तरही का क्रम और आगे बढ़ाते हैं आज । आज दो रचनाकारों के जन्म दिन हैं । नुसरत मेहदी जी और वीनस केसरी दोनों ही इस ब्लाग के सक्रिय सदस्यों में से हैं तथा यहां के तरही मुशायरों में सक्रिय भागीदारी दर्ज करते रहे हैं । दोनों ही गुणी रचनाकार हैं । अलग सोच और अलग ढंग से कहने वाले रचनाकार । मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की सचिव तथा गुणी शायरा आदरणीया नुसरत मेहदी जी उर्दू अकादमी के माध्यम से प्रदेश में शायरी के माहौल को जिंदा रखे हुए हैं तो वीनस केसरी इलाहाबाद में उस वातावरण के मुख्य सूत्रधार बने हुए हैं । साहित्य के लिये सोचना दोनों की प्राथमिकताओं में है। दोनों को जन्मदिन की शुभकामनाएं और सबसे पहले तो ये दो केक काटते हैं दोनों के लिये ।
जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं ये दो केक दोनों रचनाकारों के लिये ।
आदरणीया नुसरत मेहदी जी
ए बर्ग शाख़ पर तू महफ़ूज़ है. हरा है
लेकिन जुदा हुआ तो बस तू है और हवा है
इक तेरी बेरुख़ी से ये हाल हो गया है
बेकैफ़ ज़िन्दगी है हर लम्हा बेमज़ा है
अपनी समाअतोँ को बेदार करके देखो
मेरी ख़मोशी तुमको देने लगी सदा है
ख़्वाबोँ की किरचियोँ को पलकोँ से चुन रही हूँ
''ये क़ैदे बामशक़्क़त जो तूने की अता है''
जाकर बुलन्दियोँ पर गुम हो गया है कोई
तकने को पास मेरे बस दूर तक ख़ला है
जाकर बुलन्दियों पर गुम हो गया है कोई, उदासी से भरपूर शेर । यदि अंग्रेजी के शब्द का प्रयोग करूं तो एक ऐसी सेडनेस जो ठहरे पानी में गहरे दिखाई देने वाली जलीय घास की तरह थिर है । मिसरा सानी में 'दूर तक' का प्रयोग उदासी के शैड को एक स्ट्रोक और गहरा कर देता है । अब बात मतले की । पारम्परिक शायरी का अनोखा उदाहरण । और उसमें भी मिसरा सानी में आया हुआ 'बस तू है और हवा है' कमाल प्रयोग है । पूरी की पूरी ग़ज़ल उदासी की ग़ज़ल है । वियोग की विरह की ग़ज़ल है । गिरह का शेर भी खूब बन पड़ा है । ख्वाबों की किरचियों को पलकों से चुनने का बिम्ब खूब बन पड़ा है । ख्वाब जिन आंखों से देखे उनकी ही पलकों से उनके किरच बीनना, सुंदर बहत सुंदर । जन्मदिन की शुभकामनाएं और सुंदर ग़ज़ल पर वाह वाह वाह ।
वीनस केसरी
आसानियों का मतलब, आसान कब रहा है
मंज़र वही है, अब भी, चाकू पे दिल रखा है
सबका बँटा है हिस्सा, और सबको ये पता है
नाटक से क्या अधिक है कुहराम जो बपा है
जब आंकड़ों के बल पर हर योजना सफल हो
तो फिर गलत कहाँ है जो जश्न हो रहा है
ईमानदार होना, कब था सरल, मगर अब
ईमानदार होना सबसे बड़ी खता है
रहबर किसी तरक्की की बात कर रहे हैं
तो कारवाँ में अब भी, क्यों भूख मुद्दआ है
कुछ लोग सोचते हैं, उलझा रहे इसी में
आम आदमी जो अब तक रोटी ही चाहता है
हर आदमी यहाँ है अब अपने आप में गुम
कुर्बत में भी मुसल्सल फुर्कत का सिलसिला है
है सुख हमें मयस्सर, तो ख़ाक हम डरेंगे
ये कैद-ए- बामशक्कत जो तूने की अता है
कोशिश बहुत हुई हैं, पर कौन कह सकेगा
दुष्यंत की ग़ज़ल के रंगत को छू सका है
जब आंकड़ों के बल परहर योजना सफल हो, सबसे पहले बात इसी शेर की। जिस रंग की ग़ज़लों को इस बार के मुशायरे के लिये सोचा गया था उस पर खरा उतरता शेर । उसमें भी मिसरा सानी खूब बना है । आंकड़े और जश्न दो प्रतीकों के माध्यम से बहुत बड़ी बात कह दी है । उस देश का कड़वा सच । हमने आजादी के बाद केवल यही किया है आंकड़े देखे हैं और जश्न मनाया है । जिंदा रह जाने वाला शेर । फिर दूसरा शेर कुर्बत में फुर्कत के सिलसिले का शेर । इसमें सुंदर बिम्ब डाला है । अपने ही जीवन से अनजान रहने और अपने ही आप से मिल कर भी नहीं मिल पाने का अनूठा प्रयोग । उतना ही सुंदर बन पड़ा है मतला भी, चाकू पे दिल रखे होने के मुहावरे का सुंदर प्रयोग । जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं और बहुत सुंदर ग़ज़ल के लिये वाह वाह वाह ।
तो दोनों रचनाकारों को जन्मदिन की बधाइयां दीजिये और दोनों की सुंदर रचनाओं पर दिल से दाद दीजिये ।
आदरणीया नुसरत दीदी जी को जन्मदिन की बहुत बहुत मुबारकबाद !!
