हमारे देश में परंपरा है कि स्वागत के लिये हम वो ही करते हैं जो हमारे अतिथि का विषय है या जिसमें वो पारंगत है । मैं जहां भी जाता हूं तो दो काम होते हैं पहला तो ये कि मेरे जानने वालों को पता है कि में चटोरा हूं सो भांति भांति के व्यंजनो से मेरा स्वागत होता है और फिर कविता तो होती ही है । भारत की ये परंपरा काफी अच्छी लगती है कि मेहमान का उसी प्रकार स्वागत करों जिस प्रकार उसे अच्छा लगे सो समीर जी के स्वागत के लिये हमने सीहोर के कवियों ने एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया ।
आयोजन में सीहोर के सभी कवि एकत्र हुए । और एक सफल आयोजन हुआ जो रात तक चलता रहा । समीर जी एकबारगी तो एक कवि को मिल रही दाद को देख कर घबरा गए पर मैंने उनको समझाया कि यहां पर जो श्रोता हैं उनको श्रोता की जगह सरोता कहा जाता है । ये कविता का अन्रद तो लेते हैं साथ ही घटनाओं का भी आनंद लेते हैं । आगे जो रपट है वो थोड़ा तकनीकी भाषा में है क्योंकि उसे पत्रिकाओं में प्रकाशन के लिये भी जाना है ।
शिवना प्रकाशन द्वारा कनाडा के अप्रवासी भारतीय कवि श्री समीर लाल के सीहोर आगमन पर उनके सम्मान में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता स्थानीय शासकीय महाविद्यालय में पूर्व में हिंदी की विभागाध्यक्ष रहीं तथा वर्तमान में कालापीपल कालेज की प्राचार्य डा श्रीमती रामप्यारी ध्रुवे ने की । मुख्य अतिथि के रूप में कनाडा से पधारे कवि श्री समीर लाल उपस्थित थे । संचालन पंकज सुबीर ने किया । बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं के बीच ये सम्मेलन देर रात तक चलता रहा ।
सीहोर के ही युवा कवि जोरावर सिंह ने मां सरस्वती की वंदना '' सरस्वती वर दे चेतना का स्वर दे, वीणा की झन झन जग जीवन में भर दे '' के साथ सम्मेलन का शुभारंभ किया । उसके पश्चात शहर की युवा कवियित्री पूजा जोशी ने पत्थर शीर्षक से अपनी मार्मिक रचना काश पत्थर तुम पत्थर न होते '' सुनाकर सम्मेलन को शुरूआत दी ।
व्यंग्यकार बृजेश शर्मा की व्यंग्य रचना '' काफी सोच समझ कर एक गधा चुनाव में खड़ा हो गया'' को श्रोताओं ने जम कर सराहा । वरिष्ठ शायर असगर ताज़ ने अपनी ग़ज़लों को पाठ किया '' दिल में तारीकियों के पहरे हैं, फिर भी हम आफताब हैं लोगों'' जैसे शेरों को खूब पसंद किया गया । सीहोर के वरिष्ठ कवि हरिओम शर्मा दाऊ ने कविता ''लोग तिनके का सहारा ले पार लग गए एक हम हैं कि कश्ती में बैठे रहे और डूब गए'' का पाठ ओजस्वी अंदाज में किया ।
सृजन के संस्थापक रमेश गोहिया ने आंसू पर अपनी अनूठी रचना ''आंसू हैं अनमोल रतन रे आंसू का है देश नयन रे'' पढ़कर भाव विभोर कर दिया । गीतकार रमेश हठीला ने अपना सुप्रसिद्ध गीत '' केश यमुना की लहर रूप तेरा ताजमहल, बनाने वाले ने ली तुझसे अजंता की शकल'' को सुमधुर कंठ के साथ पढ़ा । विष्णु त्रिवेदी फुरसतिया ने स्वर्ग के मंत्रीमंडल की बानगी अपनी कविता ''राष्ट्रपति शिव कहलाते हैं, ऊर्जा मंत्री सूर्य हैं '' में कुशलता से प्रस्तुत की ।
द्वारिका बांसुरिया ने अपने मुक्तक '' विष विश्वास को दे रहा है आदमी'' में वर्तमान का कुशलता से चित्रण किया । पंकज सुबीर ने भारत माता की कहानी '' ये भारत कहानी है भारत कहानी सुनो ये कहानी है मेरी जुबानी '' में भारत के महान सपूतों का चित्रण किया । ओमप्रकाश तिवारी ने भारत माता की आरती ''जय भारती जय मां भारती '' का सस्वर पाठ कर मंत्रमुगध कर दिया। डा रामप्यारी ध्रुवे ने '' मैं फूल नहीं फूलों सी सुगंध फैला सकूं '' में आत्म निवेदन के सुंदर प्रयोग किये ।
व्यंग्यकार सुभाष चौहान ने ''कहीं तो अपना दिन कटता है कहीं कटेगी शाम रे '' में मन के बंजारेपन को रेखांकित किया । कनाडा से पधारे कवि समीर लाल को श्रोताओं ने जमकर सुना और खूब सराहा '' देख रहा हूं उस सूखे हुए ताल को, आंसुओं की धार से कुछ तो नमी हो जाएगी'' जैसे मुक्तकों और ग़जलों को श्रोताओं ने खूब मन से सुना और सराहा ।
लेखक संघ के अध्यक्ष सुभाष जोशी ने अपनी सुप्रसिद्ध रचना सैनिक का हाथ में सीमा पर घायल सैनिक के हाथ कटने पर मनोदशा का मार्मिक चित्रण किया । वरिष्ठ कवि लक्ष्मीनारायण राय ने '' दर्दीली जिंदगी घुटन भरी प्रीत रे '' में एकाकी जीवन की पीड़ा का गान किया ।
वरिष्ठ कवि श्री ओमदीप ने श्रोताओं के अनुरोध पर दर्शन पर आधारित अपनी कविताओं '' जीवन क्या है एक कविता है आंसू पीकर मुस्काता जा'' का पाठ किया ।
कार्यक्रम के दूसरे दौर में श्रोताओं के अनुरोध पर श्री समीर लाल जी का एकल काव्य पाठ हुआ जिसमें उन्होंने कई ग़ज़लें पढ़ीं । अंत में आभार कवि हरीओम शर्मा दाऊ ने व्यक्त किया । संचालन पंकज सुबीर ने किया ।
उसके बाद उड़न तश्तरी भोपाल भी पहुंची जहां पर अजीत जी ने उनसे सौजन्य भेंट की ।
thanks for report!
जवाब देंहटाएंकवि सम्मेलन की रिपोर्ट हेतु धन्यवाद एवम आयोजन हेतु बधाई.
जवाब देंहटाएंऔर मज़ा आ जाये यदि इसकी रिकार्डिंग उपलब्ध करायें.
http://bhaarateeyam.blogspot.com
पंकजजी
जवाब देंहटाएंअब लगे हाथों समीर भाई के साथ साथ इसकी रिकार्डिंग भी भिजवा दें तो हम यहाँ दोबारा आनंद ले सकें. आपके रिपोर्ताज ने पूरा चित्र खींच दिया
Sameer ji ne kya sunaaya iska varnan to aap ne kiya hi nahin. jara batayiiye ki unhone kya sunaya kam se kam padh ke hi aanand liya jaye.
जवाब देंहटाएंNeeraj
शुक्रिया सुबीर भाई अच्छा लगा...बस अब रिकार्डिग सुनने का इंतजार है...
जवाब देंहटाएं