माड़साब को तो कुछ नहीं हुआ था पर माड़साब के पीसी को वायरसों ने घेर लिया था । माड़साब को पिछले कुछ दिनों से डाउनलोडिंग को शौक चर्रा रहा था । बीस दिनों में पांच छ: जीबी के साफ्टवेयर डाउनलोड कर लिये हांलकि एक एंटी वायरस डला था जो कि अच्छा माना जाता है पर कहीं कुछ गड़बड़ हो गई और समस्या आ गई । खैर अब माड़साब ने एक साथ चार साफ्टवेयर डाल लिये हैं एक ट्रोजन का एक स्पाय वेयर का एक वायरस को और एक डिफेंडर । और हां माड़साब ने पूरी तैयारी कर ली है नए साल के मुशायरे की सभी छात्र छात्राएं एक दो दिनों में अपनी ग़ज़लें भेज दें और अपना सुंदर सा चित्र एवं विवरण भी, माड़साब प्रयास कर रहे हैं कि सभी ग़ज़लों को किसी मशहूर हस्ती से प्रस्तुत करवाएं । मगर ये तभी हो पाएगा जब समय पर ग़ज़लें प्राप्त हो जाएंगी अर्थात 28 तक ।
आज माड़साब ने हिंदी के एक बड़े कवि श्री गोपाल सिंह जी नेपाली का मुक्तक लगाया है । मुक्तक एक अलग विधा है हालंकि देखा ये जाता है कि मुक्तक भी अधिकांश बहर में ही होते हैं । मगर फिर भी ऐसा नियम नहीं हैं कि हिंदी का मुक्तक बहर पर हो क्योंकि हिंदी के काव्य के अपने नियम हैं वहां पर पढ़ने के तरीके पर ही ज्यादा काम होता है । गोपाल सिंह जी को जिन्होंने सुना है वो जानते होंगें कि नेपाली जी का हिंदी कविता में क्या योगदान है ।
आज हम रुक्न को समापन कर लेंगें और उसके बाद ही हम प्रारंभ कर पाएंगें अपना बहर का कार्य । हालंकि बहरों को लेकर मुझे अभी भी थोड़ी सी पशोपेश है कि ब्लाग पर डालूं या नियमित विद्यार्थियों को ईमेल से ही बताऊं । वो इसलिये कि जो नियमित नहीं हैं उनको कैसे ज्ञान मिल सकता है । नियमित का मतलब ये कि जो भले ही रोज हाजिरी न लगाएं पर चार पांच दिनों में तो आते रहें हों । अन्यथा तो मैं ये जानता हूं कि कई ऐसे भी हैं जो नियमित तो पढ़ रहे होंगें पर जिनके पास एक टिप्पणी लगाने का समय नहीं होगा । ये हम हिन्दुस्तानियों की एक विशेषता है हम आभार व्यक्त करने में और क्षमा मांगने में अपने को छोटा महसूस करते हैं । मेरे पास कम्प्यूटर सुधरने आते हैं उनमें से कई मेरे परिचितों के भी होते हैं उनमें से कई ऐसे हैं जो जाते समय पेमेंट का पूछते भी नहीं है कि भई आपने काम किया तो कुछ पैमेंट तो नहीं हुआ । कई बार ऐसा होता है कि घंटे भर की मेहनत के बाद आदमी बिना कुछ कहे मतलब कि धन्यवाद भी कहे बगैर कम्प्यूटर ले जाता है । और माड़साब के सहयोगी सोनू और सनी उसके बाद माड़साब की ही क्लास ले लेते हैं ।
खैर चलिये हम तो आज अपनी क्लास को समाप्त कर लेते हैं ।
बात रुक्न की चल रही थी ।
सप्तकल : इसमें हम छ: रुक्न देख चुके थे और अब तीन बाकी हैं ।
7:- मुफतएलान 21121 एक दीर्घ फिर दो स्वतंत्र लघु फिर एक दीर्घ फिर एक लघु
