अखिल ब्रह्मांडीय कबूतरी सम्मेलन
मितरों और मितरानियों । सबको जथाजोग परनाम पोंचे । तो जैसा कि आप सब जानते ही हैंगे कि इस बार अखिल ब्रह्मांडीय कबूतरी सम्मेलन का आयोजन होली के सूअ(वस)र पर किया जा रया है । इस कबूतरी सम्मेलन में भाग लेने के लिये दूर दूर से कई सारी कबूतरियां आईं हेंगी । मैं आपका संचालक भभ्भड़ कवि भौंचक्के आप सब का सुआगत कर रिया हूं । आप सबको पता ही हे रिया है कि इस बार का ये कबूतरी सम्मेलन 'केसरिया, लाल, पीला, नीला हरा गुलाबी' पर किया जा रहा है । तो आइये आगे बढ़ते हैं अपने इस कबूतरी सम्मेलन को लेकर । सगरे बिरज मंडल में धमल चल रइ है । सगरे भारत वर्ष में धमाल चल रइ है । होरी खों पापन परब ढिंका चिका करतो फिर रओ है । तो आप सब सरोताओं को एक एक भंग का पव्वा और बिस में थोड़ा सा धतूरा मिला कर हम भेंट कर रये हेंगे । पिओ और टुन्न हो जाओ । किसी के भी हाथ मती आओ ।
धर्मेंद्र कुमार सिंह
हमारी सबसे पेली कबूतरी जो हेंगी बे सीधे डेम पे से चली आ रइ हेंगी । काय के जे कछु इंजीनियर बिंजीनियर हेंगी । इनने कित्तेइ बांध बनाये हैं कागजन पर । ओरिजनल जगे पे इनका एक भी बांध नइ मिलता हेगा । कोई पूछे तो बताती हैं कि बांध चोरी हो गया है । आप साकाहारी हैं सो केबल सड़े टमाटर से सुआगत करा जाए ।
होने लगी है देखो काली घटा गुलाबी
क्या गेसुओं में उसके जाकर गिरा गुलाबी
फागुन छुपा के लाया क्या तोहफ़ा गुलाबी
होने लगी है धीरे धीरे फिज़ा गुलाबी
भरते हैं सिसकियाँ क्यूँ बागों के पेड़ सारे
क्या फागुनी हवायें करतीं खता गुलाबी
ऐसे डसा है मुझको इक फागुनी नज़र ने
है अंग अंग मेरा पड़ने लगा गुलाबी
मदिरा गुलाब जल सा मुझपे करे असर अब
लब ने लबों को दे दी कैसी सजा गुलाबी
कोई है रंग ऐसा खिलता न हो जो तुझपे?
केसरिया लाल पीला नीला हरा गुलाबी
सोलह बसंत अबके वो पार हो रहे हैं
होने लगे शहर के आब-ओ-हवा गुलाबी
सेंसर सेंसर सेंसर, कबूतरी भूल रइ हेंगी कि मुसायरा पारिवारिक है और जे सोलह बसंत, अंग अंग, लबों जैसी बातें कर रही हैं । जे सारे सबद मूसायरे में से भिलोपित किये जाते हैं । कोई भी इन को सुनने की कोसिस न करे ।
सूचना- हमारे मुसायरे के गरिष्ठ सदसय श्रीमान नीरज गोस्वामी झूमरी तलैया से दारू के ठेकेदार का चुनाव लड़ रये हेंगे । जिनका चुनाव निसान हेगा मोगरे की सूखी डाली । सब लोगन से अपील की जाती है कि मोगरे की सूखी डाली पे गोबर से सने जूते का ठपपा लगा के नीरज गोस्वामी को दारू का ठेकेदार बनाएं । सूचना समाप्त भई ।
दिगंबर नसवार
जे किछु आधुनिक लग रइ होंगी आपको, काय कि जे सीधे बुदई से चली आ रही हैं । अपने इंडिया में तो किछु कर ना पाईं सो सीधे बुदई में जा के किछु ना कर रई हेंगी । भां पे जा के आपने अपना जूता पालिस का सानदार दुकान खोला हेगा । इनका दावा है कि कोई भी जूता अगर इनके टकले से कम चमका तो पूरे पैसे वापस दे दिये जाएंगे । काय कि जे रोज अपना टकला भी उसी प्रकार से चमकाती हैं । आइये इनसे भी सुन ली जाये । जे दो प्रकार की गजल ला रही हैं । एक को नाम इनने हास्य गजल दओ है । इने नइ मालूम कि इनकी सारी ग़ज़लें ही हास्य होती हेंगी । काय कि बिना बहर की गजल सुन के हंसी नी आयेगी तो क्या आयेगा ।
केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी
काला सफ़ेद जो हो समझो मिला गुलाबी
कटते नहीं हैं रस्ते, बस ख्वाब के सहारे
सच देखना है तो फिर, परदा उठा गुलाबी
चेहरे का नूर है या, है कुदरती करिश्मा
क्यों चाँद आसमा का, फिर हो रहा गुलाबी
सुख दुःख, निशा उजाला, सब जिंदगी का हिस्सा
सबको कहाँ मिला है, रंगी समा गुलाबी
परवर दिगार से बस, इतनी ही इल्तज़ा है
चारों तरफ हो सबके, खिलता हुआ गुलाबी
हास्य गज़ल
गलती से मांग में जो, रंग लग गया गुलाबी
थप्पड़ पड़ा है ऐसा, नक्शा छपा गुलाबी
बेरंग रंग सारे, काले बदन पे तेरे
केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी
गमला उठा के मारा, क्यों बोलने पे इतना
“वो फूल फैंकना तो, मुझको ज़रा गुलाबी”
