बेऩजीर अलविदा तुमको । तुम उस दौर की नेता रहीं हों जब शायद मेरे उम्र के लोगों के मूंछों के कल्ले फूट रहे थे । हम जिनके लिये उस समय कपिल देव, अमिताभ बच्चन, राजीव गांधी जैसे हीरो हुआ करते थे ठीक उसी समय तुमने भी 1988 में पाकिस्तान की बागडोर संभाली थी । मुझे याद आता है कि उस समय भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे और किसी शायर ने कहा था
रश्क आता है तेरी किस्मत पर क्या तेरे हाथ को लकीर मिली
और सब नेमतें तो हासिल थीं अब पड़ोसन भी बेनज़ीर मिली
और आज तुमको विदा भी देना पड़ गया । सृष्टि का नियम है आए हैं सो जाएंगे राजा रंक फ़क़ीर मगर कभी कभी किसी का जाना ऐसा होता है जो कि चुभता रहता है टीस देता रहता है सदियों तक । वैसे हमारा भारतीय उप महाद्वीप तो सदियों से अपने नेताओं की हत्या करता रहा है । तुम को हम कैसे बख्श देते जब हमने महात्मा गांधी को तक नहीं बख्शा जब हम उस बूढ़े और कृशकाय शरीर में गोलियां उतार सकते हैं तो फिर तो हम किसी को भी मार सकते हैं । हम भारतीय उपमहाद्वीप के लोग जिनहोंने 30 जनवरी 1948 को अपने ही राष्ट्रपिता की हत्या कर दी और उसके बाद हमारी दाढ़ में जो खून लगा वो अभी भी हमसे हत्याएं करवा ही रहा है । 16 अक्टूबर 1951 को लियाकत अली खान की हत्या कर दी गई । 25 सितम्बर 1959 को श्रीलंका के राष्ट्रपति सोलोमन भंडारनायके की हत्या हुई । और ये सलिसिला चलता ही रहा । 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश ने अपने ही जन्मदाता को मार डाला 1971 में बांग्लादेश को बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शेश मुजीबुर्रहमान को भी मार डाला गया । 31 अक्टूबर 1984 मेरी पीढ़ी के लोगों को इसलिये याद है कि हम जो उस समय सोलह सत्रह साल की उम्र में थे हम सबने देखा था कि कैसे किसी देश के शासक की हत्या हो जाती है । इंदिरा गांधी जिसको दुर्गा की संज्ञा दी गई उसी दुर्गा को हमने मार डाला । 21 मई 1991 को बेटा भी मां की राह पर चल दिया और राजीव गांधी की भी हत्या हो गई । 1 मई 1993 को श्रीलंका में राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या हुई तो 1 जून 2001 को नेपाल नरेश और उनकी पत्नी एंश्वर्या केा मार डाला गया और अब की बार तुम्हारी बारी थी बेनज़ीर ।
तुमको किसी व्यक्ति ने नहीं मारा बल्कि विचारधारा ने मारा है और हम लाख किसी को पकड़ कर फांसी पर लटका दें मगर हम जानते हैं कि रक्त बीजों को फांसी पर लटकाने से कुछ नहीं होता हैं । विचारधारा जब तक जिंदा है तब तक तो रक्तबीज पैदा होते ही रहेंगें । अगर आज गांधी फिर से जन्म लें तो क्या हम ये सोच कर निचिंत हो सकते हैं कि अब तो कुछ नहीं हो सकता क्योंकि हमने तो गांधी के हत्यारे को बरसों पहले ही फासी दे दी थी । नहीं हो सकते क्योंकि हत्यारे तो हर युग में जन्म लेते रहेंगें ।
मैं तुमको सलाम करता हूं इसलिये क्योंकि तुम जानतीं थीं कि तुम्हारी हत्या हो जाएगी उसके बाद भी लौट कर आईं । ये हिम्मत एक स्त्री ही दिखा सकती है । तुमको याद होगी झांसी की रानी लक्ष्मी बाई वो जो कर गईं वो काम भी केवल एक स्त्री ही कर सकती थी । हम पुरुष तो जन्म से ही कायर होते हैं । हम तो अवसर ढूंढते हैं कि कहां से भाग जा सकता है । तुम ने जान की परवाह न करके वो करने का प्रयास किया जो पाकिस्तान की जनता के लिये अभी सबसे जरूरी काम था ।
तुम्हारा जाना पूरे महाद्वीप के लिये नुकसान की बात है क्योंकि तुम्हारा रहना स्थिरता का प्रतीक था पाककिस्तान में । मेरे गुरू कहते हैं कि अगर आपका पड़ोसी सुख से है तो आपको भी सुख होगा । मैं तुम्हारी बहादुरी को प्रणाम करता हूं पिंकी । भारत और पाकिस्तान जो 1948 में अलग हुए उसके बाद की कड़वाहट को कभी भुला नहीं पाए हें और आज तक भी शत्रु बने हुए हैं पर उस शत्रुता को परिणाम दोनों को ही भुगतना पड़ रहा है । पिंकी तुम अब जब नहीं हो तो मैं तुमको बता दूं कि किशोर अवस्था में जो टूटा सा आकर्षण होता है कच्चा सा मोह होता है वो मुझे भी हुआ था और वो आकर्षण हुआ था फिल्म अभिनेत्री रेखा के प्रति अपनी एक अध्यापिका के प्रति और शायद तुम्हारे प्रति भी । इसीलिये तुम्हारा जाना आज पीड़ादायी लग रहा है। एक बार फिर तुम्हारी बहादुरी को प्रणाम करता हूं पिंकी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें