मंगलवार, 12 मई 2009

सुनो छोटी सी प्रीति की लम्‍बी कहानी, निम्‍न मध्‍यम वर्गीय श्रमिक की बेटी के आइ ए एस बनने की गाथा ।

प्रीति मध्‍यप्रदेश के सीहोर जिले से बनने वाली पहली आइएएस अधिकारी होगी । 92 वीं रैंक के साथ उसका सिलेक्‍शन हुआ है । मगर सबसे महत्‍वपूर्ण है उसके आइएएस बनने की कहानी एक साधारण या बल्कि कहें कि निम्‍न मध्‍यमवर्गीय परिवार से निकली ये लड़की आइएएस में चयनित हो गई है । अनारक्षित वर्ग से निकली ये लड़की संघर्ष और हौसलों की एक अनोखी कहानी है ।

सोमवार का दिन एक गहरे अवसाद के साथ प्रारंभ हुआ मेरे लिये । और उस अवसाद का कारण था किसी जगह पर की गई मेरे बारे में एक बहुत ही अशालीन और दुखी कर देने वाली  टिप्‍पणी को पढ़कर । यूं तो पिछले कई दिनों से मुझे लग रहा था कि मुझे लेकर कई लोग असहज नहीं हैं । एक दो जगहों पर अप्रत्‍यक्ष रूप से मुझे नीचा दिखाने का प्रयास किया गया । किन्‍तु सोमवार को तो बस । ब्‍लागिंग समाप्‍त करने की पोस्‍ट अंतिम  लिख रहा था कि बिजली चली गई । अधूरी पोस्‍ट रह गई और उसी बीच आ गया गौतम का फोन जिसने अवसाद का हटा दिया । और फिर कुछ ही देर बाद आया श्री आलोक श्रीवास्‍तव जी का फोन । काफी लम्‍बे समय तक उनसे बात हुई । और कई बातें उन्‍होंने ऐसी कहीं कि अवसाद लगभग घुल गया ।

चलिये वो सब बातें छोड़ें जो बीत गई वो बात गई । आज तरही होना था लेकिन आज आपको प्रीति मैथिल की कहानी सुनाने की इच्‍छा है । प्रीति जो मेरे जिले की पहली आईएएस बनने जा रही है । कहानी सुनाना इसलिये जरूरी है कि उसकी कहानी में वो सब कुछ है जो एक विजेता की कहानी में होता है । प्रीति के पिता स्‍थानीय शुगर फैक्‍ट्री में श्रमिक थे । लगभग दस साल पहले अच्‍छी चलती हुई ये फैक्‍ट्री राजनैतिक महात्‍वाकांक्षा की भेंट चढ़ी और बंद कर दी गई । उसीके साथ हजारों लोगों के भविष्‍य पर भी ताला लग गया । कई आत्‍महत्‍याएं हुईं बहुत कुछ हुआ और एक आंदोलन भी प्रारंभ हुआ जो आज तक भूख हड़ताल के रूप में चल रहा है शायद ये इंतिहास की सबसे लम्‍बी हड़ताल है जो दस सालों से सीहोर के कलेक्‍ट्रेट के सामने चल रही है । जब मिल बंद हुई तो प्रीति का परिवार भी सड़क पर आ गया । और प्रारंभ हुआ संघर्ष का दौर । तब प्रीति 13 साल की थी और परिवार का संघर्ष उसने आंखों से देखा । पिता ने एक छोटे से जमीन के टुकड़े  पर किसानी प्रारंभ की  और परिवार को पाला । जमीन का टुकड़ा जो स्‍वयं का भी नहीं था और इतना भी नहीं था कि उससे एक परिवार का पालन हो । शुगर मिल के बंद होने में कलेक्‍टरों की भूमिका को देख कर सब आक्रोशित थे और यही आक्रोश था प्रीति के मन में भी । उसने घर की भीषण तंग स्थिति में भी निर्णय लिया कि मैं आईएएस बनूंगी । गरीब परिवार, पिछड़ा इलाका और अनारक्षित वर्ग की एक साधारण सी लड़की ने वो सोचा जो उन परिस्थितियों में कोई भी नहीं सोचता । मगर कहते हैं ने उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से होती है । और उस छोटी सी गुडि़या ने वो सच कर दिखाया । पिछले दिनों आइएएस में उसका 92 वी रैंक के साथ चयन हुआ है । जब मैं इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के लिये उसके घर साक्षात्‍कार के लिये पहुंचा तो उसका घर देख कर मुझे लगा कि हां होते हैं लाल भी गुदड़ी में । मेरा सलाम प्रीति को ।