मैके गई है जबसे, अर्धांगिनी कहूं क्या
मन का घना अंधेरा, फिर से हुआ गुलाबी
होली के बाद उनकी, बाहों में सो गया था
कीचड़ से मैं उठा जब, उतरा नशा गुलाबी
काय कि अपनी कहूं तो मोय तो हास्य ग़ज़ल में जरा, नेक सी भी हंसी नई आई । एक बार मेरे होंठ जिरा से टेढ़े भये थे पर बो हंसी नई थी बो तो मैं अपने गाल पर बैठी मक्खी को होंठ टेढ़ा करके भगा रहा था । आप सब के गले की कसम मोय जिरा सी भी हंसी नी आई है जिस हास्य गजल पे । आपको आई हो तो हंस लो हंसने पे कोइ टैक्स थोड़ी है ।
सूचना - हमारे मुसायरे के एक वरिष्ठ सदस्य श्री राकेश खण्डखण्ड वॉल जी कल रात को मुन्नी बाई के कोठे से लापता हो गये हैं । किछु लोगन का कहना हेगा कि बे आखिरी बार मुन्नी बाई के कोठे के नीचे कल्लू पहलवान को अपना गीत सुनाने की कोसिस कर रय थे । लोगों का केना है कि कल्लू को गीत सुनाने की कोसिस ही उनके लापता होने का कारण है । जिनको राकेश जी की सूचना देनी हो बे राकेश जी के मोबाइल पे दे सकते हैं ।
निरमल सिद्धू
काय कि इनसे पेले तो गजल लिखा ही नहीं रही थी जिसके कारण इनने पेले तो उसी माइक से अपने आप को टांगने का निरनय ले लिया था । किन्तु बाद में इनको ग़ज़ल सूझ गई । जे सीधे डनाका से चली आ रही हैं । इनको भी सुनाने की भोत इच्छा हो रही है । भोत देर से केरइ हैं कि मोय भी कविता करनी है । सो आप सब सानती के साथ बैठ कर कविता सुन लो ।
दस्तक होली की सुन हर चेहरा हुआ गुलाबी
रितु बसंत आई तो नयनों में घुला गुलाबी
देखो जिधर-जिधर भी मस्ती छलक रही है
माथे पे उमंगों के अब सेहरा सजा गुलाबी
मिलने लगे गले सब बंटने लगी मिठाई
देखी ज़मीं की रंगत सूरज हुआ गुलाबी
पीकर भंग, चढ़ा के दारू क़दम न टिकते
नाचे छोरा छोरी सब, ऐसा नशा गुलाबी
रंग-बिरंगे फूल हैं खिलते, उसको कहते भारत
केसरिया लाल पीला नीला हरा गुलाबी
काय बिन्नो जे होली में देस भक्ति किते से घुसड़ रई हेगी । कोई 26 जनवरी मन रइ हेगी क्या । देसभक्ति करनी की अपने भारत में दो तारीख हेंगी । 15 और 26 जिनके इलावा कोई भी देसभक्ति करने की जिरूरत नहीं समझता । जिस दिन सुबू सुबू से रेडियो पर मेरे देस की धरती बजने लग उसे दिन 2 रुपये का झंडा अपनी इस्कूटर पे लगा के देसभक्ति की जाती है समझी ।
सूचना - खबर आई हेगी कि भोपाल के सबरी लुगाइन के लिये सरकार ने इस बार करवा चौथ पर उचित भेभस्था की है । काय कि हर बार चांद देर से हीटता था । जा बार सरकारी चांद निकाला जा रिया हेगा । करवा चौथ के दिन भोपाल की श्यामला पहाड़ी पर दूरदर्शन के टावर पे श्री तिलक राज कपूर को खड़ा किया जायेगा । सरकार का केना है कि उनकी चांद के आगे आसमान का चांद फीका पड़ जायेगा । किछु लोगन ने सरकारी खोपड़ी का मतदाताओं को लुभाने का उपयोग करने की याचिका दायर कर दी है । सूचना खतम भई ।
प्रकाश अर्श
किछु भी मत पूछो इनके बारे में । कोई कोई तो ऐसा के रय हैं कि बाकी तो दुनिया में किसी की शादी हुई ही नहीं है, केवल इन्हीं की तो हुई है । इनको गजलें केने का भोत शोक भी हेगा,, पर शौक होने से भी क्या होता हेगा । ग़ज़ल केना हर किसी के बस की बात नहीं होती । जे कबूतरी सीधे दिल्ली से चली आ रही हेगी ।
दिन के लबों का रंग भी बेसाख्ता गुलाबी
सूरजमुखी का चेहरा भी हो गया गुलाबी !!
कल रात मुझसे मिलने आया था यार मेरा ,
फिर रात भर अँधेरा होता रहा गुलाबी !!
शरमा के छिप गए थे परदे के पीछे जब तुम ,
पर्दा वो अब तलक है घर का मेरा गुलाबी !!
दोनों ही सूरतों में सूरज की तरह है वो ,
आता हुआ गुलाबी जाता हुआ गुलाबी !!
होली क्या आ गई की ये रंग चढ़ रहा है ,
वरना तो इससे पहले हर रंग था गुलाबी !!
इस रंग के मुकाबिल सब रंग फीके है अब .
मिलते ही मुझसे उसका चेहरा हुआ गुलाबी !!
किसको नज़र में रखूं किसको निकाल फेंकूं'
कत्थई सी आँख वाली का ज़ायका गुलाबी !!
मल दूंगा चहरे पे मैं रंग इश्क़ वाला ,
फिर धीरे धीरे बढ़ कर हो जाएगा गुलाबी !!
इक शख्स है धनक सा जिसमे हैं रंग सारे ,
केसरिया लाल पीला नीला हरा गुलाबी !!
