लग रहा होगा न कि मैं आजकल ग़ज़ल सिखाना छोड़ कर फालतू के काम में लगा हूं कुछ तो भी पोस्ट लगा रहा हूं । दरअसल में हो ये रहा है कि बिजली ऐसे आ रही है जैसे मेहबूबा आती हो । इधर आती है उधर आते ही कहने लगती है कि जाऊं । हमारे यहां पर चुनावों का मौसम चल रहा है । कल हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी पत्नी के साथ अपना नामांकन भरने हमारे शहर में पधारे । जब वे पत्रकारों से मुखातिब हुए तो एकबारगी तो इच्छा हुई थी कि पूछ ही डालें कि महोदय ये बिजली नाम की जो वस्तु हमारे प्रदेश में हुआ करती थी उसका क्या हुआ । पर फिर लगा कि किसी को भी उसकी पत्नी के सामने नहीं लताड़ना चाहिये उससे एक नुकसान तो ये होता है उसकी पत्नी भी ये काम करने लगती है और दूसरा ये कि पत्नी के सामने की लताड़ आदमी कभी नहीं भूलता कभी भी बदला निकाल लेता है । सो हमने भी कुछ टुच्चे से सवाल ही पूछ लिये मसलन आप जीत को लेकर क्या सोच रहे हैं , उमा भारती के बारे में आपका क्या खयाल है और प्रज्ञा भारती के मामले पर आप क्या सोचते हैं । टुच्चे सवाल थे सो टुच्चे ही उत्तर मिले वे भी हंसे हम भी हंसे, आदरणीय साधना भाभी मुस्कुराईं और वे रवाना हो गये । हम वापस लौटे तो देखा कि बिजली पूर्व की ही तरह गायब थी । हो सकता है कि हम एक दो दिन में गायब हो जायें, गायब से अर्थ ये कि चुनाव के काम में लग जायें । चुनाव के डाटा पर काम करने में हमें बहुत आनंद आता है कि उस चुनाव में उसको इतने प्रतिशत मत मिले थे और इसको इतने । वीडियों कैमरा खरीदने का मन था किन्तु कीमत सुन कर मन बेमन हो गया । सो बिना वीडियो कैमरे के ही काम चलायेंगें ।
तरही मुशायरे को लेकर अब एक बार फिर से सारी ग़जलें आ गईं हैं अंकित जोशी "सफ़र",गौतम वीनस और समीर जी ने भी ग़ज़लें भेज दी हैं ।सो अब अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो हम इसी सप्ताह तरही मुशायरा आयोजित करेंगें । बिजली कल हमारे शहर में कुछ इस प्रकार कटी थी प्रात: 6 से 2 कटौती 3 से 4 बिजली आई फिर 4 से 6 कटौती फिर 6 से 7 आई और फिर 7 से लेकर तब तक नहीं आई जब तक हम सो नहीं गये । इसीलिये कह रहा हूं कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो ।
केंकडों की कहानी का इसलिये कहा कि कहीं पर किसी ब्लाग पर मैंने देखा कि आदरणीय राकेश खण्डेलवाल और श्री नीरज गोस्वामी को लेकर एक अशालीन टिप्पणी की गई थी । राकेश जी के फोन आने पर मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने अपने स्वभाव के अनुसार सहजता से टाल दिया । किन्तु मुझे लगा कि अब केंकड़ों की कहानी यहां पर भी चालू हो गई है । हम सहजता के साथ सफलताओं को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं । पहले मैंने अपने ब्लाग पर माडरेशन नहीं लगाया था किन्तु एक दिन एक कमेंट आया जिसमें किसी अज्ञात ने बहुत ही भद्र ( अ ) भाषा में काफी कुछ लिखा था । उसके बाद मैंने अपने सारे ब्लाग पर माडरेशन लगा दिया । हम यहां पर मित्रता को बढ़ाने आये हैं कुंठित लोगों की कुठाओं का निवारण करने के लिये नहीं । मेरी आदत है कि यदि किसी सीनीयर ब्लागर की किसी बात पर सलाह या सुझाव देना होता है तो मैं मेल करके ही करता हूं, जूनीयर ब्लागरों को कमेंट में इसलिये करता हूं कि वे गलती करने से बचें । फिर भी मेरा मानना है कि सभीको अपने ब्लाग पर माडरेशन लगाना ही चाहिये । ये अधिकार सबके पास होना ही चाहिये कि वे कमेंट को प्रकाशित करें या नहीं, आखिरको ब्लाग तो उन्हीं का है । खैर बात को विराम देते हैं । अगले बार मिलेंगें तरही मुशायरे में । जै राम जी की
मैं मॉडरेशन के खिलाफ़ हूं, टिप्पणी हटाने का अधिकार तो है ही, सिर्फ़ "अनॉनिमस" को प्रतिबन्धित करना चाहिये, मॉडरेशन और वर्ड वेरिफ़िकेशन वगैरह बकवास है…
जवाब देंहटाएंगुरु जी प्रणाम,
जवाब देंहटाएंवाकई आपके धैर्य को सलाम करता हूँ, बिजली ने तो सचमुच ही कहर ढा रखा है.
