गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

श्री नीरज गोस्‍वामी जी को सुकवि रमेश हठीला शिवना सम्‍मान प्रदान किये जाने के समारोह तथा मुशायरे के वीडियो ।

नीरज जी के सम्‍मान समारोह के बाद कुछ व्‍यस्‍तता और बढ़ गई । जैसा कि आपको पता है कि मेरा शहर सीहोर अपने कवि सम्‍मेलनों तथा मुशायरों के लिये प्रसिद्ध है । तो हाल ये कि 17 नवंबर को एक अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन हुआ, 1 दिसंबर को अखिल भारतीय मुशायरा फिर 2 दिसंबर को शिवना प्रकाशन का मुशायरा । और कल रात को फिर एक अखिल भारतीय मुशायरा उत्‍तराखंड के राज्‍यपाल महामहिम अज़ीज़ क़ुरैशी जी के सम्‍मान में आयोजित किया गया । उसमें से कल देर रात लौटा । और अब 24 को एक अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन है जिसमें सत्‍यनारायण सत्‍तन जी, अंजुम रहबर, विनीत चौहान, राजेंद्र राजन, आदि आदि आ रहे हैं । नवंबर से फरवरी तक सीहोर का माहौल खूब काव्‍यमय हो जाता है । फिर फरवरी के बाद धीरे धीरे गर्मियों के कारण आयोजन कम हो जाते हैं । परसों जब याद आया कि इस भागदौड़ में श्री नीरज जी के सम्‍मान के वीडियो अभी तक अपलोड नहीं हो पाये हैं तो कल मुशायरे की तैयारी के साथ साथ वो काम भी शुरू किया । और शाम तक सारे वीडियो अपलोड हो गये ।

सबसे पहले तो ये कि उस कार्यक्रम के पूरे फोटो अब वेब अल्‍बम पर उपलब्‍ध हैं । जिनको आप यहां https://picasaweb.google.com/117630823772225652986/NEERAJGOSWAMIJISAMMANANDMUSHAIRA 

पर जाकर देख सकते हैं तथा डाउनलोड भी कर सकते हैं । यहां पर पूरे फोटो उपलब्‍ध हैं । ब्‍लाग पर कुछ कम लगाये गये थे । तो पहले आप फोटो का आनंद लीजिये और उसके बाद वीडियो का ।

इस बार के मुशायरे में डार्क हार्स की तरह सुलभ जायसवाल ने अपनी ग़ज़ल पढ़ी । डार्क हार्स इसलिये कि उसके पढ़ने के अंदाज़ ने मुझे भी चौंका दिया । अंकित ने तो पढ़ने की रिदम बहुत पहले पकड़ ली है । बस ये कि श्रोताओं को शेर समझाने की आदत छोड़नी होगी । अंकित ने जोरदार पढ़ा । प्रकाश अर्श के पास भी कहने का अंदाज़ अब अच्‍छा हो गया है । अर्श ने पिछले कुछ सालों में जो प्रोग्रेस की है वो उसके प्रस्‍तुतिकरण में दिखती है ।

प्रदीप कांत को मैंने पहली बार सुना । गौतम को धन्‍यवाद एक अच्‍छे शायर को सुनवाने के लिये । और इसी प्रकार का धन्‍यवाद वीनस को डॉ बाली जैसे अच्‍छे शायर को सुनवाने के लिये । दोनों को सुन कर बहुत अच्‍छा लगा । फिर श्री नीरज गोस्‍वामी जी का सम्‍मान किया गया साथ ही सीहोर की साहित्यिक संस्‍थाओं को भी सम्‍मानित किया गया ।

ये वीडियो मंच के लूटे जाने का साक्षात प्रमाण है । सनद रहे और वकत पर काम आये  कि इन दो शायरों ने पूरा मुशायरा लूट लिया था । गौतम ने सीहोर में अपने इतने फैन बना लिये हैं कि अब तो इस कमबख्‍़त से रश्‍क होने लगा है । क्‍या खूब पढ़ा । हर कोई एक ही सवाल कर रहा है कर्नल अगली बार कब आएंगे । और यही किया नीरज जी ने । उनकी मुम्‍बइया ग़ज़लों ने मार ही डाला । श्रोता दीवाने हो गये । लोगों की फरमाइश है कि सीहोर में श्री नीरज गोस्‍वामी और गौतम राजरिशी का एकल काव्‍य पाठ हो । इनको लोग मन भर के सुनना चाहते हैं ।