उइ मां कित्ती हट के गजल हेड़ी है । लेकिन जिसमें भी कुछ सब्द ऐसे हैं जिन पर सेंसर को भोत आपत्ती हेगी । अंधेरा सब्द का उपयोग नहीं किया जाना था । जब ये कबूतरी आ रही थी तो किसी ने दिया एक टमाटर और जब जा रही थी तब फिर दिया एक टमाटर, जिससे ही प्रभावित होकर कबूतरी ने शेर लिखा ' आता हुआ गुलाबी, जाता हुआ गुलाबी' । तो जिसको सुननी है वो सुन ले गजल । हमें तो नई सुननी है ।
सूचना- भारत सरकार ने घोष्णा कर दी है कि अब काला धन देस के बाहर नहीं जा सकता है । इस घोषणा से कनाडा से भारत आये श्री समीर लाल परेसान हो गये हैं क्योंकि उनके भी भारत से बाहर जाने के रास्ते बंद हो गये हैं । सभी को सूचित किया जाता है कि गोरेपन की कोई ऐसी क्रीम जो तीन दिन में गोरा कर दे उसके पता श्री लाल को प्रदान करें । तीन दिन में उनका प्लेन उड़बे बाला है । सूचना समाप्त भई ।
राजीव भरोल
कित्ती नीक सुंदर लग रइ हेंगी ये कबूतरी । काय कि सीधे अमेरिका से चली आ रही हैं । जिनको भी आजकल ग़ज़ल सुनाबे को भोत शौक चर्रा रओ है । काय कि अमरीका में कोई को हिंदी तो समझ में आती नहीं है । तो पेलने में कोई खतरा नहीं होता है । और दूसरी बात ये कि अमरीका में हमारी यहां जैसे टमाटर, अंड को रिवाज नहीं है । भां पे सीधे पुलिस पकड़ ले जाती है ।
आँखों में थे सितारे, हर ख़ाब था गुलाबी,
उस उम्र में था मेरा, हर फलसफा गुलाबी.
फूलों को बादलों को, हो क्यों न रश्क आखिर,
गेसू घटाओं जैसे, रंग आपका गुलाबी.
बदला है कुछ न कुछ तो, कुछ तो हुआ है मुझको,
दिखता है आज कल क्यों, हर आइना गुलाबी.
मौसम शरारती है मेरी निगाहों जैसा,
है हर गुलाब तेरे, रुखसार सा गुलाबी.
होली का रंग है ये, कह दूंगा मुस्कुरा कर,
पूछा जो उसने क्यों है, चेहरा मेरा गुलाबी.
रंगों की बारिशों में, हर शख्स दिख रहा है,
"केसरि-य, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी"
नी वैसे ये बात तो हेगी की गजल तो अच्छी हेगी । भोत अच्छी तो नई के सकते हैं । के देने से कबूतरी का दिमाग खराब हो जाता है । कम बजट में कवि सम्मेलन करना हो तो कवि की तारीफ मती करो कभी भी । तो बस जेकि ठीक पढ़ी।
सूचना- होली के अवसर पर उत्तर परदेश की सरकार ने घोसना कर दी है कि काय कि पिछले चुनाव में मायाबत्ती का परचार करने के कारण सौरभ नाम के एक कवि का नाम गर्दभ कर दिया गया है । अभी तक ये नहीं पता चला है कि क्या जे सब कुछ हमारे ही बीच के कवि श्री सौरभ पाण्डेय के साथ हुआ है । या कोई और है । हमने सरकार को पत्तर लिखा है जैसे ही जवाब मिलता है सूचित करते हैं । ( लच्छन से तो ये ही लग रहे हैं । ) सूचना समाप्त हुई ।
रजनी मल्होत्रा नैय्यर
जिनको डाक्टर ने के रखी है कि हाइजीन का खूबे खयाल रखना है । सो इनने दूर से ही काव्य पाठ करने की कही है । माइक को मुंह से दो फिट दूर रख के । हमें इनको सुझाव ये देना है कि माइक को दूर रखने के बजाय बंद करके ही काव्य पाठ कर दें उससे इनका भी भला होगा और सरोताओं का भी ।
केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी,
रंगों की बारिश में लगे सांवरा शराबी .
छूने दे रंग के बहाने गोरी गालों को ,
रहे न अब दरमियाँ दायरा जरा भी .
निभा लो आज वैर ,दस्तूर सबको मंजूर ये ,
रख न कोई मलाल , दे सौगात यारा जुलाबी.
रंग के नशे में, कोई भंग के नशे में,
होली के नाम पर कर गया खराबी .
