आखिरकार उड़न तश्तरी का सीहोर अगमन हुआ और खूब आगमन हुआ । सीहोर के लोगों को अपने मोहपाश में बांध लिया भाई समीर लाल ने । एक कवि सम्मेलन भी हुआ जो कि रात तक चलता रहा तब तक जब तक कि कवि सुनाते सुनाते थक नहीं गए । साथ में हुई बंजारे गीत पर एक चर्चा भी जिसमें हिंदी के मनीषी विद्वानों ने भाग लिया और कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया ।
माड़साब के लिये ये पहला अवसर था अपने किसी स्टूडेंट से मिलने का भाई समीर लाल जी सीहोर आ रहे थे । समीर जी अपनी प्रसिद्धी से भी चार कदम आगे आत्मीय और सौजन्य निकले । जैसा कि पहले मैंने सूचना दी थी कि सीहोर के कवियों ने भाई समीर के स्वागत में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया है जिसमें शिवना प्रकाशन के नए काव्य संग्रह सुकवि रमेश हठीला के बंजारे गीत पर चर्चा होनी है और साथ में कविताएं भी । पहले कार्यक्रम श्री हठीला के निवास पर ही होना था पर सुबह के नाश्ते पर समीर भाई के साथ सीहोर के सुप्रसिद्ध कचौरियां खाते हुए हठीला जी को लगा कि निवास स्थान का हाल भाई समीर की प्रसिद्धी के हिसाब से छोटा रहेगा, आनन फानन में उन्होंने घर के पास ही एक नवनिर्मित हाल में सारी व्यवस्थाएं कर दीं और व्यवस्थाएं भी क्या खूब कि गोष्ठी को कवि सम्मेलन में बदल दिया साज सज्जा बढि़या माइक और चकाचक कार्यक्रम । हठीला जी के बारे में कहा ही जाता है कि धुनी हैं धुन चढ़ जाए तो दस का काम अकेले कर लेते हैं और कल सुबह समीर भाई से मिलकर धुन चढ़ गई थी उनको ।
शाम पांच का कार्यक्रम पौने छ: पर प्रारंभ हुआ ( भारत में इतना तो चलता ही है) भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के हेंडीक्राफ्ट बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अक्षत कासट के मुख्य आतिथ्य, हिंदी की मनीषी विद्वान कालापीपल कालेज की प्राचार्य डा रामप्यारी ध्रुवे की अध्यक्षता, हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार श्री अम्बादत्त भारतीय जी, समाजसेवी श्री राजकुमार गुप्ता और श्री समीर के लाल की विशेष उपस्थिति में आयोजन हुआ । विशेष वक्ता के रूप में महाविद्यालय में हिंदी की प्राध्यापक और हिंदी की विद्वान डा पुष्पा दुबे उपस्थ्ज्ञित थीं ।
सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख्ा अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित किया और पूजा अर्चना की तथा कार्यक्रम का शुभारंभ किया । शिवना प्रकाशन की और से सभी अतिथियों को पुष्प माला पहनाकर तथा अंग वस्त्र भेंट कर स्वागत किया शिवना के वरिष्ठ सदस्य श्री हरिओम शर्मा दाऊ जी ने । तत्पश्चात हिंदी की मनीषी विद्वान द्वय डा पुष्पा दुबे और डा रामप्यारी ध्रुवे ने श्री हठीला को आशिर्वाद स्वरूप शाल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। डा पुष्पा दुबे ने बंजारे गीत की विस्तृत समीक्षा करते हुए श्री हठीला को मानवीय संवेदनाओं का कुशलता से रेखांकन करने वाला चितेरा कवि निरूपित किया । अपने उद्बोधन में श्री राजकुमार गुप्ता ने कहा कि सीहोर में साहित्य की चेतना जगाए रखने के लिये शिवना प्रकाशन जो कार्य कर रहा है वो सराहनीय है उन्होंने अपने द्वारा पूरा सहयोग देने की भी बात कही ।
भाई समीर लाल ने कहा कि सीहोर आकर वे अभिभूत हैं और ऐसा लग ही नहीं रहा है कि वे सीहोर पहली बार आए हैं । श्री हठीला के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री अम्बादत्त भारतीय ने उनका समग्र मूल्यांकन करते हुए श्री हठीला के काव्य की विशद विवेचना की । मुख्य अतिथि श्री अक्ष्त कासट ने कहा कि प्रसन्नता का विषय है कि श्री हठीला जी के काव्य संग्रह का प्रकाशन किया गया है और आज उस पर विचार भी किया जा रहा है । उन्होंने अपनी ओर से पूरा सहयोग भविष्य में देने की बात कही । हिंदी की विद्वान डा रामप्यारी ध्रुवे ने कहा कि उनको मान होता है कि सीहोर में तीन पीढि़यों को उनहोंने हिंदी पढ़ाई है और पूरा सीहोर उनको ग़रू मानता है और उतना ही सम्मान देता है । उन्होंने सीहोर की साहित्यिक चेतना की प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं सीहोर को साहित्य का शहर मानती हूं । श्री हठीला ने इस अवसर पर पुस्तक का टंकण करने वाले बालक सनी गोस्वामी को सम्मानित किया और माड़साब को भी ।
अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ ही प्रथम चरण का समापन हुआ और सभी ने श्रीमती गंगा देवी हठीला के द्वारा बनाए गए लजीज़ गाजर के हलवे, खमण, आलूबड़े और चाय का अनंद लिया माड़साब के कम्प्यूटर के छात्रों अब्दुल कादिर, सुरेंद्र सिंह ठाकुर, धर्मेंद्र कौशल, सनी गोस्वामी और सुधीर मालवीय ने मनुहार कर कर के अतिथियों को स्वल्पाहार करवाया ।
ये थी पहले चरण की रपट कल मिलेंगें दूसरे चरण की रपट अर्थात कवि सम्मेलन की रपट के साथ जिसमें समीर भाई ने पूरा मंच लूट लिया और सीहोर वालों को दिल भी । आज के फोटो मोबाइल के हैं कल केमरे के फोटों उपलबध हो जाऐंगें सो वो लगाए जाऐंगें ।
आपकी रपट पढ़कर ही संतोष कर लेते हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छे आयोजन के लिये बधाई
समीर भाई की खबर आपने पहुंचा दी और हम सभी सीहोर के सभी के प्रशंसक गए सुबीर जी ...शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंअरे समीर जी दिखाइ तो दिये यहा दिल्ली मे तो उनके खो जाने की रपट दर्ज है..
