चलिये जैसे भी होमवर्क आए हैं पर आए तो सही । ज्यादा नहीं तो कुछ तो सही । पहले हम आज की कक्षा कर लें और उसके बाद में हम फिर इन सारे होमवर्क पर बात करेंगें और ये भी देखेंगें कि अनूप जी की ग़ज़ल के लिये दो सबसे अच्छे विकल्प क्या हो सकते हैं । हम फिलहाल चल रहे हैं षटकल पर और हम काफी कुछ कर चुके हैं अब केवल कुछ ही बचे हैं जिनपर हमको काम करना है । आज मुखड़े में उत्तरांचल ऋषिकेश के जनाब राशिद जमाल फारुक़ी की ग़ज़ल लगी है ।
मेरा आप सभी से एक अनुरोध है कि अपनी ग़ज़ल की डायरी में ये रुक्नों की जानकारी को उतार लें उससे क्या होगा कि आपको आगे से वहीं पर ही सब कुछ मिल जाया करेगा कि कब क्या चाहिये । और ग़ज़ल लिखते समय एक बात का और ध्यान रखें कि सबसे पहले तो होता ये है कि आपको एक पंक्ति मिलती है उस पंक्ति को वज़्न में लें और फिर काम करें पहले कच्चा काम करें फिर उसको पक्का करें कभी भी सीधे ग़ज़ल न लिखें पहले उस पर क्या क्या संभावना हो सकती है वो करें ।
हम जहां पर थे वहीं से ही आगे काम शुरू करते हैं
हमने मफाईलु पर बात को छोड़ा था अर्थात हमने षटकल के छ: प्रकार देख लिये थे और अब हमको केवल एक षटकल और देखना हैं उसके बाद हम सप्तकल की बात करेंगें जो काफी आता है ।
षटकल :-
7 : फएलतान तीन लघु फिर एक गुरू और फिर एक लघु 11121 इसकी भी दो सूरतें हो सकती हैं
अ: तीन लघु मात्राऐं जो कि स्वतंत्र हों और फिर एक दीर्घ और फिर एक लघु । 1,1,1,2 ,1
ब : छ: लघु मात्राएं जिनमें से पहली तीन स्वतंत्र हों फिर बाद की दो मिल कर दीर्घ हो रहीं हों और फिर एक लघु हो । 1,1,1,11,1
मैंने पहले कहा था षटकल की आठ प्रकार होती हैं पर जो आठवीं किस्म है फऊलान वो वज़्न में मफाईलु के ही वज़्न की है । इसलिये उसको अलग से नहीं लिया जाता हे ।
अब मैं कुछ और ज़्यादा स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम वज़्न निकालते समय रुक्नों के बारे में कैसे जानकारी ले सकते हैं । उदाहरण के रूप में हम लेते हैं मुफाएलुन को जिसको लेकर हम इतनी तरह से सोच सकते हैं
1 :- न जा कहीं 1,2,1,2 अब इसमें क्या हो रहा है कि एक लघु फिर एक शुद्ध दीर्घ फिर एक लघु और फिर एक शुद्ध दीर्घ । यहां पर शुद्ध से मेरा मतलब ये है कि वो दीर्घ ही है दो लघु मिलकर नहीं बना है ।
2:- न दिल मिला 1,11,1,2 यहां पर जो अलग है वो ये है कि इसमें पहले लघु के बाद जो दीर्घ आ रहा है वो वास्तव में शुद्ध दीर्घ न होकर दो लघु से मिल कर बन रहा है दि और ल से । फिर एक लघु है मि और फिर एक शुद्ध दीर्घ है ला । मतलब ये कि एक शुरू का दीर्घ वर्ण संकर है और बाद का शुद्ध है ।मगर है तो ये भी वही मुफाएलुन ।
3:- न जा मगर 1,2,1,11 बात पलट गई है और अब पहले वाला जो दीर्घ है वो शुद्ध हो गया है और आखिर का वर्ण संकर हो गया है । जा के रूप में पहला दीर्घ शुद्ध आया है और फिर म एक लघु आया है और उसके बाद ग और र मिलकर एक दीर्घ बना रहे हैं । मगर है तो ये भी मुफाएलुन ही ।
4:- जगर मगर 1,11,1,11 अब कोई भी दीर्घ शुद्ध नहीं बचा है पहले एक लघु ज फिर उसके बाद के दो लघु ग और र मिलकर बना रह हैं एक दीर्घ उसके बाद में फिर एक लघु म और फिर दो लघु ग और र मिलकर एक दीर्घ बना रहे हैं मतलब कि दोनों की दीर्घ लघुऔं के संयोग से बन रहे हैं । मगर बात तो वही है कि है तो ये भी वही मुफाएलुन ।
तो देखा आपने कि एक ही रुक्न कितने तरीके से बन सकता है । अब आप एक काम करें एक क़ाग़ज़ पर ऊपर लिखें मुफाएलुन फिर उसके बाद लिखें न जा कहीं , फिर उसके नीचे न दिल मिला और फिर नीचे न जा मगर और फिर जगर मगर अब एक लाइन से गाते हुए पांचों को पढ़ें मुफाएलनु-नजाकहीं-नदिलमिला-नजामगर-जगरमगर आपको पता लग जाएगा कि इन पांचों का वज़्न एक ही है ।
