पहली ही पंक्ति मैं जैसे साहित्य का पूरा का पूरा ज्ञान समा गया है । पहले गंभीर चिंतन मनन कीजिये फिर कलम को उठाकर सृजन कीजिये। यश कमाने की हो कामना जो तुम्हें जिंदगी को जलाकर हवन कीजिये।
काफी दिनों से कक्षा बंद थी और आज जब उड़न तश्तरी ने कहा कि कक्षा क्यों बंद है तो आज पुन: शुरू की जा रही है । दरअस्ल में कुछ समस्याएं आ जाती हैं और उनके कारण ही कभी कभी काम बंद हो जाता है । उधर अभी ये हो गया है कि हमारे विद्युत मंडल ने पुन: कटौती प्रारंभ कर दी है जो समय ब्लाग पर भटकने का तय था वो मंडल की भेंट चढ़ गया है । अब तीन घंटे की कटौती के बाद समय ही नहीं होता कि काम किया जाए सो कुछ काम कम हो रहा है । फिर भी प्रयास करूंगा कि कक्षाएं जारी रहें आगे भगवान...... उफ़ क्षमा करें विद्युत मंडल की मर्जी ।
आज हम वार्णिक गुणों की बात करते हैं ।
हिंदी में जैसे नगण, सगण, जगण, भगण, रगण, तगण, यगण, मगण होते हैं वहीं सब कुछ उर्दू में भी चलता है ।
रुक्न | मात्रा का योग | हिंदी में | क्रम | वार्णिक गुण |
फ़इल | 3 | 1 1 1 | लाम लाम लाम | नगण |
फ़एलुन | 4 | 1 1 2 | लाम लाम गाफ | सगण |
फऊलु | 4 | 1 2 1 | लाम गाफ लाम | जगण |
फाएलु | 4 | 2 1 1 | गाफ लाम लाम | भगण |
फाएलुन | 5 | 2 1 2 | गाम लाफ गाम | रगण |
मफऊलु | 5 | 2 2 1 | गाफ गाफ लाम | तगण |
फऊलुन | 5 | 1 2 2 | लाम गाफ गाफ | यगण |
मफऊलुन | 6 | 2 2 2 | गाफ गाफ गाफ | मगण |
अब इनके ही आधार पर हम रुक्न बनाते हैं । जैसे ऊपर कुछ रुक्न हैं जिनकी मात्राएं क्रमश: तीन चार पांच तथा छ: हैं । केवल हो क्या रहा हैं कि दीर्घ ( गाफ) और लघु ( गाम) के स्थानों में परिवर्तन होने के कारण ही ये सारा खेल हो रहा है । एक मात्रा को कल कहा जाता है और मात्राओं का विन्यास ही मात्रिक गुण कहलाता है ।
दोकल: दो हर्फी रुक्न को दो कल भी कहा जात है और ये दो प्रकार के ही होते हैं । 1 एक गुरू मात्रा जैसे फा या फे । और या कि दो लघु मात्राऐं जैसे अब कब आदि । उर्दू में फा और अब दोंनो का ही बज़्न समान है और ये दोनों ही दो हर्फी हैं ।
2 दूसरा वो जब दो लघु मात्राएं तो हों पर दोनों ही स्वतंत्र हो अब या कब की तरह मिल कर दीर्घ न बन रहीं हों । मैं न मिलूंगी में विन्यास है 2 1 1 2 2 बीच में जो न और मि हैं वो दोनों हांलकि दो लघु हैं पर मिलकर संयुक्त नहीं हो रहे हैं अत: इनको अलग अलग ही गिना जाएगा ।
त्रिकल : तीन हर्फी रुक्न को त्रिकल कहा जाता है । ये तीन प्रकार के हो सकते हैं ।
1 तीन लघु मात्राएं जैसे फइल और अगर उदाहरण देख्ना चाहें तो काम न हुआ में म न हु का जो विन्यास है वह यही है ।
2 एक गुरू और दो लघु मात्राएं फाअ और उदाहरण आम, काम, जाम, बंद, आदि। हम एक गुरू की जगह पर दो लघु भी ले सकते हैं बशर्ते वे संयुक्त हो रहे हों जैसे बंद में ब ओर आधा न दोंनों मिल कर एक दीर्घ बन रहे हैं । अब एक महत्वपूर्ण बात देखें । ऊपर फइल में क्यों उसको एक अलग विन्यास दिया गया है केवल इसलिये क्योंकि वहां पर काम न हुआ में म स्वतंत्र है किसी के साथ संयुक्त हो नहीं सकता । फिर न एक अलग ही अक्षर है और हुआ का हु स्वतंत्र है ।