श्री तिलक राज जी को भी मैंने पहली बार सुना । उनकी ग़ज़लें जैसी होती हैं वैसा ही उनका प्रस्‍तुतिकरण भी है । एक बार बीच में मां पर शेर कहते समय वे कुछ भावुक हो गये । तिलक जी ने पूरे रंग में काव्‍य पाठ किया । आदरणीया भाभीजी की उपस्थिति में ये रंग तो जमना ही था ।

भोपाल के श्री मुजफ्फर जी ने अपने ही विशेष अंदाज़ में ग़ज़लें पढ़ीं । उनके बाद मुशायरे का संचालन कर रहे डॉ आजम जो ने काव्‍य पाठ किया । आजम जी अपने शेरों से अचानक चौंका देते हैं । उसके बाद हिंदी कवि सम्‍मेलन मंचों के कवि शशिकांत यादव ने अपनी प्रस्‍तुतियां दीं । शशिकांत यादव का अपना एक अंदाज़ है ।

मुशायरे की सदारत कर रहे जनाब इक़बाल मसूद साहब का सम्‍मान किया गया तथा उसके बाद उन्‍होंने अपनी ग़ज़लों का पाठ किया । कच्‍ची है गली उनकी बारिश में न जा ऐ दिल, इस उम्र में जो फिसले मुश्किल से संभलता है जैसों शेरों को तहत के अपने ही अंदाज़ में जब उन्‍होंने पढ़ा तो श्रोता झूम उठे । सदर के काव्‍य पाठ के साथ ही मुशायरे का समापन हुआ ।

नये साल का मिसरा ए तरह तैयार हो रहा है । इस बार कुछ कठिन काम करने की योजना है । देखें कहां तक सफल होते हैं । 

शनिवार, 8 दिसंबर 2012

एक दोपहर भोज, ज्‍वार की रोटी, पकोड़े की कढ़ी, हरी मिर्च की चटनी, नींबू के अचार, नींबू की मिर्ची, ताज़े अमरूदों और बहुत से आनंद के साथ ।

नीरज जी के सम्‍मान के लिये रचा गया कार्यक्रम वास्‍तव में एक आनंद का कार्यक्रम हो गया । आनंद जिसमें हर कोई सहभागी था । नीरज जी से सभी लोगों की पहली मुलाकात थी, किन्‍तु, गौतम के शब्‍दों में कहा जाये तो ऐसा लग ही नहीं रहा था । वैसे तो सीहोर इन दिनों भोपाल वालों के लिये संडे पिकनिक स्‍पाट हो चुका है । किन्‍तु हमने सोचा कि पिकनिक के लिये कहीं और जाने के बजाय घर के आंगन में ही आम, आंवले, हरसिंगार, चीकू, सीताफल और अमरूदों के पेड़ों के झुरमुट के नीचे चटाइयों पर जाड़े की गुनगुनी दोपहर में पिकनिक जमाई जाये । सो बस तुलसी के चौरे के आसपास जम गई भोजन की महफिल ।

DSCN0058

आंगन जिसको कुछ ही दिनों पूर्व संपन्‍न हुए त्‍यौहारों के कारण गोबर से लीपा गया था और गेरू खडि़या से जिस पर मांडने बनाये गये थे । उसी में पेडों के झुरमुट में चल रही है पिकनिक । एक एरियल व्‍यू ।

DSCN0092

उसी आंगन में लकड़ी कोयले का पोर्टेबल चूल्‍हा रखकर नानीजी के मार्गदर्शन में ज्‍वार की रोटी और पकोड़े की कढ़ी का आनंद अन्‍य सहयोगी वस्‍तुओं के साथ लिया गया । और तत्‍पश्‍चात पेड़ से ताज़ा तोड़े गये अमरूदों के साथ भोज का समापन हुआ । इस फोटो में नानीजी अपनी बेटी के बेटे की बेटी के साथ हैं ।

DSCN0074

ज्‍वार की गर्मा गर्म रोटियां सेंक कर देने का काम नानीजी की बेटीजी अर्थात माताजी ने संभाला । माताजी जिनको सारा घर मां कह कर बुलाता है । घर क्‍या पूरी कालोनी उनको मां कहती है ।

DSCN0108

अंकित के ताज़ा ताज़ा खरीदे गये कैमरे से पूरे कार्यक्रम की फोटो लेने का काम पंखुरी ने संभाला, ये सारी फोटो जो आप देख पा रहे हैं ये उसीके द्वारा ली गईं हैं । अच्‍छी लगें तो ठीक नहीं तो बुराई सुनना उसे पसंद नहीं है । आपकी मजबूरी है कि आपको प्रशंसा करनी ही होगी ।

