इस बार के तरही मुशायरे को लेकर बार बार दिक्कत आ रही थी । पहली बार तो मिसरा ही बदलना पड़ा । और बाद में भी जो मिसरा दिया गया उसे लेकर भी कुछ उलझन में सब रहे और उसी कारण से उतनी सारी प्रविष्टियां नहीं मिल पाईं । इस बार का जो मिसरा था वो था । कितनी जानलेवा है दोपहर की खामोशी, मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की सचिव तथा बहुत अच्छी शायरा नुसरत मेहदी जी की ग़ज़ल में से ये मिसरा लिया गया था । बहरे हजज मुसमन अशतर में है ये मिसरा जिसका कि वजन होता है 212-1222-212-1222, ये एक गाई जाने वाली बहर है जो कि बहुत सुंदर धुन पर गाई जाती है । तरही में कई सारे प्रयेग किये गये हैं । किन्तु आज हम केवल रविकांत की ही बात कर रहे हैं क्योंकि आज यानि 18 मई को रविकांत का जन्मदिन है । कुछ दिनों पहले ही उनकी शादी हुई है तथा पत्नी के साथ वे अपना पहला जन्मदिन आज मनाने जा रहे हैं । रविकांत पांडेय बहुत अच्छे शायर हैं लेकिन शादी के बाद से कुछ सुस्त हो रहे हैं खैर उसमें भी चिंता की कोई बात नहीं सभी होते हैं । तो आज सबसे पहले तो पूरे ब्लाग जगत की ओर से उनको जन्मदिन की शुभकामनाएं । जो लोग सीधे ही मोबाइल से देना चाहें तो वे 09889245656 पर दे सकते हैं ।
खैर तो तरही मुशायरे की जो नियम हमने बना रखा है कि जैसा जो भी भेजेगा उसे बिना किसी परिवर्तन के प्रकाशित किया जायेगा । उसमें किसी प्रकार से भी बहर या कहन का सुधार पाठशाला में नहीं किया जायेगा । कठिन बहर थी इसलिये ये तो तय है कि दोष तो होंगें ही । लेकिन उन दोषों के साथ ही देने का आनंद ये है कि इससे लिखने वाले के विचार जस के तस सामने आ जाते हैं । तो पहले बर्थडे ब्वाय से मिलें ।
चित्र में दाहिनी और उनके एक मित्र हैं जिनका जन्मदिन 16 मई को होता है किन्तु दोनों मिलकर 18 को ही अपना जन्मदिन मनाते हैं । तो सारे ब्लाग जगत की ओर से रविकांत और उनके मित्र को जन्मदिन की बधाई । और हम सब की ओर से ये केक
क्या बताऊं फैली है किस कदर की खामोशी
काटती है रह-रह कर आज घर की खामोशी
खो गईं कहां वो किलकारियां सवेरे की
कितनी जानलेवा है दोपहर की खामोशी
साथ-साथ चलकर भी दूरिया न मिट पाईं
पीर की बनी पोथी हमसफ़र की खामोशी
प्रातकाल चकवा-चकई मिले नदी तट पर
आंख से लगी बहने रात भर की खामोशी
दुश्मनों को मेरे घर का दिया पता किसने
साफ कह रही मेरे मित्रवर की खामोशी
प्यार, वार, धोखा, गुस्सा, करम, सितम, शोखी
कितने गुल खिलाती है इक नज़र की खामोशी
झूठ है कि मुश्किल थोड़ी भी राह पनघट की
है कठिन अगर कुछ तो उस डगर की खामोशी
खा गई सभी रिश्ते सभ्यता नये युग की
चीख-चीख कहती चौपाल पर की खामोशी
याद की बही गंगा आज देख ली जबसे
मेरे मन-भगीरथ ने तन-सगर की खामोशी
खाक में मिलेगी ये जिंदगी इमारत सी
रात-दिन बताती है खंडहर की खामोशी
चलिये आनंद लीजिये रविकांत की इस ग़ज़ल का और बधाइयां दीजिये रवि को जन्मदिन की आखिर को ये रवि का पहला शादीशुदा जन्मदिन है । ( मेरे ज्ञान के अनुसार) ।
सबसे पहले तो गुरु देव को सादर प्रणाम,इस तरही मुशायरे के लिए ... और ऊपर से दोहरी ख़ुशी की बात है के रवि भी का जन्म दिन है ... उनके पहले शादी शुदा ज़िन्दगी की ये शानदार सुबह और जन्मदिन के लिए मेरे तरफ से उन्हें ढेरो बधाईयाँ और शुभकामनाएं... ऊपर वाला उन्हें हमेशा तरक्की ,उज़ज़त ,सुख और ख़ुशी बख्शे ....
