कुछ बातें क्यों अच्छी लगती हैं उनके बारे में कहा नहीं जा सकता है । जैसे ग़ुलज़ार साहब का लिखा हुआ एक गीत है ' हमने देखी है उन आंखों की महकती ख़ुश्बू हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो' अब इस गीत को हम कितना पसंद करते हैं पर देखें तो आंखों की महकती ख़ुश्बू जैसा दुश्कर प्रतीक है इसमें । मेरी छोटी बहन और कवियित्री मोनिका हठीला की एक ग़ज़ल है जो मुझे बहुत पसंद है वो ये है जो मैंने ऊपर शीर्षक में लगाई है । खैर माड़साब कल नाराज़ हो गए थे क्योंकि क्लास में बच्चे आ ही नहीं रहे थे । फिर किसी ने बताया कि श्राद्ध चल रहे हैं और बच्चे माल उड़ाने में लगे हैं इसलिये मैं भी चुप हो गया ।
चलिये आज कुछ आगे की बात की जाए आज हम बात करते हैं बिंदी की । ऐसा कैसे हो जाता है कि हम कभी तो किसी को बिंदी मानते ही नहीं हैं और कहीं पर मानना पड़ता है । जैसे कहां में हां पर लगी अं की बिंदी गिनी नहीं जाएगी और उसका वज़्न कहा ही गिना जाएगा । मगर ज्रिदगी में जिं पर लगी बिंदी बाकायदा गिनी जाएगी । बात ध्वनी की ही है । अगर हम गौर से सुनें तो पाएंगें कि जिंदगी में जो आधा न आ रहा है उसका हम खेंच कर पढ़ते हैं । जिन्दगी चूंकि वज़्न आ रहा है इसलिये इसे नकारा नहीं जा सकता है । मगर कहां में हां पर की बिंदी वज़्न के बगैर है इसलिये उसको हम नगण्य मान लेते हैं । यहीं पर हमको जिंदगी का एक फलसफा भी मिलता है और वो ये कि हम चाहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में भले ही कितना पक्ष्पात हो रहा हो पर हमें नगण्य न माना जाए तो हमें अपना वज़्न इतना बढ़ाना ही पड़ेगा कि हमे नगण्य माना ही न जा सके ।
चलिये अब बात करते हैं इस बिंदी की जो वास्तव में कई बार कन्फ्यूज़ कर देती है । उदाहरण के लिये दो लाइनें देखें
1 वो हंस रही है
2 वो हंस उड़ रहा है
अब दोनों में वहीं शब्द है हंस मगर वज़्न को देखें तो पहले में है दीर्घ मगर दूसरे में है दीर्घ-लघु ऐसा इसलिये कि दूसरे में बिंदी को आपको नाक से स्वर देना ही होगा ( अगर आपको ज़ुकाम नहीं हो रहा हो अगर हो भी रहा हो जब भी आप हन्स को हस्स तो बोलेंगें ही ) और इसी कारण से हंस रहा है वो में वज़्न लेते समय उसको हस रहा है वो ही मानेंगें बिंदी को नगण्य मान लेते हैं ।
और जब हम तकतीई करते हैं तो उसी के अनुसार करते हैं जैसे
कुछ तो पहलू में है खलिश देखो
की तकतीई होगी
कुछ त पहलू | म है ख़लिश | देखो |
फाएलातुन | मुफाएलुन | फालुन |
मतलब मैं को पूरा गिरा कर उसको केवल म ही में गिना जा रहा हे ।
