लो साहब देखते ही देखते होली का त्यौहार आ गया । अभी तो आप देखिये कि क्या क्या होता है । लेकिन फिलहाल आज तो केवल तरही के मिसरे के बारे में कुछ बातें ।
जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन तगाफुल, दुराय नैना बनाय बतियाँ।
अमीर खुसरो की ये रचना पहले तो इतने तरीकों से सुनिये क्योंकि ये ही इस बार की तरही की बहर है । उसमें से भी पहली वाली रचना जो कि जिला खान के स्वर में सुनकर यदि आपको नशा न हो जाए तो हमसे कहियेगा । यदि लिंक न दिख रही हो तो डाउनलोड की लिंक पर से डाउनलोड कर आराम से सुनें ।
जिला खान के स्वर में
http://www.divshare.com/download/10392626-bf4
http://www.archive.org/details/ZihaleMiskinZilaKhan
छाया गांगुली के स्वर में
http://www.divshare.com/download/10392598-dbc http://www.archive.org/details/ZihaleMuskinChhayaGanguli
कव्वाली ग़ुलाम हुसैन नियाज़
http://www.divshare.com/download/10392636-529 http://www.archive.org/details/ZihaleMuskinQawwaliGhulamHusainNiyazi
अमीर खुसरो साहब की ये अमर रचना है । इसमें हर शेर में एक मिसरा फारसी का है और एक मिसरा हिंदवी का है । पूरी रचना विलक्षण सौंदर्य से भरी है । इसके बारे में अगले अंक में विस्तार से बातें करेंगें हम । लेकिन फिलहाल तो चलिये मिसरा ए तरह की बात करें ।
उतर गया है बुखार सारा, पड़े वो जूते तेरी गली में
उतरो जूतों से आरती सब, सनम हैं आए गली हमारी
बहर वैसे तो 121-22-121-22-121-22-121-22 ( फऊलु फालुन फऊलु फालुन फऊलु फालुन फऊलु फालुन ) बहरे मुतकारिब मकबूज़ असलम ( सोलह रुक्नी ) है । लेकिन असानी के लिये आप इसे यूं समझ लें कि मुफाएलातुन चार बार है 12122*4 । उससे समझने में आसानी रहेगी । मगर ये केवल समझने के लिये है अनयथा बहर वही है जो ऊपर दी है ।
मिसरा 1 ( पुरुषों के लिये ) उतर गया है ( 12122) बुखार सारा ( 12122) पड़े वो जूते ( 12122) तेरी गली में (12122) ( इसकी एक विशेषता है कि चारों में से कोई भी रुक्न किसी भी स्थान पर आ सकता है वो इतना स्वतंत्र है । जैसे बुखार सारा उतर गया है तेरी गली में पड़े वो जूते या पड़े वो जूते तेरी गली में बुखार सारा उतर गया है । )
मिसरा 2 ( महिलाओं के लिये ) उतारो जूतों ( 12122) से आरती सब ( 12122) सजन हैं आए ( 12122) गली हमारी ( 12122)
बहर – बहरे मुतकारिब मकबूज़ असलम ( सोलह रुक्नी ) ( अभी हमारा मुशायरा इसकी ही सालिम बहर पर हुआ था । सालिम अर्थात फऊलुन पर ।)
रदीफ – तेरी गली में ( गली हमारी )
काफिया – ए की मात्रा ( के, से, थे, किस्से, आए, बैठे, तड़पे, टहलते, उछलते, बरसते, रईसजादे, )
जाहिर सी बात है कि होली का मामला है इसलिये मज़ाहिया ही लिखना है । और उसमें भारत की स्वस्थ और ऐतिहासिक परंपरा के होली के तत्व कीचड़ गोबर भांग आदि आना चाहिये । ये बात नये लिखने वालों के लिये है कि नीचे दिये गये इसी बहर के छह गानों को कई बार गुनगुना कर ज़ुबान पर चढ़ा लें और फिर उस पर लिखें । धुन चढ़ गई तो फिर ये मुश्किल बहर आसान हो जाएगी । 15 फरवरी से मुशायरा प्रारंभ हो जाएगा । गाने के लिंक नहीं खुल रहे हों तो नीचे दिये लिंक से डाउनलोड कर लें ।
खुदा निगेहबान ( मुगले आजम )
http://www.divshare.com/download/10392232-5ff
http://www.archive.org/details/KhudaNigehbaan
न जाओ सैंया ( साहब बीबी और ग़ुलाम )
http://www.divshare.com/download/10392233-730
http://www.archive.org/details/NaJaoSaiyan
सलाम ( उमराव जान नयी फूहड़ वाली )
http://www.divshare.com/download/10392242-f29
http://www.archive.org/details/Salaam_224
सलामे हसरत ( बाबर )
http://www.divshare.com/download/10392244-4b3
http://www.archive.org/details/Salam-e-hasrat
तुम्हारी नज़रों में ( कल की आवाज़ )
http://www.divshare.com/download/10392258-f29
http://www.archive.org/details/TumhariNazron
जिहाले मस्कीं ( ग़ुलामी )
http://www.divshare.com/download/10392262-dbc
http://www.archive.org/details/ZeehaleMuskinMakun
एक विनम्र सा अनुरोध है । अपनी रचना के साथ अपना एक क्लोजअप फोटो ज़रूर भेज दें । क्योंकि होली में आपके फोटो पर कुछ कारीगरी करने के लिये वो आवययक होगा । श्री रमेश हठीला पिछली बार की ही तरही होली की उपाधियां देने का कार्य करेंगें । बहुत से काम हैं सो आप जल्दी करें और अपनी रचनाएं तथा एक फोटो ज़रूर भेजें ।
बिलकुल, हुक्म की तामिल होगी. पहले गाने सुनते हैं...