जब श्रमिकों की ओर से एक मंडल मुझसे लिने आया कि वे प्रीति का सम्‍मान करना चाह रहे हैं और मैं उस कार्यक्रम का संचालन करूं तो सबसे पहले तो अपनी कसम याद आई कि गैर साहित्यिक कार्यक्रमों का संचालन नहीं करना । खैर जब पता चला कि भवन निर्माण का  काम करने वाले मजदूर ये सम्‍मान चौराहे पर कर रहे हैं तो बिना कुछ सोचे हां कर दी । कार्यक्रम सुबह आठ बजे था जब मजदूर काम की तलाश में चौराहे पर आते हैं । फूलों का वर्षा के बीच प्रीति का सम्‍मान किया गया । कार्यक्रम के बाद मैं एक तरफ जाकर श्री रमेश हठीला के साथ खड़ा हो गया । चैनल वाले प्रीति का इंटरव्‍यू करने लगे  । प्रीति से मेरा कोई पूर्व परिचय नहीं था । अचानक वो मुझे ढूंढते हुए आई और बोली ' मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूं आपकी सारी कहानियां मैंने पढ़ी हैं '' । प्रीति की उस एक वाक्‍य ने सोमवार की सुबह का सारा अवसाद धो दिया । और मैं फिर ये तैयार हो गया । संन्‍यास का इरादा फिलहाल कैंसिल धन्‍यवाद गौतम, धन्‍यवाद आलोक जी , धन्‍यवाद प्रीति ।  ये कहानी इस उम्‍मीद के साथ कि इसको अपने बच्‍चों को जरूर पढ़ायें ।

और अब देखें कार्यक्रम के फोटो जो मेरे अग्रज छायाकार श्री राजेंद्र शर्मा जी ने लिये हैं ।

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पुष्‍प वर्षा से प्रीत‍ि का सम्‍मान और दूसरे चित्र में चौराहे पर सम्‍मान समारोह का संचालन

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मजदूर महिला द्वारा पुष्‍प हार प्रदान और प्रीति को सम्‍मान पत्र प्रदान किया जा रहा है

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श्री रमेश हठीला जी भावुक हो गये कंधे पर हाथ रख कर और कल और आज एक साथ

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'मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूं'' और दूसरे चित्र में मोटर साइकल पर जाती कल की कलेक्‍टर।

और अंत में इस अवसर पर हठीला जी का एक छंद जो उन्‍होंने दिया और मैंने पढ़ा ।

एक नया इतिहास रच दिया जिसने इस सीहोर का

आओ हम सम्‍मान करें अब अपने उस सिरमोर का

नई उमंगें नई दिशा दीं जिसने हैं तरुणाई को

आह्लादित कर दिया आज फिर गूंगी सी शहनाई को

वंदन है अभिनंदन है इस नई नवेली भोर का

आओ हम सम्‍मान करें अब अपने उस सिरमोर का

21 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहूँ पंकज जी मुझे ऐसी कहानियां भाव विभोर कर देती हैं....इन कहानियों में जान है...ऐसी कहानियां हमारे आसपास घटित होती हैं इसीलिए जीने में आनंद बचा रहता है...बहुत बहुत बधाई इस प्रतिभा शाली कन्या को...इस युवाओं के हाथ में देश रहने से ही इसके बचने की उम्मीद है...अहाहा...सच बहुत आनंद आ गया.

    एक और तो आप ऐसी दृढ निश्चय वाली लड़की की कहानी सुनाते हैं दूसरी और एक बेसर पैर की टिपण्णी से आहत हो कर संन्यास की घोषणा करने की सोचते हैं....ये गलत है...वो लोग जो प्रतिभा शाली नहीं हैं आप की प्रतिभा से जलते हैं...ये मानव का स्वाभाव है...आप तो स्वयं मानव मन के चितेरे हैं सब समझते हैं फिर क्यूँ इन फिजूल के लोगों की बातों पर इतना ध्यान देते हैं....कुत्तों के भौकने से क्या हाथी अपनी राह बदल देता है? आलोचना करने वालों का तो काम ही आलोचना करना होता है...आप उनके बारे में क्यूँ नहीं सोचते जो आपकी प्रतिभा के कायल हैं...बहुत कम लोग होते हैं जिन की प्रतिभा को इतनी इज्ज़त मिलती है....जिस टिपण्णी को मैंने ही अभी नहीं देखा उसको क्या तूल देना... छोडिये...और मुस्कुराइए...
    नीरज

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  2. वाकई एक मिसाल कायम की है प्रीतिजी ने, बहुत बहुत बधाई ।

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  3. वाह ऐसी सफल गाथा की सफलता भी सकुचा जाय -मैडम प्रीति को शुभकामनाएं !