आज सारी तहजीब लगे बातें किताबी
मल कर गुलाल कर दो हर चेहरा गुलाबी ,
भभ्भड़ कवि इस गजल को सर्वश्रेष्ठ हास्य गजल का खिताब देते हैं । काय के दो कारण हैं पेली तो ये कि ये गजल भभ्भड़ कवि को नेक भी समझ नहीं पड़ी । समझ नहीं पड़ी तो मतलब कुछ अच्छी ही होगी । और दूसरा कारण ये है कि भभ्भड़ कवि की हर शेर पे हंसी छूटी तो इसका मतलब हास्य तो भरपूर था ।
सूचना- कुख्यात गजलकार श्री द्विजेन्द्र द्विज ने सड़े हुए अंडे को मिट्टी के तेल में जलाकर एक प्रकार का विशेष काजल बनाया है जिसको लगाने के कारण उनका चश्मा उतर गया है । जिस किसी भाई को काजल चाहिये वो संपर्क करें । काजल की कीमत में उनकी दो ग़ज़लें सुननी होंगी । सुनते समय हर मिसरे पर तीन बार जोर से और दो बार धीरे से दाद देना होगा । सूचना समाप्त हुई ।
संजय दानी
डाक्टर साबनी भी गजल पढने आ गईं हेंगी । अपने दवाखाने पर ढेर सारे मरीज छोड़ कर आईं हेंगी । इनका जरा जल्दी सुन लिया जाये । अभी इनका मरीज भी देखने हैं । मरीज जो इनकी गजलें सुनकर या तो बिल्कुल ठीक हो जाते हैं या फिर बिल्कुल ही ठीक हो जाते हैं । तो आइये सुनतेहैं ।
नीलू को मैंने जब से यारो कहा गुलाबी,
तब से हुई है उसकी हर इक अदा गुलाबी।
हर लड़की आहें भरती हैं जब भी वो पहनता,
काले कमीज़ के नीचे तौलिया गुलाबी।
करके विवाह मै भी पछता रहा हूं, मुझको,
अब पीने ना मिले रम ओ वोदका गुलाबी।
कर बैठा इश्क़ इक गुन्डे की बहन से,तब से
है मेरी पीठ छाती ओ चेहरा गुलाबी।
करते नहीं नशा जो,वो पीले दिखते हैं क्यूं
दिखता है जब यहां का हर बेवड़ा गुलाबी।
सबने मिठाइयां ही रंगीन देखी होंगी,
मेरी दुकां में मिलता है ढोकला गुलाबी।
जबसे मिली है राखी सांवत की जूती मुझको,
हां हो गई है मेरे घर की हवा गुलाबी।
पंचर न होती अब मेरी सायकिल,वजह है
उसको चलाती अब केवल साइना गुलाबी।
कांग्रेसी नीति से महंगाई बढी है ये सुन,
होने लगी है जाने क्यूं भाजपा गुलाबी।
पर्यावरण का ऐसा बदलाव आया यारो,
होने लगा है बाग़ों का हर भटा गुलाबी।
घर का सफ़ेद कमरा होली में हो चुका है,
केसरिया लाल पीला नीला हरा गुलाबी।
रंगीं रदीफ़ों पर कुर्बां हैं सुबीर दानी,
चाहत है जबकि शिष्यों की काफ़िया गुलाबी।
चलो रे चलो सब चलें गुलाबी रंग को ढोकला खाने के लिये । मटरू की बिजली में एक गुलाबी भैंस तो हमने सुनी थी । लेकिन काफिया मिलाने के लिये ढोकले में रुह अ फजा मिलाकर क्या सफाई से उसे गलाबी किया है । चलो रे सब छोड़ो गजल वजल अब तो गुलाबी ढोकला ही खाया जाये ।
सूचना - मध्यप्रदेश की सरकार ने तय किया है श्री मंसूर हाशमी जी को मानिसक रोगी विकास मंच का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जायेगा । इस अध्यक्ष पद के तहत उनको राज्य मंत्री का दर्जा मिल रहा है । जिसके तहत उनको अपनी गाड़ी पर लाल रंग की लालटेन लगाने का भी अधिकार मिलेगा । और साथ में उनक गाड़ी में एंबुलेंस का सायरन भी फिट किया जायेगा । सुचना समापत भई ।
सुलभ जायसवाल
संझा सुबह गुलाबी, रात्री दिवा गुलाबी
घंटा मिनट घड़ी सब, सब हो गया गुलाबी
जब से उसे है देखा, सुधबुध मैं खो चूका हूँ
काला न कोई नीला, जादू चला गुलाबी
नग्मे ग़ज़ल न दोहे, तू गा ले फाग मुक्तक
केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी
जब जी करे सुनाना, मन भर वही तराना
केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी
कैसट अटक गया है, मेरा हुजूरे आला
केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी
क्यूँ रे 'सुलभ' बनाये, हमसब को आज बुद्धू
गुझिया व पान लाये, भरके भूसा गुलाबी
इस साल एक बच्चा, कमजोर सा था पीला
लफ़्ज़ों से खेल होली, वो हो गया गुलाबी
गुलाबी नंबर # २
मस्ती घोले हवा में, बादे-सबा गुलाबी
फागुन हुआ सुहाना, मौसम बना गुलाबी
गुजरात से हिमाचल, आसाम से उड़ीसा
यू .पी. बिहार, गोवा, ऑलिन-डिया गुलाबी
दाना चुगे नशीला, सूरज को बोले चन्दा
बेकाबु सब परिन्दा, अम्बर धरा गुलाबी
बच्चा बूढा जवनका, सबके जबाँ पे गाली
भाषा हमार सादा, बोली बड़ा गुलाबी
ढोलक मझीरे तबले, ढमढम बजे दनादन
सुर ताल में लिपटकर, चीखे गला गुलाबी
नाचे रगड़ झमाझम, जीजा के संग साला
काका कमर हिलावे, खा कर पुवा गुलाबी
गर चाहते हो तुम भी, घोड़े की चाल ताकत
खेसड़ की दाल पीओ, फांको चना गुलाबी
इंजन के पीछे डिब्बा, डिब्बा के पीछे इंजन
देखी न ऐसी गाड़ी, उगले धुँआ गुलाबी
'नीरज-तिलक' सुनाये, किस्सा महीन-गाढ़ा
रच दो कहानी 'भभ्भर', गबरू गधा गुलाबी