जवाब देंहटाएंआपको यहाँ सुनना बहुत कुछ ख़ास अनुभव करने के अवसर मिलने जैसा है.
बहुत बहुत बधाई आदरणीय
जवाब देंहटाएंशायरों को-
धन्यवाद आदरणीय रविकर जी
हटाएंनुसरत जी --मक्ता बेहद ही मनभावन है। मुबारकबाद्।
जवाब देंहटाएंविनस जी।--ईमान्दार होना कब था सरल--- बेहतरीन्। बधाई
डॉ. साहिब तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ
हटाएंसबसे पहले तो नुसरत जी और वीनस भाई को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंनुसरत जी की पारंपरिक अंदाज में कही गई ग़ज़ल क्या खूब है। सारे अश’आर बहुत सुंदर हैं।
वीनस जी ने बहुत ही सुंदर ग़ज़ल कही है। निःसंदेह आम आदमी के आम मुद्दे ही दुष्यंत की परंपरा हैं और वीनस भाई ने इस परंपरा को बखूबी कायम रखा है। गिरह एक अलग तरह से बाँधी है वीनस भाई ने और इस अलग सोच के लिए वो विशेष बधाई के पात्र हैं। बाकी के अश’आर भी क्या खूभ कहे हैं। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस शानदार ग़ज़ल के लिए।
धर्मेन्द्र भाई, ग़ज़ल पर इस तवील नज़रे इनायत के लिए मशकूर हूँ
हटाएंकमाल है इस तरही के दौरान इतने सारे बाकमाल शायरों का जनम दिन ? वाह !!! याने फरवरी का महीना बेहतरीन शायरों के पैदा होने के लिए मुफीद है :-)
जवाब देंहटाएंबहरहाल सबसे पहले नुसरत जी और वीनस को जनम दिन की ढेरों शुभकामनाएं।
नुसरत जी हमेशा बहुत हट के अलग सा कहती हैं , उबके शेरों में रवायती शायरी महकती है जो दिल को बहुत सुकून देती है। इस बार की ग़ज़ल भी वैसी ही है मतले से मक्ते तक दिल की गहराइयों को छूती।लाजवाब। मतला इतना खूबसूरत है के बार बार पढने को जी कर रहा है।"खवाबों की किरचियाँ " वाला शेर तो बार बार दाद मांग रहा है। सुभान अल्लाह .
"वीनस" ने इन दिनों चौकाने वाले शेर कहने में महारथ हासिल कर ली है। ये लड़का लम्बी रेस का घोडा है, धीमी शुरुआत करने के बाद आजकल दुलकी चाल पे आ गया है और उसने सब को पीछे छोड़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इस बार की तरही की ग़ज़ल में सभी शेर असरदार हैं और मेरी बात की पुष्टि करते हैं लेकिन वीनस भाई ,दुष्यंत जी की ग़ज़लों की रंगत को छूना अच्छी बात है लेकिन "सितारों से आगे जहाँ और भी हैं".
