कई सारे मेल मिल रहे हैं और उनमें सब में अलग अलग बातें आ रही हें जैसे किसी ने कहा है कि उनको बहर की किताब के बारे में जानकारी चाहिये कि वो कहां से मिल सकती है मेरा ये कहना है कि कुछ दिन सब्र कर लें किताब तो तैयार हो ही रहा है और ये होगी ' चिट्ठा किताब बहरों की '' इस किताब में टिप्पणियां भी होंगी और बातें भी । बी नागरानी देवी जी का अंग्रेजी में मेल मिला है शायद उनके पास इंडिक साफ्टवेयर नहीं हैं । उनकी ही एक ग़ज़ल जो कही पढ़ी थी वो ही आज के पोस्ट में शीर्षक में लगाई है ।
पहले तो रवि रतलामी जी का आभार व्यक्त कर दूं कि उन्होने जो विंडो लाइव रायटर के बारे में जानकारी दी वो बड़ी काम की निकली । मेरा काम इतना आसान हो गया हे कि में बता भी नहीं सकता । विशेषकर जहां मैं रहता हूं वहां तो बिजली की ये हालत है कि अब आई अब गई । अभिनव ने पूरी कविता सुनने की फरमाइश की थी तो ब्लाग पर पूरी लगा दी है पर हां ग़ज़ल नहीं है वीर रस की कविता है ।
छात्र धीरे धीरे सीख रहे हैं अच्छा लग रहा है । चलिये आज कुछ बात करते हैं रुक्नों की । हम दरअस्ल में जिन अक्षरों को मिला कर एक विश्राम तक जाते हैं वही रुक्न होते हैं । विश्राम मतलब जहां पर जाकर आप थोड़ा ठहरते हैं और फिर वहां से आगे बोलना प्रारंभ करते हैं । ये जो विश्राम होता है वहीं होता है आपका रुक्न । ज़्यादा तर तो चार मात्राओं के रुक्न ही चलते हैं । और उनका कांबिनेशन कुछ इतने प्राकर का हो सकता है ।
1222 लघु-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ मुफाईलुन ललालाला
2122 दीर्घ-लघु-दीर्घ-दीर्घ फाएलातुन लाललाला
1212 लघु-दीर्घ-लघु-दीर्घ मुफाएलुन ललालला
2212 दीर्घ-दीर्घ-लघु-दीर्घ मुस्तफएलुन लालालला
2112 दीर्घ-लघु-लघु-दीर्घ मुफतएलुन लाललला
1221 लघु-दीर्घ-दीर्घ-लघु मुफाईलु ललालाल
2221 दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-लघु मुफतएलातु लालालाल
2121 दीर्घ-लघु-दीर्घ-लघु फाएलातु लाललाल
2222 दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ मुफतएलातुन लालालाला
1122 लघु-लघु-दीर्घ-दीर्घ फएलातुन लललाला
हालंकि कांबिनेशन तो और भी हो सकते हैं पर वो ध्वनि में ऊपर के किसी के समान ही होंगें इसलिये उनको अलग से नहीं लिया जा सकता । ये कुछ कांबिनेशन मैं दे रहा हूं प्राथमिक रूप से कवल इसलिये ताकि आपको ग़लती से बचा सकूं हालंकि ये केवल शुरूआत है । रुक्नों के कांबिनेशन तो बहुत सारे हैं पर ये आम हैं जो हर ग़ज़ल में अमूमन होते ही हैं । ये जा फाएलातनु वग्ौरह है ये तो चूकि फारसी से बहरें आईं थीं अत- वहीं के हैं आप अपना कुछ भी कर सकत हैं । मसलन दनदनादन फाएलातुन या दनादनदन मुफाईलुन जैसा कुछ भी जो आप गा सकें ।
पहले तो आप ये ही करें कि रुक्न निकाल लें फिर उसको क़ाग़ज़ पर सबसे ऊपर लिख लें और उसके बाद ग़ज़ल लिखें ऐ शे'र लिखें और उसको ऊपर लिखे रुक्नों से मिलाएं फिर आगे बढ़ें । ग़ज़ल कार के बारे में कहा जाता है कि वो बातों में ही मतला तलाश लेता है और फिर उस पर ग़जल लिख देता हैं । कहा ये भी जाता है कि मतला ऊपर से उतरता है । मैंने भी ऐसा मेहसूस किया है पिछले संडे को जब मैं अपने मित्र रमेश हठीला को छोड़ने उनके घर जा रहा था तो वे मना कर रहे थे पर मैने कहा नहीं चलता हूं गली के मोड़ तलक जा के लौट आऊंगा । बाद में मैंने सोचा अरे ये तो मिसरा हो गया गली के मौड़ तलक जाके लौट आऊंगा हालंकि अभी बात मिसरे तक ही अटकी है आप लोग चाहें तो इस पर आज़माइश करके पूरी ग़ज़ल कह सकते हैं । मिसरा अच्छा है ।
