होली का नाम सुनते ही न जाने क्या क्या होने लगता है मन में । पलाश कर चटख फूलों की मस्ती आंखों में लहराने लगती है और आम के बौरों की मादक खुश्बू दिमान में जाकर उसे मदमस्त करने लगी है । होली मेरा मनपसंद त्यौहार है इतना कि लगभग 30 कहानियां इस त्यौहार पर लिख चुका हूं । और अभी भी होली के आते ही मन बावरा होने लगता है । मध्यप्रदेश के सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री दिलीप चिंचालकर जी से किसी पत्रिका ने उनके पसंद की दस कहानियां पूछीं थीं । मेरा सौभाग्य है कि उन 10 में दो कहानियां आपके इस मित्र की थीं । और उनमें भी एक कहानी तो यही थी होली की जिसका नाम था 'पलाश' । हमारे यहां पर पलाश को टेसू कहा जाता है । और ये भी कि हमारे यहां पर होली के एक माह पूर्व की पूर्णिमा अर्थात आज अरंडी के पेड़ की एक शाखा को लाकर पूजा पाठ के साथ उसे जमीन में गाड़ दिया जाता है ये कहलाता है होली का डांडा । उसके आस पास पांच कंडे ( उपले) रख दिये जाते हैं । इसके बाद माह भर उसके आस पास बच्चे लकडि़या एकत्र करते हैं और एक माह बाद उसको जलाया जाता है । होली को लेकर जितना लिखूं कम हैं । हमारे यहां पर होली पूरे पांच दिनों तक होती है होली से लेकर आने वाली पंचमी तक जिसको कि रंग पंचमी कहा जाता है। खूब धमाल होता है कहीं फाग गायन पर जमकर नाच होता है तो कही भंग छनती है । मेरे गुरू कहते हैं कि ये त्यौंहार जरूर मनाना चाहिये ये हमें आने वाले साल भर के लिये चार्ज कर देता है जैसे हमारे मोबाइल की बैटरी चार्ज होती है वैसे ही ।
खैर अभी तो महीना पड़ा है हम बातें करेंगें ही अब आज चलते हैं दो शायरों के साथ तरही मुशायरे में ।
मास्साब : सबसे पहले आ रहे हैं दिगंबर नासवा ।
दिगम्बर नासवाआपके ब्लॉग पर पिछले कुछ दिनों से जाना शुरू किया है, वैसे तो आप का ज़िक्र अक्सर बहुत से ब्लोग्स पर मिलता रहता है, ब्लॉग जगत में आप का नाम अनजाना नही है. ग़ज़ल गुरू हैं आप. आप के दिए मिसरे पर अपनी ग़ज़ल भेज रहा हूँ, उम्मीद है आप इसे शामिल करेंगे. में अपना ब्लॉग "स्वप्न मेरे............." लिखता हूँ, ज्यादातर ग़ज़लें ही कहता हूँ, अगर आपका मार्ग-दर्शन मिलेगा तो, तो शायद निखार आ जाए . मैं गत ९ वर्षों से दुबई मैं कार्यरत हूँ, पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट हूँ, एक अमेरिकन कंपनी मैं सी.एफ.ओ. के ओहदे पर हूँ.
ब्लॉग का पता है http://swapnmere.blogpost.com
मुहोब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं
परस्तिश यार की, महबूब के सपने संजोते हैं
वो सागर मोड़ने का होंसला रखते हैं जिगर में
तभी बंज़र ज़मीं पर बाजरे का बीज बोते हैं
जहाँ से अपनी मोहब्बत कि इब्तदा हुई थी
वहाँ कोहरे की चादर तान कर दो साए सोते हैं
जहाँ लगते थे मेले ज़िन्दगी अंगडाई लेती थी
उसी बरगद के नीचे खनकते कंगन भि रोते हैं
तुम्हारी आँख से निकले तो बन गए दरिया
हमारी आँख के आंसू तो बस तकिये भिगोते हैं
हर इक इंसान के दिल में खुदा का अंश होता है
कुछ ऐसी मान्यताएं आज कितने लोग ढ़ोते हैं
मास्साब : तालियां तालियां तालियां । भइ खूब लिखा है । बहर को लेकर कहीं कहीं कुछ समस्या आ रही है पर मैं बार बार कहता हूं कि तरही मुशायरे में मैं अपनी संटी घर छोड़ कर आता हूं किसी को कुछ नहीं कहता । और अब आ रहे हैं हमारे युवा शायर अंकित सफर
अंकित सफ़र :खुशी में साथ हँसते हैं, ग़मों में साथ रोते हैं.
मुहब्बत करने वाले खूबसूरत लोग होते हैं.
नशे में चूर गाड़ी ने किया यमराज से सौदा,
नही मालूम दौलत को सड़क पे लोग सोते हैं.
कभी हर्षद, कभी केतन, कभी सत्यम करे धोखा,
मगर इन चंद के कारन सभी विश्वास खोते हैं.
महज़ वो कौम को बदनाम करते हैं ज़माने में,
जो बस जेहाद के जरिये ज़हर के बीज बोते हैं.
ये सारा खेल कुर्सी का समझ में आएगा सब के,
ये नेता झूठ हँसते हैं, ये नेता झूठ रोते हैं.