आदरणीय नीरज जी,
हटाएंलेखन और इस ग़ज़ल को आपसे ऐसा स्पष्ट अनुमोदन प्राप्त होना मेरा सौभाग्य है
धन्यवाद
प्रिय वीनस, आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाइयां और ढेरों शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंपहले ग़ज़ल पढ़ लूँ ठीक से फिर लौटता हूँ
शुक्रिया सुलभ भाई
हटाएंसबसे पहले तो दोनों रचनाकारों को जन्मदिन की हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंनुसरत मेहदी साहिबा की ग़ज़ल पारम्परिक अन्दाज़ में होते हुए भी वर्तमान की नब्ज़ पर बाखूबी हाथ रखती हुई प्रतीत होती है.
मतले में बर्ग़ से उनकी गुफ़्तगू वर्तमान के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है. गिरह भी बहुत ख़ूब. मक़्ता भी ख़ूबसूरत. नुसरत जी को हार्दिक बधाई.
वीनस केसरी साहब भी कमाल की शाइरी कर रहे हैं.अपने ख़ूबसूरत अश'आर में उन्होंने अपने सामयिक चिन्तन को परिलक्षित किया है.
मक़्ते में उन्होंने....'' न हुआ पर न हुआ मीर का अन्दाज़ नसीब....'' वाली बात दुष्यन्त कुमार के सन्दर्भ में कही है, और बिल्कुल सच कही है.
और शे'र उद्धृत करना इस लिये नहीं चाह रहा क्योंकि सारी ग़ज़ल ही बेहद सटीक और सन्तुलित बन पड़ी है. हार्दिक बधाई.
मुहतरम द्विज साहिब आपसे दाद पाना वाइसे फक्र है
हटाएंतहे दिल से आपका इस्तेकबाल करता हूँ
क्या ही सुखद संयोग है.. . जन्मदिन को प्रविष्टियों का प्राकट्य !
जवाब देंहटाएंचिरायु हों, कि, कुशलता और स्वस्ति व्यापे.. विद्या-विवेक-विधा-कौशल सुलभ हों सर्व सिद्धियों संग.. साहित्य-सोच हो भावावरण में जो अक्षय रहे.. अक्षर रहे.. प्रखर रहे.. मुखर रहे..
आदरणीया नुसरत मेहदी जी की ग़ज़ल में एक ठहराव है. प्रथम द्रष्ट्या तो मिसरे सटाक से निकल जाते हैं, कि, भाव-घुर्णन पैदा होने लगता है.
इक तेरी बेरुखी से ये हाल हो गया है.. . के भाव मानों आगे की कमान सम्भाल लेते हैं. ख्वाबों की किरचियों को पलकों से चुन रही हूँ.. . इसी लिहाज को बरतता लगता है. जो जा कर बुलन्दियों पर.. . के साथ तड़प को आवश्यक आह देता सामने करता है.
इस अभिव्यक्ति के लिए आदरणीया नुसरत जी को सादर बधाई.. .
वीनस केसरी : एक एनकैप्सुलेटेड फेनोमेनन.. मेरे चारोंओर जीयो तो समझ में आ जायेगा.
मतले में साझा हुई ’आसानी’ गरम तवे पर किसी जलबूँद सी छनछनाती हुई लगती है ! यों तो पूरी ग़ज़ल सघन है. लेकिन
जब आँकड़ों के बल पर.. .
रहबर किसी तरक्की.. .
हर आदमी यहाँ है.. .
इन अश’आर को खोलने बैठूँ तो पूरी किताब हो जाये. यही इनकी सफलता है.
बहुत-बहुत बधाई, वीनस भाई.. और हृदय से शुभकामनाएँ.
सौरभ जी यह आपका स्नेह, आपकी ज़र्रा नवाज़िश है मगर कुछ हुज़ूर ज़ियादा ही हो गया ...जैसा की नीरज जी ने कहा है,
हटाएंसितारों के आगे ....
नुसरत जी के शे'र: मतला बहुत देर तक जमा रहा, ये अब जेहन में रहेगा "परमानेंट". गिरह में "ख़्वाबों की किरचियों" में मुझे छुपा हुआ "तूने" दिख रहा है। इक तेरी बेरुखी से,,, जाकर बुलंदियों पर,,, कुछ कहते नहीं बन रहा है…इन अश'आर पर।
जवाब देंहटाएंवीनस जी के शे'र: मतला,, जब आंकड़ो के बल पर,, ईमानदार होना,, रहबर किसी तरक्की की बात कर रहे है, हर आदमी यहाँ है अब अपने आप में गुम,,
बहुत पसंद आये। वाह भाई वाह !!
