तरही मुशायरा पिछली बार की तुलना में बेहतर रहा भले ही पिछली बार की तुलना में कम लोग थे मगर जो थे वे अपने बेहतरीन प्रदर्शन के साथ थे । कुछ अच्छे शेर सुनने को मिले । जब मैंने रमेश हठीला जी को ग़ज़लों के प्रिंट आउट देकर कहा कि इनमें से एक शेर निकालो जिसको कि हम हासिले मुशायरा का दर्जा दे सकें तो पहले तो उन्होंने सारी ग़ज़लें पढ़ने के बाद कहा कि सुबीर इत्ती अच्छी ग़ज़लें तो कभी तुमने भी नहीं लिखीं जितनी तुम्हारे कक्षा के विद्यार्थी लिख रहे हैं । हाय हाय हठीला जी किसी के सामने सच को ऐसे भी कहा जाता है क्या । किन्तु मैं तो उस पर विश्वास करता हूं कि ''जो बड़री अंखिया निरख अंखियन को सुख होय'' अर्थात नायिका जब दर्पण में अपनी बड़ी होती आंखों को देख्ाती है तो उसकी आंखों को ही सुख होता है । अर्थात सीखने वालों का कद अपने से बड़ा होता देख सिखाने वाले को हमेशा सुख होता है । फिर मैंने हठीला जी से कहा गुरू साहब ( यही कह कर बुलाता है उनको पूरा सीहोर ) आचरेकर जी को बल्ला लेकर मैदान में उतार दो तो वो क्या उस तरह से खेल पायेंगें जिस प्रकार से तेंदुलकर खेलता है । तो बात वही है कि सिखाने वाला और सीखने वाला ये दो अलग लोग होते है ।
खैर आज तो परिणाम घोषित करने का दिन है । रमेश जी ने जिस शेर को हासिले मुशायरा के रूप में निकाला है वो इस मायने में महत्वपूर्ण है कि उसमें आज की पीड़ा है । कहते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण है तो साहित्य को हमेशा वही दिखाना चाहिये जो आज के समाज में घट रहा हो । कुछ ऐसी घटनाएं जो घटी हों और जिनके कारण समाज की दिशा पर प्रश्न चिन्ह लगा हो उनको साहित्य ही अगर स्थान नहीं देगा तो कौन देगा । इस मायने में आज के हासिले ग़ज़ल शेर के शायर हैं
अंकित सफर
और शेर है
नशे में चूर गाड़ी ने किया यमराज से सौदा
नहीं मालूम दौलत को सड़क पे लोग सोते हैं
अंकित को बहुत बहुत बधाई । शेर अपने आप में सम्पूर्ण है । विशेषकर जिस प्रकार से मिसरा सानी को लिखा गया है प्रतीको के माध्यम से वो बेहतरीन बन पड़ा है । समाज के वर्गों के बीच की खाई को कुशलता के साथ इंगित किया है अंकित ने । अंकित जो पुणे में मैंनेजमेंट के छात्र हैं तथा अपने अंतिम वर्ष में हैं तथा अंकित सफर की कलम से के नाम से अपना ब्लाग http://ankitsafar.blogspot.com/ चलाते हैं । हालंकि ये भी सच है कि पिछले एक माह से उस ब्लाग पर कोई पोस्ट नहीं लगी है । अंकित मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं तथा अभी पुणे में अपना ठिकाना बना रख है । अंकित को बधाई ।
चलिये अब होली के मुशायरे के लिये मिसरा बहर यही है जो पिछली बार थी ।
तुम्हारे शह् र के गंदे वो नाले याद आते हैं
बहर तो वहीं है काफिया है 'आले' और रदीफ है याद आते हैं ।
मैंने कल की पोस्ट पर एक खुश्खबरी के बारे में कहा था जो मुझे कल ही प्राप्त हुई थी । उसके बारे में आपको शीघ्र ही जानकारी मेंरे किसी मित्र के ब्लाग पर मिल जायेगी ।
और आज का फोटो गुरू श्रद्धेय डॉ विजय बहादुर सिंह जी हाथों प्रेमचंद सम्मान । डॉ सिंह आजकल कोलकता से प्रकाशित होने वाली साहित्य की अग्रणी पत्रिका वागर्थ के सम्पादक हैं ।
अंकित जी को बहुत बहुत बधाई............
जवाब देंहटाएंआपका भी बधाई safal ayojan की
हठीला जी को नमन...जिस शेर को चुना वो सही में बेजोड़ है...बधाई अंकित जी को...युवा जब ऐसे शेर कहते हैं तो बहुत अच्छा लगता है पढ़ कर...कभी पुणे गया तो उनको व्यक्तिगत मिल कर बधाई दूँगा...हठीला जी की इस बात से सहमत नहीं की चेले गुरु से आगे निकल गए हैं...ऐसा हो नहीं सकता...चेले चाहे शक्कर हो जायें लेकिन मिठास जो गुड में हैं वो कहाँ से पायेंगे...??
जवाब देंहटाएंनीरज
नमस्कार guru जी,
जवाब देंहटाएंhatheela जी को प्रणाम, अपना sher haasile mushayera sher paake विश्वास नही हो रहा है, मैं इसका श्रेय आपको देना चाहता हूँ.
