पिछले दिनों से काफी व्यस्त हूं इस कारण न तो मेल का जवाब दे रहा हूं और ना ही ब्लागों पर कमेंट कर पा रहा हूं । अपने ही ब्लाग पर काफी काफी दिनों में पोस्ट लगा रहा हूं । आशा है कुछ दिन के लिये मुझे इस व्यस्तता के कारण क्षमा करेंगें ।
इस बार तरही के निर्णायक पद पर आसीन होने का मेरा अनुरोध परम आदरणीय दादा भाई महावीर शर्मा जी ने स्वीकार कर मुझे उपकृत किया । उन्होनें बहुत ही बेहतरीन तरीके से पूरे मुशायरे की समीक्षा की है । हालंकि स्वास्थ्य को लेकर उनको कुछ समस्याएं हैं फिर भी नयी प्रतिभाओं को लेकर उनके मन में जो भाव है उसके चलते उन्होंने मेरे अनुरोध को स्वीकार किया । मैं आभारी हूं । पिछली बार श्रद्धेय प्राण शर्मा साहब ने इस कार्य को हमें उपकृत करते हुए स्वीकार किया था और इस बार दादा भाई ने ये कार्य किया है । हमारे तरही मुशायरे की सफलता का और क्या सुबूत हो सकता है ।
पहले तो आदरणीय समीर लाल जी और आदरणीया भाभीजी को आज उनकी विवाह की वर्षगांठ के अवसर पर बधाई । पूरे ब्लाग जगत की ओर से ईश्वर से कामना करते हैं कि इस युगल जोड़ी को अपने आशीर्वाद और करम से नवाजे । समीर लाल जी पूरे ब्लाग जगत के चहेते हैं और उनका अपना एक मुकाम है । ये अलग बात है कि इन दिनों काली पैंट और लाल शर्ट में घूम रहें हैं ।
समूचे ब्लाग जगत की ओर से युगल को वर्षगांठ की शुभकामनाएं
तरही मुशायरे का परिणाम :-
इस बार दादा भाई महावीर शर्मा जी ने तरही के निणार्यक का पद स्वीकार किया था । वैसे वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं किन्तु परम्परा है कि परिचय दिय जाता है सो मैं दे रहा हूं ।
दादा भाई आदरणीय महावीर शर्मा जी
जन्म : 20 अप्रैल 1933 दिल्ली, भारत में। शिक्षा : एम. ए. हिंदी। लंदन यूनिवर्सिटी तथा ब्राइटन यूनिवर्सिटी में मॉडर्न गणित, ऑडियो विज़ुअल एड्स तथा स्टटिस्टिक्स। उर्दू का भी अध्ययन। कार्यक्षेत्र : 1962 से 1964 तक स्व: श्री ढेबर भाई जी के प्रधानत्व में "भारतीय घुमंतू जन सेवक संघ" के अंतर्गत "राजस्थान रीजनल ऑर्गनाइज़र" के रूप में कार्य किया। 1965 में इंग्लैंड प्रस्थान। 1982 तक भारत, इंग्लैंड तथा नाइजीरिया में अध्यापन। 1992 स्वैच्छिक पद से निवृत्ति के बाद लंदन ही मेरा स्थाई निवास स्थान है। 1960 से 1964 तक की अवधि में हिंदी और उर्दू की मासिक तथा साप्ताहिक पत्रिकाओं में कविताएँ, कहानियाँ और लेख ''महावीर यात्रिक'' नाम से प्रकाशित।
दादा भाई के दो ब्लाग हैं महावीर और मंथन जहां विशुद्ध साहित्यिक आयोजन वर्ष भर होते रहते हैं । दादा भाई के बारे में और जानने के लिये आप यहां और यहां पर देख सकते हैं ।
तो पेश है आदरणीय महावीर जी द्वारा की गई तरही मुशायरे की समीक्षा जस की तस :-
सुबीर जी ने जुलाई का तरही मुशायरा एक अनोखे अंदाज़ से पेश किया है. इस मुशायरे के हासिले मुशायरा शेर के चयन करने का दायित्व मुझे दिया है. सच तो बात यह है कि यह दायित्व पूरी तरह से निभाना एक बहुत कठिन कार्य है. आप शायद जानते हों कि सुबीर जी मुझे 'दादा भाई' से संबोधित करते हैं. 'दादा भाई' के नाते अनुज सुबीर को मुझ पर पूरा अधिकार है और इसी कारण यह ज़िम्मेदारी लेनी ही पड़ी.
