बहुत पहले ये शेर कहीं सुना था मगर आज ये शे'र जनाब मनमोहन सिंह के लिये बिल्कुल फिट हो रहा है । और जब किस्मत की बात चल रही हो तो फिर उनसे बेहतर किस्मत किसकी हो सकती है । और अब इस किस्मत में और ज्यादा चार चांद लगने जा रहे हैं क्योंकि उनकी पड़ोसन आज बेनजीर बनने जा रही हैं ।
चलिये अपन तो इस कम्बख़्त सियासत को छोड़कर अपने काम पर वापस लौटते हैं । अभिनव ने कुछ दिनों की छ़ट्टी ली है और इधर कंचन ने एक फुल हुलगदागदा ग़ज़ल दी है । ऐसी ग़ज़ल जिसमें न तो काफिया पता चल रहा है न कुछ और । पेश है
गली के मोड़ तलक जा के लौट आऊँगा,
तुम्हे छिपा के निगाहों में लौट आऊँगा।
दिखाई दोगे जहाँ तक तुम्हें मै देखूँगा,
छिपोगे आँख से तो चुप से लौट आऊँगा।
तुम्हारी याद अलग है तुम्हारी बातों से,
तुम्हें ये बात बताऊँगा लौट आऊँगा।
यही पे छोड़ गए थे मुझे अकेला वो,
यहीं पे बोल गए थे कि लौट आऊँगा।
चला गया वो मुझे अलविदा बिना बोले,
सुनाई देता है लेकिन कि लौट आऊँगा।
अब आप ही तय करें कि क्या सज़ा दी जाए इस ग़ज़ल पर ।
चलिये आज कुछ बातें की जाएं ग़ज़ल के मात्रा निकालने के तरीके की । जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि आधी मात्रा को शुमार नहीं किया जाता है और उसे अपने से पहले की या बाद की मात्रा में मिला दिया जाता है । अब इस पर भी कुछ बातें आ रहीं हैं कि ये कैसे तय किया जाएगा कि आगे के अक्षर में मिलाना है या फिर पीछे के अक्षर में । एक बात जो हमेशा याद रखें कि ये जो ग़ज़ल की दुनिया है ये ध्वनियों को खेल है यहां पर सब कुछ ध्वनियों पर ही चलता है । इसलिये अगर आपको ये तय करना है कि कोई आधी मात्रा को कहां पर मिलना है तो उसके लिये आप उसको उच्चारित करके देखें कि वो किस प्रकार के उच्चारण में हैं । अब जैसे हम कहीं पर सख़्ती शब्द का प्रयोग कर रहे हैं तो उसमें क्या होगा । सख़्ती का उच्चारण देखें सख़् ती या सख़्ा और ती । तो इस में साफ हो रहा है कि आधा ख तो है वो अपने से पीछे के स में मिल रहा है और दोनों मिलकर एक दीर्घ में बदल रहे हैं । अब बाद के ती को तो आप चाहे जैसे ले सकते हैं चाहे तो उसे गिरा कर लघु कर लें या दीर्घ कर लें । मगर सख़् से तो एक दीर्घ बन रहा है ये तय है । अगर शुद्ध वज़्न की बात करें तो सख़्ाती को वज़्न है दीर्घ-दीर्घ 22 । मगर बात यदि तुम्हारी की हो रही है तो आधे म को कहां जाना है ये उच्चारण ही तय करेगा । जब हम आधे म को बोलते हैं तो किस प्रकार की ध्वनि आती है । तु म्हा री अर्थात तु के बाद विश्राम आ रहा है और म् तथा हा को एक साथ बोला जा रहा है इससे तय है कि आधा म जाएगा हा के साथ । अर्थात आधा म अपने से आगे के हा में मिल रहा है । इसी प्रकार जब हम कहते हैं जिन्दगी तो उसका उच्चारण कुद इस प्रकार आता है जिन् द गी यानि कि जिन फिर द और फिर गी । बात साफ है कि आधा न जो हैं वो पीछे की जि में लिकर उसको दीर्घ बना रहा है ।
उदाहरण देखें शे'र है हस्ती अपनी हुबाब की सी है
हस त अप नी | हुबाब की | सी है |
फा ए ला तुन | मु फा ए लुन | फालुन |
अरे मास्साब अभी तो कोई नही आया, हम आ गये हथेली फैला कर खड़े हैं चुपके से मार लीजिये, लेकिन वो जो हैं न उड़नतश्तरी उनको मत बताइयेगा, बाद में टीप मार मार के चिढ़ाते हैं हमें वो। हें नही तो....!
जवाब देंहटाएंमास्साब, छ्ड़ी उठाईये और शुरु. पहले बहुत खुश हो रहीं थी कि उड़न तश्तरी को ले छड़ी ले छड़ी...और अपने समय में अकेले. अरे, पूरी क्लास भर जाने दिजिये फिर दिजियेगा तड़ातड़. :)
जवाब देंहटाएंबाकि हम अभी आते हैं लौट कर.
यस सर,
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरुदेव, इधर मुझे नया प्रोजेक्ट मिला है जिसके कारण अधिक समय दफ्तर के काम काज में ही गुज़र रहा है। इसके चलते मेरी कई क्लासेज़ मिस हो गई हैं। अब एक एक कर के पूरी करता हूँ। आपने भली प्रकार से आधे अक्षर वाली बात समझाई है। अब अगली क्लास की ओर जाता हूँ।