हमारे शहर घर पे बढ़ गए आतंक के हमले,
ये गुस्सा भी दिलाते हैं, ये पलकें भी भिगोते हैं.
with regards, Ankit Joshi MBA - Agri-business Management
VAMNICOM, Pune http://ankitsafar.blogspot.com/
मास्साब : तालियां तालियां । ये नेता झूठ हंसते हैं ये नेता झूठ रोते हैं दिल खुश कर दिया माससाब का । चलिये आज के दोनों शायरों को दाद दीजिये और प्रतीक्षा कीजिये आने वाली दो वर्दीधारी ग़ज़लों को । वर्दीधारी इसलिये क्योंकि एक शायर सेना में मेजर है तो दूसरे कॅप्टन हैं । और ये रहा आज का चित्र । होली के अवसर पर देखिये मास्साब पूर्व विश्व सुंदरी और फिल्म अभिनेत्री युक्ता मुखी के साथ अब ये मत पूछियेगा कि युक्ता मास्साब को इस प्रकार आश्चर्य से मुह फाड़ के क्यों देख रही है ( राज की बात ये चित्र अपनी पत्नी को आज तक नहीं दिखाया है )
पंकज जी, पिछली सीहोर यात्रा में आप से मिलना चाहता था। लेकिन न मिल सका। चलो इस बार सही। पर यह कब होगी कह नहीं सकता।
जवाब देंहटाएंआप के दोनों शायर अभी सीख रहे हैं। आप ने संटी की याद दिला कर ठीक किया कि वे अभी और आगे बढ़ें। ग़ज़ल में प्रवीणता बहुत अभ्यास पर आती है। जब विषय सूझे और रदीफ,काफिया और बहर आगे पीछे चलने लगे तो समझिए ग़ज़ल कहना आ गया।
GURU JI PRANAAM,
जवाब देंहटाएंDONO SHAYARON KO PADHA MAZA AAGAYA,SATH ME AAPKI TASVIR WAH,ACHHA KIYA KE NAHI DIKHAYA GHAR ME .... AGALE ANK KA INTAZAAR RAHEGA..
ARSH
तुम्हारी आँख से निकले तो बन गए दरिया
जवाब देंहटाएंहमारी आँख के आंसू तो बस तकिये भिगोते हैं...
कभी हर्षद कभी केतन कभी सत्यम करे धोखा
मगर इन चंद के कारण सभी विश्वास खोते हैं...
दोनों ही शाइर ने कुछ बेहतरीन शेर निकाले हैं...म्हणत से बहुत आगे जाने की संभावनाएं साफ़ नज़र आ रही हैं.
आप का चित्र...लग रहा है युक्ता मुखी भी आपकी चौमुखी प्रतिभा से हैरान हैं...आप तो गुरु जी बहुत पहुंचे हुए इंसान हैं...बड़ी बड़ी हस्तियों से मिले हैं वाह....
नीरज
सुन्दरतम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं---
http://pinkbuds.blogspot.com
गज़लें दोनो ही अच्छी अंकित जी के साथ बहुत भी लगाने का मन हो जा रहा है....!
जवाब देंहटाएंवाह.. अच्छी गज़लें कही दोनो ने... भावपक्ष तो बहुत ही प्रभावी.. साधुवाद..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चल रहा है तरही मुशायरा..खैर, अच्छा किया भाभी को नहीं दिखाई तस्वीर..वरना मित्रों के करने के लिए क्या बच रहता. :)
जवाब देंहटाएंआगे मेजर, कैप्टन का इन्तजार है.
सुंदर रचनाएं. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंवाह गुरू जी....दिगम्बर जी और अंकित --दोनों की गज़लें बेहद पसंद आयी है...
जवाब देंहटाएंखास कर दिगम्बर जी का ये शेर "तुम्हारी आँख से निकले तो बन गए दरिया/हमारी आँख के आँसू तो बस तकिये भिगोते हैं"
और अंकित के "नशे में चूर गाड़ी ने..." और "ये सारा खेल कूर्सी का..." बहुत-बहुत भाया
लेकिन गुरूदेव तरही या ना-तरही,मकसद तो आपका हम सब को सिखाना ही है-तो मेरा अनुरोध है कि तरही में भी आपकी संटी रहनी चाहिये संग....
और युक्ता मुखी का आश्चर्य से आपको निहारना---? हाय रे,उनको भी नहीं बखशा आपने अपने जादू से...
Digmabar ji aap ki gazalon ke to waise bhi ham prashanshak hain.aaj ki gazal bahut hi pasand aayi..Ankit ji ki gazal bhi achchee lagi.badhayee.
जवाब देंहटाएंनमस्कार गुरु जी,
जवाब देंहटाएंदिगम्बर जी ने बहुत ही सुंदर ग़ज़ल कही है, मुझे उनके सभी शेर बहुत पसंद आए, हर ख्याल उम्दा तरीके से पिरोया है उन्होंने मगर इस शेर "तकिये भिगोते है.", ने तो ग़ज़ब कर दिया है.
sabhi logon ka utsahvardhan ke liye shukriya..........
yukta mukhi isliye aise dekh rahi hai kyonki wo bahumukhi pratibha se mil rahi hain.