अपनी अल्प बुद्धि के अनुसार तरही की ग़ज़लों में से सर्वश्रष्ठ शेर चुनने का प्रयत्न करता हूँ.
यह कहना आवश्यक है कि वरिष्ठ साहित्यकारों डॉ. सुधा ढींगरा जी, देवी नागरानी जी और नीरज गोस्वामी जी तथा विख्यात ग़ज़लकार डॉ. मोहम्मद आज़म साहेब को इस प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जा रहा है. ऐसे साहित्यकारों की रचनाएँ तो प्रेरणात्मक और प्रोत्साहक होती हैं जन्हें पढ़कर कुछ सीखा जाता है.
सामूहिक रूप से तरही की सारी ही ग़ज़लें खूबसूरत, सार्थक और प्रभावशाली हैं, हृदयगत भावनाओं, सुन्दर विचारों, कल्पनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति है, ऐसे तेवर हैं कि क़फ़िये बोल उठे हैं. अधिकाँश ग़ज़लों में यह गुण देखा गया है ग़ज़लकार ने जैसे सोचा-समझा है, पढ़ने वालों तक उसी रूप में संप्रेषित हुई है. अक्सर, अन्दाज़े-बयां दिलकश हैं, शेर के दोनों मिसरे एक दूसरे से संबद्ध हैं और व्याकरण सम्मत हैं. कुछ ग़ज़लें अलिफ़ वस्ल लयात्मक संधि, तक़रार, बहरों की पेचीदगियों की अच्छी मिसालें हैं.
आप जानते ही हैं कि कभी-कभी बड़े शायरों की ग़ज़लों में भी कोई छोटी सी त्रुटि नज़र आ जाती है. इस प्रतियोगिता में भी कहीं एकाध ग़ज़लों में ऎसी बातें देखी जा सकती हैं जैसे एक जगह ग़ज़ल कहते कहते एक मिस्रा बहर से ख़रिज होगया है. दो जगह ऐसा भी देखा गया है कि शायर ने जिस ख़याल को लेकर मिस्रा लिखा है, अस्पष्टता के कारण पढ़ने वाले के हृदय-पटल पर उसी प्रकार से अंकित नहीं हो सका. ख़याल पाठक तक उसी प्रकार से संप्रेषित नहीं हो पाया. कुछ मिसरे क्रिया-हीन के कारण अपना असर खो बैठे. वचन, लिंग, काल और देश को सभी ने भलीभांति निभाया है.
अब बारी आती है कि कौन सा शेर चुना जाये जो तख़य्युल और तग़ज़्ज़ुल में अपना कमाल दिखा सके, हृदयगत भावनाएं दिल की गहरायी को छू लें, सरल और संयत भाषा हो, शब्द नगीनों की तरह जड़े हों, बहर और वज़न सही रूप में इस्तेमाल किये गए हों. भाव और शब्दों का मेल ताल ऐसा हो कि ग़ज़ल में तरन्नुम और गेयता हो. तग़ज़्ज़ुल तरन्नुम के बिना अधूरा सा लगता है. ऐसे ही गुणों को ध्यान में रखते हुए अपनी अल्प बुद्धि के अनुसार अपना मत दे रहा हूँ. यह आवश्यक नहीं है कि आप भी इससे सहमत हों. इस असहमति का आपको पूरा पूरा अधिकार है.
अपनी राय देने से पहले यह भी कहना चाहता हूँ कि कभी कभी नव-शिक्षु ऐसा शेर कह जाता है कि अनायास ही मुंह से 'वाह!' निकल जाता है और बड़े बड़े शायर कुर्सी से उठकर असकी सराहना करने लगते हैं. काफ़ी दिनों की बात है, फ़ोन पर बात करते हुए प्राण शर्मा जी ने एक किस्सा सुनाया. संभवत: यह घटना १९वी शताब्दी के ८०वे दशक की है. एक महफ़िल में एक बड़े शायर अपना कलाम पढ़ रहे थे. मिस्रा पढ़ा:
'दिल के फफोले जल उठे सीने के दाग़ से'
लेकिन किस्मत की मार, वो अगला मिस्रा भूल गए, कोशिश के बावजूद भी ज़बान तक नहीं आ पाया. कुछ घबराहट, हलकी सी शर्मिंदगी भी, परेशान होगये. उसी वक़्त एक छोटी उम्र का लड़का उठा और उसी बहर में शेर पूरा कर दिया:
'इस घर को आग लग गयी घर के चराग़ से.'
