संचालक : आज का ब्लागिया शरद पूर्णिमा कवि सम्मेलन सफल रहा है और अब दो कवियित्रियां भी आ रहीं हैं काव्य पाठ के लिये सबसे पहले आमंत्रित हैं मीनाक्षी
एक अघोषित भाव –
अग्नि का एक कण चाहिए , ज्ञान की ज्योति जलाने के लिए
स्वाति नक्षत्र की एक बूँद चाहिए, प्रेम की प्यास मिटाने के लिए
हिमालय का इक खण्ड चाहिए, घृणा की आग बुझाने के लिए
ममता भरा हाथ चाहिए , करुणा का भाव जगाने के लिए
बड़ी बड़ी बातें नही चाहिए , जीवन उलझाने के लिए
छोटी-छोटी बातें ही चाहिए , प्रेम भाव लाने के लिए !
संचालक :तालियां मीनाक्षी की कविता केलिये ( कवियित्रियों के लिये तो श्रोताओं से कहना भी नहीं पड़ता के ताली बजाओ )
और अब आ रहीं हैं कंचन सिंह चौहान इनके लिये चार पंक्तियां जिसको देखो वो मीत हो जाए , सारा आलम पुनीत हो जाए, तुमको लय छंद की ज़रूरत क्या, जो भी गा दो वो गीत हो जाए आ रहीं हैं कंचन
स्वर्ण नगरिया तेरी द्वारिका, कोने-कोने सुख समृद्धि,
फिर भी कभी कभी स्मृतियाँ, गोकुल तक ले जाती है क्या?
दूध दही से पूरित तो है, रत्न जड़ित ये स्वर्ण कटोरे,
भाँति भाँति के व्यंजन ले कर दास खड़े दोनो कर जोड़े,
लेकिन वो माटी की हाँड़ी, वो मईया का दही बिलोना,
फिर से माखन आज चुराऊँ ये इच्छा हो जाती है क्या?
बाहों में है सत्यभाम और सुखद प्रणय है रुक्मिणि के संग,
एक नही त्रय शतक नारियाँ, स्वर्ग अप्सरा से जिनके रंग।
लेकिन वो निश्चल सी ग्वालिन, प्रथम प्रेम की वो अनुभुति,
राधा की ही यादें अक्सर राधा तक ले जाती है क्या?
अरे गुरू जी बड़े दिन बाद प्रशंसा मिली! शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंतालियाँ...तालियाँ----मीनाक्षी जी और कंचन जी के लिये.
जवाब देंहटाएंदोनों ही हमारी बारी में इन तालियों को याद रखें कृप्या. यह भी उधार का स्वरुप होती हैं. :)
वैसे न भी बजायें तो आप दोनों ने इतना बेहतरीन प्रस्तुत किया है कि हमें तो बजाना ही था.
समीर भाई की तालियों पर मेरी भी तालियां.
जवाब देंहटाएंवैसे चिडिया के गीत पर तो ढेरों तालियां बनती ही हैं.
बहुत ही आनन्द आया. बधाई
अरे यह तो सचमुच का काव्य सम्मेलन है बस यहां तालियों की आवाज़ सुनने के लिए आँखें बन्द करनी पड़ेगीं.
जवाब देंहटाएंकंचन को अगर अरविन्द जी चिडिया कह रहे है तो ज़रूर वे छोटी गुड़िया ही होगी... राधा की ही यादें अक्सर राधा तक ले जाती है क्या?
यह पंक्ति दिल मे उतर गई. शुभकामनाएँ
सबको मेरा धन्यवाद !
मेरी क्या मजाल कि एक कवियित्री को चिडिया कहू?
जवाब देंहटाएंआपने शायद 'मिस' कर दिया,समीर भाई ने 'पागल चिडिया" शीर्षक से कविता सुनायी थी.
मै उसी चिडिया का जिक्र कर रहा था.
:) :) :) :) (अपनी गलती पर मुस्कराने के अलावा कोई चारा नहीं)
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
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