इंतज़ार है तरही मुशायेरा का.
ab aa bhi jaiye tarahi mushyara le kar
जवाब देंहटाएंकुछ लोग आदत से मजबूर होते हैं . उनके लिये दूसरे पर टिका टिप्पणी करना केवल और केवल sadistic pleasure हैं . हमारे यहाँ कहते हैं " बरते को क्या बरतना " . जिन लोगो को हम लोग जानते हैं की उनके पास अपशब्दों की कमी नहीं हैं उनको बार बार तारीफ़ कर के झाड़ पर चढा दिया जाता हैं . राकेश जी के लिये अपशब्द न लिख कर इस बार उन्होने राकेश जी की रचना पर लिखा . कमेन्ट मोदेरेशन से भी ज्यादा जरुरी हैं की समय रहते खर पतवार को साफ़ किया जाए वरना नयी फसल को नष्ट होने मे देर नहीं होगी
जवाब देंहटाएंहम दुआ कर रहे हैं पंकज जी की आप के यहाँ बिजली अब महबूबा की तरह नहीं पत्नी की तरह आए और ऐसी आए की आप के लाख चाहने पर भी मायके नहीं जाए...(जिनकी पत्नियाँ उनकी मर्जी से मायके नहीं जाती वो ही इस बात में छुपा हुआ दुःख समझ सकते हैं).
जवाब देंहटाएंरही बात अभद्र टिपण्णी की तो मैं आप की इस बात से सहमत हूँ की हमें मोडरेशन लगना चाहिए क्यूँ की कोई ना कोई कभी ना कभी अपनी भंडास निकलने का बहाना ढूँढता रहता है...ना जाने किस भेष में मिल जायें शैतान....
आप के तरही मुशायरे का इन्तेजार है...इस बार शिरकत ना कर पाने का मलाल अगले मुशायरे तक रहेगा....कारण ये रहा की कभी कमबख्त समय ने साथ नहीं दिया और जब समय मिला तब दिमाग दही हो कर जम गया.
नीरज
पुनश्च : वैसे रचना जी अपनी टिपण्णी में बहुत दमदार बात कह गयीं हैं. साधुवाद
रचना की त्रुटियाँ, सुधार के सुझाव या विश्लेषण का तो हमेशा ही स्वागत है किन्तु किसी की व्यक्तिगत आलोचना और दूसरे पर टीका टिप्पणी कि तुमने तारीफ क्यूँ की..यह गलत बात है और इसकी निन्दा होनी ही चाहिये. अप
जवाब देंहटाएंकाश आपको बिजली पूरी मिले और मुशायरा सम्पन्न हो. शुभकामनाऐं.
कोई निन्दायें करे या शब्द दे उत्साहवर्धक
जवाब देंहटाएंलेखनी का काम है कर्तव्य को अपने निभाना
शब्द जिसके पास जैसे, वो वही तो लिख सकेगा
है नहीं संभव पुराने को नया कुछ भी सिखाना
बहुत अच्छा आलेख पंकज भाई !लोग ढूँढ़ते रहते हैं कि कब मौका मिले किसी मशहूर व्यक्ति पर हमला करने का चाहे वह व्यक्ति कितना ही भला क्यों न हो ! इसी बहाने चर्चित होने का मौका मिल जाएगा ! मुझे सपने में भी अंदाजा नही था गीत और गज़लों में भी मोडरेशन लगना पड़ेगा ! यहाँ की गंदगी और नफरत भरे लोगों की बदबू से बचने के लिए यही एक चारा है ! आपका आभार !
जवाब देंहटाएंगुरू जी को चरण-स्पर्श है!राकेश जी और नीरज जी की प्रतीभा या उनकी गुरूभक्ती या छंदों की समझ पर यहाँ ,कम-से-कम इस ब्लौग जगत में किसी को कोई शक हो,तो निरा मुर्ख ही समझा जायेगा.
जवाब देंहटाएं...तो गुरूदेव बात ये है कि जिन केकड़ों को टांगें खिंचने की आदत हो ,वो तो बाज आने से रहे...शेष नीरज जी ने अपने उद्गार और राकेश जी ने अपनी सुंदर पंक्तियों में सब जाहिर कर ही दिया है.
गुरूदेव, अगर लेखन स्वांतःसुखाय हो तो दूसरों के भला-बुरा कहने से क्या फ़र्क पड़ता है? निश्चित ही अशालीन टिप्पणी का मैं समर्थन नहीं कर रहा पर अगर हम भी निंदा-रस के आदी हो गये तो? बुरे की बुराई करते-करते धीरे-धीरे उसमें रस आने लगता है।
जवाब देंहटाएंSamajhne vaalon ke liye sehatmand ishaaraa hai aapkee ye post, gurujee. Kya kahna !
जवाब देंहटाएंAadarneey, us tarahee mushaayare ka misra tarah hamko bhee batla dete. Darte darte ek aadh sher ham bhee darj-o-farz karne kee himmat juTaate kam-az-kam.
हम यहां पर मित्रता को बढ़ाने आये हैं कुंठित लोगों की कुठाओं का निवारण करने के लिये नहीं । मेरी आदत है कि यदि किसी सीनीयर ब्लागर की किसी बात पर सलाह या सुझाव देना होता है तो मैं मेल करके ही करता हूं, जूनीयर ब्लागरों को कमेंट में इसलिये करता हूं कि वे गलती करने से बचें ।
जवाब देंहटाएंश्रद्धेय गुरुवर ,
इतने अच्छे शब्दों में सिखाने के लिए धन्यवाद .
मैंने दो लाइनें कहीं सूनी थीं ;
अक्ल गुस्ताख है ,रिन्दी से उलझ पड़ती है
इसको मैखाने के आदाब सिखा दे कोई
Pankaj ji
जवाब देंहटाएंaap ke faisle ka anukaran karein . tarahi silsila umda rahega haan samay par shamil na hone ki sambhavnayein kabhi kam kabhi ziyada ho sakti hain. Bahut kuch seekhne ko milta hai aapki site par.
Devi Nangrani
कौन ऎसा महापुरूष है जिस पर टीका-टिप्पणी न की गई हो...
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