आज माड़साब अंतिम तीन कक्षाओं के पढ़ाए गए सबक ही रिवीजन के लिये दे रहे हैं ताकि आगे जहां से हम शुरू करने वाले हैं वहां पर कुछ अटकना ना पड़े । ये वो पिछली तीन क्लासें हैं जहां पर हम रुक्नों के बारे में जान रहे थे और जहां पर आकर हमने दीपावली की छुट्टियां घोषित कीं थीं इनको अच्छी तरह से देख लें हम पंचकल तक गए थे और ये वहीं तक का रिवीजन है क्योंकि हम आगे उसी से आगे रुक्नों से शुरू करने वाले हैं । आज मुखड़े में ऋषिकेश के राशिद जमाल फ़ारूकी साहब की ग़ज़ल का शे'र लगा है ।
सूचना - माड़साब बहुत जल्द ही हिंदयुग्म पर यूनीहिंदीग़ज़ल प्रशिक्षण शुरू करने जा रहे हैं । वहां पर सब कुछ प्रारंभ से होगा तथा वहां पर हिंदी ग़ज़ल पर ज़्यादा ध्यान होगा जो छात्र वहां ज्वाइन करना चाहें तो कर सकते हैं विशेष कर अजय जैसे नए छात्र जो यहां पर लेट आए हैं वे वहां पर भी जा सकते हैं ।
पुराने पाठ :
हिंदी में जैसे नगण, सगण, जगण, भगण, रगण, तगण, यगण, मगण होते हैं वहीं सब कुछ उर्दू में भी चलता है ।
रुक्न मात्रा का योग हिंदी में क्रम वार्णिक गुण
फ़इल 3 1 1 1 लाम लाम लाम नगण
फ़एलुन 4 1 1 2 लाम लाम गाफ सगण
फऊलु 4 1 2 1 लाम गाफ लाम जगण
फाएलु 4 2 1 1 गाफ लाम लाम भगण
फाएलुन 5 2 1 2 गाम लाफ गाम रगण
मफऊलु 5 2 2 1 गाफ गाफ लाम तगण
फऊलुन 5 1 2 2 लाम गाफ गाफ यगण
मफऊलुन 6 2 2 2 गाफ गाफ गाफ मगण
अब इनके ही आधार पर हम रुक्न बनाते हैं । जैसे ऊपर कुछ रुक्न हैं जिनकी मात्राएं क्रमश: तीन चार पांच तथा छ: हैं । केवल हो क्या रहा हैं कि दीर्घ ( गाफ) और लघु ( गाम) के स्थानों में परिवर्तन होने के कारण ही ये सारा खेल हो रहा है । एक मात्रा को कल कहा जाता है और मात्राओं का विन्यास ही मात्रिक गुण कहलाता है ।
दोकल: दो हर्फी रुक्न को दो कल भी कहा जात है और ये दो प्रकार के ही होते हैं ।
1 एक गुरू मात्रा जैसे फा या फे । और या कि दो लघु मात्राऐं जैसे अब कब आदि । उर्दू में फा और अब दोंनो का ही बज़्न समान है और ये दोनों ही दो हर्फी हैं ।
2 दूसरा वो जब दो लघु मात्राएं तो हों पर दोनों ही स्वतंत्र हो अब या कब की तरह मिल कर दीर्घ न बन रहीं हों । मैं न मिलूंगी में विन्यास है 2 1 1 2 2 बीच में जो न और मि हैं वो दोनों हांलकि दो लघु हैं पर मिलकर संयुक्त नहीं हो रहे हैं अत: इनको अलग अलग ही गिना जाएगा ।
त्रिकल : तीन हर्फी रुक्न को त्रिकल कहा जाता है । ये तीन प्रकार के हो सकते हैं ।
1 तीन लघु मात्राएं जैसे फइल और अगर उदाहरण देख्ना चाहें तो काम न हुआ में म न हु का जो विन्यास है वह यही है ।
2 एक गुरू और दो लघु मात्राएं फाअ और उदाहरण आम, काम, जाम, बंद, आदि। हम एक गुरू की जगह पर दो लघु भी ले सकते हैं बशर्ते वे संयुक्त हो रहे हों जैसे बंद में ब ओर आधा न दोंनों मिल कर एक दीर्घ बन रहे हैं । अब एक महत्वपूर्ण बात देखें । ऊपर फइल में क्यों उसको एक अलग विन्यास दिया गया है केवल इसलिये क्योंकि वहां पर काम न हुआ में म स्वतंत्र है किसी के साथ संयुक्त हो नहीं सकता । फिर न एक अलग ही अक्षर है और हुआ का हु स्वतंत्र है ।
3 एक लघु और फिर एक गुरू मात्रा फऊ उदाहरण कभी, नहीं, मिला, समर, किधर, आदि । एक गुरू मात्रा की जगह दो लघु भी हो सकती हैं पर वे संयुक्त होनी चाहिये । जैसे हमने किधर को भी लिया है क्योंकि कि लघु हो रहा है और दो लघु ध और र मिल कर एक दीर्घ बना रहे हैं । महत्वपूर्ण बात ये हैं कि वज़्न गिनते समय ये ध्यान रखना चाहिये कि कौन से दो लघु मिलकर एक दीर्घ हो रहे हैं और कौन से नहीं हो रहे हैं । वज़्न लेते समय यही महत्वपूर्ण होता है कि आप ठीक से अनुमान लगा सकें कि कहां पर लघु और लघु पास पास तो हैं पर उनको आप एक दीर्घ में इसलिये नहीं गिन सकते कि वे स्वतंत्र हैं । और कहां पर दो लघु पास पास हैं और दीर्घ मात्रा में परिवर्तित भी हो रहे हैं ।
