रिश्ते ख़ून के होते हैं तो अपने साथ जाने कैसा बंधन रखते हैं कि उनसे मन जुड़ ही जाता है । और बिछोह पर एक टीस एक दर्द सा दे जाता है । एक माह से ब्लागिंग से दूर रहने के पीछे कारण था कि घर में एक नए मेहमान के स्वागत की तैयारियां चल रहीं थीं । और उसीको लेकर कुछ परेशानियां थीं ।सप्ताह भर पहले वो अपनी मां के पेट से मुझे पैर मार मार कर कह रही थी कि पापा तैयार रहो मैं आने वाली हूं । दो दिन पहले उस नए मेहमान का आगमन भी हुआ । एक नन्हीं सी प्यारी सी बिटिया के रूप में । मगर शायद उसका और हमारा साथ विधाता ने बहुत ज्यादा नहीं लिख कर भेजा था । जन्म के साथ ही कुछ परेशानियां उसे थीं और जनम के घंटा भर बीतते न बीतते तो उसे लेकर भोपाल भागना पड़ा किन्तु रास्ते में ही उसने कह दिया प्यारे पापा इस जनम में बस इतना ही साथ फिर कभी मिलेंगें । और वो विदा ले गई । सुंदर सी उस बिटिया को हाथों में थामे मैं लौट आया । जाने क्यों या किस बात पर रूठ गई वो मुझसे जो आते ही केवल एक घंटे में ही मुझे और अपनी मम्मी को छोड़ कर चली गई । जाने क्या अपराध था हम दोनों का जो उसने हमारे साथ रहना ही पंसद नहीं किया । कुछ देर पूर्व जो मां के गर्भ में खेल रही थी अब पृथ्वी माता के गर्भ में है । बस रह रह कर एक ही बात मुझे साल रही है जो लिखने के लिये आज मैंने यहां ब्लाग पर आने का निर्णय लिया कि क्या अपराध था मेरा जो वो इस तरह से रूठ कर चली गई । सब कह रहे हैं कि बहुत सुंदर थी वो और ज्यादा सुंदर होने के कारण ही नहीं रुकी क्योंकि उसे तो वहां जाना था जहां पर सुंदर लोग रहते हैं । जो भी हो प्रिय बिटिया भले ही तुम मुझसे और अपनी मम्मी से नाराज होकर चली गईं मगर हम तुम्हें याद कर रहे हैं । विदा प्रिय बिटिया सितारों में जाकर बसो । मीठी ( यही नाम सोचा था मैंने उसके लिये ) शायद मैं और तुम्हारी मम्मी तुम्हारे लायक नहीं थे । विदा मीठी विदा । तुम्हारा पापा
होली का यह तरही मुशायरा
2 हफ़्ते पहले