बुजुर्ग शायर ने लड़के को सीने से लगा लिया और कहा: 'आज से तू मेरा उस्ताद है.'
हो सकता है कि शायद आज भी आपको कुछ ऐसा लगे.
मुझे ऊपर लिखी बातों के आधार पर ३ आशा'र पसंद आये हैं.
रविकांत पाण्डेय जी की ग़ज़ल का मतला:
"मुग्ध होना बाद में उसकी मधुर झंकार से
दर्द पहले पूछना वीणा के घायल तार से."
वीनस केसरी जी का यह शेर:
"हम किताबे-ज़िन्दगी के उस वरक़ को क्या पढ़ें
जो शुरू हो प्यार से औ ख़त्म हो तक़रार से"
(लगता है वीनस जी ने टाइपिंग में 'पढ़ें' की जगह 'पढ़े' लिख दिया है.)
मेजर संजय चतुर्वेदी की ग़ज़ल का मतला भी बहुत पसंद आया:
"माँ से छत, रिश्तों से चौखट और हद है प्यार से
ईंट गारे से नहीं बनता है घर, परिवार से."
१० के स्केल पर रविकांत पाण्डेय जी और वीनस केसरी जी को १०,१० और मेजर संजय चतुर्वेदी जी को ९ नंबर दिए हैं. यदि सुबीर जी आज्ञा दें तो इस प्रतियोगिता में रविकांत जी और वीनस जी दोनों के उक्त शेरों को 'हासिले मुशायरा शेर' कहे जायें.
अंत में मेरी ओर से प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी ग़ज़लकारों का धन्यवाद जिन्होंने अपनी बेहतरीन ग़ज़लों से इस मुशायरे का मान बढ़ाया है. साथ ही सुबीर जी का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे निर्णायक की कुर्सी पर आसीन कर दिया. आशा है डॉ. सुधा ढींगरा जी, देवी नागरानी जी, नीरज गोस्वामी जी और डॉ. मोहम्मद आज़म जी जैसे गुणी साहित्यकारों की रचनाओं से नए कवियों/ग़ज़लकारों को प्रेरणा मिलती रहेगी. महावीर शर्मा
बधाई हो बधाई दोनों को वीनस को भी और रविकांत को भी । दोनों ने मिल कर मैदान मारा है । संजय चतुर्वेदी भी बधाई के हकदार हैं । तो दादा भाई घोषित कर ही चुके हैं कि इस बार तरही के विजेता दो युवा शायर वीनस केसरी और रविकांत पाण्डेय हैं । बधाई दोनों को ।
और मुझे दीजिये आज्ञा ।
समीर भाई ,
जवाब देंहटाएं..शादी के कितने वर्ष पूरे कीये ?
आपको व सौ. भाभी जी को हार्दिक शुभकामनाएं व बहोत बधाईयाँ
खुश रहीये ..आपस में प्यार बढा रहे ...पुत्र पुत्रों से आँगन आबाद रहे ..खूब मज़े करीए ..
मेरे आशिष व स्नेह,
- लावण्या और दीपक
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रविकांत भाई -
तथा वीनस केसरी जी को बधाई -
आदरणीय महावीर जी की समीक्षा उम्दा रही
--
- लावण्या
आदरणीय समीर जी और साधना जी को इस शुभ दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामना.."
