tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post5748454246257321042..comments2024-03-27T10:03:10.997+05:30Comments on सुबीर संवाद सेवा: केंकड़ों की कहानी ब्लाग जगत पर भी, चुनावों को मौसम और तरही मुशायरा होना तयपंकज सुबीरhttp://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-9344688944735642662008-11-11T15:00:00.000+05:302008-11-11T15:00:00.000+05:30कौन ऎसा महापुरूष है जिस पर टीका-टिप्पणी न की गई हो...कौन ऎसा महापुरूष है जिस पर टीका-टिप्पणी न की गई हो...सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-46434180664232246072008-11-10T12:11:00.000+05:302008-11-10T12:11:00.000+05:30Pankaj jiaap ke faisle ka anukaran karein . tarahi...Pankaj ji<BR/>aap ke faisle ka anukaran karein . tarahi silsila umda rahega haan samay par shamil na hone ki sambhavnayein kabhi kam kabhi ziyada ho sakti hain. Bahut kuch seekhne ko milta hai aapki site par. <BR/><BR/>Devi NangraniDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-4225629618442393822008-11-09T15:21:00.000+05:302008-11-09T15:21:00.000+05:30हम यहां पर मित्रता को बढ़ाने आये हैं कुंठित लोगों...हम यहां पर मित्रता को बढ़ाने आये हैं कुंठित लोगों की कुठाओं का निवारण करने के लिये नहीं । मेरी आदत है कि यदि किसी सीनीयर ब्लागर की किसी बात पर सलाह या सुझाव देना होता है तो मैं मेल करके ही करता हूं, जूनीयर ब्लागरों को कमेंट में इसलिये करता हूं कि वे गलती करने से बचें ।<BR/>श्रद्धेय गुरुवर ,<BR/>इतने अच्छे शब्दों में सिखाने के लिए धन्यवाद .<BR/>मैंने दो लाइनें कहीं सूनी थीं ;<BR/>अक्ल गुस्ताख है ,रिन्दी से उलझ पड़ती है <BR/>इसको मैखाने के आदाब सिखा दे कोईअनुपम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/14259746714891353242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-16667179528777287602008-11-08T23:48:00.000+05:302008-11-08T23:48:00.000+05:30Samajhne vaalon ke liye sehatmand ishaaraa hai aap...Samajhne vaalon ke liye sehatmand ishaaraa hai aapkee ye post, gurujee. Kya kahna !<BR/>Aadarneey, us tarahee mushaayare ka misra tarah hamko bhee batla dete. Darte darte ek aadh sher ham bhee darj-o-farz karne kee himmat juTaate kam-az-kam.बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-74549669850302099302008-11-07T20:58:00.000+05:302008-11-07T20:58:00.000+05:30गुरूदेव, अगर लेखन स्वांतःसुखाय हो तो दूसरों के भला...गुरूदेव, अगर लेखन स्वांतःसुखाय हो तो दूसरों के भला-बुरा कहने से क्या फ़र्क पड़ता है? निश्चित ही अशालीन टिप्पणी का मैं समर्थन नहीं कर रहा पर अगर हम भी निंदा-रस के आदी हो गये तो? बुरे की बुराई करते-करते धीरे-धीरे उसमें रस आने लगता है।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-82798337929937374452008-11-07T20:11:00.000+05:302008-11-07T20:11:00.000+05:30गुरू जी को चरण-स्पर्श है!राकेश जी और नीरज जी की प्...गुरू जी को चरण-स्पर्श है!राकेश जी और नीरज जी की प्रतीभा या उनकी गुरूभक्ती या छंदों की समझ पर यहाँ ,कम-से-कम इस ब्लौग जगत में किसी को कोई शक हो,तो निरा मुर्ख ही समझा जायेगा.<BR/>...तो गुरूदेव बात ये है कि जिन केकड़ों को टांगें खिंचने की आदत हो ,वो तो बाज आने से रहे...शेष नीरज जी ने अपने उद्गार और राकेश जी ने अपनी सुंदर पंक्तियों में सब जाहिर कर ही दिया है.गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-43142842844126144022008-11-07T10:12:00.000+05:302008-11-07T10:12:00.000+05:30बहुत अच्छा आलेख पंकज भाई !लोग ढूँढ़ते रहते हैं कि ...बहुत अच्छा आलेख पंकज भाई !लोग ढूँढ़ते रहते हैं कि कब मौका मिले किसी मशहूर व्यक्ति पर हमला करने का चाहे वह व्यक्ति कितना ही भला क्यों न हो ! इसी बहाने चर्चित होने का मौका मिल जाएगा ! मुझे सपने में भी अंदाजा नही था गीत और गज़लों में भी मोडरेशन लगना पड़ेगा ! यहाँ की गंदगी और नफरत भरे लोगों की बदबू से बचने के लिए यही एक चारा है ! आपका आभार !