हैपी रहेगा सिस्टम, हैपी रहेगी जनता
भ्रष्टों की तोड़े हड्डी, क़ानून बना गुलाबी
जो चाहते हो भारत, बन जाय विश्व गुरु
भगवा हरा न सादा, चश्मा पहन गुलाबी
जिसमे ख़ुशी तुम्हारी, मुझको वही लगाना
'केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी'
अँगना वहीँ बनाना, दुनिया वहीँ बसाना
पनपे जहाँ मोहब्बत, बरसे घटा गुलाबी
होली बड़ा केमिकल, री-एक-शन नि-राला
जोभी था मन में काला, सब हो गया गुलाबी
सूचना- सूचना मिली हेगी कि श्री मधुसूदन जी मधुर अपनी अंग्रेजी की गजलों की कोचिंग क्लास जे वाली गर्मी की छुट्टी में लगाने वाले हैं । काय कि अंग्रेजी में उनको काफिया में बहुत मिल गये हैं । तो जिनको भी अंग्रेजी में गजल सीखनी है वे सब संपर्क करें । योग्यता में बस ये कि ए से लेकर जेड तक के पूरे इक्कीस अक्षर याद होना चाहिये । ऐसा मधुर जी का कहना है । तो चलिये अपनी मातृभाषा में ग़ज़ल कहते हैं । सूचना समाप्त हुई ।
सुमित्रा शर्मा
इनको भी होली में ही गजल लिखने की सूझ रही थी । अब लिखी है तो सुननी भी पड़ेगी । काय कि आपने नहीं सुनी तो ये आपकी भी नहीं सुनेंगी । मुशायरे का नियम होता है कि आप हमारी गजल सुनकर दाद दो, हम आपकी गजल सुनकर खाज देंगे । और बाद में दाद खाज मिटाओ जालिम लोशन लगाओ ।
केसरिया लाल पीला नीला हरा गुलाबी
तपने लगा जो सूरज मौसम हुआ गुलाबी
बेमोजुं झूमते हैं गुंचे कली ये डाली
इनको पिला गया ज्यूँ मौसम सुरा गुलाबी
गेंदा गुलाब गुडहल महका रहे जमीं को
वो खिलखिलाया नीरज जल हो चला गुलाबी
पीपल की उम्र को भी सहला गयी पवनिया
शरमा के गात उसका कुछ हो रहा गुलाबी
ख़ारिज किये फिज़ा ने सब उम्र के पहाड़े
बूढ़े कदम भी थिरके सुर हो उठा गुलाबी
महुआ ने बांटी मदिरा बैखोफ हर किसी को
उस का नशा जंहा को ही कर गया गुलाबी
ये ओढ़नी बसंती धरती ने ओढ़ लीनी
दुल्हन बनी ,सजी वो ,आनन हुआ गुलाबी
तो भैया ये थी गजल इनकी, जिन जिन ने सुन ली है और जिन जिन को समझ में आ गई है वे दाद दे सकते हैं । जिनको समझ में नहीं आई है वो और जोर से दाद दें ताकि मन की भड़ास निकल जाये । और हां जिन जिन को समझ में आई है वो भभ्भड़ कवि को भी समझा दें इसका मतलब ।
सूचना- मुम्बई के सुप्रसिद्ध जूहू चौपाटी पर अब एक और दुकान खुल गई है । ये दुकान ढोकले की दुकान के ठीक पास है । श्री नवीन चतुर्वेदी जी ने दोहे की दुकान खोली है । जिन भी सज्जन को उचित बनावट वाले दोहे चाहिये वे कभी भी जुहू जाकर ले सकते हैं । एक साथ तीन दोहे खरीदने पर एक चौपाई मुफ्त दी जायेगी । तो आइये आइये चले आइये दोहे की दुकान पर । सूचना समाप्त ।
मुकेश कुमार तिवारी
ओ तेरी । ये कौन है जो गुलाबी गजल में लाल रंग मिला रही है । मुझे तो लगे कि कोई मालवा की कबूतरी है । मालवा की कबूतरी ही इस प्रकार से गुलाबी रंग में लाल रंग मिलाती हैं । तो आइये सुनते हैं ।
केसरिया लाल पीला नीला हरा गुलाबी
ये हैं रंग की छटाएँ बांधे समां गुलाबी
कोई नही यहाँ पे दूजे रंग में दिखता
सब पे ही चढ़ा है रंग खुशनुमा गुलाबी
बौछार है खुशी की जो मन का मैल धो दें
तन हो गया गुलाबी मन हो गया गुलाबी
बच्चा बना दें फिर से बीते दिनों की यादें
हो जाए मन शराबी जो रंग उड़ा गुलाबी
जीजा के साथ साली भौजी के संग देवर
होली चढ़े नशे सी जीवन बना गुलाबी
काटे न पेड़ कोई हरियाली को बचाएँ
खिल जाए मन की बगिया उपवन रहा गुलाबी
माथे गुलाल टीका त्यौहार के शगुन का
ऐसे मनाएँ होली पानी बचा गुलाबी
काटे न पेड़ कोई, काय क्या कोई हरियाली और खुशहाली का रेडियो का प्रायोजित कार्यक्रम चल रहा है सरकारी । मोय जे समझ में नहीं आये कि हर जगे पे ज्ञान ज्ञान ज्ञान को क्या मतबल है । अरे भैया होली के दिन ज्ञान व्यान को कोई काम नहीं होता । होली तो अज्ञान से मनती है । और पानी बचाने का मतलब ये नहीं है कि त्यौहार ही खतम कर दो । आप क्या दैनिक भास्कर से आ रही हैं ।
सूचना- इलाहाबाद में एक विशेष प्रकार का अमरूद विकसित करने की योजना सरकार ने बनाई है । जे अमरूद का नाम श्री शेशधर तिवारी अमरूद होगा । काय कि ये अमरूद खा तो सब लेंगे लेकिन किसी को ये नहीं पता चलेगा कि इसका स्वाद क्या था । नाम के आगे प्रश्नवाचक चिन्ह भी लगा होगा । सूचना समाप्त ।
विनोद पाण्डेय
कबूतरी को पता है कि गुलाबी रंग सबसे अच्छा काले रंग के कन्ट्रास में दिखाई देता है । सो कबूतरी आज कन्ट्रास में आई है । राम जाने गजल में भी कुछ कन्टरास है कि सब कन्ट्रास पोशाक में ही हैगो ।
वो हैं गुलाब जैसे,हर एक इक अदा गुलाबी