जो मिसरा आपने दिया था मैं तो उसपे कोई मोहब्बत वाली ग़ज़ल बना देता मगर आपने ने एक दिन कहा था की समाज में जो घटित हो रहा है उसे लिखो.
NAMASKAR GURU JI,
जवाब देंहटाएंANKIT JI KO DHERO BADHAI HASILE SHE'R KE LIYE.SAHI KAHA HAI NEERAJ JI NE GURU KE AAGE SHISHYA KYA MAJAL KE CHU BHI KARE.. GURU TO DUNIYA ME SABSE BADA HOTA HAI MATA PITA SE BHI BADHKAR.... HATHILA JI KO PRANAAM..
ARSH
वाकई बेहतरीन शेर... अंकित को ढेरों बधाई..
जवाब देंहटाएंवाकई बेहतरीन शेर अंकित को ढेरों बधाई
जवाब देंहटाएंसचमुच गुरू जी..हठीला जी की पसंद सब की पसंद है....पहले तो इस ख्याल की सोच फिर उसे इतने सुंदर तरीके से शेर पे बिठाना----वाह अंकित-बहुत अच्छे।
जवाब देंहटाएंऔर गुरू जी आपके पैरों की छोटी ऊँगली के समकक्ष भी हम पहुँच जाये,तो खुशनसीब समझ लेंगे खुद को।रमेश हठीला जी ने बहुत बड़ी बात कह दी ये।
अगले तरही का मिस्रा तो धूम मचाने वाला है...
गुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंहासिल शेर बहुत जोरदार रहा
आप शायद मुझसे नाराज हैं
नाराज होना वाजिब भी है क्लास चल रही हो और छात्र गायब हो तो ये नाराजगी की नही संटी मारने की बात है मई तो उसके लिए भी तैयार हूँ
अगले तरही मुशायरे के लिए कमर कस ली है अबीर गुलाल खरीदना बाकी रह गया है
( मिश्रा लिख लिया है प्लाट मन के आ गया है लिखना बाकी है )
वो खुश खबरी तो बताइए हमें तो कही से पता नही चल रही है आपके कई परिचितों के ब्लॉग खंगाल चुका हूँ
आपका वीनस केसरी
गुरू जी कुछ नया तो लगाईये यहाँ,दिन हुये
जवाब देंहटाएं’लफ़्ज़’ का नया अंक पढ़ रहा हूँ। मुखपृष्ठ पर ही आपका नाम है....और अब जा रहा हूँ ये हास्य पढ़ कर फिर आता हूँ।
शेर निश्चित तौर पर काबिले तारीफ़ है.
जवाब देंहटाएंशेर निश्चित तौर पर काबिले तारीफ़ है.
जवाब देंहटाएंगुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंअब जब फ़िर से पर्याप्त समय मिल पा रहा है तो फ़िर से कुछ न कुछ लिखने लगा हूँ तरही मुशायरे के लिए भी गजल लिख ली है मगर वो अभी अधूरी है, जल्द ही भेज दूँगा
इस बीच कुछ प्रश्न मन में उपजे है मैंने एक लेख में पढ़ा की जिस तरह गजल एक ही बहर पर लिखी जाती है उस तरह की पाबंदी रुबाई पर नही होती है और हम रुबाई की चारों लाइने अलग अलग बहर पर लिख सकते हैं मगर बहर की संख्या कुछ कम होती है
गुरु जी आपसे गुजारिश है की इस विषय पर भी एक क्लास लीजिये जिससे शंका समाधान हो सके
दूसरी बात जो मन में है वो है इता दोष को ले कर
इता दोष के बारे में तो कई जगह पढने को मिला है मगर विस्तृत जानकारी कही नही मिल पाती है अगर हो सके तो इस विषय में विस्तार से बताने की कृपा करे
आपका वीनस केसरी गुरु जी प्रणाम
अब जब फ़िर से पर्याप्त समय मिल पा रहा है तो फ़िर से कुछ न कुछ लिखने लगा हूँ तरही मुशायरे के लिए भी गजल लिख ली है मगर वो अभी अधूरी है, जल्द ही भेज दूँगा
इस बीच कुछ प्रश्न मन में उपजे है मैंने एक लेख में पढ़ा की जिस तरह गजल एक ही बहर पर लिखी जाती है उस तरह की पाबंदी रुबाई पर नही होती है और हम रुबाई की चारों लाइने अलग अलग बहर पर लिख सकते हैं मगर बहर की संख्या कुछ कम होती है
गुरु जी आपसे गुजारिश है की इस विषय पर भी एक क्लास लीजिये जिससे शंका समाधान हो सके
दूसरी बात जो मन में है वो है इता दोष को ले कर
इता दोष के बारे में तो कई जगह पढने को मिला है मगर विस्तृत जानकारी कही नही मिल पाती है अगर हो सके तो इस विषय में विस्तार से बताने की कृपा करे
आपका वीनस केसरी
"...मैंने कल की पोस्ट पर एक खुश्खबरी के बारे में कहा था जो मुझे कल ही प्राप्त हुई थी । उसके बारे में आपको शीघ्र ही जानकारी मेंरे किसी मित्र के ब्लाग पर मिल जायेगी ।..."
जवाब देंहटाएंमिल गई जी, गाड़ा-गाड़ा अउ झौंहा झौंहा बधाई. अब पार्टी कब, किधर है?
हम तो बधाई देने से ही रह गये. अब से दे देते हैं.
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