नोट :- होरी आ चुकी है और कल रंगों का दिन है । जो भी रंगों से परहेज करते हों वे घर से न निकलें । मेरे जैसे छिछोरे रंग लेकर घूम रहे हैं और जो किसी का कोई लिहाज नहीं करते हैं रंग डालने से पहले ।
हम तो पहिले ही कहे रहे कि ये सब कुछ ऊपर की पीढ़ी से ही आ रहा है । सब लोग फिजूल में ही नयी पीढ़ी पे इल्जाम दे रहे हैं । अब यही देखा ना कि सारे के सारे किस कदर गन्ना रहे हैं । इतरा इतरा कर जाने क्या क्या कर रहे हैं । इतनी भी शरम नहीं है कि नये बच्चे क्या सोचेंगें ।
होली की सवारी तिलक राज कपूर जी और समीर लाल जी
एक पति दो पत्नियां ( एक कली दो पत्तियां )
समीर जी के साथ राकेशी और नीरजा बाइयां
सुखी परिवार
आय हाय राकेश खंडेलवाल जी मैं मर जाऊं गुड़ खाके क्या छब बनाई है
हजार किस्से जो इश्क वाले पढ़े तो जागा ह्रदय का रांझा
चला लड़ाने वो इश्क अपना चिलम में भर कर छटाँक गाँजा
शहर की सड़कों को छोड़ पकड़ी इक रहगुजर तेरे गांव वाली
तेरे दरीचे तले खड़ा हो हुआ था दीदार का सवाली
उछाले गुल जो थे हाथ रक्खे, खरीदे जितने इक पावली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
जो फूल उछले थे हाथ से वो गिरे थे अब्बू मियाँ के सर पर
नजर उठाई तो मुझको देखा, हुए खड़े वो तुरत तमक कर
बगल में अपने रखी उठाली जो एक बन्दूक थी दुनाली
लगा के कांधे निशाना मुझको बना लिया फिर ट्रिगर संभाली
थी खैर मानी बस भागने में लगाके पर अपनी पगतली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
बनी हुई थी गली के कोने में नांद, गोबर की गैस वाली
गिरा फ़िसले के उसी में, छिप कर थी जान अपनी जरा बचाली
जो निकला पीछे पड़ा अचानक् इक मरखना बैल था वो शायद
हुआ ज्यों मेजर मिलिटरी का, करा ली हफ़्ता भरी कवायद
पड़े थे कुत्ते भी चार पीछे अजब मची ऐसी धांधली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
मुहल्ले भर में थे जितने आशिक, सभी ने पकड़ा गरेबाँ मेरा
लगा के कीचड़ सजाया मेरा था लोरियेल से धुला जो चेहरा
बिठाया फिर लाकर इक गधे पर जुलूस मेरा गया निकाला
फ़टे हुए जूते चप्पलों की गले में मेरे सजाई माला
सजाई सर पे ला एक टोपी सनी हुई सरसों की खली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
गधे की दुम में न जाने किसने लगा दिया फिर कोई पटाखा
दुलत्ती झाड़ी गिराया मुझको उठा के अपनी वो दुम को भागा
संभल उठा मैं ले चोटें अपनी , न जाने क्यों गांव आ गया था
लगा है जैसे अजाने में ही मैं दो किलो भांग खा गया था
उठाईं कसमें पड़ेंगें फिर न इस इश्क की धुन करमजली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
दे नाम तरही का छेड़ डाला है दुखती रग को सुबीरजी ने
बहाना होली का है बनाया दिवाली करने को तीरगी में
मैं दूध हल्दी औ फिटकरी से ही काम अपना चला रहा हूँ