उनसे मिली नजर तो चेहरा हुआ गुलाबी
गुझिया खिलायी उसने,हाथों के अपने लाकर
मन मस्त हो गया और,मौसम हुआ गुलाबी
लेकिन खुमारी होली सर पे थी ऐसी छाई
मैं खुद हुआ गुलाबी उनको किया गुलाबी
तन,मन हुआ रंगीला,होली का रंग बिखरा
केसरिया, लाल, पीला, नीला, हरा, गुलाबी
भाभी ने छत से फेका रंग भर के बाल्टी में
नीचे खड़ा था भोलू कुरता हुआ गुलाबी
दुबे जी निकले घर से पुरे बदन को रंग के
बच्चों ने फेंका गोबर,गोबर हुआ गुलाबी
ठंडई के साथ बूटी जो भंग की चढ़ा ली
काला-कलूटा चेहरा भी दिख रहा गुलाबी
तालियां तालियां तालियां । मटरू की बिजली में केवल भैंस ही गुलाबी थी लेकिन हमारी कबूतरी ने तो गोबर भी गुलाबी कर दिया है । मित्रों ऐसा पहली बार काव्य जगत में हुआ है कि गोबर गुलाबी हो गया है । सो इसे एक ऐतिहासिक घ्टना घोषित किया जाता है ।
सूचना- हिमाचल में मंत्रीमंडल का पुनरगठन किया गया है । तथा श्री नवनीत शर्मा को हल्कट मुख्यमंत्री का पद दिया गया है । ये पद उनकी हल्की सेवाओं के चलते दिया गया है । उनको प्रदेश के सारे हल्के काम करने होंगे । जबकि भारी काम दूसरा मुख्यमंत्री करेगा । सूचना समाप्त हुई ।
तो अब भभ्भड़ कवि आज्ञा लेते हैं । थक गये हैं । कल होली के मुशायरे के दूसरे अंक में आप सब से मुलाकात होगी । दाद देने के लिये एक पैग भंग का चढ़ाएं और फिर दाद दें ।
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही हिह ही ही ही हि हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हा हा हा हा हा हा अह आहा हा हा हा आहा---इस हंसी से फुर्सत मिले तो कुछ कहूँ---ये भभ्भड़ भी न क्या कहूँ? हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा अह आहा हा हा हा हा आहा हा हा
जवाब देंहटाएंकिरपिया अधिक मुंह फाड़ के न हंसे, मुंह में मच्छर आदि अपने गुफा समझ में घुस गया तो हमारी कौना जवाबदारी नहीं होगी ।
हटाएंमच्छर तो ओर भी कुछ कर सके है ... वो कोई ढाइलोक है न मच्छर का ... नाने पाटेकर का ...
हटाएंओ हो हो हो हो हो ओ हो हो हो हो ओ हो हो हो हो आ हा हा हा हा हा हा हा आ हा हा हा हा हा हा हू हू हू हा हा हा हा हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस खी खी खी खी खी खी खी खी खी खी खी खी खी खी खी खी---क्या करूँ भाई कंट्रोल ही नहीं हो रही हंसी---ये भभ्भड़ हंसा हंसा के मार डालेगा---इसे कोई भगाओ रे
जवाब देंहटाएंकिरपिया बहर में हंसें । और हंसते समय कहन का भी ध्यान रखें । हंसने के बाद बतायें कि आपने अभी अभी किस बहर में हंसे हैं ।
हटाएंहाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ वाह मजा आ गया। ऑफिस में अकेले बैठ कर बहुत हंसा। पड़ोस के सहकर्मी जो की हिन्दी भी नहीं जानता अब तक समझ नहीं पा रहा है की में क्यों हंसा इतना।। गजलो के साथ साथ आदरणीय पंकज जी की जो प्रस्तुतिकरण है उसका जवाब नहीं। बहुत दिनों बात इतनी हंसी आई है मजा आ गया . फिर से एक बार
जवाब देंहटाएंहाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
पिछले 3 तहरी से में हर बार कुछ लिखता हूँ पर आप लोगो की शानदार प्रस्तुति के बाद भेजने का होसला नहीं कर पाता हूँ इस बार भी ये मतला और 1-2 फालतू शेर लिखे थे
जवाब देंहटाएंसब रंग लिख रहे थे हमने लिखा गुलाबी
उसने लिखा था लाल हमने पड़ा गुलाबी
और भी कुछ उल्टा सीधा लिखा था पर हर बार की तरह इस बार भी ड़र कर भेजा नहीं और बहर में भी नहीं लिख पाया सोचा था की इस बार तक़्ती'अ कर के पोस्ट करुगा पर :(( इस बार भी नहीं कर पाया :(( :(( :(( इसके पहले बहर जानता नहीं था पर अब थोडा थोडा आदरणीय पंकजजी को पड़ कर बहर का 1% पता चल गया है चलो अब अगली बार शायद में भी कुछ लिखु :)
जय हो आहा गुलाबी गुलाबी नज़ारा गुलाबी, हुआ जा रहा दिल हमारा गुलाबी, क्या कहने सभी के सभी अलग रूप में बहुत ही सुन्दर लग रहे हैं और उस पर इन सभी की अनमोल रचनाएँ भंग से भी ज्यादा नशीली लग रही हैं, होली का रंग जमा है चकाचक मैं लूँ नहाय, आप सब को विन्रम प्रणाम इस समय सिर्फ यही कह सकता हूँ शब्दकोष में इतने शब्द नहीं कि इस सुन्दरता का वर्णन किया जा सके. आप सभी को सह परिवार, समस्त सम्बंधियों एवं मित्रों सहित होली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं. सादर
जवाब देंहटाएंजो आपने लिख दिया की भांग चढ़ा के टिप्पणी देने आवें ... तो हम आ तो गए ... पर इब के करें सब कुछ गुलाबी गुलाबी हो रिया है इहाँ तो ... नसा उतर जाए फिर आते हैं ...