बांस, गेंद, गूंगा, सांस, में, हैं इस तरह के शब्दों में अं की बिंदी को खा जाते हैं और केवल बास, गेद, सास, मे है ही कहते हैं । मगर रंग, दंग, अंबर, ज़ुंबिश में ऐसा नहीं होगा । और वो इसलिये क्योंकि आपको नाक से टोन डालनी पड़ रही है सलमा आगा टाइप की ( ये बात अलग है कि अगर आपको ज़ुकाम हो रहा हो तो आप रंग को रग्ग पढ़ेंगें पर होगा तो वही ना ) । इसी के कारण आसमां, दुकां, मकां, ज़मीं, क़ुरां जैसे शब्द बने हैं । आपको यदि 121 चाहिये तो दुकान लिखिये और अगर केवल 12 चाहिये तो ज़मीं से काम चलाइये बिंदी को गोली मारिये ।
ऊपर जो मैंने टेबल बनाई है वास्तव में तकतीई करने के लिये ऐसी ही टेब्ल बनाई जाती है आप भी जब काम करें तो एसा ही करें ।
अनूप जी भारत यात्रा के बाद कक्षा में वपस आ गए हैं अभिनव सदाबहार रूप से काम कर रहे हैं ( भाभी की डांट पड़ रही है वो बात अलग है ) । उड़न तश्तरी कुछ फ्यूज हुई थी फार्म में आने में टाइम लगेगा और कंचन जी तो वैसी ही हैं कभी भी आती हैं और ता कर के चली जाती हैं ।
कल मास्साब का जन्म दिन है माड़साब और अमिताभ बच्चन एक ही दिन पैदा हुए हैं । माड़साब की इच्छा है कि सभी छात्र काव्यमय चार पंक्तियों का उपहार दें । चार पंक्तियां अर्थात मतला और ऐ शे'र ।
हम भी किलास में आये थे इसीलिये उपस्थित कह कर जा रहे हैं, होमवर्क करके अगली बार फ़िर हाजिरी लगायेंगे ।
जवाब देंहटाएंहमारे प्यारे मास्साब को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें, एक कविता लिखी थी कक्षा १२ में जन्मदिन पर वो आपको समर्पित है ।
कल तसस्वुर में तुम याद आये,
आज जन्मदिन की सौगात लाते,
सोचा क्या दूँ तुमको मैं उपहार,
लिख कर लाया हूँ शब्द दो-चार,
शब्द भावनाओं के मोती हैं कोमल,
सरिता के समान स्वच्छ निर्मल
उत्साह और उमंग की नाव में सवार,
दोनों हाथों से थाम जीवन की पतवार,
करो तुम जीवन की मुश्किल सब पार,
जन्मदिन की शुभकामनायें बार-बार ।
अब छडी न घुमा दीजियेगा, बता रहे हैं कक्षा १२ में लिखी थी :-)
साभार,
दूसरी पंक्ति को इस प्रकार पढें,
जवाब देंहटाएंआज जन्मदिन की सौगात लाये ।
ज्ञान के यूँ खज़ाने लुटाते रहें
जवाब देंहटाएंसीखने सब यहाँ रोज आते रहें
ये जनमदिन मुबारक रहे साल भर
हर सुबह हम यही गुनगुनाते रहें
आप गज़लों की डोरी संभाले रहें
और हम गीत आकर सुनाते रहें
आपके पंथ में रोज दीपावली
के हज़ारों दिये जगमगाते रहें
शुभकामनायें
हमारे प्रिय माड़साब को जन्म दिन की बहुत सारी बधाईयाँ.
जवाब देंहटाएंकोई और होता तो हम भी कविता सौगात में देते मगर आपका क्या-लगे छड़ी चलाने तो डर के मारे सिर्फ गद्य में बधाई भर दे रहे हैं, इस में बहर और काफिये का कोई लफड़ा नहीं है.
अनेकों शुभकामनायें. आप यूँ ही ज्ञान बांटते रहें, यही कामना है. यू ट्यूब पर भी आपको सुन कर आनन्द आ गया.
केक खिलाईये.
ग़ज़लों की खुशबू से जग महकाते उस्ताद जी,
जवाब देंहटाएंजन्मदिवस की आपको बहुत मुबारकबाद जी,
अभी अभी यू ट्यूब पर देखे हमने वीडियो,
अद्भुत सुंदर वाह वाह स्वीकारिए दाद जी,
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