घना जो अंधकार हो तो हो रहे, तो हो रहे
दीपावली का पर्व बिल्कुल पास आ चुका है । जैसा कि आपको बताया गया था कि 8 नवंबर से दीपावली का तरही मुशायरा प्रारंभ होगा । तो कल से दीपावली का तरही मुशायरा प्रारंभ होने जा रहा है । अभी तक कुल 15 प्रविष्टियां आई हैं । यदि यही संख्या कल तक भी बनी रहती है तो प्रतिदिन लगभग पांच के हिसाब से प्रविष्टियां लगाईं जाएंगीं । इस बार की प्रविष्टियों में अलग अलग तरह के रंग मूड दिखाई दिये हैं । कई रंगों की ग़ज़लें और गीत इस बार मिले हैं । सबसे अच्छी बात है कि कुछ मुश्किल मिसरे को निर्वाह करने में सबने बहुत मेहनत की है । जिन्होंने मेहनत नहीं की उनके लिये क्या कहा जा सकता है । आज ही राकेश जी का एक मेल मिला ( राकेश जी ने तरही का मिसरा मिलने के ठीक पहले ही दिन अपना गीत भेज दिया था ) जिसमें उन्होंने अनुशासन की बात को समर्थित करते हुए लिखा है कि ''आपकी यह बात बहुत पसन्द आई. एक समयावधि का होना अत्यंत आवश्यक है> हम लोग अपने समूह ईकविता पर पाक्षित " वाक्यांश पूर्ति " चलाते हैं. उसमें दिये गये वाक्यांश पर रचना प्रथम पक्ष में १३-१५ तल और द्वितीय पक्ष में २८-३० अथवा २९-३१ को ही प्रकाशित की जाती हैं. इससे पूर्व अथवा इसके बाद प्राप्त रचनाओं को सम्मिलित नहीं किया जाता. एक नियम और अनुशासन जहाँ उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन करवाता है वहीं अपने आप को संयमित और रचनाधर्मिता के प्रति समर्पित होने में सहायक होता है.''
तो कल से शुरू करते हैं हम दीपावली का तरही मुशायरा ।
पूरा ब्लॉग दीयों, मोमबत्तियों और प्रकाश लड़ियों से जगमगा रहा है. माहौल बन चुका है और कल से तरही का आग़ाज़ हो जायेगा. अब तो आने वाले कल का इंतज़ार है.
जवाब देंहटाएंगुरुदेव प्रतिदिन पांच के हिसाब से प्रविष्टि में तो तरही मुशायेरा ३-४ दिन में ख़त्म हो जायेगा, मतलब दीपावली से पहले ही.
बस पंद्रह रचनाएँ अभी तक...???? :-(
जवाब देंहटाएंसब लोग अपनी अपनी ग़ज़ले भेज दें नहीं तो.....
जवाब देंहटाएंकिसिम-किसिम की मोमबत्तियाँ !! जगर-मगर करती इन आभासी किन्तु अत्यंत मनोहारी मोमबत्तियों के लिये हार्दिक बधाई. अब वाकई लग रहा है, दिवाली आ गयी.
जवाब देंहटाएंतरही-मुशायरे की शुभ सूचना के लिये सादर धन्यवाद. यानि, प्रतीक्षा के दिन गये.
-- सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
इस बार की तरही की ग़ज़ल कैसे पूरी हुई है या मैं जानता हूँ या वो ऊपर वाला,,,दिमाग का ऐसा दही हुआ के ना लस्सी बनी ना रायता,,,खुदा खुदा करके इसे किसी तरह पूरा किया है,,,अब ये ग़ज़ल प्रेमियों को कैसी लगती है ये कहना अभी बहुत मुश्किल है,,,गुरुदेव आपसे गुज़ारिश है के आइन्दा तरही में हम जैसे सठियाये और सठियाने के करीब पहुंचे, गलत फहमी के शिकार, शायरों को ध्यान में रख कर मिसरा दिया करें,,,
जवाब देंहटाएंनीरज
चलिए कोई तो अपने जैसा मिला। नीरज जी मैं भी आपके साथ हूँ। :)
हटाएंये सठियाने के करीब पहुँचे लोगों को आपने खूब गिन लिया। धन्यवाद।
हटाएंये दीपावली के स्वागत की प्रस्तुति और इस बार की कड़ी चुनौती 'अगर ये बार बार हो तो हो रहे तो हो रहे'। तरही की तैयारी में 'तो हो रहे तो हो रहे' मेरे दिमाग़ में घर बना चुका है।
जवाब देंहटाएंअरे वाह तिलक जी बड़ा शानदार मिसरा है ’अगर ये बार बार हो तो हो रहे तो हो रहे।’ तब तो ग़ज़ल कयामत होगी आपकी। अब इंतजार नहीं हो रहा है।
हटाएंसुबह की प्रतीक्षा में ........
जवाब देंहटाएंब्लॉग देखा तो ये खयाल आया...
जवाब देंहटाएंअसल में जब यहाँ कुछ होने लगता है, तब हमें पता चलता है कि हाँ शायद वो त्यौहार जो आने वाला था, अब आ गया....!! अब घर में भौ उत्साह से तैयारी की जाये....!!!
कल से पाँच पाँच के हिसाब से लगा देने का मतलब तो ये कि १० तक सब रचनाएं लग जायेंगी... फिर ऐन दीपावली पर... ?????
ये भी तो हम सोचें कि दीपावली का हफ़्ता किस के लिये नियत है. तिसपर दीपावली का दिन तो एकदम से ’रेड-लेटर डे’ है ! हमारी-आपकी बिरादरी यों भी ’विशिष्ट तल्लीनता’ के लिये ’सु’-प्रसिद्ध है, कि अन्यों के लिये घर में समय ही नहीं होता. बस समझिये, भाईजी ने इन्हीं सबको ध्यान में रख तीन दिन में जय-जय करने का निर्णय लिया होगा.. . :-))))
हटाएंशुभ-शुभ
ना... मुझे तो कुछ दाल में काला लग रहा है, गुरू जी मुँह खोले,तब तो पता चले :(
हटाएंगुरूजी,
जवाब देंहटाएंजैसे तैसे गज़ल पूरी कर के भेज दी है. ये मिसरा सब मिसरों का बाप था.
...अरे का कह रहे हैं राजीव भैया
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंइंतज़ारी खत्म
कल से लड्डू बटेंगा :)))
ढेरों शुभकामनाएँ.... पाठक गण भी तो होने चाहिए....तो हम पढ़ने के इंतज़ार में.... :)
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनायें!
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