आज से होली का तरही मुशायरा प्रारंभ हो रहा है । होली का माहौल तो बनने लगा ही है । हालांकि हमारे यहां तो इस बार बादल पानी का मौसम हो रहा है और उसके कारण कुछ होली का रंग बनने में देर लग रही है । खैर तो आज से हम चालू करते हैं होली का तरही मुशायरा । उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में ।
निर्मल सिद्धू जी और नवजोत सिद्धू में क्या रिश्ता है ये तो पता नहीं लेकिन एक बात तो मुझ जैसे फोटोशाप पर काम करने वालों को बहुत अच्छी लगती है निर्मल जी जैसे लोगें के साथ । इनका फोटो बहुत आसानी से कट जाता है । फोटो शाप में सबसे मुश्किल होता है बालों को ठीक प्रकार से काटना । लेकिन निर्मल जी के साथ तो ऐसी कोई समस्या नहीं है । मेरी नानी इन दिनों आई हुई हैं वे निर्मल जी जैसे लोगों के लिये एक कहावत कहती हैं जूंआ पड़े न लीख, सबसे गंजे ठीक । तो होली के ठीक पहले ही दिन प्रकाश पाखी के पास पहुंच गये हैं निर्मल जी हजामत बनवाने । ऊपर वाला भी बहुत चालाक है ये नहीं कि सर की जगह दाड़ी मुंछ के बाल उड़ा देता कमसे कम हजामत की तो समस्या से मुक्ति मिलती ।
आज का होली का विचार :- गंजे होने के कई सारे फायदों में एक ये भी है कि फोटोशाप में काम करते समय फोटो आराम से काटा जा सकता है ।
न सर पे है बाल एक भी पर बना दे पाखी ज़रा हजामत
उमीद निरमल सजा के दिल में चले है आए तेरी गली में
प्रकाश पाखी
दवा मिलेगी ये सोच के हम जहर पी आए तेरी गली में
उतर गया है बुखार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में
लुका छिपी ये नजर की कैसी,हंसी से हमको बना रहे हो
गधे पे चढ़ के लो हम ये आए बने बनाए तेरी गली में
हरे हरे नोट औ करारे जो भी थे उनकी निकल पड़ी है
तेरी तो किस्मत में हम जो आये है सिक्के खोटे तेरी गली में
सुना है तुमने बड़े बड़ों को छका दिया है उसी गली में
तुम्हारे बापू से मांग लेते कि हम जो होते तेरी गली में
लिखा तुझे ख़त तो तेरे भाई ने कैसे कर दी मेरी धुनाई
मेरी मुहब्बत का रायता तो बिखर गया ये तेरी गली में
अगर मुहब्बत हमें न तुमसे जो होती हम रोज अपने पीछे
लड़ी पटाखों की बाँध क्यूँ आग ही लगाते तेरी गली में
यूँ वीर है हम मसल दें हाथी न डर है कोई जो बाघ आये
है गाडजिल्ला जो बाप तेरा, पकड़ मसल दे तेरी गली में
तुम्हारे गालों पे रंग मल कर जो चंग बजता है मेरे दिल का
सुरंग होली हो संग तुम हम तो भंग पीते तेरी गली में
निर्मल सिद्धू
बिखर गया सब नशा है भंग का मिले जो साले तेरी गली में
उतर गया है बुख़ार सारा पड़े वो जूते तेरी गली में
युं होली के दिन गये थे हम तो तुझे फंसाने तेरी गली में
पता नहीं था मिलेंगे हमको ये लात घूंसे तेरी गली में
बड़े दिनों से ओ जाने जाना नज़र टिकी थी हुसन पे तेरे
इसीलिये हम लगा के तिकड़म वहाँ थे पहुँचे तेरी गली में
चढ़ा के भंग हम गुलाल लेकर मजे में होली के गीत गाते
नशे की धुन में मटक-मटक कर युं हम थे नाचे तेरी गली में
मगर हमारी बुरी थी क़िस्मत जो सालों ने धर लिया हमें फिर
हुये थे कीचड़ में सारे लथपथ सजन तुम्हारे तेरी गली में
ये रोग दिल का बड़ा बुरा है ये बात उस दिन समझ गये थे
बुरा मनाये क्या होली के दिन हुआ जो भूले तेरी गली में
मिलन तो अपना रहेगा होके ये बात मेरी तू सुन ले सजनी
यही है निर्मल की बस तमन्ना बरात निकले तेरी गली में
पहले एक काम की बात ये कि यदि रदीफ में तेरे आ रहा हो तो आप मिसरे में कहीं तुम्हारे या आप का उपयोग करते हैं तो उसको दोष नहीं माना जाता । ( उदाहरण : तुम्हे याद हो के न याद हो )
तरही की शुरूआत हो चुकी है और आज सबसे बड़ी समस्या ये हाई है कि फोटो ठीक नहीं होने के कारण ग्राफिक्स का काम करने में परेशानी आती है । आप सबसे अनुरोध है कि अपने ठीक ठाक पिक्सल वाले फोटो भेज दें ताकि ग्राफिक्स का ठीक काम हो सके ।
तरही के बारे में बात आपको करनी है । दाद खाज खुजली देते रहें । और हां आज ही आज में दे लें क्योंकि कल दूसरे की बारी है ।
achchhi shuruaat hui hai. mazaa aa gaya..achchhe joote pade....