जवाब देंहटाएंरविकांत जी और वीनस केसरी जी को बधाई . आदरणीय महावीर जी के आलेख के लिए आभार...
regards
आदरणीय महावीर जी की समीक्षा और उनका सरल और सहज मन से अपने भाव व्यक्त करना बहुत अच्छा लगा वीनस केसरी जी और रवि कान्त जी और मेजर संजय जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआदर्णीय समीर जे और उनकी सहचरी साधना जी को इस शुभदिन की बहुत बहुत बधाई आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद गज़ल की विध के प्रसार और विस्तार के लिये
एक दुष्कर कार्य को इस सरलता से कर पाना सभी के लिये संभव नहीं हैं । चयनकर्ता व चयनित अशआर दोनों ही बधाई के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को नमन है...हीरों की खान से तराशे हुए कोहिनूर सरीखे हीरे चुनना किसी जोहरी की ही बस की बात है...जो शेर उन्होंने ने चुने वो यकीनन हीरों की तरह चमकते हुए दूर से ही नज़र आ जाते हैं...दोनों ही अनमोल शेर हैं...सबसे बड़ी ख़ुशी इस बात में है की ऐसे शेर जिसे कहने में बड़े बड़े उस्तादों को पसीना बहाना पड़े, उन्हीको किस खूबसूरती से इन दोनों उभरते हुए शायरों ने सहजता से कह दिया है...मैंने पहले से ही अपनी पसंद के चंद शेरों में इनका शुमार किया हुआ था...
जवाब देंहटाएंरवि कान्त जी और वीनस केसरी जी को बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई.गौतम जी का तरही पर कसा हुआ शेर भी अपने आप में बेमिसाल लगा था मुझे...लेकिन अब हर शेर को तो हासिले मुशायरा का खिताब नहीं दिया जा सकता , महावीर जी ने जो न्याय किया है उसपर किसी को भी एतराज नहीं हो सकता...
आदरणीय महावीर जी न केवल अच्छा लिखते हैं बल्कि बोलते भी हैं...उनकी साधारण बात चीत भी किसी ग़ज़ल से कम नहीं होती...मेरे जनम दिन पर उनसे हुई बात मेरे लिए बहुत बड़ी सौगात साबित हुई...उनका बड़प्पन ही था की उन्होंने मुझ जैसे अदना से शायर को फोन कर अपना आर्शीवाद दिया. मैं इस बात के लिए हमेशा उनका आभारी रहूँगा.
गुरुदेव आपकी छत्रछाया में पनपने वाले आज के ये छोटे छोटे पौधे सामान शायर एक दिन फल फूलदार वृक्ष बनेंगे और आपकी प्रसिद्धि को चारों और फैलायेंगे इसमें कोई शक नहीं है.
समीर जी को शादी की वर्षगांठ की ढेरों शुभकामनाएं. दोनों की फोटो जब देखता हूँ तो मुझे हमेशा ही "मेड फार ईच अदर" लगते हैं. इस शुभ अवसर पर भव्य पार्टी कहाँ हो रही है इसकी भी सूचना जारी हो.
नीरज
आप कब तक व्यस्त रहेंगे ये भी तो बताएं?
हम तो गुरूदेव, आपकी खामोशी से घबड़ा ही उठे थे...विगत तीन-चार दिनों से अपना भी ठीकाना नहीं था कहीं...और आज सोच ही रहे थे आपको फोन करने की कि ये रवि और वीनस के हासिले-मुशायरा वाले शेरों की खबर पे झूम उठे...अहा !
जवाब देंहटाएंमहावीर जी की बातों का तो कहना ही क्या\ जैसा कि नीरज जी ने कहा कि उनकी साधारण बातें भी किसी ग़ज़ल से कम नहीं होतीं।
वीनस और रवि को करोड़ों बधाईयां...
बहुत खूब!
अब अगले तरही के उस "गीत" की प्रतिक्षा में हैं हम।
और समीर जी को दिन-विशेष की हार्दिक शुभकामनायें...!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसच है रोज सोचते थे तरही के परिणाम के विषय में...! मगर पता था कि जब गुरु जी के पास परिणाम आ जायेंगे तो वो शीघ्र ही देंगे.! रविकांत जी का ये शेर बहुत उम्दा था भी और वीनस का भी...! आप दोनो को हमारी तरफ से बहुत बहुत बधाई...!
जवाब देंहटाएंन्याय की कुर्सी पर बैठ कर उत्तम से सर्वोत्तम छाँटना शायद बहुत ही मुश्किल काम है और तब जब आधार विचार हों...! समझ सकती हूँ मैं महावीर जी कितने पश-ओ-पेश में पड़े होंगे...!
