मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

तरही मुशायरा का तीसरा भाग जिसमें दोनों शायर भारतीय सेना के हैं समर्पित है समर्पित मुंबई में शहीद संदीप उन्‍नीकृष्‍णन को

तीसरा भाग और जिसे कि हम अंतिम भाग भी कह सकते हैं ये समर्पित है मुम्‍बई में भेडि़यों की टोली से लड़ते हुए शहीद हुए हमारे शेर संदी उन्‍नीकृष्‍णन को । आज का ये मुशायरा संदीप को समर्पित करने के पीछे एक कारण ये है कि आज के दोनों ही शायर सेना के हैं एक मेजर है तो दूसरा कैप्‍टन । सेना में रह कर शायरी करना सुनने में थोड़ा अजीब ज़रूर लगता है पर वास्‍तव में अजीब है नहीं क्‍योंकि ग़ज़ल में भी शेर होते हैं और भारतीय सेना में भी शेर ही होते हैं  । अभी एक कविता पर काम कर रहा हूं जिसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं

अब थोड़ी बातें हम करलें उन बलिदानी वीरों की

लड़े मौत से हंस कर जो उन हिन्‍दुस्‍तानी शेरों की

जिनके दम पर आज वतन की सजी हुई ये झांकी है

उनका खून अभी भी कर्जा बनकर हम बाकी है

जिसने मान बचाने भारत का बलिदान किया जीवन

सौ शेरों पर भारी था वो इक संदीप उन्‍नीकृष्‍णन

और आज का फोटो भी मुशायरे के प्रारंभ में शहीद उन्‍नीकृष्‍णन की एक तस्‍वीर

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नमन नमन नमन

मास्‍साब : और अब आ रहे हैं गौतम राजरिशी जो संदीप के करीबी रहे हैं और आप भी सेना में मेजर हैं । देहरादून में सैन्‍य अकादमी में पदस्‍थ हैं । बहुत अच्‍छे शायर हैं और उतने ही अच्‍छे इंसान भी हैं । तालियों के साथ स्‍वागत करें गौतम का । और हां गौतम का कहना है कि तरही मुशायरे में भी संटी रखी जाये उससे माससाब सहमत नहीं हैं । जब कोई कवि या शायर मंच पर काव्‍य पाठ कर रहा हो तब उसे केवल प्रशंसा देनी चाहिये गुणदोष निकालने का काम तो हम बाद में कर सकते हैं । हमारे यहां कहा गया है कि दूल्‍हे को शादी के पांच दिनों तक नहीं डांटा जाता । तुलसीदास ने मित्र की परिभाषा दी है कि जो सार्वजनिक स्‍थान पर अपने मित्र के ''गुण प्रकटहीं अवगुणहीं दुरावा '' अर्थात गुणों को प्रकट करता है और अवगुणों को छुपाता है । और अकेले में गुणों की बात नहीं करता केवल अवगुणों की चर्चा करता है । किसी अंग्रेज दार्शनिक ने कहा है कि प्रशंसा की संतुलित मात्रा दवा का काम करती है किन्‍तु ओवरडोज होने पर वही दवा जहर बन जाती है, प्रशंसा उत्‍साह वर्द्धन करती है अत: प्रशंसा अवश्‍य करें किन्‍तु ये ध्‍यान रखें कि वो ओवरडोज न हो जाये ।

गौतम राजरिशी : सर होमवर्क प्रस्तुत है...पता नहीं कैसी बनी है ये गज़ल:-


हरी है ये जमीं हमसे कि हम तो इश्क बोते हैं
हमीं से है हँसी सारी, हमीं पलकें भिगोते हैं
धरा सजती मुहब्बत से, गगन सजता मुहब्बत से
मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं
करें परवाह क्या वो मौसमों के रुख बदलने की
परिंदे जो यहाँ परवाज़ पर तूफ़ान ढ़ोते हैं
अज़ब से कुछ भुलैंयों के बने हैं रास्ते उनके
पलट के फिर कहाँ आये, जो इन गलियों में खोते हैं
जगी हैं रात भर पलकें, ठहर ऐ सुब्‍ह थोड़ा तो
मेरी इन जागी पलकों में अभी कुछ ख्वाब सोते हैं
मिली धरती को सूरज की तपिश से ये खरोंचे जो
सितारे रात में आकर उन्हें शबनम से धोते हैं
लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है
वो कोई और होंगे अपनी किस्मत पे जो रोते हैं