DSCN0066

पंखुरी ने हमेशा की तरह आसान काम संभाला तो मुश्किल काम परी ने संभाला जो था पिकनिक के दौरान प्‍लेटों में भोजन की उचित मात्रा बनाये रखने का । यह काम उसने अपनी मम्‍मी और बड़ी मम्‍मी के मार्गदर्शन में संभाला । इस फोटो में भी वो अपनी ड्यूटी पर मुस्‍तैदी से तैनात है ।

DSCN0063

और इस प्रकार से शुरू हुआ ये दोपहर भोज जिसमें भांति भांति की देशज वस्‍तुएं शामिल थीं । नींबू के रस में भीगी हुई मिर्चियों से लेकर ज्‍वार की रोटियों में शकर और घी मिलाकर नानी द्वारा बनाये गये चूरमे तक । नानी जो ऊपर चबूतरे पर बैठीं व्‍यवस्‍थाओं का निरीक्षण कर रही थीं । 

DSCN0064

ज्‍वार की रोटियों को बेलन और तवे पर नहीं सेंका जा सकता उनको हाथों से ही बनाना होता है क्‍योंकि मोटा आटा होने के कारण टूटता है । आपको पता है हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिये सबसे नुकसानदायक क्‍या है, गेहूं । इसलिये कि उसका आटा चिपचिपा होता है ।

DSCN0065

और गोला बन गया । गोला जिसमें शामिल हैं नीरज जी अंकित, गौतम, सुलभ, सनी, सुधीर और एक किसी की चांद भी नजर आ रही है पीछे से ।

DSCN0073

इधर से ज्‍वार की रोटियों की सप्‍लाई का काम शुरू हो चुका था । ज्‍वार की रोटियों के लिये आटा भी तुरंत गूंथा जाता है । पहले से गूंथ कर रखने की आवश्‍यकता नहीं होती है । इन रोटियों पर लगाया जा रहा है घर का बना ताज़ा शुद्ध घी ।

DSCN0071

इस समय सब पूरी तन्‍मयता के साथ अपने अपने प्‍लेटों पर कन्‍सन्‍ट्रेट कर रहे हैं । बाकी दुनिया से पूरी तरह से बेखबर होकर । कर्नल साहब नींबू की मिर्ची पर दुश्‍मनों की फौज की तरह अपना गुस्‍सा निकाल रहे हैं ।

DSCN0081

शायर साहब मुंह में कौर ले जा रहे हो या किसी के द्वारा दी गई दाद पर शुक्रिया दे रहे हो । पास में जो देश के महत्‍वपूर्ण शायर हरी टी शर्ट में बैठे हैं उनके सफेद बाल पंखुरी ने बड़ी मेहनत से फोटो में उभारे हैं ।

DSCN0088

मिला जो वक्‍त तो जुल्‍फें तेरी सुलझा दूंगा, अभी उलझा हूं मैं हालात को सुलझाने में । नीरज जी की तन्‍मयता यही बता रही है कि प्‍लीज डोंट डिस्‍टर्ब ।

DSCN0070 

खाते खाते अचानक फोटोग्राफर ने एक पोज़ देने को कहा सो कौर को थाली में छोड़ कर पोज देने लगे नीरज जी ।

DSCN0067

भोजन सप्‍लाई व्‍यवस्‍था को सुचारू बनाये रखने वाला पक्ष । जिसमें उतने ही लोग लगे हैं जितने खाने वाले हैं ।

DSCN0078

इस्‍माइल प्‍लीज । खाने के बीच बीच में पोज देने का काम करना कितना मुश्किल होता है लेकिन करना है तो करना है मंखा सरदार का आदेश है ।

DSCN0097

शायर अंकित सफर अपना आधा मिसरा किसी अन्‍य को दे रहे हैं । पूरा शेर उनके बस का नहीं रहा तो ऐसा करना पड़ा । आप ये मत पूछिये कि इस संडे की पिकनिक में श्री सफर इतना सज धज के नहा धो कर क्‍यों बैठे हैं ।

DSCN0088

नींबू के अचार पर शायर साहब का दिल आ गया है । उनका कौर बार बार उसी तरफ बढ़ रहा है । नींबू का अचार चीज़ ही ऐसी है कि जो खाये वो ही जाने उसका स्‍वाद ।

DSCN0089

कर्नल साहब, पास बैठ सुधीर को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि ज्‍वार की रोटी बहरे हजज मुसमन पर थी । सुधीर वाला समझने की कोशिश कर रहा है कि कर्नल साहब किस भाषा में बात कर रहे हैं ।