जवाब देंहटाएंपंकज भाई बहुत हँसाया...... अब तक हँस रहा हूँ और हाँ बिना बह्र के मगर अंत्यनुप्रास अलंकार के साथ हँस रहा हूँ बिलकुल वैसे ही जैसे नीरज भैया हँसे हैं। भभ्भड जी के कमेंट्स और ख़ास तौर पर सूचनाएँ मिस्टर इंडिया को मात कर रही हैं। आप की मेहनत देखते ही बनती है। इतना हँसाया है कि आस-पास के लोग सोच रहे होंगे कि अचानक मुझे हो क्या गया है? बहुत शानदार पेशकश...... सभी ने अच्छा काम किया है और भभ्भड कवि को उन की वाट लगाने का भरपूर मौक़ा भी दिया है। होली की शुभकामनाएँ। और हाँ, विशेष रूप से - इस पोस्ट में देश-भक्ति वाला जुमला भौत ज़ोरदार हेंगा - उस के लिए स्टेंडिंग ओबेशन ........ ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
जवाब देंहटाएंसभी क़माल के हैं लाजवाब.... बह्रे सुबीर मुसमन सालिम में हंसने की कोशिश कर रहा हूँ ! आप बेजोड है भभड साब! सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंअर्श
हा(S) हा(S) ह(1) हा(S) ह(i) हा(S) हा(S) हा(S) हा(S) ह(i) हा(S) ह(i) हा(S) हा(S)
जवाब देंहटाएंहा(S) हा(S) ह(1) हा(S) ह(i) हा(S) हा(S) हा(S) हा(S) ह(i) हा(S) ह(i) हा(S) हा(S)
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लो कल लो पूरी बहर,,,,,,,
बह्र इच में ई हँस रिया हूँ.....पंकज भाई .... आपको भाँग चढ़ गई तो हम का करे? चों रे ! क्या सोच के कै रिया था कि बह्र में हँसो ????? प्रोफ़ेसर साहब मधुभूषण शर्मा मधुर जी की क्लास में आज सारे बच्चा लोग बंक पर थे। होम भर्क बहोत दे दिये थे.
ना तो नीरज गोस्वामी ठेकेदार भाई साहब ने, अभी हमको दारू की पेटी भेजी है, ना नवनीत मुख मन्तरी ने भाँग से बैन हटाया है / और अभी बिन पिये हमें चाँद भी नईं दिखा हाँ नवीन भाई का दोहे का खोका तो मैंने देख लिया हूँ। दोहे खरीदने को कह रिया था। मैंने कई टैम नईं है अपुन के पास....
भाई वो आँख की दवाई की कीमत सात पैग दारू मिक्स भाँग है अफीम मार के. फिर गजलें फोकट में मिलेंगी.
# हह हां, ह हां-हां, हां-हां, हिह ही,ही-ही,ही ही-ही,
जवाब देंहटाएंवाह! शायारां 'गुलाबो', हर इक अदा गुलाबी !
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'मनरोग' होगा विकसित, 'मन' की ही नाक नीचे,
पायी जो 'लालटेन' अब 'सुर' हो गया गुलाबी !
'पंकज सुबीरजी' ने क्या चीज़ ये दिला दी ?
'आगा' तो पहले ही था,'पीछा' हुआ गुलाबी !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामंनाएँ!
फटा पोस्टर निकली कबूतारियां
जवाब देंहटाएंहा ह हा हा, हा ह हा हा, हा ह हा हा, हा ह हा
(बहर ए रमल मुसम्मन महजूफ)
अरे भाई तरही की बहर में ही हँसना है।
हटाएंमफ़ऊलु फ़ायलात1न्, मफ़ऊलु फ़ायलात1न्
221, 2122, 221, 2122
हा हा हि हू हु हू हू, हा हा हि हू हु हू हू
होली के इस सुसूअवसर पर इस प्रभावशाली प्रस्तुति का परिणाम तो हा हा हि हू हु हू हू, हा हा हि हू हु हू हू रहा। इतवारा, सोमवारा, मंगलवारा की सभी मंडलियॉं तलाश डालीं ये जो आपने फ़ोटो लगाये हैं इनमें से तो एकउ नहीं दिखी। फ़ोटो सेशन में सीहोर रही रही होंगी।
जवाब देंहटाएंपंकज जी, एक कुशल साहित्यकार,गजलकार एवं कवि के साथ साथ एक उत्तम दर्जे के चित्रकार और फोटोग्राफर भी है ..मुझे पता ही नहीं चला और उन्होंने इतनी सुन्दर तस्वीर मेरी खींच ली। कमाल हो गया ।
जवाब देंहटाएंआज के प्रस्तुती की जितनी तारीफ़ की जाये कम है ..सुन्दर सुन्दर हास्य के कटाक्ष और भाषा विशेष के साथ होली पर आधारित यह तरही मुशायरा बहुत बेहतरीन बन पड़ा है।
सभी गजलें लाजवाब और होली के रंगों में सराबोर ....धन्यवाद पंकज जी ..बहुत बहुत धन्यवाद
सभी ग़ज़लकारों को उनके सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई और होली की अग्रिम बधाई ..