जवाब देंहटाएंहँसना जितना आसान है मेरे लिये उतना ही कठिन होता है हास्य रस में लिखना। अब क्या करूँ, क्या करूँ, कैसे इसे मैं बनाऊँ...????
जवाब देंहटाएंखैर हमारी तो कईयो फोटू आपके पास पड़ी है बनायें, मिटाये, उठाये, गिराये.....!!
समझ गयी अब दोबारा कोशिश करती हूँ मगर बहुत मुश्किल है --- अब आपकी क्लास मे दाखिला ले लिया तो जी तोड कोशिश करनी पडेगी। करूंगी --- आशीर्वाद
जवाब देंहटाएंगुरुदेव ............. आनंद ले रहा हूँ इन गीतों का .......... डाउनलोड भी कर रह हूँ ......दुबारा, तिबारा और बारहा सुनने के लिए ..... मिस्रा नोट कर लिया है .... कोशिश जारी है ..........
जवाब देंहटाएंगुरु जी आपने पहले कुछ ऐसा मिसरा भेजा था
जवाब देंहटाएंमिसरा 2 ( महिलाओं के लिये ) उतारो जूतों से आरती सब सजन हैं
आए ) मेरी गली में और आज कुछ बदला है कुछ confusion है कृपया बताएँ क्युकी मैने एक दो शे'र बना लिए हैं
@ अर्चना जी,
जवाब देंहटाएंमिसरा २: उतारो जूतों से आरती सब सजन हैं आए मेरी गली में Ya उतारो जूतों से आरती सब सजन हैं आए गली हमारी. इस मिसरे में ["मेरी गली में" या "गली हमारी" रदीफ़ है. जो Fixed है. अतः शे'रों में कोई दिक्कत नहीं होगी यदि काफिये [ए] का सही इस्तेमाल होता है.]
जैसा सुलभ ने कहा कि दोनों ही मिसरों का वज़न एक ही है सो कोई फर्क नहीं पड़ना है दोनों से ।
जवाब देंहटाएंपिछली पोस्ट पर परम आदरणीय श्री भौंचक्के जी ने अपनी अद्भुत हज़ल से जो स्टैंडर्ड सेट कर दिया है, उसने मुश्किलें बढ़ा दी हैं गुरुदेव। एक तो मुश्किल बहर है ऊपर से इतना कम समय और फिर मेरी छुट्टी भी है। हाय रेsssssss...
जवाब देंहटाएंये सारे लिंक डाउन-लोड करने हैं गुरुदेव।
@अनुजा,
मेरा काम तनिक आसान कर दे यार। आजकल तो तू टाटा फोटोन-सोटोन वाली हो रखी है, जरा सब डाउन-लोड करके मेरे लिये मेरे मेल में भेज तो...
दोनों मिसरों में जो रदीफ़ हैं उनका वज्न एक ही है ये तो पता था पर नियमानुसार शब्दों में फेर न हो इसलिए पूछा...जी अब बिलकुल समझ में आ गया
जवाब देंहटाएंगुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के विषय पर अपनी दुश्वारियों का ठीकरा मेल के द्वारा पहले ही फोड चुके है अब और क्या कहें
गुरु जी मुझे लगा इस पोस्ट में हासिले मुशायरा शेर की भी घोषणा की जायेगी
भगवान का लाख लाख शुक्र है कि पुरुषों का मिसरा नहीं बदला गया है नहीं तो और दुश्वारियां पैदा होती
@ कंचन जी _ हम भी दुश्वारी झेल रहे है बताइये ये भी कोई बात है जो पाचवी फेल हो उसे हाईस्कूल का सेलेबस दे दिया जायेगा तो क्या होगा बुहूहूहू :(
सबसे बड़ी दुश्वारी तो ये है कि ना हम गली में रहते है ना ही आज तक किसी की गली में होली खेलने गए है ....हे भगवान अपना की होगा ???