इसके भी निम्न तरीके हो सकते हैं
आप मगर न 2, 1, 1, 11,1
शहृ र मगर न 11,1,1,11,1
शहृ र कहीं न 11,1,1,2,1
आप कहीं न 2,1, 1, 2, 1
ये रुक्न कम मिलता है सामान्य तौर पर ग़ज़लों में ।
8:- मफाएलान 12121 एक लघु एक दीर्घ एक लघु एक दीर्घ एक लघु
कितने तरीके हो सकते हैं इसके
न आम ख़ास 1,2,1,2,1
न शहृ र खास 1,11,1,2,1
न शहृ र वज़्न 1,11,1,11,1
न आम शहृ र 1,2,1,11,1
9 :- मफऊलान 2,2,2,1 इसका विन्यास भी लगभग वही होता है जो पिछली कक्षा के मफऊलातु का था पर दोनों में क्या फर्क होता है ये हम बहरों में देखेंगें ।
तो इस तरह से हमने देखा कि रुक्न कुल इतने होते हैं ।
1 दो कल दो प्रकार के
2 तीनकल में तीन प्रकार के
3 चौकल में पांच प्रकार के
4 पंचकल में आठ प्रकार के
5 षटकल में आठ प्रकार के चलन में (होते तो अधिक है)
6 सप्त कल में नौ प्रकार के चलन में ( होते अधिक हैं)
नोट : कुछ एक दो प्रकार के अष्टकल भी चलन में होते हैं बहुत मामूली से तो हम कल उनकी भी बात कर लें गें । हां माड़साब ने मुशायरे का आयोजन गंभीरता से किया है अत: ध्यान रखें कि 28 तक आप सब की ग़ज़लें मिल जानी चाहिये । और साथ में परिचय तथा फोटो भी क्योंकि ब्लाग पर सभी के फोटो नहीं हैं ।
"मेरे पास कम्प्यूटर सुधरने आते हैं उनमें से कई मेरे परिचितों के भी होते हैं उनमें से कई ऐसे हैं जो जाते समय पेमेंट का पूछते भी नहीं है कि भई आपने काम किया तो कुछ पैमेंट तो नहीं हुआ । कई बार ऐसा होता है कि घंटे भर की मेहनत के बाद आदमी बिना कुछ कहे मतलब कि धन्यवाद भी कहे बगैर कम्प्यूटर ले जाता है ।"
जवाब देंहटाएंकल की ही बात है. मेरे एक परिचित 'अधिकारी' महोदय को आवश्यक रूप से टाइपिंग करवानी थी. कल रविवार था. दुकानें बंद थीं. उन्हें पता था कि मैं इंटरनेट पर हिन्दी अंग्रेजी में लिखता हूँ. बस क्या था मिजाज पुर्सी करने आ गए (कोई चार साल के अंतराल के बाद!) और वाणी में मिश्री घोलते हुए बोले - जरा एक दो पेज की रिपोर्ट टाइप करनी थी... मैं घायल हो गया. पर संभला, सीधे बोला - माफ कीजिए मैं टाइपिस्ट नहीं हूँ.
तो, मेरे विचार में पहले बिल थमाया जाना चाहिए फिर माल डिलीवर किया जाना चाहिए :)
बहरहाल, हमारी बे-बहर व्यंज़लों को आप शामिल करेंगे तो एक दो व्यंज़ल लिखकर भेजने की कोशिश करेंगे.
सर जी ,
जवाब देंहटाएंहाजिरी लगा लीजिये
कुछ दिन पहले मेरे पांच साल बड़े बेटे रोनक ने कहाँ, "पापा सबके घर में Christmas Tree है , हम भी लगायेंगे"
तो अगले दिन हम Christmas Tree ले आए और तब से वो रोज पूछता है "पापा Christmas कब आएगा" दरअसल उसे Christmas का नहीं Santa का इंतजार है , जो की उसके लिए खिलोने ले कर आएगा |
शायद आजे उसकी मुराद पुरी होगी
सभी को Christmas के अवसर पर सुभ्काम्नाये
आभार
अजय
उपस्थित हूं सर!