शुक्रिया सुलभ भाई बहुत बहुत शुक्रिया ....
हटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (2-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
हार्दिक आभार
हटाएंदोनो की ही रचनाऐं बढिया हैं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसर्वप्रथम नुसरत जी , और वीनस जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंदोनों रचनाएँ वाकई में लाज़वाब हैं , दोनों ग़ज़ल के शेर वर्तमान की परिस्थिति को बयाँ कर रहे |
बहुत -बहुत बधाई दोनों रचनाकारों को |
आदरणीया, हार्दिक आभार
हटाएंसब से पहले नुसरत जी और वीनस को सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो
जवाब देंहटाएंअब हो जाए ग़ज़लों की बात नुसरत साहेबा के बारे में कुछ कहना सूरज को चराग़ दिखाने जैसा है
ख़ूबसूरत ग़ज़ल का बेहतरीन शेर है
"जा कर बलंदियों पर गुम.........
दाद ओ तह्सीन क़ुबूल करें
****
हर आदमी यहाँ है अब अपने आप........
वीनस उभरते हुए शो’अरा में जाना पहचाना नाम है ,इलाहाबाद को गर्व होना चाहिये अपने इस सपूत पर
बहुत ख़ूब बेटा ,,ख़ूब बलंदियाँ हासिल करो और उस बलंद मक़ाम पर डेरा डाल लेना :)
शुक्रिया आपा !
हटाएंजो मुहबब्त और नवाज़िशें हैं आपकी दुआओं का ही नतीजा है ...
# नुसरत जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई. खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद.
जवाब देंहटाएंआपके मतले के "बस" ने यह लिखवा लिया है:
जब तक 'वो' शाख पर थी महफूज़ थी हरी थी,
होकर सवार "बस" में अब गुम है लापता है !
# वीनस केसरीजी को जन्मदिन की बधाई. उम्दा अश'आर निकाले है. .
रहबरों से आपने बड़ा मासूम सा सवाल किया है !
आपके शे'र से प्रेरित होकर:
रहबर हुए है अबतो आमादा रहज़नी पर
उनकी ही 'भूख' अबतो बस उनका मुद्दआ है.
वाह वा मंसूर साहिब आपके इस फिल्बदी पर मेरी ग़ज़ल कुर्बान ....
हटाएंपसंदगी के लिए शुक्रिया
नुसरत जी और वीनस को जन्मदिन की हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंदोनों ग़ज़लें बहुत ही खूबसूरत बन पड़ी हैं. नुसरत जी की गज़ल का मतला बहुत अच्छा लगा. वीनस ने आज के हालत पर अच्छा कटाक्ष किया है.
शुक्रिया राजीव भाई
हटाएंदोनों रचनाकारों को जन्मदिन का सुन्दर उपहार है यह सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई स्वीकारें..
नुसरत दी का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ , बहुत पहले से ! अहा क्या मतला है, मतले में जो विछोह के प्रेम को दर्शाया गया है , उसके क्या कहने लाजवाब मतला मिला अभी तक की इस तरही में ! बात फिर जब हुस्ने मतले की करें तो और भी खूबसूरत वाह वाह , करोडो दाद इन दोनों मतले पर ! सदा काफिये से क्या ही खूब शे'र लिखा गया है ! और गिरह जो लगाईं गई है वो अपने आप में कमाल है ! और मक्ते की बात करें तो ख़ला लफ्ज़ का इतना सुन्दर प्रयोग उफ्फ्फ्फ़ ! क्या ही जबर्दस्त शे'र है यह ! बहुत बहुत बधाई इस मारक ग़ज़ल के लिए दी ! वाह वाह
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने गुरु देव वीनस की ग़ज़ल इस तरही के लिए सौ फीसदी पुख्ता है ! क्या ही लाजवाब ग़ज़ल लिखा है इस इलाहाबादी ने ! वेसे भी आजकल इसकी ग़ज़ले बहुत अच्छी हो रही हैं ! कुछ शे'र तो बेहद कमाल के हैं इस ग़ज़ल के ! जैसे रहबर वाला शे'र जबरदस्त है , बेहद मजबूत शे'र है यह ! खूब पसंद आया मुझे !
बहुत बहुत सुन्दर ग़ज़ल के लिए इन दोनों कमाल के ग़ज़लकार को बधाई ग़ज़ल के लिए और शुभकामनाएं जन्म दिवस के लिए !