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  4. प्रेरणादायी कहानी है प्रीतिजी की

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  5. GURU DEV KO SAADAR PRANAAM,
    SABSE PAHALE TO PREETEE JI KO UNKI SAHASIK SAFALTA PE DHERO DHERO BADHAAYEEYAAN... AAPKI AAJ KI YE POST PADH KE ACHAANAK HI AANKHEN NAM HO GAYEE AUR IS SAHASIK PREETEE JI KO NAMAN KAR LIYA...
    AUR AAPKE IS BAAT SE ACHANMBHIT HO GAYAA KE KISI EK BEWAKUF AUR AMARYAADIT INSAAN KE TIPPANI SE AAP SANYAS LENE KI BAAT KARNE LAGE ... AAP AAHAT HUYE HAI YE TO SAHI HAI AUR HONI BHI CHAHIYE MAGAR AAHAT KO HAME SAHAS ME TABDIL KARNI HAI YE SAARI BAATEN TO AAPN HO MUJHE SIKHAATE HAI AUR AAJ AAP HI....... NAHI NAHI YE SAB NAHI CHALEGA...

    AAPKI KUSHALATA KI KAAMANA KE SATH

    AAPKA
    ARSH

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  6. प्रीति जी को शुभकामनाएं और आपकी इस प्रस्तुति को नमन

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  7. गुरुदेव आप माने या न माने.............जब मैंने ये समाचार TV पर देखा मुझे आपकी याद आयी.............
    पर वो समय बस itihaas को dekhne का था......sihore नया इतिहास रच रहा tha............
    सलाम है सीहोर वासियों को

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  8. अच्छा पोस्ट...प्रीतीजी को शुभकामनांए...।

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  9. अच्छा पोस्ट...प्रीतीजी को शुभकामनांए...।

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  10. बहुत अच्छा लगा पंकज जी ये पढ़कर

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  11. सर्वप्रथम, प्रीतिजी को इस सफ़लता पर हार्दिक बधाईयां। प्रीति की जीत संघर्ष की जीत है। यही कारण है कि सीहोर ही नहीं देश के हर कोने में यह खुशी का विषय है।
    और दूसरी बात....ये जो "उड़ जा रे हंस अमर वन में दुनिया में किसी का कोई नहीं" का भाव है जिसने ब्लागिंग समाप्त करने की प्रेरणा दे डाली थी आपको.....ओह! सोचा न था कि कभी बिजली कटने को भी खुशकिस्मती मानना पड़ेगा...किसी ने कहा है-

    जिन्दगी करती रहती है मुसीबत पैदा
    बाखुदा कर लेते हैं इसमें भी लज़्ज़त पैदा

    अगर कोई एक टिप्पणी आपको इतनी आहत कर दे ...यह तो चिंता का विषय है गुरूदेव...क्योंकि फ़िर तो टिप्पणियां(यानि कि बाह्य परिस्थितियां)ये निर्धारित करनेवाली हैं कि आप कब खुश रहें, कब दुखी..फ़िर तो हम परिस्थितियों के गुलाम हुये न कि स्वतंत्र...खैर मैं यह सोचकर आश्वस्त हूं कि आखिर बादल सूरज को कब तक ढंक सकते हैं?

