गुरुवार, 17 मार्च 2022

आइए आज रजनी मल्होत्रा नैयर, अश्विनी रमेश, धर्मेंद्र कुमार सिंह, गिरीश पंकज, निर्मल सिद्धू और राकेश खंडेलवाल जी के साथ मनाते हैं होली का उत्सव

मित्रो इस बार ज़रा व्यस्तता का समय चल रहा है। असल में घर में विवाह आ गया है। अप्रैल के प्रारंभ में होना है इसलिए बहुत व्यस्तता बनी हुई है। इसलिए इस होली पर हर बार की तरह हास्य व्यंग्य से भरी पोस्ट लगा पाना संभव नहीं हो पा रहा है। हालाँकि मुझे पता है कि वह पोस्ट इस ब्लॉग की पहचान होती है और उसकी प्रतीक्षा की जाती है लेकिन इस बार उसके लिए समय निकाल पाना संभव नहीं हो पा रहा है क्योंकि उसके लिए बहुत समय देना पड़ता है। तो इस बार इसी प्रकार की पोस्ट जो सामान्य रूप से लगाई जाती है। 

 आइए आज रजनी मल्होत्रा नैयर, अश्विनी रमेश, धर्मेंद्र कुमार सिंह, गिरीश पंकज, निर्मल सिद्धू और राकेश खंडेलवाल जी के साथ मनाते हैं होली का उत्सव
 
डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर
आज उसने कहा, जा तुझे इश्क़ हो
हाल दिल का सुना, जा तुझे इश्क़ हो
दिलरुबा कोई तुझको मिले प्यार से
तू भी हो बावरा, जा तुझे इश्क़ हो
हिज्र का ग़म तुझे भी सताये कभी
तू करे रतजगा, जा तुझे इश्क़ हो
क्यों दहलता है तू प्यार के नाम से
इश्क़ में डूब जा, जा तुझे इश्क़ हो
कौन देता किसी को हसीं ये दुआ
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
 मतले में ही बहुत सुंदरता के साथ रदीफ़ का उपयोग किया गया है। असल में इस बार रदीफ़ की एक बड़ी चुनौती थी, जिसके कारण ग़ज़ल कहना उतना आसान नहीं था। मगर इसके बाद भी अच्छी ग़ज़लें आई हैं। अगले ही शेर में किसी को यह दुआ देना कि जा तू बावरा हो जाए बहुत अच्छे मिसरे में गूँथी गई है। हिज्र और रतजगा इश्क़ का सबसे ज़रूरी हिस्सा हैं, ऐसे में हिज्र और रतजगे की दुआ बहुत सुंदर बन पड़ी है। प्यार के नाम से दहलने वाले को इश्क़ में डूब जाने की दुआ भी सुंदर है। और अंत में गिरह का शेर भी अच्छा बना है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।

अश्विनी रमेश
नींद जो ले उड़ा जा तुझे इश्क हो
तू मना रतजगा जा तुझे इश्क हो
मौज कर नाच गा जा तुझे इश्क हो
जश्न अब तू मना जा तुझे इश्क हो
 जो किसी का कभी भी हुआ ही नहीं
अपनी उसको दुआ जा तुझे इश्क हो
जामुनी बैंगनी लाल पीला हरा
सब रँगों में रँगा जा तुझे इश्क हो
रुत फ़िज़ा की हसीं और दिलकश लगे
इस फ़ज़ा में ढला जा तुझे इश्क हो
तू है बस दिलजला तू बड़ा सिरफिरा
गर नहीं मानता जा तुझे इश्क हो
मतला और हुस्ने मतला दोनों ही बहुत सुंदरता से कहे गए हैं। जो नींद ले उड़ा है उसी को रतजगे के साथ इश्क़ हो जाने की दुआ देना बहुत सुंदर बात है और हुस्ने मतला में भी जश्न मनाने की बात बहुत अच्छे से कही गई है। और जो कभी किसी का नहीं हुआ उसको यह दुआ देना कि जा तुझे इश्क़ हो जाए बहुत सुंदर। और अगले शेर में होली के अवसर पर सभी रंगों में रँगा हुआ इश्क़ होन की बात अच्छी है। और अंत में किसी दिलजले और सिरफिरे को यह कहना कि तू किसी की कुछ नहीं सुनता तो जा तुझे इश्क़ हो जाए। बहुत ही सुंदरता के साथ ग़ज़ल कही गई है वाह वाह वाह। 