शुक्रिया अर्श भाई, आहूत बहुत शुक्रिया
हटाएंदेर हो गयी आने में, लेकिन शायद यह देरी क्षम्य है।
जवाब देंहटाएंनुसरत जी का मत्ले का शेर, शेर नहीं फ़ल्सफ़ा: है। ख़्वाबों की किरच पलकों से चुनना एक अलग ही मंज़र पेश कर रहा है और आखिरी शेर में मायूसी की इंतिहा है। परिपक्व् ग़ज़ल है।
वीनस पिछले कुछ महीनों से ग़ज़ल की एक विशेष परंपरा पर अटकने के बजाय विविधता पर काम कर रहा लगता है। आज की ग़ज़ल के सभी शेर दुष्यंत की परंपरा के हैं लेकिन मत्ले का शेर ग़ालिब की अदा लिये है और मत्ला-ए-सानी उस्ता़द ज़ौक की याद दिला रहा है।
दोनों ग़ज़ल बाकमाल हैं।
तिलक जी देर तो मुझे हो गई आप सभी का शुक्रगुजार होने में ...
हटाएंइधर कुछ न् कुछ होता रहा और बराबर साझा करता गया ...
आपको पसंद आया ये मेरे लिए बेहद खुशी की बात है
हार्दिक आभार
और हॉं जन्मदिन की बधाई, एक दिन देर से सही।
जवाब देंहटाएं:)))))))
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचनायें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रवीन जी ...
हटाएंबधाई नुसरत जी को ओर वीनस जी को ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दिगंबर साहिब
हटाएंआदरणीय नुसरत जी की गज़ल समुन्दर की गहराई लिए ... शांत उदासी का आवरण ओढ़े हुवे है ... इक तेरी बेरुखी हो या ख़्वाबों की किरचियों को ... अंकों के सामने मंज़र खड़ा कर देते हैं ... ओर अंतिम शेर तो पूरी गज़ल की जान हो जैसे ...
जवाब देंहटाएंजा कर बुलंदियों पर गुम हो गया है कोई
ताकने को पास मेरे बस दूर तक खला है ..
बहुत ही लाजवाब शेर ...
वीनस जी के किसी एक शेर को क्या बयान करना जबकी पूरी की पूरी गज़ल दस्तावेज़ बन गई है ... आज को हूबहू पेश कर रही है ...
जवाब देंहटाएंकुछ शेरों पर तो बरबस "वाह" "वाह" "क्या बात है" अपने आप ही निकल आता है ... जियो वीनस भई ... बहुत बधाई इस लाजवाब गज़ल के लिए ...
एक बार फिर से बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंनुसरत जी और वीनस भाई को जन्म दिन की 'बिलेटेड' मगर 'हार्ट-फेल्ट' बधाइयां।दोनों ग़ज़लें खूब पसंद आईं।तरही अब अपने शबाब पर आ चुकी है।आने वाली ग़ज़लों का इंतजार है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सौरभ भाई
हटाएंग़ज़ल की पसंदगी के लिए शुक्रगुजार हूँ
आदरणीय नुसरत मेहंदी जी पूरी ग़जल बहुत अच्छी है। एक खुबसूरत गजल के लिए बधाई। और belated happy birthday
जवाब देंहटाएंवीनस भाई बहुत अच्छी गजल लिखी है, आपके जन्मदिन के लिए आपका नंबर फेसबुक पर देख कर काँल किया था पर स्विच ऑफ आ रहा था।
जवाब देंहटाएंआसानियों का मतलब, आसान कब रहा है
मंज़र वही है, अब भी, चाकू पे दिल रखा है
बहुत खूब वाह क्या मतला है
जब आंकड़ों के बल पर हर योजना सफल हो
तो फिर गलत कहाँ है जो जश्न हो रहा है
सच्चाई कही है
ईमानदार होना, कब था सरल, मगर अब
ईमानदार होना सबसे बड़ी खता है
एक और कटु सत्य
पूरी गजल बहुत अच्छी बधाई हो .
belated happy birthday
तपन भाई,
हटाएंदेर तक जगाना, शाइरी कर, और सुबह देर तक सोना....
ये मुझ शैतान की बुरी आदतों में से कुछ हैं ...
भाई ग़ज़ल को पसंद करने के लिए और इतनी तवील राय पेश करने ले लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ
मुहब्बत बनाए रखें
जल्द ही आपसे बात होगी
आमीन