जवाब देंहटाएंजो नियमित तो पढ़ रहे होंगें पर जिनके पास एक टिप्पणी लगाने का समय नहीं होगा
जवाब देंहटाएंसुबीर भाई यह लगता है मुझे भी कुछ कह रहा है...दर-असल मै आपकी मेल अपनी जीमेल बॉक्स में ही पढ लेती हूँ ब्लोग पर नही आती इसीलिये टिप्पणी नही दे पाती...मगर यह भी सच है की रग्यूलर पढाई नही कर पा रही हूँ क्षमा करें...
सुनीता(शानू)
सभी की मत के साथ सहमत हूँ. कभी तो मुर्गा बन जाने के खोफ से, दूसरा समय पर ना आने की वजह माफि के काबिल तो नहीं पर नया सााल गिले शिकवों पर तो शुरू नहीं करना चाहेंगे हम सभी.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के साथ
देवी नागरानी
"माड़साब को पिछले कुछ दिनों से डाउनलोडिंग को शौक चर्रा रहा था । बीस दिनों में पांच छ: जीबी के साफ्टवेयर डाउनलोड कर लिये हांलकि एक एंटी वायरस डला था जो कि अच्छा माना जाता है पर कहीं कुछ गड़बड़ हो गई और समस्या आ गई । खैर अब माड़साब ने एक साथ चार साफ्टवेयर डाल लिये हैं एक ट्रोजन का एक स्पाय वेयर का एक वायरस को और एक डिफेंडर ।"
जवाब देंहटाएंतो माडसाब से आग्रह है कि वे साथ ही साथ तकनीकी कक्षाएँ भी लगाते रहें...:)
हाज़िर जनाब !
जवाब देंहटाएंगोपाल सिंह नेपाली जी द्वारा रचित इस मुक्तक की विवेचना नीचे कर रहा हूँ।
परदेश में प्यासे से कभी ज़ात न पूछो,
उलझन है पुरानी तो नई बात न पूछो,
रातें न हमें दे सको अपनी तो सितारों,
फि़र हमने गुज़ारी है कहां रात न पूछो
~~
उर्दू के हिसाब से संभावित बहर:-
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
११२१ २१२२ २१२२ ११२२
११ ११ २१२२ २१२२ ११२२
२२११ २२१२ ११२२ १२२
११ ११ २१२२ २१२२ ११२२
हिन्दी/संस्कृत के हिसाब से गण विचार:-
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
स, ज, म, य, स, (गु)
न, ज, म, य,स, (गु)
त, य, ज, य, य
न, ज, म, य,स, (गु)
मात्रिक छंद विवेचना :-
~~~~~~~~~~~~~~~~~
२२‘२२‘२२‘२२‘२२‘२
२२‘२२‘२२‘२२‘२२‘२
२२‘२२‘२२‘२२‘२२
२२‘२२‘२२‘२२‘२२
यह मिश्रित छंद है जोकि रौद्र/महारौद्र और दैशिक छंद से बना है। प्रथम दो पद रौद्र छंद में हैं। तीसरा और चौथा पद दैशिक/महादैशिक छंद में है।
अब चूंकि दोनो ही प्रकार के छंदों में गण विचार आवश्यक है और यहाँ गण विचार नहीं किया गया तो हम इस रचना को विषम मात्रिक छंद में रचित मुक्तक कहेंगे।
रिपुदमन पचौरी
यस सर,
जवाब देंहटाएंसप्त्कल के इन रुक्नों को पहचान कर अच्छा लगा.
रिपुदमन जी कि विवेचना भी अच्छी लगी.
धन्यवाद.