उन्हें तो मल्हार सूझती है, मैं अपना दुखड़ा सुना रहा हूँ
खिलाई तीखी मिरच हरी है, छुपा के मिसरी के इक डली में
उतर गया है बुखार सारा, पड़े यूँ जूते तेरी गली में
अरे नीरज गोस्वामी जी गधे पर ही बैठने का शौक था तो हमसे तो कहते एक बार
कमीने, पाजी, हरामी, अहमक, टपोरी सारे, तेरी गली में
रकीब बन कर मुझे डराते मैं आऊँ कैसे, तेरी गली में
खडूस बापू, मुटल्ली अम्मा, निकम्मे भाई, छिछोरी बहनें
सदा ही घेरें, भले ही आऊं, दुबक-दुबक के, तेरी गली में
हमारी मूंछो, को काट देना, जो हमने होली, के दिन ही आके
न भांग छानी, न गटकी दारू, न खाये गुझिये, तेरी गली में
अकड़ रहे थे ये सोच कर हम, जरा भी मजनू से कम नहीं हैं
उतर गया है, बुखार सारा, पड़े वो जूते, तेरी गली में
किसी को मामा किसी को नाना किसी को चाचा किसी को ताऊ
बनाये हमने तुम्हारी खातिर ये फ़र्ज़ी रिश्ते, तेरी गली में
तमाम रस्ता कि जैसे कीचड़, कहीं पे गढ्ढा कहीं पे गोबर
तेरी मुहब्बत में डूबकर हम मगर हैं आये, तेरी गली में
भुला दी अपनी उमर तो देखो ये हाल इसका हुआ है लोगों
पड़ा हुआ है जमीं पे 'नीरज' लगा के ठुमके, तेरी गली में
उफ ये टेन पैक्स समीर लाल जी इन पर ये दोनों सुंदरियां फिदा न हों तो क्या हो
ये कैसा जलवा दिखाया तुमने, मुझे बुलाके तेरी गली में
उतर गया बुखार सारा, पड़े जो जूते तेरी गली में
मुझे भरम था कि मेरी खातिर, मिठाई तूने बना रखी है
कसम खुदा की भरम है टूटा, पिटाई खा के तेरी गली में
वो तेरे भाई हैं या कसाई, न उनको जन्नत नसीब होगी.
पिला के दारु पटक ही दूँगा, मैं उनको आके तेरी गली में.
बुजुर्ग सा कुछ था बाप तेरा, इसी की खातिर मैं कुछ न बोला
अगर लिहाजे उमर न हो तो दूं एक मिला के तेरी गली में.
मैं तुझको इतना बता रहा हूँ, नहीं मिलेगा समीर तुझको,
हो आशिकी का जो जोश बाकी, वो सर पटक ले तेरी गली में.
अय हय मेरे सुसराल( ग्वालियर ) के तिलक राज कपूर जी तीसरी फोटो तो कमाल की है
चले थे हम तो, करेंगे तुझसे, नयन मटक्के, तेरी गली में
उतर गया है, बुखार सारा, पड़े वो जूते, तेरी गली में।
ये तुमने बोला, फलक का चँदा, बहुत ही प्यारा, सदा लगा है
तभी तो सपने, सजा के आये, शहर के टकले, तेरी गली में।
सुना था छज्जे, पे तुम खड़ी हो, गुलाल मलकर, हमें लुभाने
इसीलिये तो, पहन के टोपी, गधे पे आये, तेरी गली में।
बहुत हैं नादॉं, समझ न पाये, तिरी शरारत, की हद कहॉं है,
मिलाके गोबर, बनाये भजिये, खिलाये तूने, तेरी गली में।
न सेव गुझिया, जलेबी बर्फी, न ही मिठाई, का रूप कोई
हमें मिले हैं, तो बस ये कीचड़, भरे कटोरे, तेरी गली में।
गले मिलोगी, सभी से छुपके, हमें बुलाया, यही तो कहके,
लपेटते हैं, क्यूँ लीद हम पे, सभी ये छोरे, तेरी गली में।
ना भॉंग-गॉंजा, बियर या व्हिस्की, कसम है तेरी, छुई है हमने
तुझे जो देखा, गुलाल में तो, नशे में भटके, तेरी गली में