ध्यान रखें कि अक्षर और मात्राओं में फर्क होता है हम आम तौर पर ये समझते हैं कि जो अक्षर हैं वहीं मात्राएं हैं । मगर ये नहीं होता अक्षर और मात्राएं अलग अलग बात हैं ।
चौकल :- चौकल का मतलब उस तरह का रुक्न जिसमें कि चार मात्राएं होती हों । उसके पांच प्रकार होते हैं ।
1: चार लघु मात्राएं और चारों ही अपने आप में स्वतंत्र हों । फएलतु में ऐसा ही है और चारों ही मात्राएं अपने आप में स्वतंत्र हैं । इसके उदाहरण शायरी में कम ही आते हैं क्योंकि चारो मात्राएं अगर एक के बाद एक लघु आएंगी तो उच्चारण में समस्या आ जाएगी ।
2: एक गुरू और फिर दो लघु मात्राएं फाएलु । अब इसमें दो तरह से हो सकता है चार लघु मात्राएं भी हो सकती हैं मगर उनमें से पहली दो आपस में संयुक्त होकर एक दीर्घ बना रही हों और आगे की दो स्वतंत्र हों जैसे तुम न तुम्हारी याद में तुम न तु को अगर देखें तो उसमें दो लघु तुम मिल कर एक दीर्घ बना रहे हैं और फिर न ओर तु दोनों ही स्वतंत्र हैं । या फिर ये भी हो सकता है कि पहला दीर्घ हो और बाद में दो स्वतंत्र लघु आ रहे हों । जैसे काम न हुआ में काम न को देखें यहां का एक दीर्घ है और म ओर न ये दोनों ही स्वतंत्र हैं । मगर चाहे हम तुम न तु कहें या काम न कहें दोनों ही सूरत में वज़्न तो वही रहेगा फाएलु ।
3: दो लघु पहले फिर एक दीर्घ फएलुन। अब इसमें भी दो प्रकार से हो सकता है पहला तो ये कि शुरू के दो स्वतंत्र लघु हो और फिर बाद में दो लघु ऐसे आ रहे हों जो कि आपस में संयुक्त होकर एक दीर्घ बना रहें हों । जैसे न सनम को अगर देखें तो इसमें भी बात वही है कि वैसे तो चारों ही लघु हैं पर पहले दो न और स ये दोनों ही स्वतंत्र हैं और बाद के नम मिलकर दीर्घ हो गए हैं अत: वज़्न वही है फएलुन । दूसरा ये भी हो सकता है कि दो लघु हों और फिर एक दीर्घ आ गया हो जैसे न सुना अब इसमें शुरू के दो न और सु ये दोनों तो स्वतंत्र हैं पर बाद में ना दीर्घ है पर वज़्न वही है फएलुन ।
4: एक लघु एक गुरू और फिर ऐ लघु फऊलु । अब इसमें भी दो प्रकार से हो सकता है पहला तो वही कि आप के पास चारों ही मात्राएं लघु हों पर उनमें से बीच की दो मात्राएं मिल कर दीर्घ हो रही हों । जैसे न तुम न हम में न तुम न को देखें वैसे तो चारों ही लघु हैं पर बीच की दो तुम जो हैं वो मिलकर दीर्घ हो रही हैं जबकि दोनों तरफ की न जो हैं वो स्वतंत्र हैं । दूसरा तरीका ये भी हो सकता हैं कि बीच में एक सचमुच की दीर्घ ही हो जैसे मिला न में मि लघु है फिर ला दीर्घ आ गया है और फिर न एक बार फिर लघु है दोनों ही हालत में वज़्न वही है फऊलु ।
