मंगलवार, 25 सितंबर 2007

दिल में हौले से समाने का मज़ा क्‍या जाने ये एक ग़ज़ल का मिसरा है जिसने काफी लोगों को परेशान कर रखा है कि ये पूरा कैसे हो

दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
प्यार का फर्ज़ निभाने का मज़ा क्या जाने,
ये ग़ज़ल मुझे अभिनव ने भेजी थी और मैंने देखा कि उसमें बात पूरी नहीं हो पा रही है । मिसरा उला कह रहा है कि ''दिल में हौले से समाने का मज़ा क्‍या जाने'' अच्‍छी बात है । और एक बढि़या सा प्रयोग हो भी रहा है । मगर मिसरा सानी में आकर ठ़ुस्‍स मतलब बात बिल्‍कुल ही खत्‍म हो गई है ।
'' प्‍यार का फर्ज निभाने का मज़ा क्‍या जाने '' । अब फर्ज तो होता है बेटे का बाप का मां का मगर प्‍यार का फर्ज नहीं होता प्‍यार तो बहुत ऊपर की शै: है
अब मैंने पहले तो उसका वज्‍़न निकाला जो निकला
फाएलातुन-फएलातुन-फएलातुन-फालुन
SISS-IISS-IISS-SS
या फिर यूं भी कहें कि
लाललाला-लललाला-लललाला-लाला
ये एक मु‍श्किल बहर है जिसका नाम है बहरे रमल मुसम्‍मन मख़बून मुसक्‍कन
अब आप इसका एक उदाहरण भी देख लें
ख़ुश्‍क पत्‍तों पे मेरा नाम यक़ीनन होगा
मैंने इक उम्र ग़ुज़ारी है शजरकारी में

ये उसी बहर का शे'र है
अब इस पर मशक्‍कत की उड़न तश्‍तरी ने , अनूप जी ने और ख़ुद अभिनव ने भी कुछ इस प्रकार से
अभिनव said...
आपकी बात पूर्णतः सत्य है, वो पंक्ति भर्ती की ही थी। उसे परिवर्तित करने का प्रयास किया है।
सामने कुछ ना जताने का मज़ा क्या जाने,
दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
मगर बात कुछ जमी नहीं ''सामने कुछ न जताने का मज़ा क्‍या जाने '' से भी कुछ मज़ा नहीं आया ।
फिर कहा अनूप जी ने
अभिनव की गज़ल के मतले को अगर ऐसे लिखें तो
:दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
आंख चुपके से चुराने का मज़ा क्या जाने
,
बात वही रही मगर हां ये सबसे अच्‍छा प्रयास ज़रूर था ।
Udan Tashtari said...
मास्साबयह पुराने वाले होमवर्क को देखियेगा। कुछ बात जंचती दिखती है
क्या:
दिल में हौले से समाने का मज़ा क्‍या जाने
जाग के रातों को गंवाने का मज़ा क्या जाने।या
दिल में हौले से समाने का मज़ा क्‍या जाने
ख्वाब से रातों को सजाने का मज़ा क्या जाने।
दोनों ही बार उड़न तश्‍तरी बहर से बाहर उड़ गई और मास्‍साब ने दो छड़ी लगाईं हाथ पर ।
अनूप जी ने फिर प्रयास किया
अनूप भार्गव said...
सुबीर जी:आप ने ठीक कहा ,
दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
आंख चुपके से चुराने का मज़ा क्या जाने,
दूसरी पंक्ति अभी भी भरती की लग रही है ।
एक और प्रयास देखिये
:दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
आंख में खवाब सजाने का मज़ा क्या जाने ।
या
खवाब आँखो में सजाने का मज़ा क्या जाने ।
बात जम नहीं रही , फ़िर भी .....
अनूप जी की अच्‍छी बात ये हैं कि हर बार वे बहर में ही रहे हालंकि बात फिर भी वो नहीं बन पा रही है जिस पर वाह वाह किया जा सके । अब पहले तो ये जान लें कि वज्‍़न कैसे निकाला गया है ।
दिल-फा(दीर्घ), में-ए( उच्‍चारण केवल 'म' गिरकर होने से लघु), हौ-ला ( दीर्घ), ले-तुन ( दीर्घ)
से-फ़ ( से गिरकर सि हो गया है तो लघु), स- ए (लघु दोनों लघु अलग हैं इसलिये मिल कर दीर्घ नहीं हुए ) , मा- ला (दीर्घ), ने- तुन(दीर्घ)
का- फ ( लघु उच्‍चारण में गिरने से ), म- ए(लघु), ज़ा- ला (दीर्घ), क्‍या- तुन ( आधा क या में मिला तो एक दीर्घ), जा- फा (दीर्घ), ने- लुन(दीर्घ)
ये पूरा वज्‍़न हैं इसका पहला रुक्‍न है फाएलातुन मतलब आपको दीर्घ-लघु-दीर्घ-दीर्घ की बंदिश है और वैसा अनूप ने लिया भी है दिल में हौ ले । दूसरा रुक्‍न है फएलातुन मतलब लघु-लघु-दीर्घ-दीर्घ की बंदिश है ये वो दो लघु हैं जो अलग अलग होने के कारण आपस में मिल कर दीर्घ नहीं होंगें। जैसे अनूप ने कहा से स मा ने अब से उच्‍चारण में केवल सि की ध्‍वनी देता हैंऔर इस कारण लघु है और चूंकि ये समाने का अंग नहीं है इसलिये समाने के में नहीं मिलेगा और दोनों अलग रहेंगें ।
फिर अगला रुक्‍न वही है फएलातुन मतलब लघु-लघु-दीर्घ-दीर्घ और अनूप ने कहा का म ज़ा क्‍या यहां पर का गिरकर केवल की ही ध्‍वनि दे रहा है और मज़ा का उससे गठजोड़ करने को तैयार नहीं है सो दोनों अलग अलग हैं । हां आखिर में क्‍या में आधा क्‍ मिला या में और एक दीर्घ मिला । अंत में आया रुक्‍न फालुन मतलब दो दीर्घ जैसा कुछ । और अनूप ने कहा जा ने दोनों को वज्‍़न देकर पढ़ा गया सो दोनों दीर्घ ही हुए । इस तरह बनी बहरे रमल मुसम्‍मन मख़बून मुसक्‍कन
अब ये तो बात हुई व्‍याकरण की चलिये अब बात को हल करिये और दिल में हौले से समाने का मज़ा क्‍या जाने पर एक बढि़या सी गिरह लगाइये और इसका साथी मिसरा तलाश कीजिये कुछ ऐसा कि मज़ा आ जाए । सब प्रयास करें वे भी जो कंचन सिंह चौहान said...
present sir! केवल उपस्थिति दर्ज करवा कर भाग रहे हैं । उड़न तश्‍तरी के हाथ में पड़ी बेंत का असर कम हो गया होगा तो वो फिर से कोशिश करें । दर्द हो रहा हो तो हल्‍दी चूना लगवा लें पर काम कर के दिखाएं क्‍लास में खी खी करने से काम नहीं चलेगा । और हां सब लोग ये भी देखें कि उड़न तश्‍तरी की किस ग़लती पर बेंत पड़ी है शे'र में से वो ग़लती भी छांट कर बताएं ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. मै भी कुछ हिम्मत करूं?

    दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने
    अश्क़ पलकों मे बुझाने का मज़ा क्या जाने ।

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  2. मास्साब, अभिनव पर बहुत गुस्सा आ रहा है. एक तो जो खुद से नहीं बना, वो आईटम ले आये और हम आऊट ऑफ कोर्स मटेरियल पर बेंत खा रहे हैं. सच कह रहे हैं खी खी नहीं. :)

    चूना हल्दी तक से आराम नहीं लग रहा है. फिर भी कोशीश किये हैं वैसे बन नहीं पा रहा. आपने भी तो बताया है ये एक मु‍श्किल बहर है जिसका नाम है बहरे रमल मुसम्‍मन मख़बून मुसक्‍कन .

    अभी तो आप सरल वाली से ही शुरु करवाओ. आप तो सीधे हाई स्कूल का मटेरिल ला दिये ५ वीं बोर्ड में.

    अच्छा इनको देखिये, जैसा बन पाया,बस कर लाये हैं:

    दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
    अश्क आँखों से चुराने का मजा क्या जाने.


    दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
    फूल बालों मे सजाने का मजा क्या जाने.



    दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
    ओस गालों से हटाने का मजा क्या जाने.



    दिल में हौले से समाने का मज़ा क्या जाने,
    प्यार का कर्ज चुकाने का मजा क्या जाने.

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  3. अरे गुरू जी आपने तो बच्ची की जान ही ले ली, साल के १५ दिन हम भी अपने कार्यालय में मस्टराइन बनते हैं। आज सुबह पेपर तैयार करते समय देखा था कि गुरू जी ने होमवर्क दिया है, सोचा अरे इसमें कौन बड़ी बात है ५ बजे पेपर खतम होगा और १० मिनट में होमवर्क पूरा कर के चस्पा कर देंगे कि....! लेकिन हे! भगवान ४‍.४५ से जो जोर आजमाइश शुरू की तो जा के ठीक ५.४५ पे ४ लाइनें बनी, वो भी पता नही वज़न-ओजन आपके अनुसार होगा कि नही, लेकिन मास्साब जो बनते पड़ा लिख दिया, गौर फरमायें-

    दिल में हौले से सामाने का मज़ा क्या जाने?
    रात आँखों में बिताने का मज़ा क्या जाने?
    जो हवा रोज बुझाती है दिये कितने ही,
    वो मिरे घर के अंधेरों की सज़क क्या जाने?

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  4. यस सर

    या द कर कर - लाललाला (लाललाला - सही जवाब)
    के भु ला ने - लललाला (लाललाला - हमारा जवाब ग़लत था)
    का म ज़ा - लललाला (लालला - हमारा जवाब ग़लत था)
    क्या जा ने - लाला (लालाला - हमारा जवाब ग़लत था)

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  5. सर जी

    कछुआ बढ़ रहा है अपनी रफ्तार से आगे आगे , मंजिल पा ही जाएगा

    मेरा एक प्रयास देखिये इस होमवर्क पर

    दिल में हौले से समाने का मजा क्या जाने
    बात ज़माने से छुपाने का मजा काया जाने

    (शायद इसमे दिल और बात बहर में नहीं है)

    दिल में हौले से समाने का मजा क्या जाने
    रात भर हमको जगाने का मज़ा क्या जाने


    सादर
    अजय

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  6. guruji please reply jarur kariyega, kya ye sahi kiya he mene..... mujhe ye aisa lag raha he

    दिल में होले से समाने का मजा क्या जाने
    २१२२ २१२२ २१२२ 22

    दिल 2, में 1(giraa kar),हो 2,ले 2,

    से 2,स 1,मा 2, ने 2,का 2,म 1 ,जा 2, क्या 2, जा 2, ने 2


    PLEASE Reply. sri, its my humble request to you.

    जवाब देंहटाएं

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