वीनस केशरी
Thank you subeer ji...Ameer khusro ki gazal ko Zila Khan ke swar mein prastut karne ke liye.......kaafi dino se talash thi....aaj poori kardi aapne.......shukriya
जवाब देंहटाएंतुम्हारी महफिल, में आ गये हैं, तो क्यूँ न हम भी, ये काम करलें।
जवाब देंहटाएंkuchh n kuchh milata hai masaala, jab bhi aaye teree galee mey/ sher banate hai kuchh n kuchh to, aayen-baayen teree galee mey..
जवाब देंहटाएंkaam kathin hai, fir bhi....dekhate hai ..koshish karenge...
गुरुदेव,
जवाब देंहटाएंमेरा दावा है आपकी इस पोस्ट पर टिप्पणी की ही नहीं जा सकती ...पहले तो कठिन काफिये रदीफ़ और बहर की चुनौती मिलने से सिट्टी पिट्टी गम हो जाती है..फिर आपने इतने सुन्दर गीत लगा रखे है कि कोई भला कैसे उनको सुने बिना रह सकता है..और सब सुनने के बाद इतना समय हो जाता है कि सोचते है टिप्पणी बाद में लिखेंगे..सच में इस पोस्ट को दस पन्द्रह बार पढ़ लिया है...पर अब जाकर कुछ कहने की स्थिति में आया हूँ...जिहाले मिस्कीं मुकन तगाफुल ..जिला खान की आवाज में बहुत सुन्दर लगी ..कव्वाली ज्यादा जम नहीं रही थी..होली के मुशायरे का इन्तजार है...
waah waah waah.. kya aawaz hai...abhi sun raha hoob aur madhosh hoon...waah
जवाब देंहटाएंआपके शागिर्द वीनस केसरी के कारण आप के ब्लॉग तक पहुंचा हूँ.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपका मुशायरा. इस मुश्किल बहर पर हाथ आजमाने की इच्छा हो रही है.
तेरी महफ़िल में किस्मत आजमा के हम भी देखेंगे.
पंकजजी !
जवाब देंहटाएंआपके आदेश की पालना में ग़ज़ल पेश है. मेरा फोटो मेरे ब्लॉग से लेने की कृपा करें क्योंकि अभी मेरा स्कैनर काम नहीं कर रहा है. [ www .jogeshwargarg .blogspot .com ]
महाबली भी झुकाए मस्तक जब आ रहे हैं तेरी गली में
हुज़ूर हम भी वही रवायत निभा रहे हैं तेरी गली में
तेरी गली में कभी कहीं भी न हो अन्धेरा न हो अन्धेरा
इसीलिये हम जिगर की होली जला रहे हैं तेरी गली में
न वो पिलाते दबाव दे कर न हम बहकते यूं भंग पी कर
बजा बजा कर वो चंग हमको नचा रहे हैं तेरी गली में
न रंग ऐसे कभी उड़े थे न ढंग ऐसे कभी दिखे थे
गुलाबजल की जगह पे कीचड लगा रहे हैं तेरी गली में
बजा रहे हैं वो तालियाँ भी सुना रहे हैं वो गालियाँ भी
वो खुद ही खुद को बना के जोकर हंसा रहे हैं तेरी गली में
हजार जूते हजार गाली लिए खड़े वो सजाये थाली
न यार कोई खिला रहे हैं न खा रहे हैं तेरी गली में
मचा हुया है अजब अनोखा रहस्य सा इक तेरे शहर में
हजार बातें करोड़ किस्से न जाने क्या है तेरी गली में
वो जो कभी भी हँसे नहीं थे वो जो कभी भी फंसे नहीं थे
वो आज आलम बेहूदगी का मचा रहे हैं तेरी गली में
तेरी गली से निकल गए जो उन्हें ठिकाना कहाँ मिलेगा
जगह मुकम्मल उन्हें भी मुश्किल जो आ रहे हैं तेरी गली में
न "जोग" कोई न कोई "ईश्वर" न आज "जोगेश्वरों" की जुर्रत
न समझदारी न होशियारी दिखा रहे हैं तेरी गली में
जोगेश्वर गर्ग
kya baat hai iska matlab holi par nayi nayi mazedaar gazlen padhne ko milne wali hai
जवाब देंहटाएंbesabri se intezaar hai