बिजली की समस्या को तो अब ऐसा लगता है कि कायम ही रहना है । वो शक्तिमान धारावाहिक में एक पात्र होता था जो कहता था अंधेरा कायम रहे । ऐसा लगता है कि हमारे मध्यप्रदेश में आने वाली सरकारें भी यही कहती है कि अंधेरा कायम रहे । पहले हमने दिग्विजय को हटाया ये सोच कर कि भाजपा की सरकार आयेगी तो कुछ हल होगा मगर पत्ते तो ढाक के वही तीन रहे । हां उमा भारती का कार्यकाल पिछले बीस सालों के प्रदेश के इतिहास का वो समय है जब चौबीस घंटों में एक मिनिट के लिये भी बिजली नहीं काटी गयी । हमारे प्रदेश में बिजली कटौती करने वाले बिजली विभाग के अफसरों को बोनस दिया जाता है कि किस अधिकारी के क्षेत्र में कितनी बिजली काटी गई उसे उतना ही बोनस दिया जायेगा । बोनस के चक्कर में होता ये है कि बिजली होते हुए भी उसकी कटौती की जाती है । जहां पर आंदोलन हो जाता है प्रदर्शन हो जात है वहां पर फिर बिजली की कटौती नहीं की जाती है । मजे की बात ये है कि पहले तो सुब्ह छ: से बारह कटौती की जाती है और फिर बारह बजे बिजली आती है तो दस मिनिट में फिर चली जाती है पता चलता है कि मेंटिनेंस का काम चल रहा है । अब कौन पूछे कि भैया अभी जब बिजली नहीं थी तब ही कर लेते ये मेंटिनेंस । मगर बात तो वही है न कि जितनी बिजली काटोगे उतना ही बोनस मिलेगा ।
खैर ये तो हुई बिजली विभाग की बात । कुछ दिनों पहले नीरज गोस्वामी जी का मेल मिला जिसमें उन्होंने कहा कि इन्वर्टर से काम चलाया जा सकता है । इस मामले पर गंभीरता से सोचा गया और ये पाया गया कि नीरज जी की सलाह में दम तो है । इन्वर्टर वाले को बुला कर बात की गयी और बात की बात में बीस हजार रुपये सटक सीताराम हो गये । पैसे गये तो गये पर चलो अब कुछ राहता तो मिली । ये पहली पोस्ट है जो कि इन्वर्टर की बिजली से लिखी जा रही है । कुछ राहत इसलिये कि बिजली जिस हिसाब से जाती है उससे तो ये ही कहा जा सकता है कि इन्वर्टर भी तो तब ही काम करेगा ना जब उसकी बैटरी चार्ज होगी और बैटरी को चार्ज होने के लिये एक बार फिर ज़रूरत होगी बिजली की ही । तो साहब मायने ये कि घूम फिर के आना उसी पर है बिजली पर ही । मगर चलो ठीक है कि कुछ नहीं से कुछ तो होगा कहा जात है ना कि नहीं मामा से काना मामा ही अच्छा होता है ।
खैर चलो जो हुआ सो हुआ मगर अब ये तो है कि जब चाहे तब काम किया जो सकता है । श्रद्वा जैन, गौतम राजरिशी, अर्श , दिगम्बर जी इन सबकी ग़ज़लें इस्लाह के लिये रखी हैं अब कम से कम काम तो किया जा सकेंगा । वरना तो होता ये था बिजली आयी तो पहले जल्दी मचती थी मेल को चैक करने की फिर उसके बाद पेंडिंग काम को निबटाना पता चलता तब तक बिजली फिर से चली गई । चलो अब कुछ राहत है ।