जवाब देंहटाएंसुबीर भैया !!!! हा हा हा ... क्या भली सोच है होली की !!
जवाब देंहटाएंये कमाल का Photoshop और आपके One liners !! ...आप ने क्या कभी ग्रीटिंग कार्डस का एक देसी version बनाने पे विचार किया है... Archies को पक्का टक्कर दे देंगे आप :) :)
दोनों शायरों को मुबारकबाद ... अंतिम शेर और मखते दोनों ही गजलों के बेहतरीन.
पाखी साहब का godzilla ... :) :) और दिल में चंग बजना... बहुत खूब !
सिद्धू साहब का 'हुआ जो भूले तेरी ... ' और 'बारात निकले तेरी... 'दोनों बिम्ब सुन्दर!
सोच रहे हैं... इतने जूते पड़ गए हैं तो बारात के समय जूता-छुपाई में कोई मुश्किल नहीं होगी ... multiple pairs जो होंगे जनाब के पास :)
सादर...
सर पे बाल कैसे बचे जो कोई ऐसी होली खेले.
जवाब देंहटाएंपाखी तो पारखी नज़र रखते हैं... (क्या चंग बजाया है)
निर्मल सिद्धू जी की बरात में कोशिश करेंगे नाचने की.
ग्राफिक्स भी नए अंदाज में है. बहुत अच्छा आगाज़ है.
- सुलभ
होली का चंग तो आपके ब्लॉग की साज सज्जा ने बजा ही दिया है...अभी से सुरूर छाना शुरू हो गया है...रही सही कसर पाखी जी के शेर " लिखे जो ख़त तेरे भाई ने...." और निर्मल जी के शेर " मिलन हमारा हो के रहेगा...." ने पूरी कर दी.
जवाब देंहटाएंआनंद वर्षा में भीगने का पूरा प्रबंध और आगाज़ हो गया है आपके ब्लॉग पर...वाह...
नीरज
होली के रंग बिखरने लगे हैं। आज की प्रस्तुत रचनाओं का सहज हास्य मन को गुदगुदा देता है। दोनों के पास हास्य चित्रण की अद्भुत कला है। होली की बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंवाह गुरुदेव ... गंजे होने के फाय्दे आपने खूब गिनाए ....
जवाब देंहटाएंआज तो मज़ा आ गया होली की फुहार और भांग का मज़ा दोनो ही ले लिए मुशायरे में ... निर्मल जी का नशा उतार गया ... बहुत लाजवाब लगा ... और प्रकाश जी की तो क्या बात है जहर पी कर आ गये दवा के बदले .... भई शुरुआत इतनी धमाकेदार है तो आगे आगे क्या होगा ...
क्या बात है...?? कलक्टर साहब की हजामत की दुकान...??? बहुत बढ़िया...! चार्ज तो ओहदे के हिसाब से ज्यादा ही होंगे। निर्मल जी जैसा व्यक्ति ही जा सकता होगा वहाँ पर...! कुछ और अमीरो को भेजती हूँ उधर।
जवाब देंहटाएंदोनो ने हँसाने की अच्छी कोशिश की...!