DSCN0068

परसइया ( भोजन परसने वाला) पीछे किसी सैनिक की तरह मुस्‍तैद खड़ा है ।

DSCN0093

कर्नल साहब की आंखें फोटो खिंचवाते समय बंद हो जाती हैं तो उसमें उनका क्‍या कसूर । होता है होता है । दुनिया की शर्म से गुनाहगारों की आंखें झपक न जाएंगी तो क्‍या होगा ।

DSCN0096

रोटियों का काम तमाम हो चुका है अब प्‍लेट में रखी हुई कढ़ी की बारी है ।

DSCN0101

है कोई और एक रोटी लेने वाला या फिर इस रोटी का चूरमा बनवा दिया जाये । लोग धीरे धीरे अपनी प्‍लेटों को समापन की ओर बढ़ाने में जुटे हैं । और इधर कम खाने वालों के बीच फंस गया खाने का शौकीन सनी कम खाने वालों के साथ बैठ कर पछता रहा है ।

DSCN0069

ये ज्‍वार की रोटी और शुद्ध घी का बनाया हुआ चूरमे का लड्डू है जिसे अभी अभी चबूतरे पर बैठी नानीजी ने बना कर दिया है ।

DSCN0100

बम भोले, हो गया भोजन अब पानी की बारी है ।

DSCN0103 

हो चुका भोजन आइये अब उठते हैं ।

DSCN0111

अब भोजन करवाने वालों के भोजन की बारी है । फोटो में चार पीढि़यां दिख रही हैं । चबूतरे पर नानीजी, उनकी बेटी, उनकी बहुएं और उन बहुओं की बेटियां । ये जो ढेर सारी मूलियां सामने रखे खाना खा रही हैं ये हमारी धर्मपत्‍नी हैं । चम्‍मच से कुछ खाने के प्रयास में लगीं हमारी भाभीजी हैं ।

DSCN0105

फोटोग्राफर का शुक्रिया अदा किया जाये जिसने भोजन के कार्यक्रम के शानदार फोटो लिये ।

DSCN0107

एक और फोटो फोटोग्राफर के साथ ।

DSCN0106

और ये फोटो आनंदमय ।

DSCN0115

आइये सुलभ भैया मैं आपको मगही पान खिला कर लाती हूं ।

DSCN0120

एक और पोज हो जाये ।

DSCN0118

आइये सामूहिक पोज के साथ आज के आनंद को पूरा करते हैं । जय हो, जय हो ।

मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

‘‘हैं निगाहें बुलंदियों पे मेरी, क्या हुआ पांव गर ढलान पे है’’ नीरज गोस्वामी को शिवना प्रकाशन का ''सुकवि रमेश हठीला स्मृति शिवना सम्मान'' प्रदान किया गया

DSC_3776

हिंदी के सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार नीरज गोस्वामी को एक गरिमामय साहित्यिक आयोजन में शिवना प्रकाशन द्वारा स्‍थापित वर्ष 2012 का ''सुकवि रमेश हठीला स्मृति शिवना सम्मान'' प्रदान किया गया । स्थानीय ब्ल्यू बर्ड स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विधायक श्री रमेश सक्सेना उपस्थित थे । अध्यक्षता नगरपालिका अध्यक्ष श्री नरेश मेवाड़ा ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में नागरिक बैंक अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल, हिंदी सुप्रसिद्ध कवि शशिकांत यादव एवं उर्दू के मशहूर शायर श्री इक़बाल मसूद उपस्थित थे ।

DSC_3777
DSC_3789

DSC_3796

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रकाश व्यास काका ने बैज लगाकर तथा सदस्यों अनिल पालीवाल, हरिओम शर्मा दाऊ, उमेश शर्मा, जयंत शाह, शैलेश तिवारी, श्रवण मावई, सुनील भालेराव, चंद्रकांत दासवानी, बब्बल गुरू  ने पुष्पगुच्छ भेंट कर  किया ।

मुम्बई के कवि नीरज गोस्वामी को सुकवि रमेश हठीला शिवना सम्मान के तहत मंगल तिलक कर एवं शाल, श्रीफल, सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया ।