पंकज जी , प्रणाम||
एऽऽऽऽ ह्हे हे हे हे हे हे.. हा हा हा हा .. हा हा.. ही ही ही ही.. हे हे हे हे हे.. ..हूह्हू हू हू ........
जवाब देंहटाएंचुप्प... चुप्प ... बहर से बहिराये हँसियो का कौनो मोल-तोल नहीं आय..
बरऽ बरऽ ... जे ई ल्यौ ..
खाखाखि खूख्खु खूखू... खूखूखु खूखि खौंखौं..
खौंखौंख खोख्खु खौंखौं खूखूख्खुखा खुखाखी..... खों खों खोंऽऽ .. खों-खों खों-खों .. उखड़िये गयी न ... :-)))))
खैर, आय एक्कै बात बूझे में आयी. आ ऊ भौते रुची. .. जे आय गियान को जियान करना मना है. जो लोग गियान को जियान करे में बेसी रुची रखते हों.. ऊ ई कुल्ह पढ़-सुन के चुप्पहिं टसक लें... एकदम्मे कमेंटियाएँ नहीं.. .
एने हम कमेंटिया दिये .. माने का ??.. हा-हा हा-हा.. हाऽऽऽ.. !
अगो बात, आ सूचनवा के बाद का टुनटुनी-टुनटुन... अने टिंगटौगठुस्स को काय ला म्यूट करे बैठे हैं, भभ्भर कवीजी ??
हर सूचना का पाछे टिंगटौंगठुस्स.. टिंगटौंगठुस्स.. का बजना बनता था न !
होली का उत्साह का लियै सभै को ब्रिहस्पतीकामना .. (बतर्ज़ मंगलकामना..)
जय हो.... होली है..................
:-)))))
भभ्भड़ के भाड़ में भुन सब कुछ हुआ गुलाबी
जवाब देंहटाएंअब ये नशा न उतरे, जो चढ़ गया गुलाबी
अंमरीकिनी को हमने जब ये गज़ल सुनाई
हँस बोली शायरा है उसकी तरह गुलाबी
गोली ने भंग की जो फ़ेंका है एक पासा
बोतल में मिल न पाये ऐसा असर गुलाबी
सुलभी विनोदिनी है राजिविनी के दानी
सब एक से अधिक हैं बढ़कर अधिक गुलाबी
अर्शी मुकेधिन्मी है निरमल दिगम्बरी है
सेंसर की आंख पर क्या चश्मा चढ़ा गुलाबी
रजनी का रंग हो या हँअसते हुये सुमित्रा
धर्मिन्द्र की नजर में हर अक्स है गुलाबी
गज़बे गज़ब....फेयर एण्ड लवली तो फेल रही...पेले ही...मगर आज ऐसा आनन्द आया कि मेरा भी रंग हो गया गुलाबी...जे ही क्रींअ काम की निकली...जय हो तरही की...सबके सब सन्न्नट...सबके सब झन्नाटा!!
जवाब देंहटाएंमेरे दिल को होली का नशा चढ गया है अभी से, सुबीर भाई की प्रस्तुति और सभी होलिकाओं की गज़लें पढ कर साथ ही साथ उनके चरित्रों की कमज़ोरियां उनके चित्रों से समझ कर्। बस सुबीर भाई का होली वाला चरित्र हमारी आखों से दूर है।
जवाब देंहटाएंगुरूवर,
जवाब देंहटाएंइस अंक में जो विशेष टिप्पणियाँ हैं वो गज़लों पे भारी पड़ रही हैं और तिलक जी ने जिन बस्तियों के नाम दे दिए हैं अब तो वहीं जाके पूछना पड़ेगा अपना पता कि भैये कौन से मुहल्ले से ले गया हमें फोटो सेशन के लिए.....
समस्त गुरूकुल को होली की रंगारंग शुभकामनाएँ।
एक बात करीब करीब सभी लोगों ने सही कही है कि इस पोस्ट को देखने के बाद जो बुरा हाल हुआ है हँसते हँसते वो कहा नही जा सकता सिर्फ गुरू जी को फोन कर दिया था और आज तक इंतजार किया टिप्पणियों के द्वारा होने वाली चुहलबाजी का उसमें तो और भी आंनद है।
सादर,
मुकेश
हू हू ह हा ह हे हे, हू हू ह हा ह हे हे, हू हू ह हा ह हे हे, हू हू ह हा ह हे हे, हू हू ह हा ह हे हे, हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे,हू हू ह हा ह हे हे।
जवाब देंहटाएंबू हू ह हा ह बू हू, बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू,बू हू ह हा ह बू हू।
सबके हाल पर हँसना आ रहा था फिर अपने हाल पर रोना आ गया, बहर में।
बहुत खूबसूरत परियाँ देखने को मिली , काश इन संग होली का मजा लिया जाता :)
जवाब देंहटाएंહોશ વાલોન કો ખબર ક્યાં બેખુદી ક્યાં ચીઝ હૈ।
जवाब देंहटाएंગુલાબ કો દેખિયે ગુલાબ કો સૂન્ઘીયે
ગુલાબ કો સોચિયે ગુલાબ કો સોચિયે ગુલ ઔર આબ કો સોચિયે ફિર કહીએ બહાર મેં ઔર હંસીયે બહાર મેં
કુછ ઐસે જૈસે કે હમ આજ હોશ મેં આને કે બાદ હંસ રહે હીન।।।
گزاب بھیو راما ظلم بھیو رے
जवाब देंहटाएंकान्छी रे कान्छी रे
HOLI HAI,,,,,,,,,,,,, HURRRRRRRRRRRRR HOLI HAI