अनूप जी की ग़ज़ल पर अभी अभ्निव और कंचन का होमवर्क आना बाकी है उस पर कंचन की शिकायत ये रहती है कि वो होमवर्क जमा नहीं कर पाती है सो एक दीन का समय और दिया कल हम अनूप जी की ग़ज़ल की ही बात करेंगें । दरअस्ल में मैं ये चाहता हूं कि ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिये दो खूबसूरत शेर और मिल जाएं । हम सप्तकल को परसों देखेंगें कल हम केवल छात्रों के होमवर्क और उनके सही और ग़लत होने की ही बात करेंगें ।
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जवाब देंहटाएंसब कुछ तेरे नाम लिखा कर बैठ गए,
जवाब देंहटाएं२ २ २२ २१ १२ २ २१ १२
अपने दोनों हाथ कटा कर बैठ गए,
२ २ २ २ २१ १२ २ २१ १२
हमने भी कुछ देर निभाया रिश्तों को ,
२२ २ २ २१ १२२ ११२ २
फिर घर में दीवार उठा कर बैठ गए
२ २ २ २२१ १२ २ २१ १२
सुबीर जी:
जवाब देंहटाएंजब यह गज़ल मैने ईकविता में भेजी थी तब मेरे अग्रज घनश्याम गुप्ता जी नें इस में कई खूबसूरत शेरों का इज़ाफ़ा किया था , मुझे याद नहीं आ रहे हैं । एक शेर सूझा है , पता नहीं उन के शेरों में से याद आ रहा है या मेरा ही नया शेर है , कल उन से पूछ कर बताऊँगा कि किस का है लेकिन जिस का भी है , लग ठीक रहा है :
फ़िर नई कोंपल खिली है
पृकृति का उपहार देखो ।
सादर
अनूप
जब आए परदेश, था दिल सुना सुना
जवाब देंहटाएंदिल में अपना देश बसा कर बैठ गए
कब तक हम बतियाते इन वीरानो से
दीवारों पे कान लगा कर बैठ गए
जब ढुंढ रही थी दुनिया एक अफसाने को
उसको अपना हाल बता कर बैठ गए
जब घूम रही थी मौत हमें ले जाने को
ख़ुद को हम बीमार बना कर बैठ गए
सर जी
जवाब देंहटाएंअनूप जी की ग़ज़ल के लिए कुछ शेर बनने लगे थे, लेकिन उनकी दिशा कुछ अनूप जी की ग़ज़ल के विपरीत जा रही थी, इस लिए मैंने ज्यादा प्रयास नहीं किया
जैसे
फैला भ्रस्टाचार देखो
(आशावादी ग़ज़ल में ये मुखड़ा अच नहीं लगेगा )
मन की कलियाँ तुम खिलाओ
दोस्तों का प्यार देखो
या
मित्र जन का प्यार देखो
-अजय
बड़ी समस्या है गुरू जी! देखते हैं शायद आज शाम तक कुछ सूझ जाये, क्लास में एक बार आ गये हैं, होमवर्क पूरा कर पाये तो शाम तक फिर आ जाएंगे!
जवाब देंहटाएंगुरू जी बहुत मगजमारी की, बहुत सिर पटका लेकिन कौई ऐसा सटीक शब्द नही मिला जिसका प्रयोग करने के बाद सही वज़न में बात पूरी हो जाये, अब मेरे पास बस एक ही चारा है कि मैं मिसरा सानी पूरा पूरा बदल दूँ.... और उसके बाद जो लाइनें बनी वो हैँ
जवाब देंहटाएंउँगलियाँ जब भी उठाओ, आइना एक बार देखो।
हाँ मुझे पूरा यकीं है, जीत लेंगे हार देखो
जैसे बिना पुख्ता नींव के इमारत कमज़ोर रह जाती है वैसे ही बिना आप की पुरानी पोस्ट पढे यूँ बीच में से कुछ सीखना सतही लग रहा है. कुछ बातें समझ में उतनी नहीं आ पाती जितनी की आनी चाहियें.इसलिए पहले आप की पुरानी पोस्ट पढ़नी शुरू की है समझ के फ़िर लौटता हूँ यहीं पर.
जवाब देंहटाएंनीरज
यस सर,
जवाब देंहटाएंये सभी रुकन अपनी डायरी में नोट कर लिए हैं,
आज का होमवर्क:
सब कुछ तेरे - नाम लिखा- कर बैठ गए,
अपने दोनों - हाथ कटा - कर बैठ गए,
हमने भी कुछ - देर निभा - या रिश्तों को,
फिर घर में दी - वार उठा - कर बैठ गए.
बहर: २२२२-२११२-२२२२
लालालाला - लाललला - लालालाला
मुफतएलातुन - मुफतएलुन - मुफतएलातुन
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इसी बहर पर कुछ फुटकर शेर:
लिखने वालों - नें कुछ भा - व लगाया था,
हम अपनी दू - कान सजा - कर बैठ गए,
जिनको खुशबू - मिल न पा - ई अम्बर से,
वो फूलों का - रंग चुरा - कर बैठ गए,
जगह बनानी - थी हमको - कुछ करना था,
रस्ते पर ही - धूल हटा - कर बैठ गए,
वो थोड़ा सा - खून बहा - ए बैठे थे,
हम भी थोड़ा - खून बहा - कर बैठ गए.