नीरज जी की तरह गौतम जी के कुछ शेर मेरे दिमाग से उतर ही नही रहे थे..! मगर ऐसा तो बहुत से शेरों के साथ हुआ...! और सच है इस बार तो सारी ही गज़लें अति उत्तम थीं।
समीर जी और साधना भाभी को शादी की वर्षगाँठ पर कोटिशः बधाइयाँ
BADHAAYEE.
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
आदरणीय समीर जी और साधना जी को इस शुभ दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामना.."
जवाब देंहटाएंसमीर भैया भाभी जी को अनंत शुबकामनाएं तथा विजेताओं को बहुत बहुत बधाइयाँ....गुनिजनो ने पहले ही टिप्पणियों तथा पोस्ट में अपना स्नेह आशीष तथा प्रशंशा रूपी जो मोटी बिखेरे हैं, उनके सामने अलग से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं बची...मैं भी उनके स्वर में अपना स्वर मिलाती हूँ....
जवाब देंहटाएंअहा क्या बात है ... समीर लाल जी शादी की वर्ष गाँठ ... बहुत बहुत बधाई... करोडो बधाईयाँ और शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंसीना चौडा हो गया बहुत हर्षित हूँ आज अपने दोनों गुरु भाईओं के मैदान मारने पर...गुरु देव... ये दोनों ही शे'र वाकई... मोतियों की तरह है और जहां परखी नज़र परम आदरणीय श्री महावीर जी की हो तो क्या कहने...मैं तो गले लग के बधाई देना चाहता हूँ... अपने दोनों भाईयों को ... श्रधेय महावीर जी के कुशल स्वस्थ्य की कामना करता हूँ... और गुरु देव आपको सादर प्रणाम...
अर्श
मास्साब
जवाब देंहटाएंअभिभूत हूँ.
आप सभी का शुभकामनाओं एवं बधाई संदेश के लिए बहुत बहुत आभार.
समीर-साधना
सबसे पले तो समीर-दंपति को सफल वैवाहिक वर्षगांठ की बधाईयां। आदरणीय महावीर शर्मा जी को नमन, तरही की विवेचना के लिये। जहां तक हासिले मुशायरा शेर की बात है तो जाहिर है श्री महावीर जी को कितनी मुश्किल हुई होगी क्योंकि इस बार तो सारी गज़लें ही सुंदर थीं। अब ये तो संयोग है कि कौन सा शेर जुबां पर चढ़ जाय और हासिले मुशायरा बन जाये लेकिन इससे बाकियों का महत्त्व कतई कम नहीं हो जाता। पर परिणाम तो परिणाम है, वीनस जी को बधाईयां। बधाई मेजर संजय चतुर्वेदी जी को भी।
जवाब देंहटाएंगुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंतरही मुशायरे का आयोजन पूरी शानो शौकत साथ जब सम्पन्न हुआ था तब ही हम समझ गए थे की हमारी कहीं गिनती नहीं है नीरज जी, गौतम जी, आजम साहब व अन्य गजलों के सामने मेरे शेरो का फीकापन साफ़ ही दीखता है ये तो महावीर जी का बड़प्पन हैं की आपने नए लिखे शेर को चुना
कभी कभी इश्वर हमें वो ख़ुशी दे देता है जिसके बारे में हम सोचते ही नहीं और कभी कभी तो वो ख़ुशी भी जिसके सही मायनों में हम हकदार नहीं होते
@ महावीर जी आपने मुझ अदना के लिखे शेर को इस काबिल समझा की उसे मुशायरे का हासिल शेर का खिताब दिया उसके लिए आपको हार्दिक धन्यवाद
@ हार्दिक बधाई रवि भाई और संजय जी को जिनके शेर और पूरी गजल एकदम कमाल धमाल है
@ आप स्नेही स्वजन का भी हार्दिक धन्यवाद जिन्होंने मुझे बधाई दी और हौसला अफजाई की
@ रवि भाई एक निवेदन है वीनस के आगे "जी" ना लगाया करिए (अरे अभी मेरी उम्र ही क्या है :)
वीनस केसरी
@ समीर जी वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
प्रणाम महावीर जी, गुरु जी
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन तरही मुशायेरे का parinaam भी utna ही बेहतरीन है.
