शुक्रवार, 8 मई 2009

कुमार गंधर्व के सुपुत्र मुकुल शिवपुत्र भोपाल की सड़कों पर भीख मांग रहे हैं ।

मुझे नहीं पता कि ऐसा क्‍यों हो रहा है किन्‍तु जैसा पता चला है वो तो यही  है कि शास्‍त्रीय संगीत के शीर्ष पुरुष कुमार गंधर्व साहब के सुपुत्र मुकुल शिवपुत्र जो कि स्‍वयं भी एक सुप्रसिद्ध गायक हैं इन दिनों भोपाल की सड़कों पर दो दो रुपये के लिये भीख मांग रहे हैं । समाचार एकबारगी तो दहला देने वाला है और हमारे समाज की सच्‍चाई को सामने लाने वाला है । हम जो कुमार गंधर्व साहब और मुकुल शिवपुत्र के गायन की प्रशंसा करते नहीं अघाते हम उसी समाज के हैं जिसमें मुकुल शिवपुत्र को भीख मांगना पड़ रही है ।

यद्यपि समाचार को लेकर अभी पुष्टि नहीं है किन्‍तु जब एक बड़ा समाचार पत्र समाचार को अपने मुखपृष्‍ठ की लीड स्‍टोरी बना कर छाप रहा है तो कुछ न कुछ तो अवश्‍य ही होगा । स्‍थानीय दैनिक भास्‍कर ने जो मुखपृष्‍ठ पर लीड स्‍टोरी लगाई है उसका शीर्षक है सड़कों पर भीख मांग रहा कुमार गंधर्व का बेटा । समाचार के अनुसार मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल के शास्‍त्री नगर का सांई बाबा मंदिर तथा जवाहर चौक की देशी शराब की दुकान ही इन दिनों मुकुल शिवपुत्र का स्‍थायी निवास है । वे मटमैली हो चुकी नीले सफेद चैक की हाफ शर्ट तथा नीले रंग की पैंट और चप्‍पल डाले मंदिर के बाहर पड़े रहते हैं तथा हर आने जाने वाले से सिर्फ दो रुपये मांगते हैं और जैसे ही जेब में दस बीस रुपये हो जाते हैं वे देशी शराब की दुकान का रुख कर लेते हैं । 1956 में जन्‍मे मुकुल शिवपुत्र को उनके पिता ने बचपन में ही शास्‍त्रीय संगीत में पारंगत कर दिया था । ध्रुपद धमार तथा कर्नाटक संगीत के विशेषज्ञ के रूप में मुकुल शिवपुत्र को जाना जाता है । खयाल गायकी में अपना मुकाम बनाने वाले शिवपुत्र को जब पत्रकारों ने भोजन कराने का प्रस्‍ताव दिया तो उन्‍होंने कहा कि नहीं मुझे नहीं खाना है कुछ भी मुझे तो सोना है मुझे कहीं सुला दो । उल्‍लेखनीय है कि इन्‍हीं मुकुल की गायकी को इंटरनेट पर कई वेब साइट एक परफारमेंस के 15 डालर के हिसाब से बेच रही हैं ये दावा करके कि ये पूरा पैसा कलाकार को दिया जायेगा ।

आज की पोस्‍ट इतनी ही, बहुत बड़ी बड़ी और आदर्शवादी बातें करने का मन नहीं है । मन दुखी है बस ।

28 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसी घटनाओं को देखकर मन का दुखी होना स्‍वाभाविक है .. कैसे बडी बडी और आदर्शवादी बातें की जाए ?

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  2. ओह! ये दौर जहां "टका धर्मः टका कर्मः टका हि परमं तपः" ब्रह्मवाक्य बन गया है, पता नहीं किस ओर जा रहा है। अगर यही विकास है तो इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाई है मनुष्यता ने। बहुत ही त्रासदीपूर्ण खबर है।

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  3. ओह ! क्या खत्म हो गया सब कुछ !

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  4. अफसोस जनक :-(

    समाचार तो आया है। यहाँ देखा जा सकता है

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  5. PATAA NAHI IS DESH ME KALAAKAARON KO YE DIN KYUN DEKHNA PADATA HAI JAB KI NAV SIKHIYA AUR GALAT LOG AWWAL HOTE HAI... YE POST PADH KAR AATMA DUKHI HOGAYAA GURU DEV ... AAHAT HUN IS SANDESH SE..