हमारी बॉंहों, में डाल बॉंहें, तू फाग गाती, हमें नचाती
तो रंग होली के और ज़्यादा, हमें सुहाते, तेरी गली में।
फटा पजामा, अधूरा कुर्ता, ये टूटा चश्मा, और एक चप्पल
बचा के ‘राही’, किसे बताये, मिले जो झटके, तेरी गली में।
उफ योगेन्द्र मौदगिल जी क्या फिगर पाया है ( दूसरे चित्र में )
है चालू आंटी तो ठरकी बुड्ढे हैं लुच्चे लौंडे तेरी गली में
ये लड़कियाँ लागें सारी लैला ग़ज़ब के जलवे तेरी गली में
हम आशिकों की कुंआरी पलटन तेरे मोहल्ले में कैसे आए
के दूर से हमको दिख रहा है खडे़ है बुड्ढे तेरी गली में
पिटाई को ये कहें धुलाई खुदा ही मालिक है आशिकों का
वो लातें बरसी पडे़ वो घूँसे के सूजे चेहरे तेरी गली में
किसी की दुनिया लुभा न पाई किसी को ज़रा भी न रास आया
कि जैसे मैं हूँ शुरू से बिल्लो तेरे ही पीछे तेरी गली में
हैं मेरे बटुए के सारे दुश्मन ये मेरे ससुरे ये मेरे साले
ये कुबडे़ क़ाने ये गंजे अंधे ये झल्ले झबरे तेरी गली में
गली में आजा मना ले होती मैं तुझको रंग हूँ तू मुझको रंग दे
न आई तो मै करूँगा दंगा बजा के घंटे तेरी गली में
तेरा मोहल्ला मेरा मदीना है तेरी चौखट ही मेरी मक्का
ये हर की पौढ़ी ये गंगा मय्या है नल के नीचे तेरी गली में
वो मेरी ग़ज़ले वो मेरे नगमें वो तेरे अब्बू ने फाड़ डाले
सडे टमाटर गले से अंडे दिखा के डंडे तेरी गली में
हुई तबीयत हरी हरी सी बदल गया है मिजाजे मौसम
उतर गया है बुखार सारा पडे वो जूते तेरी गली में
वो दादा लच्छी सुबक रहा है हुड़क रहा है घुड़क रहा है
बुला के लच्छो पटा के लच्छो खिला के लच्छे तेरी गली में
मैं किसको दुखड़ा सुनाऊँ मुदगिल अजब कहानी गजब हैं मुद्दे
फटे हैं कुरते खुले पजामे हैं ढीले कच्छे तेरी गली मैं
सूचना : देखिये ये बहुत ही गलत बात है आज जब कुंभकरण परदे के पीछे बीड़ी पीने गया था तो कोई परदे से निकला और उसकी बीड़ी छुड़ा के भाग गया । कुंभकरण उसके बाद नाराज होकर कपड़े उपड़े समेत घर भाग गया है । इस कारण आज कुंभकरण वध की जगह पर मुन्नी बाई होली का धांसू तम नाच प्रस्तुत कर रही हैं ।
सूचना : रावण की सेना के कलाकारों को मंच के पीछे उल्टी हो रही है । हम पहिले ही बता दिये थे कि कोई भी रामलीला के कलाकारों को कच्ची नहीं पिलाए आप लोग नहीं माने इसलिये अब कल आपको रावण का युद्ध बिना सेना के ही देखना होगा ।
सूचना : शूर्पनखा का रोल करने वाला लड़का कल रात से गायब है पुरुषोत्तम जी से अनुरोध है कि वे अपने लड़के से बोलें के शूर्पनखा को रामलीला मंडली को वापस नहीं किया गया तो हम पुलिस में चले जाएंगें ।
सूचना : होली की सबको बहुत शुभकामनाएं ।
सुबीरजी होली की मंगल कामनाएं !
जवाब देंहटाएंक्या बात है आज ब्लॉग पर नया कुछ भी नहीं ...
अभी अभी आपकी मेल आई है देख कर फिर आता हूँ
अभी तो हँसी नही रुक रही .... दुबारा आता हूँ ...
