चलिये बहुत मौज मस्ती हो गई अब हम चलते हैं अपने उस काम की ओर जिसको हम छोड़ आए थे । नया साल माथे पर सवार हो गया हे और हमारा संकल्प है कि हम इस नए साल में वो सब कुछ कर लें जो पिछले साल में हम नहीं कर पाए थे । ग़जल को लेकर हमने काफी काम किया और काफिया रदीफ रुक्न जैसे शब्दों के अर्थ जानने का काम हमने पिछले साल में किया । मुझे प्रसन्नता है कि कई लोग अब बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं । कुछ लोग जो बाद में कक्षाओं में आना शुरू किये हैं उनके लिये थोड़ा मुश्किल हो रही है पर उनके लिये भी एक सूचना है कि वे लोग प्रारंभ से ग़ज़ल सीखने के लिये यहां पर जा सकते हैं जहां पर आने वाले सप्ताह से माड़साब की ग़ज़ल की कक्षाएं नए सिरे से प्रारंभ हो रहीं हैं और जाहिर सी बात हैं कि यहां पर प्रारंभ से शुरू होने का मतलब हैं बिल्कुल ही प्रारंभ से अत: वहां पर आप ठीक से समझ पाऐंगें ।
बहरों को लेकर मैंने जो पहले ही कहा था कि बहर दरअस्ल में ग़ज़ल का व्याकरण है जो कि ग़ज़ल को मीटर में बनाए रखता है । और इसी कारण ऐसा होता है कि किसी भी ग़ज़ल को कोई भी गायक गा देता है और उसको कोई भी परेशानी नहीं होती है । ऐसा इसलिये होता है कि ग़ज़ल तो पहले से ही रिदम में होती है और ये रिदम ग़ज़ल में स्वत: निर्मित होती है । स्वत: निर्मित इसलिये क्योंकि आपने तो ग़जल़ को एक तय बहर पर लिखा है । तय बहर का मतलब होता है पहले से तय मीटर और ऐसे में आप चाहें न चाहें अगर आपने बहर का ध्यान रखा है तो आपकी ग़ज़ल में लय तो पूर्व निर्धारित है ।
लय को ही सारा खेल है जीवन हो याकविता अगर उसमें लय नहीं है तो फिर तो कुछ है ही नहीं । किसी पुराने गीत की पंक्तियां हैं चलते हुए जीवन की रफ्तार में इल लय है इक राग में इक सुर में संसार की हर शै: है । तो उस लय का पकड़ने की विधा ही है बहर । आप जो कुछ भी कह रहे हैं उसको पूरी तरह से लय में कह सके तो समझिये कि आप बहर में हैं । हालंकि बहर को लकर एक बात है कि चूंकि यहां पर तोल तोल कर काम किया जाता है इसलिये यहां पर ज़रा सी भी गुजाइश नहीं है कि आपको छूट मिल सके । बहर को लेकर कई सारी बाते हैं जैसे ये कि कई बार एक या दो शे'र देखकर ये पता नहीं चलता है कि इस ग़ज़ल की बहर क्या है । और ऐसा होता है दीर्घ के लघु होने के कारण अब इस बात को कौन तय करेगा कि दीर्घ गिरा है अथवा नहीं । और पूरी ग़जल़ अगर सामने हो तो तो तय हो जाएगा कि हां दीर्घ गिरा हे अथवा नहीं गिरा है । अब पूरी ग़ज़ल से कैसे पता चलेगा कि गिरा है या नहीं तो उसके लिये एक उदाहरण देंखें ।
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
2122 2122 2122 212
अब यहां पर ये बात कौन तय करे कि तो शब्द की गिनती दीर्घ में करनी है या लघु में । तो उसके लिये देखें दूसरा मिसरा ।
इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा
2122 2122 2122 212
अब क्या हुआ इसमें कि हमने देखा कि पहले मिसरे में जहां पर तो आया था वहां पर दूसरे मिसरे में उ आ रहा है जो कि एक लघु है । बस यहां से तय हो गया कि तो गिरा हुआ है । कई बार ऐसा होगा कि मिसरा उला और सानी दोनों में ही वो शब्द समान नज़र आएगा उस स्थिति में हम आगे के शेरों को देखेंगें और बहर का अनुमान लगाऐंगें । इसीलिये उस्ताद लोग कह गए हैं कि कभी भी केवल मतला या एक श्ोर से अनुमान मत लगाओं के बहर क्या है । उस्तादों की मदद कई बार तब भी लेनी होती है जब बहर में कोई रुक्न परेशानी पैदा कर रहा हो और समझ में ही नहीं आ रहा हो कि दीर्घ है या फिर लघु है । उस्तादों को चूंकि बहरों और धुनों दोनों का ज्ञान होता हे अत: वे दूध का दूध और पानी का पानी कर देते हैं ।
तो बहर का अर्थ होता है पूर्व निर्धारित लय जिस पर आपको अपने शब्दों के नगीने जमा कर एक ग़ज़ल तैयार करनी है ।
Yes Sir.
जवाब देंहटाएंpresent Sir!
जवाब देंहटाएंसमझे...सारा खेल ये दीर्घ औरलघु का ही है. क्यों की ग़ज़ल कहीजाती है लिखी नहीं जाती इसलिए मात्राएँ बोलने में क्या प्रभाव पैदा कर रही हैं ये देखना होता है और ये देखने के लिए पारखी नज़र और कान दोनों चाहियें जो अपने राम के पास हैं नहीं...ये बिना उस्ताद की शरण गये सीखना लगता है बहुत ही मुश्किल है..नहीं?
जवाब देंहटाएंनीरज
jee samjhe...
जवाब देंहटाएंRipudaman
सृजन-सम्मान द्वारा आयोजित सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक ब्लॉग पुरस्कारों की घोषणा की रेटिंग लिस्ट में आपका ब्लाग देख कर खुशी हुई। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंमतलब, सारा खेल दीर्घ और लघु का ही है,
जवाब देंहटाएंआपने ये कहा, कि गज़ल के बाकी शेर देख कर ही बहर तय होता है
लेकिन ये बताईये, अगर मैंने अभी कोई गज़ल शुरू की है, तो क्या मुझे शुरू से ही बहर का ध्यान रख कर लिखनी चाहिये अथवा पहले अपनी गज़ल पूरी कर लूँ बाद के बहर को उस मे फिट करूँ
बड़ा मुशकिल काम लगता है। काफिया और रदीफ तो समझ गये थे, अब बहर का भी ध्यान रखना होगा।
Bhai pahale se hi ek meetar pakdna hoga..
हटाएंदूसरी बात मु्झे यह पूछनी है कि, मुझे क्या वो सारे बहर याद रखने होंगे के इतने तरह के बहर होते हैं।
जवाब देंहटाएंबहर पहले आता है या गज़ल? मतलब, जब किसी व्यक्ति को गज़ल लिखनी हो, तो शुरू से ही बहर को ध्यान मे कैसे रखा जा सकता है। ये भी स्पष्ट करें
फूट पड़ता है बन्द आंखों से
जवाब देंहटाएंऔर ये लावा कहां से निकले
ये कौन सी बह्र में है