मयखाने का और शराब का ग़ज़ल से जाने क्या रिश्ता है समझ में ही नहीं आता हर बार घूम कर बात वहां पर पहुंच ही जाती है । अब जैसे इसी ग़ज़ल में मीर साहब ने शेख जी की हालत ही पतली कर दी है । खैर चलिये आज बात करते हैं कुछ होमवर्क की और उसी के बहाने ये देखने का काम करते हैं कि ग़ज़ल की बहर निकालने में कहां पर ग़लती होती है । जैसे अभिनव ने ही निकाली है बहर मेरे द्वारा दी गई कल की ग़ज़ल की
गली के मोड़ तलक जाके लौट आऊंगा
अभिनव ने निकाली है
१२१२ - १२१२ - १२१२ - २२
ललालला ललालला ललालला लाला
ग़लती कहां पर हुई है देखिये ज़रा
ग-1, ली-2, के-1, मो-2 (सही निकाला है )
ड़-1, त-1, लक-2, जा-2 ( ग़लत हो गया )
के-1, लौ-2, ट-1, आ-2 ( सही निकाला है )
ऊं-2, गा-2 (सही निकाला है)
तकतीई देखें
ग ली क मो | ड त लक जा | क लौ ट आ | ऊं गा |
मुफाएलुन | फएलातुन | मुफाएलुन | फालुन |
अब इसमें देखें कि किस तरह से वज़्न निकाला गया है तकतीई करके । अब देखें कि अभिनव ने कहां पर ग़लती की है ।
मैं बादलों की तरह छा के लौट आऊँगा,
म बा द लों | कि त रह छा | क लौ ट आ | ऊं गा |
मुफाएलुन | फएलातुन | मुफाएलुन | फालुन |
( माड़साब ने पास कर दिया मिसरा उला)
जुगनुओं सा टिमटिमा के लौट आऊँगा,
जुग नु ओं स | टिम टिमा के | लौ ट आ ऊं | गा |
फा ए लातु | फाएलातु | फाएलातुन | फा |
( मिसरा सानी में नाक कट के धरा गई माड़साब की )
ग़लती के पीछे कारण क्या है । जुगनुओं में जुग नु ओं 212 है और हमारी ग़ज़ल तो शुरू ही हो रही है लघु से तो जुगनू से तो शुरू ही ही नहीं सकती जिसमे दीर्घ पहले है ।
रुका हुआ हूँ मगर सोच कर ये आया था,
रु का हु आ | हु म गर सो | च के य आ | या था |
मु फा ए लुन | फ ए ला तुन | मु फा ए लुन | फा लुन |
( माड़साब को थोड़ी राहत मिली )
तुम्हारी एक झलक पा के लौट आऊँगा,
तु म्हा रि ए | क झ लक पा | के लौ ट आ | ऊं गा |
मु फा ए लुन | फ ए ला तुन | मु फा ए लुन | फा लुन |
( माड़साब खुश हुए )
मुझे यकीन था तुमने भुला दिया होगा
मु झे य की | न ह तुम ने | भु ला दि या | हो गा |
मु फा ए लुन | फ ए ला तुन | मु फा ए लुन | फा लुन |
( माड़साब ने छड़ी भी नीचे रख्ा दी, उड़न तश्तरी के काम आएगी)
मैं अपनी याद ही दिला के लौट आऊँगा
मे अप नि या | द दि ला के | हि लौ ट आ | ऊं गा |
मु फा ए लुन | फ ए ला तुन | मु फा ए लुन | फा लुन |
( बच्चा सही कर रहा है, उड़न तश्तरी अपनी बारी आने का सोच के घबराहट में खिसकती निक्कर संभाल रही है )
फिर अकेला हूँ वहाँ ख्वाब देखते थे जहाँ
फिर अ के ला | हु व हां ख्वा | ब दे ख ते | थे ज हां |
फा ए ला तुन | फ ए ला तुन | मु फा ए लुन | फ ए लुन |
( गर्रा गया और हूल गदा गद बहर फैंक मारी )
फिर दीर्घ है और हमारी ग़ज़ल तो लघु से प्रारंभ हुई है ।
पुराना गीत कोई गा के लौट आऊँगा
पु रा न गी | त कु ई गा | क लौ ट आ | ऊं गा |
मु फा ए लुन | फ ए ला तुन | मु फा ए लुन | फा लुन |
( चलो गाड़ी तो पटरी पर आई )
ज़रा सी इससे मेरे दिल को तसल्ली होगी
ज़ रा सि इस | स म रे दिल | क त सल् ली | हो गी |
मु फा ए लुन | फ ए ला तुन | फ ए ला तुन | फा लुन |