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा आज आये न ऊँठ पहाड के नीचे। वर्ना इन उस्तादों को देख कर इतनी जुर्रत कहाँ कि दाँत निकाल सकें वो भी नकली।हा हा हा तस्वीरें लाजवाब हैं ऐर हज़लें तो पढ कर हंसी नही रुक रही। हा हा हा इस बार तो गज़ब की होली देखी है वर्ना पंजाब मे तो होली का मज़ा ही नही। बस रंग फेंको और जाओ । ये हसी मखौल यहां कहाँ । इन सब के शेर कोट करने का मन तो है मगर मेरे लिये सभी उस्ताद शायर हैं इस लिये कुछ नही कहूँगी वैसे भी बेचारों की जो हालत हुयी है उस से सभी जले भुने बैठे होंगे। हमे भी क्या पता चलता ये लोग खुद ही तो बता रहे हैं । चलो अब इन सब की आरती उतारते हैं । हा हा हा इनकी हज़लें और सबूत सेमेत फोटो दिखाने के लिये धन्यवाद। सभी को होली की हार्दिक शुभकामनायें आशा है ऐसे जश्न हमेशा ही होते रहेंगे। धन्यवाद शुभकामनायें। अगर घर रही तो एक बार फिर से आती हूँ।
जवाब देंहटाएंवरिष्ठ आखिर वरिष्ठ होते हैं ये बात बता रही हैं ये हज़ले...! होली की व्यस्तता लंबी बातें करने से रोक रही है... यूँ तो शॉर्ट में बात करना बड़ा पिरॉबलेमेटिक होता है। मगर करें क्या ???? अम्मा काम ना करने पर बहुत बिगड़ती है....!
जवाब देंहटाएंसब के सब बिंदास.....!
सुबह दस बजे से सारे मोहल्ले को इकठ्ठा करके इसलिए बैठे थे की आओ आप सब को ऐसी हज्लें पढवायेंगे की नानी याद आ जाएगी..दस बजे के बैठे बैठे लोग जब बारह बजे तक उकता गए तो टाईम पास करने के लिए हमारी ही हजामत चालू कर दी...अभी पिटाई का इंटरवेल ही हुआ था की आपकी पोस्ट आ गयी और हम बच गए...अब सब हमें धक्का देकर पोस्ट पढ़ रहे हैं हंस हंस कर लोटपोट हो रहे हैं...
जवाब देंहटाएंश्रीमती जी हमारी फोटो देख कर कह रही हैं...हाय दईया तुम तो ऐसे ना थे...
क्या होली का रेल पेल मचाया है आपने इस बार ब्लॉग पर गुरुदेव...ना वाह करते बनता है और ना आह करते...धुरंधरों को अपना लड़कपन याद करते देख तबियत हरी हो गयी और मुंह लाल ...
आप धन्य हैं...सच्ची...धन्य भी हैं और महान भी...
होली की सभी को शुभकामनाएं.
नीरज
hahahahaha...........mazaa aa gaya.
जवाब देंहटाएंholi ki hardik shubhkamnayein.
अरे वो हीरा बाई, सारा टिकट बिक गया. हाउसफुल.
जवाब देंहटाएंपब्लिक दरवाजा तोड़ रही है.
एक से बढ़कर एक रंग बिखरे आज सनम की गली में.
सब पांचो उस्ताद को बधाई.
अंतर्मन आनंदित हुआ. सुन्दर पोस्ट.
जवाब देंहटाएं- विजय तिवारी 'किसलय'
mazzza aa gayaa subeer ji..bahut kam log hote hai jo gyaanpeeth ke saath-sath muskaan-peeth par bhi baithate hai...