वैसे एक बात मुझे बताइये कि मैं तो शादी शुदा हूं पर मेरे पास जो शादियां करवाने वाली कंपनियों के मेल और आफर आ रहे हैं उनका क्या करूं । सोमवार को मिलते हैं आशा है आप गली के मोड़ तलक जाके लौट आएंगें पर कुछ काम करेंगें ।
माड़साब,
जवाब देंहटाएंप्रणाम करता हूँ. होम वर्क खूब मन लगा के किया है. आप छड़ी निकाल लिजिये. दोनों हाथ फैलाये खड़े हैं:
प्रयास मात्र है, आपका मार्गदर्शन सोच को दिशा देगा:
गली के मोड़ तलक जाके लौट जायेंगे
हवा का रुख पलट जाये लौट जायेंगे
फिज़ा में आज महक आती है फूलों वाली
अदा की शोख झलक पाके लौट जायेंगे
नशे में डूब बहक ना जाऊँ पी के हाला
सुरा का जाम छलकवा के लौट जायेंगे
नयी ये सोच बदल मैं कैसे बता पाता
सुरों में गीत गजल गाके लौट जायेंगे
मचाने शोर धरम का ही नाम आता है
खुदा के नाम भजन गाके लौट जायेंगे
मतले में दो और प्रयास:
गली के मोड़ तलक जाके लौट जायेंगे
हवा का रुख पलट जाये लौट जायेंगे
या
गली के मोड़ तलक जाके लौट जायेंगे
हवा का रुख बदलवा के लौट जायेंगे.
--भले है गल्त हो, प्रयास करने की तारीफ करके बच्चे का उत्साह बनाये रखें. :)
दो शेरों में काफिया गाके एक जैसा हो गया है-और कुछ समझ नहीम आ रहा था. :)
जवाब देंहटाएंयस सर,
जवाब देंहटाएंये लीजिए गुरुदेव होमवर्क के रूप में आपके बताए हुए मिसरे पर ग़ज़ल बनाने की कोशिश की है।
मैं बादलों की तरह छा के लौट आऊँगा,
या जुगनुओं सा टिमटिमा के लौट आऊँगा,
रुका हुआ हूँ मगर सोच कर ये आया था,
तुम्हारी एक झलक पा के लौट आऊँगा,
मुझे यकीन था तुमने भुला दिया होगा,
मैं अपनी याद ही दिला के लौट आऊँगा,
फिर अकेला हूँ वहाँ ख्वाब देखते थे जहाँ,
पुराना गीत कोई गा के लौट आऊँगा,
ज़रा सी इससे मेरे दिल को तसल्ली होगी,
गली के मोड़ तलक जा के लौट आऊँगा,
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इसकी बहर है, (इसमें अभी गड़बड़ी की संभावना है।)
१२१२ - १२१२ - १२१२ - २२
ललालला ललालला ललालला लाला
मुफाएलुन मुफाएलुन मुफाएलुन फालुन
मैं बादलों - की तरह छा - के लौट आ - ऊँगा,
या जुगनुओं - सा टिमटिमा - के लौट आ - ऊँगा,
रुका हुआ - हूँ मगर सो - च कर ये आ - या था,
तुम्हारी ए - क झलक पा - के लौट आ - ऊँगा,
मुझे यकी - न था तुमने - भुला दिया - होगा,
मैं अपनी या - द ही दिला - के लौट आ - ऊँगा,
अब अकेला - हूँ वहाँ ख्वा - ब देखते - थे जहाँ,
पुराना गी - त कोई गा - के लौट आ - ऊँगा,
ज़रा सी इस - से मेरे दिल - को तसल्ली - होगी,
गली के मो - ड़ तलक जा - के लौट आ - ऊँगा,
यू-ट्यूब पर आपके वीडियोज़ देखकर बड़ा आनंद आया। आपके संचालन में काव्य पाठ करने की इच्छा भी बलवती हुई है। रुक्नों के बारे में जान कर अच्छा लगा।
वाह गुरू जी! आपकी ग़ज़लें सुनी! वाह वाह कह उठा मन, आप तो जानते ही हैं कि ये शिष्या हमेशा से late comer है आज भी वही हुआ, अब रात में होमवर्क कर के कल दिखाऊँगी।
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