और गुरु जी आप कह रहे हैं कि अच्छी सी फोटो भेजें हम लोग....! वो भी क्या करने को ऐसी ही कोई हजामत बनवाने को ? मतलब.. आ बैल मुझे मार...! जिनकी अच्छी फोटुएं नही है, वो भाग्यशाली है। :)
वाह वाह तो होली के रंग छाने लगे हैं। तस्वीरें ही बता रही हैं कि इस बार होली के रंगों मे हम जैसे बूढे भी झूमने लगेंगे। बाकी शर्दुला जी की बात पर जरूर गौर करें। पाखी साहिब और निर्मल सिधु जी ने तो खूब समय बाँधा है\पाखी जी के ये शेर
जवाब देंहटाएंसुना है तुमने बडे -----
अगर मुहब्बत तुमसे------
लुकाछिपी ये नज़र -----
बहुत अच्छे लगे हंसी नही थम रही। पाखी जी को होली के रंग मुबारक
और निर्मल सिद्धू जी के ये शेर
मतला तो अच्छा है ही मगर ये शेर पढ कर आनन्द आ गया
यूँ होली के दिन------
मगर हमारी किस्मत बुरी थी------- हा हा हा तब तो निरमल जी को खूब जूते पडे होंगे । और आखिरी शेर भी बहुत अच्छा लगा। उन्हें भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाये
सुबीर इस बार पता नही कितने लोगों को जूते लगवाने वाले हैं बच के रहना सभी। कल देखते हैं किस की बारी है । इन जूतों पर जी भर कर तालियां । बहुत अच्छी रही शुरुआत कल का इन्तज़ार। सभी को होली की शुभकामनायें मगर सुबीर को इस आयोजन के लिये बधाई और बहुत बहुत आशीरवाद्
प्रकाश पाखी, के उस्तरे से, हुई हजामत, तेरी गली में,
जवाब देंहटाएंबेचारे 'निर्मल', तो लौट आये, भुला मोहब्बत, तेरी गली में।
होली है.ए.ए.ए.ए.ए.ए.ए.ए.
ससुराल गेंदाफूल और ससुरा गाडजिला
जवाब देंहटाएंपाखी तुम्हारे दर्द ने हमको दिया हिला।
चढ़ाके होली के रंग इसपे,सजाओ निर्मल को मिल के यारों
बिठा के गदहे पे एक ###, बरात निकले तिरी गली में।
होली है.ए.ए.ए.ए.ए.ए.ए.ए.
चलिये होली का मज़ाक बंद।
दोनों हज़लें होली के रंग से सरोबार हैं,
अच्छा आधार हैं, आने वाली हज़लों के लिये,
जो बिल्कुल बेकार हैं।
ऐं, क्या फि़र मज़ाक हो गया, सारी भाई ये होली का सुरूर है।
हज़लें वास्तव में बहुत अच्छी हैं।
मस्त शुरुआत होली के तरही की...
जवाब देंहटाएंचंग बजाने वाला बिम्ब तो क्या खूब खिंचा है प्रकाश सर ने। भई वाह! और गौडजिला का इस्तेमाल भी अचंभित कर गया। सिद्धु साब का बारात लेकर आने का ऐलान जबरदस्त लगा।
फोटोशाप का कमाल तो देख ही रहे हैं और संग में आदरणीय हठीला जी के दोनों शायरों को लपेटते हुये शेर...वाह!
गुरुदेव,
जवाब देंहटाएंहा! हा! हा!हा!
आप ने तो कमाल कर दिया...घर आळी फोटो देख कर कह रही चोखा लाग रिया हो,..एक दम नेचुरल... मन्ने लागे है कि नौकरी में नी होतो तो हजामत को धंधो सूट करतो...
निर्मल जी ने बहुत अच्छा समां बांधा है..
..तुझे फ़साने तेरी तेरी गली वाला शेर पढ़कर बहुत मजा आया --हंस हंस कर बल पड रहे है.
बरात वाल मक्ता बहुत अच्छा दिया है...
आपकी साज सज्जा और प्रस्तुति ने जान डाल दी है मुशायरे में-
गाड्जिल्ला के लिए शुक्रिया...
बहन कंचन ने होली के दिन कलेक्टर बनाया है तो क्या समझूं --
यही कि बुरा न मानो होली है!
ये हुआ सही आगाज होली का...आनन्द आ गया दोनों को पढ़कर. :)
जवाब देंहटाएंफोटो भी चकाचक!
