकि अखबार उसकी प्रशंशा में भरे पड़े हैं और तो और दर्शकों का भी बहुमत उसके पक्ष में है...विशाल भारद्वाज जी से हम बुरी फिल्म की अपेक्षा नहीं कर सकते...उनकी ओमकारा देखि थी क्या आपने??? मैं शीघ्र ही इस फिल्म को देख कर इसके बारे में अपनी निष्पक्ष राय आपको भेजता हूँ.
नीरज
गुलजार जी को जन्मदिवस की ढेरों शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसाहित्य संसकृति के प्रति आपका लगाव प्रयास और नई पीढी का मार्गदर्शन श्लाघा योग्य है । तस्वीरे ब्याँ कर रही हैं कि आपके समारोह कितने प्रभावशाली होते हैं बहुत बहुत बधाई अभी आपके गीत नहीं सुने जा सके। आभार्
behatreen.
जवाब देंहटाएंgulzar ji aap gulzar ho gulzar hi rehna. matki phoote to phoote chinta nahi..
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंGuru Ji aap ke blog ka updatation nahi ho ra hai kahiN....!
जवाब देंहटाएंगुलजार जी को जन्मदिन की बधाई। गीत बहुत बढ़िया है, आपके चयन का कायल होना पड़ेगा। चित्रमय झांकी ने मन मोह लिया। साहित्य के प्रति ये समर्पण प्रेरणाप्रद भी है और स्तुत्य भी। कमीने की तो मेरे पास मिली जुली रिपोर्ट आई थी-कुछ को अच्छा लगा था कुछ को बुरा। हिम्मत करके कल देखने की कोशिश की...20..मिनट में ही होश ठिकाने आ गये...फ़िल्म वहीं छोड़ दी हमने।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंGulzaar apne samay ke laajwab shayar hai.
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
guljar ji aur lata ji ka combination hai hi aisa ki har koi mantrmugdh ho jaye.
जवाब देंहटाएंGulzaar naam dekhkar barbas aapki post ki or khichi chali aai......ham to dewaane hai unki writing ke saath hi lata ji ka kanth ho to kya kahne.......aapki pasand hamahe pasand aai
जवाब देंहटाएं