DSC_3827

DSC_3828

DSC_3829

DSC_3830

DSC_3831

श्री गोस्वामी का परिचय शिवना प्रकाशन के  पंकज सुबीर ने प्रस्तुत किया ।

DSC_3825

इस अवसर पर शिवना प्रकाशन की ओर से शहर की साहित्यिक संस्थाओं स्मृति के श्री अम्बादत्त भारतीय, बज़्मे फरोगे उर्दू अदब के तमकीन बहादुर, हिन्दू उत्सव समिति के सतीश राठौर, अंजुमने सूफियाए उर्दू अदब के अफ़ज़ाल पठान को साहित्यिक कार्यक्रमों के सफल आयोजन हेतु प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये ।

DSC_3836

DSC_3840

DSC_3841

DSC_3842

कार्यक्रम के दूसरे चरण में श्री इक़बाल मसूद की अध्यक्षता में एक मुशायरे का आयोजन किया गया जियमें देश भर के शायरों ने ग़ज़लें पढ़ीं ।

DSC_3802

नई दिल्ली के सुलभ जायसवाल ने मुशायरे का प्रारंभ करते हुए ‘बेसहारा मुल्क लेकर चीखता रहता हूं मैं’ ग़ज़ल पढ़कर श्रोताओं की दाद बटोरी ।

DSC_3808

मुम्बई के अंकित सफर ने युवाओं की भावनाओं को ‘बढ़ाने दोस्ती गालों पे कुछ पिम्पल निकल आये’ के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया ।

DSC_3810

नई दिल्ली के प्रकाश अर्श ने ‘मैं लम्हा हूं कि अर्सा हूं कि मुद्दत न जाने क्या हूं बीता जा रहा हूं’ सहित कई शेर पढ़े ।

DSC_3848

काश्मीर के कर्नल गौतम राजरिशी ने अपने शानदार अंदाज़ में ‘चांद इधर छत पर आया है थक कर नीला नीला है’ जैसी शानदार ग़ज़लें पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।

DSC_3816

इन्दौर के शायर प्रदीप कांत ने ‘थोड़े अपने हिस्से हम बाकी उनके किस्से हम’ सहित छोटी बहर पर लिखी गई अपनी कई ग़ज़लें पढ़ीं।

DSC_3866

भोपाल के शायर तिलक राज कपूर ने 'जब उसे कांधा दिया दिल ने कहा' के माध्‍यम से श्रोताओं की संवेदनाओं को झकझोर दिया ।

DSC_3820

भोपाल के  डॉ सूर्या बाली ने अपनी ग़ज़ल ‘बाज़ार ने गरीबों को मारा है इन दिनों’ पढ़कर श्रोताओं की खूब दाद बटोरी ।

DSC_3854

सम्मानित कवि नीरज गोस्वामी की मुम्बइया शैली की ग़ज़लों को श्रोताओं ने खूब सराहा । ‘जिसको चाहे टपका दे, रब तो है इक डान भीडू’ तथा ‘क्या हुआ पांव गर ढलान पर है’  शेरों  को श्रोताओं ने खूब पसंद किया । उन्होंने तरन्नुम में भी कुछ ग़ज़लें पढ़ीं ।

DSC_3871

मुशायरे का संचालन कर रहे शायर डॉ आज़म ने अपनी ग़ज़ल ‘अजब हाल में महफिलें हैं अदब की’ पढ़ी ।

DSC_3877

हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि शशिकांत यादव ने आपने चिरपरिचित अंदाज़ में ओज तथा देशभक्ति के गीत एवं छंद पढ़े । सैनिकों तथा राजनीतिज्ञों की तुलना करते हुए उन्होंने कविता का सस्वर पाठ किया ।

DSC_3884

मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे इक़बाल मसूद ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि ये नयी पीढ़ी हिन्दी और उर्दू के बीच पुल बनाने का काम कर रही है । उन्होंने सभी शायरों की ग़ज़लों को सराहा । श्री मसूद ने अपनी कई सुप्रसिद्ध ग़ज़लें पढ़ीं । ‘इस उम्र में जो फिसले मुश्किल से संभलता है’ शेर को श्रोताओं ने जमकर सराहा । देर रात तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के हिंदी उर्दू के साहित्यकार, पत्रकार, एवं श्रोतागण उपस्थित थे ।

DSC_3887

अंत में आभार पत्रकार श्री शैलेष तिवारी ने व्यक्त किया ।

कार्यक्रम के समाचार आप यहां

http://www.pradeshtoday.com/epaper.php?ed=5&date=2012-12-04#

और यहां

http://naiduniaepaper.jagran.com/Details.aspx?id=431352&boxid=108313986

और यहां

http://www.patrika.com/news.aspx?id=947395

देख सकते हैं ।

D108313986

pradesh todya

परिवार