बहुत बहुत बधाई veenas को,ravikant जी को और sanjay जी को .........
wakai महावीर जी ने जो भी बात कही है, जो sameeksha की है उसका एक एकharf किसी moti से कम नहीं है.
Sameer lal ji ko shadi ki saalgirah mubarak ho..............
जवाब देंहटाएंVenus ji aur Ravikant ji ko bahut bahut badhayi
bahut achhi gazalen hui thi
dono kavion ko badhai. agla tarhi mushera kab hoga. mujhe b hissa lena hai. subeer ji. plz jaldi batayen.
जवाब देंहटाएंरविकान्त जी और वीनस जी दोनों गुरु भाइयों को कोटिश बधाइयां...सच तो यह है कि इस मुशायरे में कई शेर बेहतरीन और जुबान पर चढ़ जाने वाले थे...अगर आदरणीय महावीर जी जैसे महान व्यक्तित्व को गुरुदेव ने सिरमौर शेर चुनने का कार्य सौंपा है तो उसकी यही वजह थी...इन शेर को पढ़ कर लगा कि मुशायरा अपने शिखर पर पहुँच कर सितारे बिखेर रहा है..
जवाब देंहटाएंऔर मेजर संजय जी भी बधाई स्वीकारे...आशा करते है अगली बार हासिल मुशायरा शेर उनका होगा...
और सबसे अधिक बधाई गुरुदेव आपको इतना शानदार मुशायरा आयोजित करने पर...
रविकांत जी और वीनस जी कृपया मिठाई तैयार रखें इस उपलक्ष्य में...हम जल्दी आ रहे है..
तब तक आदरणीय समीर सा की शादी की वर्षगाँठ पर लेट बधाई देने की पहले डांट और उसके बाद डट कर मिठाई खाकर आते है.
प्रकाश पाखी
रवि जी और VEENUS जी को BADHAAI ........... सुन्दर VISHLESHAN है MHAVEER जी का ......... SAMEER जी को भी BADHAAI VIVAAH की वर्षगाँठ पर .........
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक चयन किया गया है, एक एक शेर अद्भुत है. सभी विजेताओं को बधाई.
जवाब देंहटाएंगुरु जी आज तो ब्लॉग की छटा ही निराली है :)
जवाब देंहटाएंअगले मुशायरे के लिए बहर या गजल के इंतज़ार में ........
वीनस केसरी
itni muhabbat thik hoti dushmanon se, sochiye
जवाब देंहटाएंkya fark padta hai yahaan yaaron ko hamare pyaar se.
सुबीर भाई, नमस्कार, इससे पहले भी एक बार मेल किया था लेकिन जवाब से महरूम था. आज फिर खुद को रोक नहीं सका. आप एक महान कार्य कर रहे हैं. रवि कान्त और वीनस केसरी को बधाई दे रहा हूँ लेकिन यह बधाई अपरोक्ष रूप से तो आप को भी मिल रही है. आपकी मेहनत का पारिश्रमिक इन दोनों रचनाकारों की प्रशस्ति के रूप में झलक रहा है. आप व्यस्त हैं, ज़ाहिर है मुझे कमेन्ट के बदले उत्तर की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए. एक बार फिर बधाई और साधुवाद.
जवाब देंहटाएंतरही मुशायरे के विजेताओं को बधाई!
जवाब देंहटाएंमुग्ध होना .....
किसी फ़िल्म का गीत याद आ गया पता नहीं किसने लिखा था
तारों से जो निकली है वो धुन सबने सुनी है
जो साज पे गुजरी है वो किसको पता है
रविकान्त जी को पुनः बधाई!
आदरणीय समीर जी को विवाह के वर्षगाँठ की बधाई एवम् शुभकामनायें
तरही मुशायरे के विजेताओं को बधाई!
जवाब देंहटाएंसमीर जी को विवाह के वर्षगाँठ की बधाई...जानकारी के लिये धन्यवाद...
Sabhi vijetaaon ko badhia....
जवाब देंहटाएंaur phir ek acche aur safal tarhi mushaayre ke liye aapko bhi.