धर्मेन्द्र कुमार सिंह
कह गया मुझसे ख़्वाजा तुझे इश्क़ हो
तू भी देखे ख़ुदा जा तुझे इश्क़ हो
मैंने पूछा परम सत्य क्या है प्रभो
बुद्ध ने कह दिया जा तुझे इश्क़ हो
जान मैं ने बचाई थी जिस शख़्स की
उसने दिल से कहा जा तुझे इश्क़ हो
मंदिरों मस्जिदों में भटकते हुये
हो गया बावरा जा तुझे इश्क़ हो
कैसे पानी से पत्थर तराशा गया
तू भी समझे ज़रा जा तुझे इश्क़ हो
मैंने बोला कि दिल मेरा कमजोर है
चारागर ने कहा जा तुझे इश्क़ हो
मूस की दौड़ में जीतकर भी तो तू
मूस ही रह गया जा तुझे इश्क़ हो
तू भी सीखे वफ़ा ऐ सनम बेवफ़ा
ले गुलाबी दुआ जा तुझे इश्क़ हो
मुझको होगी मुहब्बत तुझी से सनम
तूने कह तो दिया जा तुझे इश्क़ हो
धर्मेंद्र जी की ग़ज़लें बहुत परिपक्वता के साथ बात करती हैं और एकदम नए विचारों के साथ सामने आती हैं। जैसे इसमें एक बहुत बारीक प्रयोग मतले में ही है, ख़्वा क़ाफ़िया है और जा रदीफ़ का हिस्सा है। बहुत कमाल का प्रयोग किया है। और अगले ही शेर में बुद्ध का मिसरा सानी स्तब्ध करने वाला है, निशब्द...। जान जिसकी बचाई उसकी दुआ कि तुझे इश्क़ हो बहुत कमाल है। मंदिरों और मस्जिदों में भटकते फिरने वाले को दुआ देना कि जा तुझे इश्क़ हो.. कमाल एकदम कमाल। और पानी से पत्थर तराशे जाने वाले शेर पर एक बार फिर से शब्द समाप्त हो जाते हैं कुछ कहने के लिए। दिल को मज़बूत करने के लिए चारागर का कहना कि जा तुझे इश्क़ हो... एकदम उस्तादाना रंग है शेर में। मूस वाला शेर और गिरह का शेर भी सुंदर बने हैं, लेकिन अंतिम शेर का विरोधाभास तो एकदम कमाल है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।