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  12. गुरु जी प्रणाम
    प्रीती जी के बारे में तो न्यूज़ चैनल से ही जानकारी मिल गई थी मगर आपने उनके जीवन के नए आयाम को प्रस्तुत किया और चौराहे पर सम्मान..... हम तो ऐसा पहली बार होते देख रहे है
    एक बात और, आप फोटो में बहुत स्मार्ट लग रहे हैं

    आपका वीनस केसरी

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  13. छत्तीसगढ की किरण कौशल भी हिन्दी मीडियम की छात्रा रही है और बिना कोचिंग के उन्होने सारे देश मे तीसरा स्थान प्राप्त किया है।उनके पति श्रवण बंसल ने भी यू पी एस सी परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।आपके सिहोर की प्रीति की उपलब्धी भी उल्लेखनीय है।आपको बहुत-बहुत बधाई।वैसे आप जैसे अनुभवी लोगों को अवांछित टिप्पणियों से विचलित होने की ज़रूरत नही है।

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  14. प्रीती की कहानी एक अजीब से उर्जा का संचार करती है...अभी अनील पुस्देकर जी के ब्लौग पर भी ऐसे ही दो प्रतिभागियों का जिक्र है...मुल्क का वर्तमान जैसा भी हो, मुझे भविष्य बड़ा मजबूत दिखता है गुरूदेव इन्हीं "प्रितियों" की बदौलत..
    और शेष रही उस टिप्पणी की बात तो नीरज जी ने बड़ा सही कहा है और "पंकज सुबीर" को भला किसी के समक्ष खुद को साबित करने की दरकार क्यों हो...no way sir
    ये सरफिर लोग हैं, दूसरों के लिये गड्ढ़ा खोद कर खुद के लिये राह बनाना इनकी फितरत है सर। ध्यान न धरें...
    एवरेस्ट पर जाने कितने लोग हो आये हैं गुरूदेव, विश्‍व किंतु आज भी हिलेरी और तेनजिंग शेरपा को ही जानता है...
    आपसे तो हमारा मनोबल बनता है, ऐसी बातें फिर नहीं सर !

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  15. बहुत भावुक हो गया पढ़कर। ऐसी बातें भावुक कर ही देती हैं। प्रीति गर्व है तुम पर हम सबको। चाहता तो यह था कि इस पोस्ट को साभार अपने ब्लॉग में प्रकाशित करूं। लेकिन आपने टेक्स्ट लॉक कर रखा है। लिहाजा अपने ब्लाग पर इस पोस्ट को लिंक कर रहा हूं। सचमुच बहुत अच्छा लगा प्रीति की कहानी पढ़कर। और हां, आवांछित तत्व नेट पर बहुत हैं। शुरुआत में मैं भी इस अनुभव से गुजर चुका हूं। लेकिन दिल तोड़ने वाले हैं तो दिल मजबूत करने वाले भी हैं। लिखते रहिए। हम आपकी लेखनी से जुदा नहीं होना चाहते।

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  16. जानकर ख़ुशी हुई की मेरे ही पड़ोसी जिले से इतना उत्कृष्ट संचालित हो रहा है. वैसे तो बिन बुलाया मेहमान हूँ फिर भी बेशर्मी से अपना परिचय खुद दिए देता हूँ. मेरा नाम है प्रद्युम्न श्रीवास्तव. पेशे से फिल्मकार हूँ. वर्तमान में मुंबई में हूँ वर्ना जब राज ठाकरे जी की कृपा होगी स्वयं चलकर अपने गृहजिले विदिशा का रुख कर दूंगा. सुना है की मुकुल शिवपुत्र जी किसी संकट के दौर से गुजर रहे हैं. पता नहीं सच क्या है.

    http://www.youtube.com/watch?v=S26q6ueJWxA

    ये जलगांव में हुए एक कार्यक्रम में मुकुल जी गायन का विडियो है.

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  17. Preeti bahut pyari lag rahi haiN. Ishwar aisi kahaniyaN jab gadhata hai to kai varshoN tak dusaro ko prerana ki khurak mil jaati hai

    aur vo tippani jis ne Guru ji ko hila diya ..hamne to dekhi hi nahi

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  18. srvprtham priti ko hardik badhai . jis asman ko unhone chua hai us asman me unhe udne ki svtntrta
    mile yhi shubhkamna hai hmari .
    apke blog par mai bhi phli hi bar ai hu apne bhut rochkta se ptitiji ki khani ka varnan kiya hai .dhnywad.

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  19. आज अपनी बेटी को और पंजाब के गाँव से आई हुई एक लड़की को ये पढ़ के सुनाया. पूरा नहीं सुना सकी, गला रुंध गया अंत तक आते- आते. दोनों बच्चियाँ बहुत प्रभावित हुईं. सबको प्रीति बहुत अच्छी लगी. उसे आशीषें. आपको आभार :)
    सादर शार्दुला

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  20. ye Preeti bahut pyari lagi.....Salam hain aisi preetiyon ko jo apna bhavishya khud likhti hain ......

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