जवाब देंहटाएंभभ्भड़ कवि का मेल मिला है । वे अपना अलग ब्लाग खोल रहे हैं । ब्लाग एक ही दिन के लिये होगा और उस पर एक ही उनकी हजल लगेगी । जिसे केवल आमंत्रित लोग ही पढ़ सकेंगें । जैसा कि आपको पता है कि इस ब्लाग के संचालकों ने भभ्भड़ कवि की हजल को घनघोरतम आपत्तीजनक होने के कारण खारिज करते हुए वापस कर दिया था ।
जवाब देंहटाएंराकेश भाई आपके गीत तो समॉं बॉंध देते हैं।
जवाब देंहटाएंपंकज भाई, ये क्या हो गया, आप तो एकदम से शालीन हो गये। ये मोटर साईकल वाला फोटो तो ओरिजनल है हॉं ये पीछे बैठे चच्चा कुछ अलग हैं जो दो दो चश्मा धारण किये हैं।
समीर भाई की तो लाटरी खुल गयी, एक ग़ज़ल कहने वाली और एक गीत कहने वाली, दोनों आपस में ही व्यस्त रहती होंगी और समीर भाई मनमर्जी की लेकर फरार। और इन्हें तो अब कुछ लिखने की भी जरूरत नहीं, घराड़ी को हुकुम ही तो करना है।
और भाई ये अंदर की बात बाहर क्यूँ ले आये मेरे तीसरे फोटो में? वैसे ये योगेन्द्र भाई के तीसरे फोटो पर भारी सेक्सी हो जाती। लास वेगास तक ख्यातनाम हो जाते। चलो अच्छा किया वरना माफिया इन्हें उठा ले जाते।
अब इंतज़ार है कल का। देखें कौन कौन भौंचक्का रह जाता है कल।
ये रंग विश्वास के हमेशा बरसते जाएं मेरे वतन में
जवाब देंहटाएंरिफ़ाक़तों की यें गंगा-जमना न सूख पाएं मेरे वतन में
हे भगवान सुबीर भैयायायायाया!!!! उफ्फ्फ ... ज़रा तो रहम करिए अपने पढ़ने वालों पे ! ... आपके श्रीहस्तों की कलाकारी और साथ में इन महारथियों की शानदार प्रस्तुतियां पढ़ कर .... हँस-हँस के पेट दर्द हो गया! ये सब ब्रह्मास्त्र आपने हम नारियों से हमारी गली में ही युद्ध जीतने के लिए बचा के रखे थे :) :)
जवाब देंहटाएं---
कल के भभड़ास्त्र का इंतज़ार है :)
घर में नानीजी समेत सभी सुधि जन को होली की राम-राम और मेरे बावले भैया के सर पे एक बाल्टी ...
सादर शार्दुला
वाह शार्दूला दी,
जवाब देंहटाएंसही कहा भभड़ास्त्र के आगे कौन मूर्छित न होना चाहेगा.
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सभी को होली की हौज भर शुभकामनाएं :)
होली का धमाल कलम का कमाल
जवाब देंहटाएंबड़ा माल है तेरी गली में...
wah wah kya dhamaal hai, pankaj ji bahut badhaai ise ayojit karne ke liye.
जवाब देंहटाएंतबीयत चकाचक हो गई ।
जवाब देंहटाएंआपको तथा आपके समस्त परिजनों को होली की सतरंगी बधाई
भभ्ड़ास्त्र अब होली के बाद ही चलेगा उसके लिये सबको इंतजार करना होगा । भभ्भड़ कवि अपनी गजल को शालीन करने में जुट हैं ।
जवाब देंहटाएंभभ्भड़ कवि अपनी ग़ज़ल शालीन करने में जुटे हैं...ये क्या कह रहे हैं...शालीन ग़ज़ल ही पढनी है तो नीरज गोस्वामी जी की न पढ़ लें...भभ्भड़ कवि की क्यूँ पढ़ें?... हा हा हा हा हा...बुरा मान लो होली है...
जवाब देंहटाएंनीरज
वाह ! वाह !! वाह !!!
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया ! बहुत अच्छा आयोजन किया सुबीरजी आपने. बधाई हो !
होली तो हो ली ...
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ जो बता दिया कि आज अंतिम भाग है वरना वो कहते हैं न कि...
ऊँट के चर जाने के बाद बकरियों के चरने के लिए बचता ही क्या है !
अब टिप्पणी करें या हंसा -हंसा कर पेट दुखाया उसका ईलाज़ करें ? हें ?
वैसे दाद खाज थोक में इनके नाम ... सभी सठियाये हुए सिद्धहस्त हज़लकारों को रंग !