गिरीश पंकज
रंग जम के लगा, जा तुझे इश्क हो
रुख से पर्दा हटा, जा तुझे इश्क हो
जिनसे कह न सका हालेदिल तू कभी
आज उनको सुना, जा तुझे इश्क हो
रंग सारे मिले मस्त होली हुई
फाग तू गुनगुना, जा तुझे इश्क हो
रंग कहते सभी के लिए हम बने
फलसफा ये सिखा, जा तुझे इश्क हो
बेशरम बन के जी रंग में डूब जा
सब कहें बावरा, जा तुझे इश्क हो
दिल की जो बात है बोल दे आज तू
लाज का पट हटा, जा तुझे इश्क हो
मुँह न काला करो, रंग हो लाल बस!
दिल से सब को लगा, जा तुझे इश्क हो
वो अभागा जिसे प्यार मिलता नहीं
बस तू हिम्मत दिखा, जा तुझे इश्क हो
जो थे रूठे हुए रंग उनको लगा
जैसे-तैसे मना, जा तुझे इश्क हो
जब से बाबा फरीदे को मैंने सुना
सब से बढ़कर कहा, जा तुझे इश्क हो
तू न शरमा लगा रंग जम के उसे
"ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क हो"
मतले में ही होली का रंग घुल गया है। रंग सारे मिले और मस्त होली होने पर फाग गुनगुनाने के लिए इश्क़ का होना बहुत ज़रूरी है। रंग में डूबने के लिए अपने अंदर की झिझक शर्म सब भुलानी पड़ती है और उसके लिए इश्क़ होना बहुत ज़रूरी है। होली का अवसर सच में अपने दिल की बात कहने के लिए सबसे अच्छा अवसर होता है, इसीलिए शायद कहा है कि आज ही कह दे मन की बात। होली का अवसर रूठे हुओं को मनाने के लिए सबसे अच्छा अवसर होता है ऐसे में रूठों को मनाने के लिए इससे अच्छा समय और कब हो सकता है। और बाबा फरीद की इस दुआ को बहुत अच्छे से शेर में गूँथा गया है। अंत में गिरह का शेर भी बहुत सुंदर बन पड़ा है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह ।
निर्मल सिद्धू
नाच रे मन ज़रा, जा तुझे इश्क़ हो
ले गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क़ हो
आओ खेलें होली भूल के सारे ग़म
आयेगा फिर मज़ा, जा तुझे इश्क़ हो
रंग ही रंग हैं उड़ रहें हर तरफ़
आ रही है सदा, जा तुझे इश्क़ हो
लाल पीला हरा ,झूमती हर छटा
हर रंग कह रहा, जा तुझे इश्क़ हो
सब नशों मे खरा इश्क़ का ये नशा
तू मेरी बन वफ़ा , जा तुझे इश्क़ हो
रंग दी ख़ुद में ही उसने काया मेरी
सच हुआ जो कहा, जा तुझे इश्क़ हो
मतले में ही गिरह बहुत सुंदरता के साथ लगाई गई है। अपने ही मन को दुआ देना कि जा तुझे इश्क़ हो बहुत ही सुंदर बन पड़ी है। रंग ही रंग जब उड़ रहे होते हैं चारों तरफ़ तब सचमुच एक ही सदा आती है कि जा तुझे इश्क़ हो। जब चारों तरफ़ रंग ही रंग होते हैं तो हर रंग हमारे शरीर पर लग कर एक ही बात कहता है कि जा तुझे इश्क़ हो जाए। सब नशों से बढ़ कर इश्क़ का नशा होता है इसमें  कोई शक नहीं है। और अंत में कहा गया शेर कि रंग दी ख़ुद में ही उसने काया मेरी, बहुत सुंदरता और इशारों में गहरी बात कह दी गई है और उसके बाद मिसरा सानी भी बहुत सुंदरता के साथ आया है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।

राकेश खण्डेलवाल
आज तरही मिली ले गुलाबी दुआ
जा तुझे इश्क़ हो, आज तक ना हुआ
इश्क़ में डूब कर आज कह दे ग़ज़ल
अपनी हालत पे कह और कर ना नक़ल
जो न आते है। बहरो वज़न क़ाफ़िया
जा के हाशिम से कर तू तनिक मशवरा
तुझको ग़ज़लें सिखाएँगे पंकज गुरु
उनके पांवों को सर को झुका के तू छू
नॉट कर करना तुझको जरूरी है जो
तब ही लिख पायेगा-जा तुझे इश्क हो

हलवा आधा किलो ले के आ गाजरी
और सौरभ से जा मांग ला रसभरी
भाई नीरज से घेवर मंगा जयपुरी
फालसे - जिनकी रंगत रहे सांवरी
हलवा गुरप्रीत से मूंग की दाल का
और देंगे तिलक तोहफा भोपाल का
ला दिगंबर से चमचम तू बंगाल की
अश्विनी से प्लेटें मोहनथाल की
रेखा, रजनी से श्रद्धा से मिल जाए जो
तब ही कहना ग़ज़ल, जा तुझे इश्क हो