पाखी भाई की गाडजिल्ला / और मक्ता शानदार और जानदार है ... इसका ये मतलब कतई नहीं के और शे'र बब्बर नहीं .... और सिद्धू साहब के तो क्या कहने इस में भी रूमानियत से भरे शे'र कहे हैं इन्होने ...बड़े दिनों से ओ जाने / ये रोग दिल का बड़ा बुरा .. बब्बरों में शुमार है...
जवाब देंहटाएंरंगत तो पहले से ही दिख रहा है ब्लॉग का और मौसम खूब तरीके से चल रहा है ...
बधाई इन दोनों हज़लकारों को .......
कमबख्त स्टूडियो वाले मेरी तस्वीर ही नहीं लेते कहते हैं लडकियां मरने लगेंगी...
जनाब अगर किसी ने देख लिया तो इतनी खुबसूरत चेहरे को .. :)
अर्श
वाह ! मजा आ गया प्रकाश जी नाई और निर्मल जी गंजू की हज़लों को पढ़कर...अभी से ही होली के रंग चढ़ने लगे हैं...
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा!! ये तो बिल्कुल इटालियन शैली (जिसमें ग्राहक ईंट पर बैठा हो और नाई सामने)का सैलून लग रहा है। अहा!! दोनों ने खूब कारीगरी की है मिसरे पर, पढ़कर मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंहोली का माहौल है, मौका है, माफ़ी भी....खूब चौखा रंग भरिये अपने शब्द पिचकारी में..
जवाब देंहटाएंसुबीर ऐसी रंगीन होली मनाने आए तेरी गली में
ज़रूर कोई कशिश ही होगी जो नाई आए तेरी गली में
गुरु देव पांव लागी
जवाब देंहटाएंअच्छा त होलियारण के टोली निकल गे है (गे नहीं गय पढ़ा जाये)
सबसे पाहिले तो इ पाखी साहब का लपेटबय अरे गुरु जी तोहका का पता ए जो पाखी साहेब हैं का कहत हैं हाय हाय हाँ इ तो बहुत गहरी चीज है दुई बच्चा लोग के बाबू होय के भी जब बिलाग बनाएन त ऐसन फोटू बिलाग में चेपें की हमार गाँव दिहात के सब छोकरियन में घूसम पैजार होय गय और जब पूछा का रे बचवा ऐसा काहे करे तो बाबू साहेब कहे लगें के दददा बात इ है के हमार चेहरा से हमार उम्र के पता नहीं चलत अरे बतावा इ कोई बात है अरे निर्मल से कुछ सीखा देखा कैसे अपन उम्रर के हिसाब से है
बाके सेर तो बढ़िया कह गयेव हो हमका त लागत है मतला बहुरिया लिखे है चला आसिर्वाद ले ला हमका आउर कुछो काम नाही ना का
अब गुरुदेव हम जानित हैं जोंन आपका जितना धारदार हथियार देई आप ओका उतने पाहिले रेल देबो त हम त इतना मूरख हैं नाही के अपन पैरवा के हसिया दे मारी त आप त वही से काम चलावा बाके पाखी बाबू का देख के पता चलत बा के हमार का हसर होई मगर जों दिन हमार इ हसर होई हमका कोई फरक ना पड़े काहे के हम त पहिलें से कौनो लायक ना रहबे तब कोई हमार धोती खीचे चाहे चड्ढी हमका कौनो फरक ना पड़े
जवाब देंहटाएंऔर इक बात और बाताये देई कौनो चाहे जोंन जुगत कर लेई हमका जूता ना पडी तोहार गली में
हा हा हा (राच्छसी हँसी) हा हा हा
तोहार भंगेड़ी वीनस
हा हा हा (इ भांग खाय के बाद हँसी बहुत आवत ही )
हम तो 'तेरी' गली में भंग पीने पहुंचे तो वहां वीनस भाई पहिले भंग में टुन्न है...अरे भैया एक एक करके आवो...ऐसी भी का जल्दी है....सबके जूते पड़ने है..तोहार भी नंबर आई जावेगा..वीनस,तनिक ठहरो जरा..गुरुदेव...!!!!वीनस को रोको वो लाइन तोड़ रहा है...
जवाब देंहटाएंपंकज जी ,
जवाब देंहटाएंग़ज़लगो तो अब तक न हुआ पर होली की तरंग में तो बहर वहर क्या बस सब बहार ही होती है.और शुरुआत तो यूं हुयी तरही की कि बिन छाने तरंगित हो लिए .तो मौके का फायदा उठा , इंतज़ार करिए मैं भी आ रहा हूँ .