भभ्भड़जी भड़भडा लेते तो भोंचकिया लेते ... काहे इंतज़ार कराते हो ?
और एक बार फिर से सब को होली की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ ...
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
राजेन्द्र स्वर्णकार
बड़ी मौज ले ली! वाह वाह है। सुन्दर! होली मुबारक!
जवाब देंहटाएंभभ्भड़ भाई एक तो दिन है आज़ाद अभिव्यक्ति का, क्यों मेहनत कर रहे हैं। आ जाईये मूल रूप में। बहुत ही ज्यादह समस्या हो तो वीडियो अपलोड कर दें जिसमें साउँड ट्रैक में किर्र किर्र के सिवा कुछ ना हो। वीडियो के नीचे लिख दीजिये 'आडियो लिंक फेलुअर'। भाई कम से कम मूल रूप में देख तो लें लोग आपको।
जवाब देंहटाएंएक बार फिर से आयी हूँ । भौंचक जी का बेसबरी से इन्तज़ार है। जितनी बार होली का मुशायरा देखूँ हंसी बन्द ही नही होती। वाह सुबीर कमाल कर दिया शायद जीवन का सब से अधिक हंसी वाला उतसव रहा ये। आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएं♥ ♥ ♥ ♥
जवाब देंहटाएंआभार/ मगल भावनाऐ
महावीर
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
ब्लॉग चर्चा मुन्ना भाई की
द फोटू गैलेरी
महाप्रेम
माई ब्लोग
SELECTION & COLLECTION
गुरुदेव!
जवाब देंहटाएंवर्चुअल होली और होली पर इतना शानदार मुशायरा...दोनों अद्भुत लगे आपको बहुत बधाई,आपने और आपकी टीम ने बहुत मेहनत की.रोज पोस्ट का इन्तजार रहता था.आज तो तिलकराज जी,खंडेलवाल जी,योगेन्द्र जी,समीर जी और नीरज जी..अपने अद्भुत रूपों में निखरे नजर आरहे है.होली पर मेरे गाँव से छिछोरे लड़कों का ग्रुप शहर आ धमका है और पहली बार ब्लॉग पर इन सुकुमारियों को देख कर प्रसन्न हो रहा है...उन्हें ये बहुत पसंद आई है..अब मुझसे कह रहे है की दद्दा हमारी शादी की बात चलाओ ...अब मैं समझा रहा हूँ कि बचुआ दुनिया में जो दिखता है वो होता नहीं है और जो होता है वो दिखता नहीं है...खैर...होली है भंग उतरने तक क्या क्या कहेंगे...कह नहीं सकते.
भभ्भड़ कवि,
काहे इतना शर्माय रहे है...होली पर जो मन में आ रहा है दे मारो--अब नीरज जी सही तो कह रहे है---शालीन पढना है तो उन्हें ही पढ़ लेंगे.आप के वन डे इंटर नेशनल ब्लॉग का इंतिजार है.
होली कि शुभ कामनाए सभी को!
आपके सब के परिवार कुटुंब के लिए होली और आने वाला वर्ष मंगलमय हो!
बेमिसाल हज़लें और मस्त चित्रावली...
जवाब देंहटाएंउस्तादों ने दिखा दिया कि उस्तादी क्या होवे है और हमें बता दिया कि छोड़ो ज्यादा न उछलो....
सैल्युट सबको।
भभड़ाशास्त्र यदी कल नहीं आया इसी जगह तो हम फौज लेकर आ रहे हैं...
