सोमवार, 3 मार्च 2008

बेसबब शोर जहां में न मचाओं यारों, इस अंधेरे में कोई शम्‍अ जलाओ यारों , बढ़ रही दिल की तपन औ धुंआ धुंआ सा है, हर कहीं आग लगी आग बुझाओ यारों

आज का मुखड़ा जाने क्‍या सोच के लगाया है ये किस तरफ इशारा कर रहा है ये जानने वाले जान गए होंगें । कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि अब ब्‍लागिंग की दुनिया से निकल जाऊं बाहर । क्‍यों लग रहा है ये तो नहीं बता सकता किन्‍तु एक बात तो है कि जहां पर मन न लगे वहां पर रहना नहीं चाहिये क्‍योंकि बिना मन के किया गया काम अच्‍छा नहीं होता है । हांलांकि ये भी सच है कि ब्‍लागिंग ने कई मित्र दिये  और कई सूत्र मिले पर फिर भी ऐसा लगने लगा है कि जो कुछ किया जा रहा है वो सब कुछ व्‍यर्थ ही तो नहीं जा रहा है ।

मेरे खयाल से हमने सालिम और मुजाहिब बहरों को लेकर काफी बात की है और अब समय आ गया है कि हमको आगे की और बढ़ना चाहिये । क्‍योंकि हम एक ही स्‍थान पर काफी देर से हैं । और वों काफी कारणों से हो रहा है अब तो ऐसा लगने लगा है कि हम एक ही स्‍थान पर परिक्रमा कर रहे हैं और जो कुछ हो रहा है वो तो ।

हम सबसे पहले मुफ़रद बहरों को लेंगें और उसके बाद हम मुरक्‍क्‍ब पर चलेंगें । मुफरद के बारे में मैंने पहले कहा है कि ये वो बहरें हैं जिनके सालिम में सभी रुक्‍न एक ही प्रकार के होते हैं । और जैसा के मैंने पहले कहा कि ये कुल मिलाकर सात प्रकार की मुफरद बहरें हैं और ये सात प्रकार सालिम बहरों के आधार पर हैं । ये सात हैं रजज, हजज, रमल, मुतकारिब, मुतदारिक, कामिल, वाफर ।  अब ये जो सात प्रकार कि बहरें हैं इनके साथ में क्‍या है कि इनका जो सालिम प्रकार है उसमें सभी रुक्‍न एक ही प्रकार के होते हैं पूर्व में मैंने टेबल बनाकर दिखाया था आज फिर हम देख्‍ते हैं कि रुक्‍न के आधार पर हम बहर कैसे जानेंगें ।

बहरे रजज

रुक्‍न मुस्‍तफएलुन 2212

बहर - मुस्‍तफएलुन-मुस्‍तफएलुन-मुस्‍तफएलुन 

 मतलब कि तीनों या चारों या दोनों रुक्‍न यही निकल रहे हैं तो फिर हम कह सकते हैं कि ये बहरे रजज है क्‍योंकि बहरे रजज का स्थिर रुकन मुस्‍तफएलुन है । अब चूंकि चारों ही रुक्‍न एक से हैं सो ये कहलाएगी सालिम बहर और फिर दो या तीन या चार कितने रुक्‍न हैं उसके आधार पर उसको कह देंगें कि ये मुसमन है कि मुसद्दस है कि मुरब्‍बा है क्‍या है ।

2212-2212-2212-2212 बहरे रजज मुसमन सालिम

2212-2212-2212 बहरे रजज मुसद्दस सालिम

2212-2212 बहरे रजज मुरब्‍बा सालिम

 ये जान  लें कि ये जो हैं ये तो बहरे रजज की समग्र बहरें हैं ये कि जिनको कह सकते हैं कि ये सालिम बहरें हैं इनके अलावा और भी हैं जो कि समग्र नहीं है बल्कि मुस्‍तफएलुन में कुछ कमी के कारण बनी हैं वे सारी की सारी कहलाएंगी मुजाहिब बहरें । तो आज जो हमने देखी हैं वे तो है बहरे रजज की सालिम बहरें अगले में हम देखेंगे बहरे रजज की मुजाहिब बहरें ।

RAVI KANT  ने पूछा है कि

ये मकतल ख्‍वाब हो जाए तो अच्‍छा 1222-1222-122
इसमें "जाए" में ए का वजन २ कैसे लिया गया है अगर जाए की जगह जाता कर दें तो ठीक मालूम पड़ता है।

उत्‍तर :-  रविकांत जी आपने कुछ देर से कक्षाएं ज्‍वाइन की हैं इसलिये आपको ये परेशानी आ रही है मैं पूर्व की कक्षाओं में बता चुका हूं कि ग़ज़ल ध्‍वनि का खेल है यहां पर आप जिस अक्षर या मात्रा पर  जोर देकर पढ़ते हैं वह दीर्घ हो जाती है और नहीं देते तो वो लघु हो जाती हे । यहां पर भी ये ही हो रहा है हम जाए  में जा और ए दोनों पर वजन डालकर पढ़ेंगें और इसलिये  ए  को भी दीर्घ में गिना जाएगा ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. गुरुजी, अगर आपको ब्लागिंग व्यर्थ लगने लगा तो हमारा क्या होगा??? दिनकर जी ने चरखे चलानेवाली कत्तिन के गीत में लिखा है-

    एक तार भी कात सुहागिन यह भी नहीं अकाज।
    स्यात छिपा दे यही नग्न के किसी रोम की लाज॥

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  2. कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि अब ब्‍लागिंग की दुनिया से निकल जाऊं बाहर । क्‍यों लग रहा है ये तो नहीं बता सकता किन्‍तु एक बात तो है कि जहां पर मन न लगे वहां पर रहना नहीं चाहिये क्‍योंकि बिना मन के किया गया काम अच्‍छा नहीं होता है । हांलांकि ये भी सच है कि ब्‍लागिंग ने कई मित्र दिये और कई सूत्र मिले पर फिर भी ऐसा लगने लगा है कि जो कुछ किया जा रहा है वो सब कुछ व्‍यर्थ ही तो नहीं जा रहा है ।

    आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? गूगल पर पंकज सुबीर + ग़ज़ल सर्च कर देखें. आपका नाम व आपका काम दर्ज है वहाँ पर, और दर्ज रहेगा. आपके ये कार्य सदा सर्वदा युगों युगों तक लोगों को राह दिखाते रहेंगे. यकीन मानिए.

    और, जो लोग हालिया, बदमजा हल्लेगुल्ले से हलाकान हो रहे हैं, उन्हें अंग्रेजी ब्लॉग मसालों से तनिक सीख लेनी चाहिए. वहाँ तो गर्त की सीमा तक गंधाती सामग्रियाँ है, और नित्य जुड़ती रहती हैं, परंतु हममें से कोई यदा कदा कभी किक लेने के नाम पर या शोध करने के वास्ते ही जाता होगा, और उन्हें हर हमेशा अनदेखा करता होगा. यही करें! और ये अपना काम करते रहें.

    हम आपसे सीख रहे हैं, यही क्या कम है?

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  4. कंचन के साथ आया था सो हाजिरी लगा लेवें, सर. :)

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  5. अजी मूड को उखाड़िये मत , जमाए रखिये। बिना नाम लिए भी सब समझते हैं। कद्र करनेवाले ढूंढ ही लेते हैं। बने रहें , डटे रहें। ये सिलसिला शब्दों का है , सुरों का है, मात्राओं का है , लय का है। ये कभी नहीं टूट सकता।

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  6. यस सर .. ये क्लास पूरी तरह समझ में आई है.

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