देख ले सामने आके सज्जन खड़े
उनसे मथुरा के पेड़े दजन माँग ले
साथ ले आना थोड़ी बहुत खुरचनें
देख कर गिरीश अपने सर को धुनें
सुन ये, दानी के संग में नकुल साथ है
उनके संग सोन हलवे की बरात है
इस सभी को लिए साथ, सीहोर जा
फिर गुरूजी को अपना चढ़ावा चढ़ा
तुझपे नुसरत का, इशरत का आशीष हो
है गुलाबी दुआ, जा तुझे इश्क हो
राकेश जी अपने शब्दों का रंग लेकर सारे रचनाकारों के साथ होली ज़रूर खेलते हैं। इस बार भी उन्होंने अपनी इस रचना में सारे रचनाकारों के साथ होली खेली है। इस प्रकार की रचनाएँ इस परिवार को आपस में जोड़ने वाली रचनाएँ होती हैं। यह एक सूत्र में सबको बाँधने वाली रचनाएँ होती हैं। और सबसे अच्छी बात यह है कि इस रचना में हास्य का तड़का लगाते हुए बहुत शालीनता के साथ एक-एक को उन्होंने रंग लगाया है। किसी को भी नहीं छोड़ा है, उनको भी नहीं जो बहुत दिनों से मुशायरे में शिरकत करने नहीं आ रहे हैं। बहुत ही सुंदरता के साथ राकेश जी ने होली के रंगों को चारों तरफ़ बिखेर दिया है। क्या कहा जाए इस रचना पर? कहीं कहीं जाकर शब्द साथ छोड़ देते हैं और भावुकता में कंठ रुंध जाता है। बहुत ही सुंदर रचना वाह वाह वाह।
आज तो सभी रचनाकारों ने बहुत सुंदरता के साथ प्रस्तुतियाँ देकर होली का माहौल बना दिया है। बहुत सुंदर। आप दाद देते रहिए और इंतज़ार कीजिए अगले अंक का।





15 टिप्‍पणियां:

  1. सभी रचनाएँ बेहतरीन व होली के रंगों में डूबी हुई। सभी रचनाएँ होली के माहौल को और रंगीन बनाते नज़र आ रही हैं। सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बढाई।

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  2. एक से बद्व कर एक। बधाई सबको।

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  3. इश्क़ रंग होली सभी ख़ुशियों से जुड़ी चीजें हैं पर हर ग़ज़ल पुरज़ोर तरीक़े से अपनी बात को रख रही है …

    राकेश जी की रचना का तो जवाब ही नहीं …
    धर्मेंद्र जी ने जो शेर कहे हैं … सच में बहुत कमाल हैं और बहुत दूर की बात, गहरा मतलब और सहज ही कहे शेर हैं … बहुत बधाई …
    गिरीश जी के सभी शेर लाजवाब …
    निर्मल जी को बहुत समय बात पढ़ा बहुत अच्छा लगा …
    रजनी जी, रमेश जी, ने भी बेहतरीन शेर कहे हैं … मुशायरे की धमाकेदार शुरुआत की सभी को बधाई …

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  4.  

     अश्विनी रमेश जी , धर्मेंद्र कुमार जी, गिरीश पंकज जी ,निर्मल सिद्धू जी और राकेश खंडेलवाल जी आप सभी ने एकसे बढ़कर एक रचनाएं दी हैं बहुत बधाई हो आप सभी को
    गुलाबी दुआ के साथ शुभ रंगोत्सव आप सभी को 🙏😁
    आदरणीय पंकज भईया के मेहनत से ही हम सभी एकजुट हो पाते हैं किसी भी पर्व को पर्व करने के लिए

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  5. सभी को सुंदर रचनाओं हेतु बधाई,एक से बढ़कर एक मिसरे

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  6. डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर :
    हिज्र का ग़म तुझे भी सताये कभी
    तू करे रतजगा, जा तुझे इश्क़ हो
    (हिज्र के ग़म की करना नही बद्दुआ
    बीबी मल्होत्रा, जा तुझे इश्क़ हो)