    AAPKA
    ARSH

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  6. मैंने भी ये समाचार हुबहू जैसा आपने लिखा वैसा ही पुणे से छपने वाले "आज का आनंद" अखबार में आज सुबह पढ़ा था...याने समाचार का स्त्रोत्र एक ही है...बात दुखी कर देने वाली है...लेकिन अगर आप देखें तो इसके पीछे शायद उनकी पीने की लत भी दोषी हो सकती है...शराब में गर्क होते बहु आयामी लोगों की एक लम्बी लिस्ट है...(उर्दू के मशहूर अफसाना निगार मंटो साहेब शराब की भेंट चढ़ गए...गुरुदत्त की भी कमोबेश ये ही कहानी है)...शराब ने बहुत से लोगों को, उनके हुनर को, बर्बाद किया है...जो शख्श सिर्फ इसलिए दो दो रुपये की भीख मांग रहा है की बीस पच्चीस रुपये इकठ्ठा होते ही सामने की दूकान से ताडी पीने चल दे उस पर दुःख नहीं तरस आता है...
    नीरज

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  7. मैंने भी पढ़ा था ये समाचार....लेकिन नीरज जी से मैं सहमत हूँ! शराब सिर्फ विनाश ही करती है!

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  8. बात बहुत ही अफसोसजनक है............पर समय पर किसी का बस नहीं है.............अगर खबर सही है तो जो कुछ हो सकता है हर सके इंसान को करना चाहिए उनकी मदद के लिए ...........

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  9. neeraj ji baat sae sehmat hun aur mujeh taras hi nahin aesae logo par bahut krodh aataa haen jo sharaab peekar sahanbhuti ki kamana kartey haen . maere ander aesae logo kae liyae koi sahanbhti nahin haen chaahey wo kumar gandharvh jaese kae baetey hi kyun naa ho . in jaese logo nae hi hamarey samaaj ko ek apang samaaj banaa diyaa haen .
    aap sae nivedan maansik asvaad sae uth kar apnae liyae niyat kiyae gaye kaary mae lagae kyuki in jaseso kae baarey mae soch kar samay varth karna hota haen

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  10. baat to dukhbhari hai magar sath hi unke halat par taras khane layak bhi hai jaisa ki neeraj ji ne kaha.
    shayad desh ya uski janta ya wo khud .......koi na koi to jimmedar hai hi na ya phir sab milkar.

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  11. यही तो विडम्बना है! दो कौड़ी के लोग मज़े ले रहे हैं और प्रतिभाशील लोग सड़कों की ख़ाक छान रहे हैं। और हमारे देश में प्रतिभा के पारखी होने और प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के नारे रोज़ लगाए जाते हैं।

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  12. पूत सपूत तो का धन संचय
    पूत कपूत तो का धन संचय

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  13. गुरु देव सादर प्रणाम,
    पता नहीं सुबह से मन नहीं लग रहा है इस पोस्ट को पढने के बाद बहोत ही उदास हो गया है मन.. सुबह से ही बिचलित हूँ काम में भी मन नहीं लग रहा है एक ग़ज़ल लिख रहा था मन नहीं लगा यूँ ही छोड़ दिया ... गुरुदेव क्या कलाकारों की यही दसा होती है वो वास्तविक में कलाकार होते है मैंने बहोतों के बारे में सूना है और यही सोचे जा रहा हूँ.. के आखिर ऐसा क्यूँ होता है इनके साथ माँ सरस्वती क्यूँ इन्हें ऐसे छोड़ देती है ,... आपके ब्लॉग पे फिर से आया और सभी की टिपण्णी पढ़ी .... मगर किसी के टिपण्णी पे को टिपण्णी नहीं करूँगा ... बस ये कहूँगा के मुझे नहीं लगता के मुकुल जी सिर्फ शराब पिने के लिए दो रुपये की भीख मांग रहे है ... क्या कोई सिर्फ दारु पी के जी सकता है नहीं न उसे रोटी तो खानी ही होगी ... उनकी मनोदशा ऐसे कैसे होगई सोच के हैरान हूँ आखिर ज़िन्दगी के किस मोड़ पे इतने काबिल और मुकम्मल संगीत कार ने गलती की है समझ नै पा रहा हूँ...बहोत दुखी हु क्या कहूँ समझ नहीं आरहा है...?

    आपका
    अर्श

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  14. गुरु जी प्रणाम
    खबर तो मैंने भी पढी है आज के अखबार में मगर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ

    आपका वीनस केसरी

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  15. आपने जो लिखा है, वह सब अगर सही है तो दो बातें हैं. एक तो हमारे देश में कलाकार की हैसियत, और दूसरे खुद कलाकार का विचलन. कुमार जी के सुपुत्र, जो खुद भी एक उत्कृष्ट कलाकार हैं, दो-दो रुपये के लिए भीख मांगें, इससे बड़ी लज्जा की कोई बात नहीं हो सकती. लेकिन इसी तस्वीर का दूसरा पहलू भी है कि वे शराब के लिए भीख मांग रहे हैं. बेहतर हो, कोई पत्रकार पूरी पड़ताल के बाद सारी स्थिति साफ करे कि मुकुल जी इस अवस्था तक पैसे पहुंचे, और उनके इस अवस्था तक पहुंचने में सिर्फ उनकी मयनोशी ही ज़िम्मेदार है या कुछ और भी है. तब तक तो चिंता और अफसोस ही किया जा सकता है.