आज की पोस्ट केवल ये खुशखबरी देने के लिये ही लगाई है कि अब कुड नियमितता हो सकेगी । तरही मुशायरे के लिये बहुत कम ग़ज़लें प्राप्त हुई हैं जितनी भी प्राप्त हुई हैं उनके साथ ही हम तरही मुशायरे का आयोजन संभवत: कल करने जा रहे हैं कल या परसों । जो लोग और भेजना चाहते हैं अपनी ग़ज़लें वे भी तुरंत भेज दें । और हां इस बार मिसरा मजाहिया( हास्य का ) दिया जायेगा क्योंकि इस बार के मिसरे पर जो तरही मुशायरा होगा वो होली के अवसर पर आनलाइन होगा । और उसमें प्रथम पुरुस्कार की भी व्यवस्था रहेगी । चलिये इसी बात पर पिछले होली के टेपा कार्यक्रम का मेरे संचालन का एक फोटो देखिये
विशेष : मुझे एक मेल मिला है कि मेरे ब्लाग पर वर्तनी की बड़ी ग़लतियां होती हैं । विनम्रता के साथ कहना चाहूंगा कि हम नेट पर हिंदी में टाइप करने वाले किस मुश्किल का सामना करके काम करते हैं ये हम ही जानते हैं उस पर ये कि मुझे तो बिजली की तलवार के साये में काम करना होता है । मेरी नानी जी एक कहावत कहती है 'उठाई ज़बान और तालू से लगा दी' इसका अर्थ है कि कहने के लिये कुछ ज्यादा नहीं करना होता बस ज़बान को तालू से चिपकाना होता है पर करने के लिये बहुत कुछ करना होता है । खैर जय राम जी की
पहले तो इन्वर्टर की बधाई/ दूजे २०००० सटकने पर सहानभूति/ तीजे, तरही मुशायरे के लिए शुभकामनाऐं/ चौथा-टेपा बने खूब जम रहे हैं. :) बस!! जै राम जी की!
जवाब देंहटाएंगुरु जी प्रणाम,
जवाब देंहटाएंबिजली की समस्या इतनी बड़ी है के क्या कही जाए ,मगर इसका समाधान करके आपने हम जैसों पे तो एहसान है ,आपका शुक्रगुजार हूँ इसकी समस्या दूर हुई.... अब हमारे ऊपर भी आपके करम होंगे यही उम्मीद करता हूँ..
आपका
अर्श
Aapki baat ek dam theek hai subeer ji, hindi me likhne waale hi jaante hain ki kitni sahi hindi ban paati hai google ke sahyog se :)
जवाब देंहटाएंIsiliye angreji hindi likhi maine yahan par[:)]
समीर जी के साथ हमारी भी बधाई और सहानभूति ..........खुशी ज्यादा है अब आपको ज्यादा वक़्त मिलेगा नेट पर.
जवाब देंहटाएंहोली का महीना तो शुरू हो ही गया...........तो होली पर सब को बहुत बधाई..........
ये तस्वीर तो गुरू जी...क्या कहें...फागुन का रंग अभी से जम गया मानो...
जवाब देंहटाएंइंवरटर की जय हो
और ये वर्तनी की गलती बताने वाले कौन थे श्रीमान जी?
चलिए न मामा से काना मामा किसी भी हाल में बेहतर ही होता है.....
जवाब देंहटाएंमुशायरे की प्रतीक्षा रहेगी.
गुरुदेव इनवर्टर का सुझाव जरूर मैंने दिया था लेकिन उसके लिए बीस हजार रुपये खर्च करने को कब कहा...ये तो ना इंसाफी हो गयी...मेरा ख़याल था की इनवर्टर यही कोई दस बारह हजार के आते हैं...ये आप ने कौनसा खरीद डाला ? खैर ...जो होता है अच्छा ही होता है.....तरही मुशायरे की अग्रिम बधाई....उम्मीद है की युवा शायर इस बार जरूर कमाल के शेर बाँध कर लाये होंगे...इंतज़ार रहेगा उन्हें पढने का...
जवाब देंहटाएंऔर टोप वाली फोटो में तो आप गज़ब ढा रहे हैं....गज़ब माने बहुत ही गज़ब...
नीरज