हालंकि मैं नए गाने नहीं के बराबर ही सुनता हूं पर जाने कैसे ये गीत मेरे सुनने मे आ गया और फिर मेरी इच्छा हुई कि इसको आप के साथ बांटा जाए । हालंकि मैने सावरिया के पूरे गीत सुने हैं और सच कहूं तो काफी समय के बाद किसी नई फिल्म के पूरे गीत सुने हैं । सारे गीतों के बारे में फिर कभी बात करूंगा पर आज तो इसी गीत की बात करते हैं । संगीत मोंटी का है गीत समीर का और आवाज़ है अल्का याज्ञिक की । मुझे इस गीत को सुन कर ही अचानक मीनाकुमारी या गीता बाली की याद आ गई जो सावन में भीगते हुए सहेलियों के साथ बाग में गाना गा रहीं हैं । गीत का संगीत भी अद्भुत है ढोल की जो थाप लगी है और साथ्ा में सितार की तान ने समां बांध दिया है ।
चलिये पहले आपको गीत के बारे में बता दूं
छैल छबीला, रंग रंगीला, बदन कटीला, होंठ रसीला
रूप सजीला, यार हठीला, तंग पजामा, कुर्ता ढीला
छबीला, रंगीला, कटीला, रसीला, सजीला, हठीला, पजामा, है ढीला
( इसके बाद एक कोरस है जो हालंकि सुनने में कुछ कुछ होता है के कबसे आए है तेरे, की घ्वनि देता है )
ओह रे छबीला, नशीला सावन बीता जाए
ओह रे छबीला, नशीला सावन बीता जाए
सुन ओ जमीला हठीला ऐसे तन को जलाए
के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, ओ ओ हो हो
अंग सजीला देखो, रंग रंगीला देखो, अंग सजीला देखो, रंग रंगीला देखो,
बिजुरी मुझ पे गिराए
के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, ओ ओ हो हो
( इसके बाद सितार का एक सुंदर सा टुकड़ा लगा है )
अंतरा
तू न जाने, न न न, तू तू तू तू, तू न जाने, न न न, तू तू तू तू,
तू न जाने, तू न जाने है ये प्यार क्या
अरे बेक़दर तुझे नाख़बर, अरे बेक़दर तुझे नाख़बर
हाल दर्दे दिल का
दोनों जहान ले, चाहे तो जान ले
रब का है वास्ता, कहना तू मान ले
आ ओ
ओह रे छबीला, नशीला सावन बीता जाए
सुन ओ शकीला हठीला ऐसे तन को जलाए
के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, ओ ओ हो हो
( यहां शहनाई जैसा एक सुंदर पीस है ।)
आजा आजा आ आ आ आजा आजा
आजा आजा ए.................. आजा आजा
आजा आजा अब तो आजा रस्ता मोड़ के
तुझे है क़सम अरे बेरहम
अरे तुझे है क़सम अरे बेरहम कर न सितम ऐसे
पहलू से छूट के बिखरूं मैं टूट के
बेदर्द बालमा न जा यूं रूठ के
ओह रे छबीला, नशीला सावन बीता जाए
ओह रे छबीला, नशीला सावन बीता जाए
सुन ओ रमीला हठीला ऐसे तन को जलाए
के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, के ओ ओ ओ ओ, ओ ओ हो हो
छैल छबीला, रंग रंगीला, बदन कटीला, होंठ रसीला
रूप सजीला, यार हठीला, तंग पजामा, कुर्ता ढीला
छबीला, रंगीला, कटीला, रसीला, सजीला, हठीला, पजामा, है ढीला
कितना सादा कितना अकेला
इस गाने को सुनें और उस ढोल को सुनें जो ओह रे पर बजता है ओह क्या बात है । इस गाने को यहां http://www.savefile.com/files/1135016 से लेकर पूरा सुन सकते हैं आप । धन्यवाद संजय लीला भंसाली बरसों बाद फिल्मी संगीत में भारतीय संगीत की आत्मा को जगाने के लिये । सुनें ज़रूर ये गीत और आपको भी ऐसा लगेगा कि परदे पर तो शायद आशा पारेख या साधना ही इस गीत को गाएंगीं ।
वाह, आपकी पसंद तो मानो हमारी ही है. आनन्द आ गया था इस गीत को सुनकर.
जवाब देंहटाएंवाह वाह गुरुदेव, सुंदर गीत सुनवाया। हमने भी एक अरसे बाद कोई नया गीत सुना।
जवाब देंहटाएंआपके ब्लाग पर नयी चीजें मिलती रहतीं है.
जवाब देंहटाएंअतुल
...!!!
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