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  16. yahi to is desh ki trasadi hai jinda rehte koi poochhega nahi marne par smaroh karenge shradh karenge aam admi ki to bat hi kya karen jabaise mahan admike parivar ko hi koi nahi poochhta sach me man ko udaas karne vali baat hai abhar

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  17. उपर टिप्पणियां दे्खकर दुख: हुआ, किसी ने लिखा कि शराब पीने वालों और शराब पी कर सहानूभूति बटोरने वालों पर उन्हें क्रोध आता है, ये पंक्तियां टंकित करते समय क्या उन्होने इस बात पर भी गौर किया कि इस आला कलाकार की यह हालत क्यों कर हुई होगी?
    क्या उन्होने इस बात पर गौर किया कि कलाकार की योग्य कदर होती तो क्या वे इस तरह शराब के लिये दो-दो रुपये की भीख मांग रहे होते।
    कहते हैं ना उगते सूर्य को सब नमस्कार करते हैं, भारत में या तो पं रविशंकर पूजे जाते हैं या फिर पं भीमसेन जोशी! ऐसा नहीं कि उनकी बराबरी का कोई दूसरा कलाकार नहीं होगा, बस शायद उनकी किस्मत उतनी अच्छी नहीं।
    बहुत दुख: हुआ, यह समाचार पढ़कर। काश उनके लिये कुछ कर सकता।

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  18. मन क्षुब्ध हो गया सारा वाकिया जान कर....
    नीरज जी की बात भी सही है, फिर सोचता हूँ कि कोई शख्स इस नौबत तक पहुँचता कैसे है...

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  19. गुरु जी को सादर नमन..
    साथ मै उन सभि लोगो को भी मेरा प्रणाम जिन लोगो ने इस दुखद समाचार को पढ़ कर अपनी प्रतिक्रया दी और मुकुल जी के प्रति सवेदना ब्यक्त किया ......परन्तु कुछ विशेष लोगो ने ने जो प्रतिक्रया दी उसे पढ़ कर और भी दुखः हुवा और मेरे कोमल ह्रदय को अघात लगा (उनके पीने मै) किसी की ब्यथा को समझना इतना आसान नहीं होता ....और आखिर वो पीते भी है तो कोई आपके जेब मै हाथ डाल कर तो पैसे थोड़ी छीन रहे है? खैर हम विषय को बदले!.... मुझे इस बात का छ्योब है की हम मात्र सवेदना तक ही सीमित है ? क्या हमारे संस्कृति /मूल्यों
    का स्तर इतना नीचे गिर चुका है? या फिर हम और हमारे ह्रदय आज के दौर मै मशीनों की भाति ह्रादाविहीन हो गए है किहम दुसरे के दुःख को महसूशभी न कर सके? आज हम किस विकास की बात कररहे है?उस भौतिक विकास का क्यामहत्व है जहां मनुष्य/जीव के भावावानाओ सम्मान ना हो. जहां भावनाओं की ,नैतिक मूल्यों की कोइ कीमत /मोल नहीं हो के. गुरु जी लिखने
    को तो बहुत कुछ है परन्तु.... आपसे प्रार्थना है कि कोइ रास्ता सुझाए जिससे हम मुकुल जी को उनके
    योग्यता/पात्रता के अनुरूप स्थान दिला पाय, और कुछ नहीं तो वो एक स्थिर घरौधे मै वास कर पाए और उनके दो वक्त की रोटी की ब्यवस्था हो पाए
    बस इतना ही ... मेरा आपसे परिचय ..मेरे स्वप्न के रचनाकार के माध्यम से हुवा ..मै उनका भी आभार ब्यक्त करना चाहूँगा
    कि उनके माध्यम से आपसे जुड़ पाया ,पुनः आपको नमन...इश्वर