मास्‍साब : वाह वाह वाह मतले ने मानो पूरी की पूरी भारतीय सेना को साकार कर दिया है । आनंद आ गया गौतम, । सितारे रात में आकर उन्‍हे शबनम से धोते हैं । और अब आ रहे हैं गौतम के ही मित्र कैप्‍टन संजय चतुर्वेदी ।

कैप्‍टन संजय चतुर्वेदी  : सादर नमस्कार.विलम्ब हेतु पुनः क्षमा प्रार्थी हूँ कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के चलते समय पर कक्षा में नहीं आ सका . माँ सरस्वती के उतसव पर ढेरों शुभ कामनायें.

जो साहूकार  के  घर में दही  मक्खन बिलोते हैं
उन्हीं  की गोद  में बच्चे  वहीं  भूखे ही सोते हैं

कभी रिश्तों की माला टूट भी जाये तो क्या रोना
चलो  मोती  चुनें  फिर से  नये  धागे  पिरोते हैं

कभी जो ताज़ को देखा यही निकला मेरे दिल से
मुहब्बत  करने  वाले  खूबसूरत  लोग  होते  हैं

ऍंगौछा  पेट  में  बांधे  मनायें  रात  हो  छोटी
उधारी  में  मिले  दाने  जो  बोने को भिगोते हैं

मिला काँटों  से  तो जानी हकीक़त फूल क़ी मैने
हरे पत्तों  में  छुपकर  फूल ही नश्तर चुभोते हैं 

कहें साजिश कि भोलापन कहें दीवानगी इसको
लहर के प्यार में माँझी खुद ही  कश्ती डुबोते हैं

मास्‍साब : लहर के प्‍यार में मांझी खुद ही कश्‍ती डुबोते हैं । भई वाह कैप्‍टन साहब आपने तो आनंद ला दिया । मुशायरे को सार्थक कर दिया आपने सेना के लोगों के मन में भी कितनी संवेदनशीलता होती है ये आपकी ग़ज़ल बताती है  । दोनों सेना के शायरों को जी भर के दादा दीजिये ।

एक बड़ी खुश्‍खबरी आपको देनी है अभी ये पोस्‍ट लगाते समय ही हाथ आई है ।

चलिये अब एक और तस्‍वीर देखिये ये तस्‍वीर भारत की सेना की बंगलादेश विजय की है और समर्पण करते विपक्षी सेनापति की है

भारतीय सेना के लिये बहुत दिनों पहले एक गीत लिखा था ''ये भारती का गीत है ये जिन्‍दगी का गीत है , '' कवि सम्‍मेलनों में खूब दाद मिलती है इस पर कभी अवसर मिला तो प्रस्‍तुत करूंगा ।

1971_surrender

13 टिप्‍पणियां:

  1. सभि वीरों को मेर नमन.अपकी कविता बहुत सुन्दर है अगर आप बुर न माने तो एक दो लिने कुछ्ह इस पर्कार भि लिख सकते हैं
    बोलने मे सहि रहेगा
    लडी मौत से हंस कर जो उन हिन्दोस्तानी शमशीरों की
    दूसरी
    उनके खून का कर्ज अभी भी यारो हम पर बाकी है
    बहुत सुन्दर कवित के लिये बधई

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  2. जिंदाबाद जिंदाबाद....सेना के संवेदनशील जवानों...जिंदाबाद...ये ही असली इंसान हैं जो दुश्मन पर गोलियां भी उसी कारीगरी से चलाते हैं जिस कारीगरी से ग़ज़ल में शेर कहते हैं...अचूक...वाह...किस देश को ऐसे रण बांकुरों पर गर्व नहीं होगा?
    गौतम जी का शेर

    मिली धरती को सूरज की तपिश ये खरोंचे जो
    सितारे रात में आकर उन्हें शबनम से धोते हैं.

    कमाल का क्या बेमिसाल है....वाह वा..

    और संजय जी का ये शेर:

    मिला काँटों से तो जानी हकीकत फूल की मैंने
    हरे पत्तों में छुप कर फूल ही नश्तर चुभोते हैं.