( गई भैंस पानी में )
गली के मोड़ तलक जा के लौट आऊँगा
ग ली क मो | ड त लक जा | क लौ ट आ | ऊं गा |
मु फा ए लुन | फ ए ला तुन | मु फा ए लुन | फा लुन |
( ये तो माड़साब का ही था )
अब बात करें उड़न तश्तरी की हाय हाय मैं सदके जांवां क्या तो ग़ज़ल हेड़ी है और क्या सुर लगाया है । अल्ला क़सम ऐसी ग़ज़ल अगर चचा ग़ालिब देख लें तो ग़ज़ल लिखना छोड़ कर पान की दुकान लगा लें ।
गली के मोड़ तलक जाके लौट जायेंगे
हवा का रुख पलट जाये लौट जायेंगे
( मिसरा सानी माड़साब के सिर के ऊपर से हीट गया)
फिज़ा में आज महक आती है फूलों वाली
अदा की शोख झलक पाके लौट जायेंगे
( मिसरा उला को डेंगू हो रहा है और चिकनगुनिया के भी लक्खन हैं )
नशे में डूब बहक ना जाऊँ पी के हाला
सुरा का जाम छलकवा के लौट जायेंगे
( मिसरा उला की कुछ मात्राएं चूहे रात में कतर गए अब उसमें उड़न तश्तरी क्या करे)
नयी ये सोच बदल मैं कैसे बता पाता
सुरों में गीत गजल गाके लौट जायेंगे
(मिसरा उला फुल हूल गदा गद है )
मचाने शोर धरम का ही नाम आता है
खुदा के नाम भजन गाके लौट जायेंगे
( उफ्फ आखिरकार एक शे'र सही हीटा, हेड़ हेड़ के निकाला तब एक हीटा, चलो हीटा तो सही )
चलिये, एक शेर सही निकल गया. फिर से करता हूँ होम वर्क. किसी ने सही ही कहा है कि गज़ल को पकाना पड़ता है. कच्ची मज़ा नहीं देती. अब फिर से हांडी चढ़ाता हूँ. :)
जवाब देंहटाएंकोई मुझे बताए के ये होम वर्क कब मिला और मैं क्यों शामिल नहीं हुई उसमें? Kya दाख़िला देर से हुआ?.
जवाब देंहटाएंमैं भी भाग लेना चाहती हूँ, पर..................????
देवी
यस सर,
जवाब देंहटाएंमतले का मिसरा-ए-सानी "जुगनुओं सा टिमटिमा के लौट आऊँगा" नहीं अपितु "या जुगनुओं सा टिमटिमा के लौट आऊँगा" है। बाकी सभी ग़लतियाँ समझ में आ गई हैं। आपने इतनी अच्छी तरह से टेबल बना कर समझाया है कि मुझ नासमझ को भी बहर समझ में आने लगी है। कोशिश करूँगा कि अगले प्रयास में कोई बहर की ग़लती न करूँ।
इधर कुछ दिनों तक कक्षा में नहीं आ पाऊँगा, अक्टूबर के बाकी दिन कुछ अधिक ही व्यस्त होने की संभावना है, अतः छुट्टी की अर्ज़ी स्वीकार करें। १ नवंबर से पुनः हाज़िर हो जाऊँगा।
मास्साब हम आ गए, लड़कियों को मास्साब नही मारते हैं, इसी बात का फायदा उठा लेते हैं हम और लेट लतीफ जब भी चूल्हे चौके से फुरसत मिलती है चले आते हैं दौड़ते हुए.... एक बार आये तो देखा कि उड़नतश्तरी को मास्साब ले छड़ी, ले छड़ी उड़ाये पड़े हैं, हम तो डर गए कि रात में सोते समय गज़ल लिखी थी कहीं कुछ गलत हुआ तो मास्साब तो गुस्से में दो इधर भी लगा देंगे। तो अभी आये हैं डरते डरते औ धीमे से अपनी लाइनें चस्पा कर के भाग जाएंगे, गज़ल इस तरह है-
जवाब देंहटाएंगली के मोड़ तलक जा के लौट आऊँगा,
तुम्हे छिपा के निगाहों में लौट आऊँगा।
दिखाई दोगे जहाँ तक तुम्हें मै देखूँगा,
छिपोगे आँख से तो चुप से लौट आऊँगा।
तुम्हारी याद अलग है तुम्हारी बातों से,
तुम्हें ये बात बताऊँगा लौट आऊँगा।
यही पे छोड़ गए थे मुझे अकेला वो,
यहीं पे बोल गए थे कि लौट आऊँगा।
चला गया वो मुझे अलविदा बिना बोले,
सुनाई देता है लेकिन कि लौट आऊँगा।