बुधवार, 24 अक्तूबर 2007

मेरे कानों में चुपके से सदाएं आ के देती हैं, ख़बर उनकी मुझे हरदम हवाएं आके देती हैं, तड़प के गिरती हैं बारिश की बूंदें मेरे आंगन में, संदेशा उनके रोने का घटाएं आके देती हैं

आजकल क्‍लास में उपस्थिति कुछ कम चल रही है ऐसा लगता है कि माड़साब को अब कोई दूसरा काम देखना पड़ेगा। एक मित्र ने सलाह भी दी है कि अब आप ग़ज़ल को छोड़कर कम्‍प्‍यूटर हार्डवेयर की क्‍लास चालू कर दों। अगर धंधे की ये ही हालत रही तो फिर उस पर भी सोचना पड़ेगा । कल की क्‍लास में केवल दो ही छात्र आए थे अब दो से क्‍या होता है उतने में तो घर में ही नहीं पड़ता । हार्डवेयर की क्‍लास शुरू करने के बारे में माड़साब सोच रहे तो हैं पर अब बुढ़ापे में धंधा बदलने में डर भी लग रहा है।

चलिये कल जहां पर छोड़ा था वहीं से करते हैं आज आगे शुरू । कल हम त्रिकल तक पहुचे थे और आज उससे आगे की बात करते हैं ।

चौकल :-  चौकल का मतलब उस तरह का रुक्‍न जिसमें कि चार मात्राएं होती हों । उसके पांच प्रकार होते हैं ।

1: चार लघु मात्राएं और चारों ही अपने आप में स्‍वतंत्र हों । फएलतु में ऐसा ही है और चारों ही मात्राएं अपने आप में स्‍वतंत्र हैं । इसके उदाहरण शायरी में कम ही आते हैं क्‍योंकि चारो मात्राएं अगर एक के बाद एक लघु आएंगी तो उच्‍चारण में समस्‍या आ जाएगी ।

2: एक गुरू और फिर दो लघु मात्राएं फाएलु । अब इसमें दो तरह से हो सकता है चार लघु मात्राएं भी हो सकती हैं मगर उनमें से पहली दो आपस में संयुक्‍त होकर एक दीर्घ बना रही हों और आगे की दो स्‍वतंत्र हों जैसे तुम न तुम्‍हारी याद  में तुम न तु  को अगर देखें तो उसमें दो लघु तुम  मिल कर एक दीर्घ बना रहे हैं और फिर  न  ओर तु  दोनों ही स्‍वतंत्र हैं । या फिर ये भी हो सकता है कि पहला दीर्घ हो और बाद में दो स्‍वतंत्र लघु आ रहे हों । जैसे काम न हुआ  में काम न   को देखें यहां  का  एक दीर्घ है और  म  ओर   ये दोनों ही स्‍वतंत्र हैं । मगर चाहे हम  तुम न तु  कहें या  काम न  कहें दोनों ही सूरत में वज्‍़न तो वही रहेगा फाएलु ।

3: दो लघु पहले फिर एक दीर्घ फएलुन।  अब इसमें भी दो प्रकार से हो सकता है पहला तो ये कि शुरू के दो स्‍वतंत्र लघु हो और फिर बाद में दो लघु ऐसे आ रहे हों जो कि आपस में संयुक्‍त होकर एक दीर्घ बना रहें हों । जैसे न सनम  को अगर देखें तो इसमें भी बात वही है कि वैसे तो चारों ही लघु हैं पर पहले दो  न  और   ये दोनों ही स्‍वतंत्र हैं और बाद के  नम  मिलकर दीर्घ हो गए हैं अत: वज्‍़न वही है फएलुन ।  दूसरा ये भी हो सकता है कि दो लघु हों और फिर एक दीर्घ आ गया हो जैसे न सुना  अब इसमें शुरू के दो   और सु  ये दोनों तो स्‍वतंत्र हैं पर बाद में ना दीर्घ है पर वज्‍़न वही है फएलुन ।

4: एक लघु एक गुरू और फिर ऐ लघु फऊलु । अब इसमें भी दो प्रकार से हो सकता है पहला तो वही कि आप के पास चारों ही मात्राएं लघु हों पर उनमें से बीच की दो मात्राएं मिल कर दीर्घ हो रही हों  । जैसे  न तुम न हम  में न तुम न  को देखें वैसे तो चारों ही लघु हैं पर बीच की दो  तुम  जो हैं वो मिलकर दीर्घ हो रही हैं जबकि दोनों तरफ की   न  जो हैं वो स्‍वतंत्र हैं । दूसरा तरीका ये भी हो सकता हैं कि बीच में एक सचमुच की दीर्घ ही हो जैसे मिला न  में मि लघु है फिर ला  दीर्घ आ गया है और फिर   एक बार फिर लघु है दोनों ही हालत में वज्‍़न वही है फऊलु ।

5:  दा गुरू मात्राएं फालुन ।  इसमें कई तरीके हो सकते हैं पहला तो ये कि चारों ही लघु हो पर दो दो लघु मिल कर दो दीर्घ में बदल रहे हों जैसे हम तुम में वैसे तो चार लघु मात्राएं हैं पर हम मिलकर एक दीर्घ बना रहा है और तुम मिलकर एक दीर्घ बना रहा है । दूसरा ये कि शुरू में एक दीर्घ हो फिर दो लघु ऐसे हों जो मिलकर एक दीर्घ बन रहे हों  जैसे ला हम  को देखें यहां पर पहला ला तो सीधा दीर्घ ही है और बाद में हम जो है वो वैसे तो दो लघु हैं पर मिलकर एक दीर्घ बना रहे हैं अत: वज्‍़न वही है फालुन ।  तीसरा ये भी हो सकता है कि पहले दो लघु हों जो मिलकर एक दीर्घ बना रहे हों और फिर एक दीर्घ आ रहा हों जैसे हमला  में शुरू के दो और   जो हैं वो वैसे तो लघु हैं पर मिलकर एक दीर्घ बना रहे हैं । बाद में जो ला  हैं वो ता दीर्घ ही है अत: वज्‍़न वही रहा फालुन । चौथ ये भी हो सकता है कि दोनों सचुमुच के ही दीर्घ हों जैसे जाना  में जा  और ना  दोनों ही दीर्घ हैं और वज्‍़न वही है फालुन ।

आज के लिये इतना ही कल हम आगे चलेंगें और पंचकल की बात करेंगें । उडनतश्‍तरी का भारत आगमन हो रहा है ये जान कर प्रसन्‍नता हुई अगर पूर्व में पता होता तो हम कवि सम्‍मेलन को कुछ बाद में रख लेते खैर कार्यक्रम तो होते ही रहते हैं और आशा है हम उड़नतश्‍तरी को किसी न किसी कार्यक्रम में ज़रूर बुलाएंगें ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. मास्साब, पढ़ लिया.

    कवि सम्मेलन के विचार पर बहुत आभार. पहुँच कर आपसे बात होगी ही.

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  2. सुबीर जी:
    चाहे लिख न पायें लेकिन पढ जरूर रहे हैं , आज की हाज़िरी दर्ज़ हो ।

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  3. यस सर,

    चौकल की क्लास बड़ी ज्ञानवर्धक रही। इसे दुबारा भी पढ़ना पड़ेगा तथा अपनी डायरी में नोट भी करना पड़ेगा।

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  4. गुरुदेव ,चौकल की जानकारी अच्छी लगी...

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