    अश्विनी रमेश :
    जामुनी बैंगनी लाल पीला हरा
    सब रँगों में रँगा जा तुझे इश्क हो
    (रंग, 'भगवा' छुटा! , राज जो कर रहा
    लो उसे भी मिला, जा तुझे इश्क़ हो)

    धर्मेन्द्र कुमार सिंह:
    तू भी सीखे वफ़ा ऐ सनम बेवफ़ा
    ले गुलाबी दुआ जा तुझे इश्क़ हो
    (बेवफाओं से कैसी यह उम्मीद है?
    वाह Dharmendra, जा तुझे इश्क़ हो)

    निर्मल सिद्धू:
    आओ खेलें होली भूल के सारे ग़म
    आयेगा फिर मज़ा, जा तुझे इश्क़ हो।
    (होली के ही बहाने लिया है मज़ा!
    वाह सिद्धु भिया, जा तुझे इश्क़ हो)

    राकेश खण्डेलवाल:
    वाह खण्डेलवाल जी, सबको लपेट लिये है, मज़ेदार रचना। सुबीर जी की व्यस्तता पर यह 'होलियाना मोर्चा' आपने संभाल लिया है!
    तरही चौखट पे सब को इकट्ठा किया
    ख़ूब 'खेला' किया, जा तुझे इश्क़ हो!

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  7. वाह...वाह! डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर, अश्विनी रमेश, धर्मेंद्र कुमार सिंह, गिरीश पंकज , निर्मल सिद्धू और राकेश खंडेलवाल ने कमाल कर दिया। सबने मिलकर भावनाओं के ऐसे रंग बिखेरे कि धमाल कर दिया। सबको ढेर सारी बधाइयाँ !!!

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  8. होली में एक में दर्जन का मजा है, यहाँ तो आधे दर्जन कलमकारों ने होली को महामिश्रित रंग दिया है।  

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  9. गजब की अभिव्यक्तियाँ, गजब के अश'आर..
    सभी रचनाकारों को हृदय से बधाई और ढेरम्ढेर दाद..

    शुभ-शुभ
    सौरभ

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  10. मेरी ग़ज़ल पर दाद देने वालों सज्जनों का दिली शुक्रिया।

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  11. मुशायरे के इस अंक में सम्मिलित सभी शाइरों को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    सभी के सभी कमाल हैं. अपने अश’आर से मुग्ध कर दिया है.

    शुभातिशुभ
    सौरभ

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  12. बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आदरणीया रजनी मल्होत्रा जी ने। किसी को ये उलाहना देना कि उसे भी हिज़्र का ग़म सताये बहुत सुन्दर शे’र हुआ है। बहुत बहुत बधाई आदरणीया रजनी मल्होत्रा जी को।

    आदरणीय अश्विनी जी ने होली की मस्ती और रंगों से सराबोर ग़ज़ल कही है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय अश्विनी जी को।

    आदरणीय गिरीश जी ने एक ही ग़ज़ल में मस्ती, हास्य, रूमानियत हर तरह का रंग भर दिया है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय गिरीश जी को।

    आदरणीय निर्मल जी ने बहुत सुन्दर ग़ज़ल कहे है। सारे ग़मों को भूलकर होली खेलने का आह्वान करना ही तो होली के पर्व का असली आनंद है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय निर्मल जी को।

    आदरणीय राकेश जी ने एक बार फिर लाजवाब कर दिया। सभी रचनाकारों के नाम के साथ होली की मस्ती में सना गीत बहुत ही सुन्दर बना है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय राकेश जी को।

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  13. मेरी ग़ज़ल पसंद करने वाले सभी मित्रों का बहुत बहुत शुक्रिया। आदरणीय पंकज जी को बहुत बहुत धन्यवाद इन सभी रचनाकारों के साथ मुझे भी स्थान देने के लिये। राकेश जी के साथ कोई भी मंच साझा करना मेरे लिये हमेशा गौरव की बात रहेगी।

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