    जवाब देंहटाएं
  20. गुरु जी को सादर नमन..
    साथ मै उन सभि लोगो को भी मेरा प्रणाम जिन लोगो ने इस दुखद समाचार को पढ़ कर अपनी प्रतिक्रया दी और मुकुल जी के प्रति सवेदना ब्यक्त किया ......परन्तु कुछ विशेष लोगो ने ने जो प्रतिक्रया दी उसे पढ़ कर और भी दुखः हुवा और मेरे कोमल ह्रदय को अघात लगा (उनके पीने मै) किसी की ब्यथा को समझना इतना आसान नहीं होता ....और आखिर वो पीते भी है तो कोई आपके जेब मै हाथ डाल कर तो पैसे थोड़ी छीन रहे है? खैर हम विषय को बदले!.... मुझे इस बात का छ्योब है की हम मात्र सवेदना तक ही सीमित है ? क्या हमारे संस्कृति /मूल्यों
    का स्तर इतना नीचे गिर चुका है? या फिर हम और हमारे ह्रदय आज के दौर मै मशीनों की भाति ह्रादाविहीन हो गए है किहम दुसरे के दुःख को महसूशभी न कर सके? आज हम किस विकास की बात कररहे है?उस भौतिक विकास का क्यामहत्व है जहां मनुष्य/जीव के भावावानाओ सम्मान ना हो. जहां भावनाओं की ,नैतिक मूल्यों की कोइ कीमत /मोल नहीं हो के. गुरु जी लिखने
    को तो बहुत कुछ है परन्तु.... आपसे प्रार्थना है कि कोइ रास्ता सुझाए जिससे हम मुकुल जी को उनके
    योग्यता/पात्रता के अनुरूप स्थान दिला पाय, और कुछ नहीं तो वो एक स्थिर घरौधे मै वास कर पाए और उनके दो वक्त की रोटी की ब्यवस्था हो पाए
    बस इतना ही ... मेरा आपसे परिचय ..मेरे स्वप्न के रचनाकार के माध्यम से हुवा ..मै उनका भी आभार ब्यक्त करना चाहूँगा
    कि उनके माध्यम से आपसे जुड़ पाया ,पुनः आपको नमन...इश्वर

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  21. गुरु जी को सादर नमन..
    साथ मै उन सभि लोगो को भी मेरा प्रणाम जिन लोगो ने इस दुखद समाचार को पढ़ कर अपनी प्रतिक्रया दी और मुकुल जी के प्रति सवेदना ब्यक्त किया ......परन्तु कुछ विशेष लोगो ने ने जो प्रतिक्रया दी उसे पढ़ कर और भी दुखः हुवा और मेरे कोमल ह्रदय को अघात लगा (उनके पीने मै) किसी की ब्यथा को समझना इतना आसान नहीं होता ....और आखिर वो पीते भी है तो कोई आपके जेब मै हाथ डाल कर तो पैसे थोड़ी छीन रहे है? खैर हम विषय को बदले!.... मुझे इस बात का छ्योब है की हम मात्र सवेदना तक ही सीमित है ? क्या हमारे संस्कृति /मूल्यों
    का स्तर इतना नीचे गिर चुका है? या फिर हम और हमारे ह्रदय आज के दौर मै मशीनों की भाति ह्रादाविहीन हो गए है किहम दुसरे के दुःख को महसूशभी न कर सके? आज हम किस विकास की बात कररहे है?उस भौतिक विकास का क्यामहत्व है जहां मनुष्य/जीव के भावावानाओ सम्मान ना हो. जहां भावनाओं की ,नैतिक मूल्यों की कोइ कीमत /मोल नहीं हो के. गुरु जी लिखने
    को तो बहुत कुछ है परन्तु.... आपसे प्रार्थना है कि कोइ रास्ता सुझाए जिससे हम मुकुल जी को उनके
    योग्यता/पात्रता के अनुरूप स्थान दिला पाय, और कुछ नहीं तो वो एक स्थिर घरौधे मै वास कर पाए और उनके दो वक्त की रोटी की ब्यवस्था हो पाए
    बस इतना ही ... मेरा आपसे परिचय ..मेरे स्वप्न के रचनाकार के माध्यम से हुवा ..मै उनका भी आभार ब्यक्त करना चाहूँगा
    कि उनके माध्यम से आपसे जुड़ पाया ,पुनः आपको नमन...इश्वर

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  22. ऐसे लोगों ने ही शराब को बदनाम कर रखा है फिर भी इस सरस्वति-पुत्र से सहानुभूति है मुझे.......

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  23. गुरूजी, तरही मुशायरे का इंतज़ार है।

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  24. मन द्रवित हो गया ये सारी कथा पढ़कर :-(
    माँ भगवती,
    देवी सरस्वती के साधक के पुत्र की यह दुर्दशा का कारण मदिरा है ! ? !
    सुनकर मन न जाने कैसा हो रहा है

    .....परंतु

    और एक भटके हुए पुत्र को
    अपनी दया से पुन: स्वस्थ करें
    ये मेरी सच्चे मन से की हुई प्रार्थना है
    ऐसे बुरी आदत वाले लोगों के लिए उपचार संभव है अगर कोइ सचमुच सहायता करना चाहे तो ---
    स स्नेह,
    - लावण्या

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