5: दा गुरू मात्राएं फालुन । इसमें कई तरीके हो सकते हैं पहला तो ये कि चारों ही लघु हो पर दो दो लघु मिल कर दो दीर्घ में बदल रहे हों जैसे हम तुम में वैसे तो चार लघु मात्राएं हैं पर हम मिलकर एक दीर्घ बना रहा है और तुम मिलकर एक दीर्घ बना रहा है । दूसरा ये कि शुरू में एक दीर्घ हो फिर दो लघु ऐसे हों जो मिलकर एक दीर्घ बन रहे हों जैसे ला हम को देखें यहां पर पहला ला तो सीधा दीर्घ ही है और बाद में हम जो है वो वैसे तो दो लघु हैं पर मिलकर एक दीर्घ बना रहे हैं अत: वज़्न वही है फालुन । तीसरा ये भी हो सकता है कि पहले दो लघु हों जो मिलकर एक दीर्घ बना रहे हों और फिर एक दीर्घ आ रहा हों जैसे हमला में शुरू के दो ह और म जो हैं वो वैसे तो लघु हैं पर मिलकर एक दीर्घ बना रहे हैं । बाद में जो ला हैं वो ता दीर्घ ही है अत: वज़्न वही रहा फालुन । चौथ ये भी हो सकता है कि दोनों सचुमुच के ही दीर्घ हों जैसे जाना में जा और ना दोनों ही दीर्घ हैं और वज़्न वही है फालुन ।
अब बारी आती है पंचकल की पंचकल माने कि वो रुक्न जिसमें पांच मात्राएं हों ये सबसे ज्यादा आने वाल रुक्न है । इसकी कुल मिलाकर आठ सूरतें होती हैं ।
1 : पांच लघु मात्राएं और पांचों ही अपने आप में स्वतंत्र हों जैसे मफउलुन इसके उदाहरण कम ही मिलते हैं एक साथ पांच लघु मात्राएं आ जाना ये संयोग कम होता है । 11111
2 : तीन लघु मात्राएं और एक गुरू मात्रा । या फिर पांचों ही लघु मात्राएं जिसमें से पहली तीन स्वतंत्र हों और बाद की दो संयुक्त होकर एक लघु हो रही हों । मफउलू 1112 या ( 111,11) लाल रंग के लघु मिलकर दीर्घ हो रहे हैं जबकि काले स्वतंत्र हैं ।
3 : दो लघु एक गुरू फिर एक लघु मात्रा या फिर पांच लघु मात्राएं शुरू की दो स्वतंत्र बीच की दो संयुक्त और आखिर की एक स्वतंत्र । फएलातु 1121 या फिर (11,11,1) लाल रंग के लघु मिलकर दीर्घ हो रहे हैं जबकि काले स्वतंत्र हैं ।
4: एक लघु एक गुरू और फिर दो लघु या फिर पांच लघु पहला स्वतंत्र दूसरा और तीसरा संयुक्त चौथ और पांचवां फिर स्वतंत्र । मफाएलु 1211 या फिर (1,11,11) लाल रंग के लघु मिलकर दीर्घ हो रहे हैं जबकि काले स्वतंत्र हैं ।
5: एक लघु और दो गुरू या फिर पांच लघु मात्राएं जिसमें से पहली ऐ स्वतंत्र हो और बाद में दूसरी और तीसरी संयुक्त हो तथा चौथी और पांचवी भी संयुक्त हो । फऊलुन 122 या फिर (1,11,11) लाल रंग के लघु मिलकर दीर्घ हो रहे हैं जबकि काले स्वतंत्र हैं ।
6: एक गुरू और तीन लघु या फिर पांच लघु जिसमें से पहली और दूसरी संयुक्त हो और बाकी की तीन स्वतंत्र हों । फाएलतु 2111 या फि र (11,111) लाल रंग के लघु मिलकर दीर्घ हो रहे हैं जबकि काले स्वतंत्र हैं ।
7: एक गुरू एक लघु और फिर एक गुरू या फिर पांच लघु मात्राएं जिसमें से पहली और दूसरी संयुक्त हो तीसरी स्वतंत्र हो और चौथी और पांचवी पुन: संयंक्त हो । फाएलुन 212 या फिर ( 11,1,11) लाल रंग के लघु मिलकर दीर्घ हो रहे हैं जबकि काले स्वतंत्र हैं ।
8: दो गुरू और एक लघु या फिर पांचों लघु हों पहली और दूसरी संयुक्त हो तीसरी और चौथी संयुक्त हो और पांचवी स्वतंत्र हो । मफऊलु 221 या फिर ( 11, 11,1) लाल रंग के लघु मिलकर दीर्घ हो रहे हैं जबकि काले स्वतंत्र हैं ।
हाजिरी लगा लीजिये सर जी
जवाब देंहटाएं-अजय
आदरणीय गुरुदेव पूरे दो घंटे लगे इस क्लास को पूरा करने में.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत धन्यवाद, मुझे नही लगता है की बड़े शायरों के उस्ताद भी उनको कभी इतने विस्तार से ग़ज़ल की बारीकियों को समझाते होंगे. अब इसके बाद भी यदि हम ग़लत ग़ज़ल लिखें तो फिर सारा दोष हमारी अल्पज्ञता का ही होगा.
निराला अंदाज़ हैऔर सुगम भी. क्या ऐसा हो सकता है कि इस्किएक फाइल हो और हम जब चाहें वहां जाकर फिर फिर इसका लाभ उठा सकें. अभिनव कि बात से मैं बिल्कुल शामिल रे हूँ. क्या अपनी लिखी ग़ज़ल को दुरुस्त करने के लिए इस मंच कि मदद ली जा सकती है.
जवाब देंहटाएंसादर
देवी