3 एक लघु और फिर एक गुरू मात्रा फऊ उदाहरण कभी, नहीं, मिला, समर, किधर, आदि । एक गुरू मात्रा की जगह दो लघु भी हो सकती हैं पर वे संयुक्त होनी चाहिये । जैसे हमने किधर को भी लिया है क्योंकि कि लघु हो रहा है और दो लघु ध और र मिल कर एक दीर्घ बना रहे हैं । महत्वपूर्ण बात ये हैं कि वज़्न गिनते समय ये ध्यान रखना चाहिये कि कौन से दो लघु मिलकर एक दीर्घ हो रहे हैं और कौन से नहीं हो रहे हैं । वज़्न लेते समय यही महत्वपूर्ण होता है कि आप ठीक से अनुमान लगा सकें कि कहां पर लघु और लघु पास पास तो हैं पर उनको आप एक दीर्घ में इसलिये नहीं गिन सकते कि वे स्वतंत्र हैं । और कहां पर दो लघु पास पास हैं और दीर्घ मात्रा में परिवर्तित भी हो रहे हैं ।
ध्यान रखें कि अक्षर और मात्राओं में फर्क होता है हम आम तौर पर ये समझते हैं कि जो अक्षर हैं वहीं मात्राएं हैं । मगर ये नहीं होता अक्षर और मात्राएं अलग अलग बात हैं । कल हम बात करेंगें चौकल, पंचकल, ष्टकल और सप्तक की ।
एक खुश्खबरी है माड़साब के प्रकाशन की तीसरी पुस्तक 'बंजारे गीत' लेखक श्री रमेश हठीला प्रकाशित होकर आ गई है । माड़साब पिछले कुछ दिनों से उसी में व्यस्त थे । कारण ये है कि परफेक्शन की खब्त के चलते माड़साब खुद ही टाइप करते हैं डिजाइन करते हैं मुखप्रष्ठ बनाते हैं और प्रकाशक भी खुद ही हैं । शिवना प्रकाशन की तीसरी पुस्तक हैं इससे पहले गुलमोहर के तलें और झील का पानी दो पुस्तके माड़साब के प्रकाशन से आ चुकी हैं । अब 17 नवंबर को एक विशाल कवि सम्मेलन में उसका विमोचन होगा । कवि सममेलन में ओम व्यास, माणिक वर्मा, सांड नरसिंहपुरी, अशोक भाटी, पवन जैन, मोनिका हठीला, दिनेश याज्ञिक, संतोष इंकलाबी, आदि आ रहें हैं । और संभवत: केंद्रीय मंत्री श्री सुरेश पचौरी विमोचन करेंगें। आप सब कवि सम्मेलन में सादर आमंत्रित हैं ।
पाठ समझ में आ गया मास्साब!
जवाब देंहटाएंऔर बहुत अच्छा लगा ये जानकर कि आपके प्रकाशन की तीसरी पुस्तक का विमोचन हो रहा है, कोशिश करेंगे कि पहले की दोनो पुस्तकें लखनऊ में पढ़ लें। विमोचन कब है? हम विद्यार्थियों को ज़रूर बताइयेगा पहुँच न सकें तो कम से कम दुआएं तो सुबह सुबह कर ही लेंगे।
आज का पाठ बहुत कुछ समझा गया सरलता से. अब तक तो ऐसा ही लग रहा है.
जवाब देंहटाएंआपका प्रकाशन ऐसे ही समृद्ध होता रहे, इस हेतु शुभकामनायें.
आपको बधाई. विमोचन और कवि सम्मेलन वाले दिन ही जबलपुर पहुँच रहा हूँ. जरा भी मार्जिन और होता तो अवश्य आता. अतः यहीं से शुभकामनायें समारोह की सफलता के लिये.
आदरणीय गुरुदेव,
जवाब देंहटाएंइस क्लास में दुबारा भी आना पड़ेगा। समझ में आया है पर यदि रिवाइज़ नहीं किया तो भूल जाने की संभावना है।
आपके प्रकाशन से निकलने वाली पुस्तक के लिए अनेक शुभकामनाएँ। मुझे तो उस दिन की प्रतीक्षा है जब कि आपके आशीर्वाद से आपके शिष्यों के ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हों और लोग कहें कि, "बहुत दिनों बाद कोई ग़ज़ल की किताब देखी, जिसकी सब ग़ज़लें हर कसौटी पर खरी उतरती हों। लगता है कवि महाशय, पंकज सुबीर जी के स्कूल से हैं।"
गुरुदेव,
जवाब देंहटाएंदूसरी बार आपकी पुरानी पोस्ट पढ़ रहा हूँ..इस बार टिप्पणियाँ भी पढ़ रहा हूँ...बहुत जानकारी मिल रही है...अफ़सोस भी हो रहा है कि ब्लॉग जगत से पहले परिचित क्यों नहीं हुआ...??? अब बहुत जोर आरहा है...