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई सर जी आप सभी को |
जवाब देंहटाएंबड़ा आनंद आया पहली रपट पढ़ कर |
अब आगे की रपट का बेसब्री से इंतज़ार है |
आभार
अजय
बहुत-बहुत बधाई सफ़ल आयोजन की...अच्छा लगा सब को देख कर...
जवाब देंहटाएंअच्छी फोटो और विस्तृत रिपोर्ट देने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंआप सभी को बधाई इस सफल कवि गोष्ठी की।
सभी को आभार वैसे तो हम सब एक ही परिवार के सदस्य हैं और हम सभी को कहीं भी कोई कार्यक्रम हो ऐसा ही लगता है कि हम सब ही उसमें शामिल हैं सो ये तो सब का ही कार्यक्रम था । हां एक बात जो मुझे अभी भी रोमांचित कर रही है वो ये है कि ग़ज़ल की क्लास में कोई छात्र सशरीर उपस्थित हुए । ठीक उसी जगह पर जहां पर सुब्ह बैठकर मैं कक्षा का लैक्चर देता हूं । वहीं बैठकर हमने बात की । खैर अब तो सिलसिला प्रारंभ हो गया है मैथिली जी को भी सीहोर बुलाने का कार्यक्रम है आने वाले दिनों में । अभी तो समीर भाई का काव्य संग्रह शिवना प्रकाशन से प्रकाशित किया जाना है विमोचन में बालकवि बैरागी जी और नीरज जी के साथ ब्लागर भाइ बहनों की महफिल जमाने का विचार है देखें ईश्वर क्या साथ देता है । पंन: आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे आयोजन के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंbadhai sweekar karen guruvar
जवाब देंहटाएंपंकज भाई
जवाब देंहटाएंअब तक तो येही सुनते आए थे की उड़न तश्तरियों से ऐलियनस ही उतरते हैं समीर भाई पहले हाड मांस के इंसान हैं जो उड़न तश्तरी से उतरे याने वो ऐलियनस नहीं बल्कि हम में से ही एक निकले. बहुत अच्छा लगा उनके सम्मान में दी गई पार्टी और कवि सम्मेलन के बारे में पढ़ कर. उत्सुकता ये जान ने की है की उन्होंने क्या पढ़ा...
नीरज
एक अच्छे चिट्ठाकार मिलन के लिए बधाई । समीर जी कब फिर से चिट्ठे लिखना शुरू करेंगे ? हम सबको उनके लेखन की कमी खल रही है ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
मैंने भी समीर जी से ये ही कहा है कि भारत घूमना अच्छी बात है पर ब्लाग पर लिखना तो जारी रखना ही चाहिये और वे मेरी बात से सहमत हो गए हैं तथा वादा करके गए हैं कि कल से ही वे पोस्ट डालना प्रारंभ कर देंगें । वैसे उनसे मिलकर अच्छा लगा हमारे सीहोर के कविगण उनसे मिलकर प्रसन्न हैं आशा है उनसे मिलना होता ही रहेगा ।
जवाब देंहटाएंसफल आयोजन की बधाई.
जवाब देंहटाएंएक बढ़िया आयोजन के लिए बधाई व विवरण के लिए शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंचलिए यह बढ़िया हुआ कि उड़नतश्तरी सीहोर में अवतररित हो गई!
सभी को आभार कल देखियेगा कवि सम्मेलन की रिपोर्ट और परसों से हम शुरू करेंगे अपनी कक्षाएं
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत खूब आयोजन, गुरुवार बधाई, और आपके कृपा से समीर जी के दर्शन भी हो गए, घबरा गए थी की आखिर उड़न तश्तरी गई तो कहाँ गयी ?
जवाब देंहटाएंसुना हुआ था हवा वहाँ की सबको अपना कर लेती है
जवाब देंहटाएंसुधि बिसरा कर, नयी भावना अक्सर मन में भर देती है
इसीलिये लिखना समीर भी भूले,स्नेह आपका पाकर
यदा कदा छवि देखती लेकिन कमी नहीं खलने देती है
बहुत ही बड़िया आयोजन्…हम तो समीर जी की कविता सुनने से वंचित रह गये थे। आप की पोस्ट से समीर जी का पता मिला, भारत भ्रमण हो रहा है, हम सोच रहे थे हमारी एक पक्की टिप्पणी और उनकी मनोरंजक पोस्ट कहां गयी। उनका पता देने के लिए धन्यवाद, हम उनकी कविताएं उनकी पोस्ट पर पढ़ेगें
जवाब देंहटाएंसाउन्ड़ रिकार्डिंग भी उपलब्ध करवा दीजिए ना, मज़ा दुगना हो जाएगा।
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