मंगलवार, 9 अक्तूबर 2007

इश्‍वर जगजीत सिंह को शीघ्र स्‍वस्‍थ करे, उन्‍होंने ग़ज़ल को आम आदमी तक पहुंचाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की है

ख़बर पढ़ी है कि ग़ज़ल गायकी के बादशाह जगजीत सिंह को पक्षाघात हुआ है ।ख़बर सचमुच ही मेरे लिये कष्‍ट देने वाली है । जगजीत सिंह जी ने ही तो मुझे ग़ज़ल की दुनिया से जोड़ा है वरना तो कम्‍प्‍यूटर हार्डवेयर जैसी सूखी दुनिया और ग़ज़ल । ग़ुलज़ार साहब के सीरियल में गा़लिब साहब की ग़ज़लों को जब पहली बार जगजीत जी के मुंह से सुना तो चमत्‍कृत रह गया था मैं । जाने क्‍या था उस आवाज़ में कि मैं बरबस ही ग़ज़ल की ओर खिंच गया । विशेषकर एक ग़ज़ल की ध्‍वनियां तो मुझे पागल ही कर देती हैं । अगर आपने भी ग़ालिब सीरीयल की गज़ल़ें सुनी हों तो ध्‍यान दें उस ग़ज़ल पर ' कब से हूं क्‍या बताऊं जहाने ख़राब में । उसके बाद जगजीत जी के सारे एलबम खरीदना मेरे लिये एक धर्म सा हो गया है कहकशां के दोनों भाग भी अद्भुत हैं । आज जब मैंने समाचारों में पढ़ा कि उनको पक्षाघात हुआ हे तो ईश्‍वर से यही प्रार्थना की कि उनको शीघ्र स्‍वस्‍थ करे अगर उनकी आवाज़ न होती तो आज शायद कविता से मेरा कोई रिश्‍ता ही नहीं होता । जगजीत साहब की आवाज़ को मैं हिंदुस्‍तान के आदमी की आवाज़ मानता हूं वैसे मैं कब्‍बन मिर्जा जिन्‍होने रजिया सुल्‍तान के दो गीत ' आइ ज़ंजीर की झनकार और मेरा नसीब है ' गाए हैं उनकी आवाज़ को भी हिन्‍दुस्‍तान के आदमी की आवाज1 मानता हूं । जगजीत जी स्‍वस्‍थ हों और फिर से ग़ज़ल गायकी की दुनिया में शीघ्र लौटें यही प्रार्थना हे ।

इन दिनों छात्रों की कम संख्‍या के कारण मैंने क्‍लास कुछ कम कर दी हें हां कुछ छात्र सीधे आ रहे हैं मेल पर उनको वहीं ट्यूशन दे रहा हूं जिनमें अभिनव जैसे होनहार छात्र हैं । मुझे ऐसा लग रहा है कि ग़ज़ल की मुश्किल दुनिया के कारण छात्र अब घबरा रहे हैं । और फिर जब ग़लत को भी शे'र कहा जाए तो फिर क्‍या फायदा है सही लिखने में इतनी मेहनत करने का । दाद मिलनी है तो वो तो वैसे भी मिल ही जाएगी ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपने जो जिम्मा लिया वो दुष्कर तो है ही गुरू जी! लेकिन इस तरह हमसे नाराज़ हो कर क्लॉस लेना कम कर देंगे, तो क्या होगा शिष्यों का? डाँटिये,आपको पूरा हक़ है,लेकिन यूँ छोड़ कर शर्मिंदा मत कीजिये! थोड़ी मेहनत लगे शायद लेकिन सीख जायेंगे।

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  2. वाकई, जगजीत सिंग जी के विषय में सुनकर बड़ा खराब लग रहा है.ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वस्थ करे.

    -आज से क्लास के पुनः तैयार हूँ, आप नाराज न हों. आप क्लास चालू करें, जरा बाहर जाना पड़ गया था.

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  3. आज से फ़िर कक्षा में नियमित रूप से आने का वायदा रहा ।
    जगजीत सिंह जी के बारे में सुना है कि वह ठीक हैं । गज़ल को आम आदमी तक पहुँचाने में उन का योगदान अमूल्य है ।

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