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-41490972018068958612008-11-06T21:39:00.000+05:302008-11-06T21:39:00.000+05:30कोई निन्दायें करे या शब्द दे उत्साहवर्धकलेखनी का क...कोई निन्दायें करे या शब्द दे उत्साहवर्धक<BR/>लेखनी का काम है कर्तव्य को अपने निभाना<BR/>शब्द जिसके पास जैसे, वो वही तो लिख सकेगा<BR/>है नहीं संभव पुराने को नया कुछ भी सिखानाराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-69495181290043339282008-11-06T19:14:00.000+05:302008-11-06T19:14:00.000+05:30रचना की त्रुटियाँ, सुधार के सुझाव या विश्लेषण का त...रचना की त्रुटियाँ, सुधार के सुझाव या विश्लेषण का तो हमेशा ही स्वागत है किन्तु किसी की व्यक्तिगत आलोचना और दूसरे पर टीका टिप्पणी कि तुमने तारीफ क्यूँ की..यह गलत बात है और इसकी निन्दा होनी ही चाहिये. अप<BR/><BR/>काश आपको बिजली पूरी मिले और मुशायरा सम्पन्न हो. शुभकामनाऐं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-17766261666168644372008-11-06T17:54:00.000+05:302008-11-06T17:54:00.000+05:30हम दुआ कर रहे हैं पंकज जी की आप के यहाँ बिजली अब म...हम दुआ कर रहे हैं पंकज जी की आप के यहाँ बिजली अब महबूबा की तरह नहीं पत्नी की तरह आए और ऐसी आए की आप के लाख चाहने पर भी मायके नहीं जाए...(जिनकी पत्नियाँ उनकी मर्जी से मायके नहीं जाती वो ही इस बात में छुपा हुआ दुःख समझ सकते हैं). <BR/>रही बात अभद्र टिपण्णी की तो मैं आप की इस बात से सहमत हूँ की हमें मोडरेशन लगना चाहिए क्यूँ की कोई ना कोई कभी ना कभी अपनी भंडास निकलने का बहाना ढूँढता रहता है...ना जाने किस भेष में मिल जायें शैतान....<BR/>आप के तरही मुशायरे का इन्तेजार है...इस बार शिरकत ना कर पाने का मलाल अगले मुशायरे तक रहेगा....कारण ये रहा की कभी कमबख्त समय ने साथ नहीं दिया और जब समय मिला तब दिमाग दही हो कर जम गया.<BR/>नीरज <BR/>पुनश्च : वैसे रचना जी अपनी टिपण्णी में बहुत दमदार बात कह गयीं हैं. साधुवादनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-25174680161587243122008-11-06T17:26:00.000+05:302008-11-06T17:26:00.000+05:30कुछ लोग आदत से मजबूर होते हैं . उनके लिये दूसरे पर...कुछ लोग आदत से मजबूर होते हैं . उनके लिये दूसरे पर टिका टिप्पणी करना केवल और केवल sadistic pleasure हैं . हमारे यहाँ कहते हैं " बरते को क्या बरतना " . जिन लोगो को हम लोग जानते हैं की उनके पास अपशब्दों की कमी नहीं हैं उनको बार बार तारीफ़ कर के झाड़ पर चढा दिया जाता हैं . राकेश जी के लिये अपशब्द न लिख कर इस बार उन्होने राकेश जी की रचना पर लिखा . कमेन्ट मोदेरेशन से भी ज्यादा जरुरी हैं की समय रहते खर पतवार को साफ़ किया जाए वरना नयी फसल को नष्ट होने मे देर नहीं होगीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-30493558257727782902008-11-06T13:29:00.000+05:302008-11-06T13:29:00.000+05:30ab aa bhi jaiye tarahi mushyara le karab aa bhi jaiye tarahi mushyara le karकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-9062117939966508922008-11-06T13:13:00.000+05:302008-11-06T13:13:00.000+05:30गुरु जी प्रणाम,वाकई आपके धैर्य को सलाम करता हूँ, ब...गुरु जी प्रणाम,<BR/>वाकई आपके धैर्य को सलाम करता हूँ, बिजली ने तो सचमुच ही कहर ढा रखा है.<BR/>इंतज़ार है तरही मुशायेरा का.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7637784963342720274.post-10625304754260109902008-11-06T13:10:00.000+05:302008-11-06T13:10:00.000+05:30मैं मॉडरेशन के खिलाफ़ हूं, टिप्पणी हटाने का अधिकार ...मैं मॉडरेशन के खिलाफ़ हूं, टिप्पणी हटाने का अधिकार तो है ही, सिर्फ़ "अनॉनिमस" को प्रतिबन्धित करना चाहिये, मॉडरेशन और वर्ड वेरिफ़िकेशन वगैरह बकवास है…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.com