तिलकराज जी तो इतना खुशी में मोटर साईकिल दौड़ा रहे हैं जैसे शहर के सबसे बड़े गुंडे को साथ लिए जा रहे हों..हा हा!! एक से एक शानदार हसीनाएँ आई हैं होली में...हम तो नाम के साथ साथ शरम से भी लाल हो गये..बहुत जबरदस्त जमावड़ा रहा..अरे, आने दिजिये भभ्ड्ड़ महाराज को ..इस और ज्यादा आपत्तिजनक और क्या लायेंगे. :)
जवाब देंहटाएंक्या बात है सुबीर मास्टर जी। बहुत खेंच खेंच के दिए महाराज। होली की बहुत बहुत मुबारक़बादियाँ आपकों। हा हा। हँसी रोकन की कौनऊ दवाई का नाम तो बताय देते गुरूजी। हा हा।
जवाब देंहटाएंगुरु जी प्रनाम
जवाब देंहटाएंआज दो दिन बाद आन लाइन हुआ हूँ
भांग की ओवर डोज़ के कारण दो दिन से बेहोश पड़ा था
आज बेहोशी टूटी तो आपके मुशायरे में चला आया और यहाँ आ कर फिर से नशा हो गया
नेट स दूर होने के बाद जुगाड करके केसी तरह हिन्दुस्तान "हिन्दी" पेपर मगवाया मगर उसमे कोई खबर नहीं थी मन मसोस के रह गया और फिर आज जब सूचना हिन्दी युग्म से मिली तो सीना ४ इंच और चौड़ा हुआ जा रहा है
आपको दिली मुबारकबाद दे रहा हूँ
आज तो वास्तव में हजल टूट कर आ रही है जैसे ज्यादा पानी पी लेने पर सू सू जोर से आती है
समापन तो ऐसा होना ही था :)
फोटोज पर किया गया काम अद्धुत है दिल खुश हो गया देख कर आँखों को ठंडक पे गयी :)
भभ्भड़ जी को पूरी सावधान के साथ पेश किया जाए कल हम फिर से ओवर डोज़ लेने वाले है
हा हा हा
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
आपको
जवाब देंहटाएं" हो ली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं "
इस बार खूब मौज रही होली की :-) अब सभी की गज़लें पढ़ते मार्च महीना हँसते हँसते बीत जाएगा
सभी को होली के रंगीन पर्व पर बहुत सारा गुलाल के रंग स स्नेह
- लावण्या
Dekhiyega, ye link :
http://www.lavanyashah.com/2010/02/blog-post_26.html
होली में डाले प्यार के ऐसे रंग
जवाब देंहटाएंदेख के सारी दुनिया हो जाए दंग
रहे हम सभी भाई-चारे के संग
करें न कभी किसी बात पर जंग
आओ मिलकर खाएं प्यार की भंग
और खेले सबसे साथ प्यार के रंग
बहुत अच्छा...एकदम अलग तरह का पोस्ट ...मजा आया...होली मुबारक...इधर खदान से भी...
जवाब देंहटाएंhttp://laddoospeaks.blogspot.com/2010/02/blog-post_28.html
गुरु देव प्रनाम
जवाब देंहटाएंफुल ओवर डोज की पूरी तैयारी के साथ भभ्भड़ जी को झेलने आ चुके है
अब बिना भभ्भड़ जी को झेले हम यहाँ से नहीं हिलेंगे
जल्दी भभ्भड़ जी को सोने के पिलेट में चांदी का वर्क लगा कर पेश करिये
और हाँ हीरे का लौंग बीच में सजाना मत भूलिएगा :):)
गुरुदेव को सादर प्रणाम !!
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ कामनाये !!
होली का तरही मुशायरा बहुत ही उम्दा रहा. सभी लोगों की गजलें लाजवाब रहीं....चाहे सनम की गली में जूते खाने वालों की हो या जूतों से आरती उतारने वालों की हो....यह ज़रूर था की जूते खाने के शौक़ीन बहुत थे....अर्श जी, नीरज जी और पारुल जी की रचनाएँ बेहद उम्दा लगीं..गौतम जी और समीर जी की फोटो शानदार लगी
बाप रे गुरु देव ...... खूब लगाया है छक्के आपने ... और फिर उस्ताद तो उस्ताद ही होते हिं... मान गया ... हाय रे क्या खूब चित्र छपे हैं सभी के ... हा हा हा हा कमाल ही हो गया ये ...
जवाब देंहटाएंभभड भुचाक्के दास अभी तक नहीं आये ??????
इंतज़ार कर रहा हूँ...
अर्श