बुधवार, 19 सितंबर 2007

कभी मंदिर पे जा बैठे कभी मस्जि़द पे जा बैठे, एक हिंदू दंपति की कहानी जो रमज़ानों में हो जाते हैं पूरी तरह से मुस्लिम रखते है रोजे और पढ़ते हैं नमाज़

मंदिर मस्जिद का झगड़ा करने वाले एक बार नरोलिया दंपति से आकर मिल लें । धर्म को लेकर होने वाले हर झगड़े के पीछे कारण होता है कि हर व्यक्ति अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे के धर्म को कमतर आँकता है । लेकिन सीहोर के नरोलिया दंपति की सोच इससे कुछ अलग हटकर है ।सीहोर के गंज निवासी श्री रामप्रकाश नरोलिया तथा उनकी पत्नी श्रीमती जयश्री नरोलिया का मानना है कि सभी धर्म अपनी जगह पर श्रेष्ठ हैं । तभी तो वे पवित्र रमजान के पूरे माह में हिन्दू होने के बाद भी रोजे रखते हैं । रोजे तो वैसे कई हिन्दू रखते हैं लेकिन रामप्रकाश नरोलिया न केवल रोजे रखते हैं बल्कि इस दौरान पाँच वक्त की नमाज भी अदा करते हैं । इस दंपति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एसा नहीं है कि रामप्रकाश से शादी होने के बाद जयश्री ने रोजे रखना प्रारंभ किया है , शादी से पहले से ही रामप्रकाश रोजे रखते थे और जयश्री भी अपने मायके में रोजे रखती थीं । रामप्रकाश तथा जयश्री रमजान के दौरान पूर्णतः मुस्लिम रीति रिवाजों का पालन करते हैं , इस दौरान उन्हें देखकर कहा भी नहीं जा सकता कि ये दंपति हिन्दू है । एक विशेष बात और यह है कि सीहोर की कोई मस्जिद एसी नहीं है जहाँ रामप्रकाश ने नमाज अदा नहीं की हो । भोपाल में लगने वाले मुस्लिमों के धार्मिक समागम इज्तिमा' के दौरान भी रामप्रकाश भोपाल में ही तीनों दिन रहकर सारी नमाज अदा करते हैं । वैसे सामान्यतः रामप्रकाश के सर पर किसी भी हिन्दू की तरह हमेशा तिलक लगा हुआ मिलेगा उन्हें बिना तिलक के नहीं देखा जा सकता । सभी धार्मिक आयोजनों में भी सक्रिय भागीदारी रहेगी , केवल रमजान के दौरान ही वो सर पर तिलक नहीं लगाते हैं । पेशे से संविदा शिक्षक रामप्रकाश की एक और विशेषता उनकी कट्टर ईमानदारी है । सीहोर के नरोलिया दंपति द्वारा दिया जा रहा संदेश यदि सभी की समझ में आ जाए तो फिर शायद मजहब के नाम पर , मंदिर मस्जिद के नाम पर होने वाले दंगे, खून खराबे सब बंद हो जाऐं । और संदेश भी कितना छोटा सा है ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान ''.........।

3 टिप्‍पणियां:

  1. शायद एक मज़हब की मूर्खताएँ उन्हें कम लग रही थीं, जो दूसरे की भी ज़रूरत महसूस की।

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  2. नरोलिया दंपति को मजहबी एकता का आदर्श प्रस्तुत करने हेतु साधुवाद.

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  3. subir ji, hai to ajeeb par anuthi baat.... yadi mahaj chrcha ke liye ya anuythapan dikhane le liye aisa nahi hai to waksi gajab hai

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