    किसी उस्ताद का शेर लगता है...ये शेर हमेशा के लिए जेहन में बस जाने योग्य है...बेहतरीन...

    बहुत बहुत शुक्रिया गुरुदेव आप का क्यूँ की आपके माध्यम से ही हमें ये नायाब शेर पढने को मिले और सेना के जवानों का ये रंग भी देखने को मिला...हमारे आनंद का पारावार नहीं है...

    नीरज

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  3. निर्मला जी आपके सुझाव का आभार । किन्‍तु ये कविता मंच के लिये लिखी जा रही है जिसे ओज की शैली में चीख कर पढ़ना होता है । इसमें मात्राओं का संतुलन उस तरह नहीं साधना होता है जिस प्रकार ग़ज़ल में । यहां मात्राएं गिनना होती हैं ।

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  4. GURU JI PRANAAM.

    SHAHID UNNIKRISHNAN KO MERA NAMAN,DONO HI HINDUSTANI SHERO NE KYA KHUB SHE'R KAHA HAI. UPAR SE DEKHANE ME YE JAWAN SAMVEDANSHIL NAJAR NAHI AATE DIL KI GAHARAI ME KITANE SHAMVEDASHILATA HAI PADHAKAR PATA CHALTA HAI.. NEERAJ JI AUR SANJAY JI KO BAHOT BAHOT BADHAI ITNE SUNDAR SHE'R KAHANE KEILYE .....

    ABHAR

    ARSH

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  5. बहुत बढिया रचनाएं पढवाने के लिए आभार।

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  6. गौतम जी और संजय जी की इतनी खूबसूरत और नए अंदाज की गज़लें ............ढेरों बार वाह वाह निकला ..........हर शेर पर क्या बात है कहने को जी चाहता है..........
    पंकज जी............आप का भी बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने मुझको और सभी को मौका दिया कुछ कहने का, अपना अपना दिल खोलने का, पूरा का पूरा समा बेहतरीन मंज़र है

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  7. बड़ाई किस कि करें कैप्टन साहब की या मेजर साहब की, दोनो वीरों ने हम जैसे पैदलों के सीधे हृदय में झंडा गाड़ा है....! किसी एक शेर को कोट करना मेरे वश की बात नही...! दोनो ही गज़लें बेहतरीन...!

    बधाई...बधाई...बधाई

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  8. गुरू जी...बस आँखें भर आयी हैं।
    उन्नी को यूँ हँसता देखकर और आपकी ये कविता
    वैसे तो रोज आपको चरण-स्पर्श करता हूँ,आज बिल्कुल सावधान में खड़ा होकर कड़क सैल्युट मार रहा हूँ.......

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  9. दोनो ही ग़ज़लें बेहद खूबसूरत... दोनों को बधाई...

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  10. गुरु जी प्रणाम
    तरही मुशायरा संपन्न होने की हार्दिक बधाई
    रजनीश जी और संजय जी,
    बहुत बेहतरीन गजल कही है आपने ये शेर खास पसंद आए

    कभी जो ताज़ को देखा यही निकला मेरे दिल से
    मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं


    मिली धरती को सूरज की तपिश से ये खरोंचे जो
    सितारे रात में आकर उन्हें शबनम से धोते हैं

    लकीरें अपने हाथों की बनाना हमको आता है
    वो कोई और होंगे अपनी किस्मत पे जो रोते हैं

    आज कई दिन के बाद फ़िर से नेट पर आ सका हूँ व्यापारिक गतिविधियों के कारन समय नही निकल पता था सीजन चल रहा है जो अभी १५ दिन तक और व्यस्त रखेगा
    यह सोंच कर मन दुखी हो गया की इस बार तरही मुशायरे में भाग नही ले सका
    अब तो अगले तरही मुशायरे का इंतज़ार रहेगा

    आपका वीनस केसरी

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  11. सेना के जांबाजों की कलम से परिचय कराने के लिए धन्यवाद.
    major उन्नीकृष्णन की तस्वीर ने २६/११ की याद दिला दी.
    मुश्यारे की सफलता पर बधाई.

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  12. नमस्कार गुरु जी,
    गौतम जी और संदीप जी दोनों ने बेहतरीन ghazal कही हैं.
    गौतम जी का matla waah क्या कहने, aur ye "mili dharti...." bahut hi sundar hai.

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