जवाब देंहटाएंप्यार ,वार, धोखा, गुस्सा, करम, सितम, शोखी
कितने गुल खिलाती है एक नज़र की खामोशी ...
इस शे'र के क्या कहने... इनके अंदाज़ हमेशा ही पसंद आये है .... एक बार फिर से उन्हें बधाई और शुभकामनाएं...
और आपको चरणस्पर्श
अर्श
प्रात काल चकवा चकई मिले नदी तट पर
जवाब देंहटाएंआँख से लगी बहने, रात भर की खामोशी
बहुत खूब रविकांत जी..! और स्वीकार करें हमारी हार्दिक शुकामनाएं और दुआएं...! तुम जियो कयामत तक और कयामत कभी भी आये ना..!
शादी के दिनों में जब अच्छे अच्छे अपने होश खो देते हैं रवि द्वारा ग़ज़ल लिखना और वो भी तरही ग़ज़ल किसी अजूबे से कम नहीं...क्यूँ की इन दिनों पूरी कायनात ही ग़ज़ल लगती है...रवि के इस हौसले की हम दिल से दाद देते हैं और उनको उनके जन्मदिवस की ढेरों शुभ कामनाएं भी...
जवाब देंहटाएंनीरज
रविकांत जी को जन्मदिन की शुभकामनाये....
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल पढ़वाने के लिए आभार.
नीरज जी ने सही कहा.......शादी के बात अच्छी अच्छे लोगों काम करना बंद कर देता है.............रवि जी तो अभी जाता ताजा शादी shudaa huve हैं.............पर हाँ ग़ज़ल लिखना बंद नहीं करते..............ये माजरा क्या है समझ नहीं आता...........
जवाब देंहटाएंखैर.........रवि जी को बहुत बहुत बधाई आपके माध्यम से............और इतनी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए शुक्रिया...........
गुरु देव...........आपने मेरी रचना को mere blog par सराहा है........... इस से बढ़ कर मेरी ख़ुशी कोई और नहीं है..........aapki तारीफ़ से लिखने का उत्साह कई गुना हो जाता है............दरअसल...........आज की कविता की प्रेरणा, आपके पहली कविता को पसंद करने की वजह से ही है
जवाब देंहटाएंWah
जवाब देंहटाएं'तुम जियो हज़ारों साल... साल के दिन हों पचास हज़ार...'
हे रवि अपनी कांता संग
खुश रहो....
पर ब्याह का लड्डू खाने के बाद ये मत कहना कि
दिन तो तीनसौपैंसठ ही काफी थे...
रविकान्त जी को जन्म दिन की बहुत बधाई और शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंअब तो शादी हो गई..इसके बाद किस बात की गज़ल.. :)
आज राकेश खण्डॆलवाल जी का भी जन्म दिन है..लगता है दिन विशेष पर पैदा होने से लेखन प्रभावी होता है, काश!! हमारा जन्म दिन भी...
गुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंजैसा की सोंचा था आज सोमवार को तरही आपने आयोजित किया
आज रवि भाई का जन्म दिन है अभी जाते है उनको शुभ कामना देने
रवि भाई के १० शेर देख कर बहुत अच्छा लगा ज्यादा शेर होने के बावजूद मुझे तो सभी कहन में लगे आगे आप जाने
गुरु जी बहुत से सवाल मेरे पास इकठ्ठा हो गए है समझ नहीं आ रह पहले कौन सा पूछूं इस लिए ही शायद पूछ नहीं प् रहा हूँ तरही के बाद पूछूंगा
आपका वीनस केसरी
पहले तो रवि को उसके जन्म-दिन पर हार्दिक बधाईयां...यूं उनके ब्लौग पर अलग से जाकर भी दे आया हूँ, सोचा इतनी रात गये फोन करना तो उचित न होगा।
जवाब देंहटाएं..और इस अद्भुत ग़ज़ल के लिये अलग से बधाई रवि भाई। क्या शेर रचे हैं "प्यार धोखा....कितने गुल खिलाती है इक नजर की खामोशी"
और "पीर की बनी पोथी" वाले मिस्रे पर तो रवि भाई हम बिछ गये हैं....
गुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंवाह वाह मज़ा आ गया आपने तो ब्लॉग का पूरा कलेवर ही बदल दिया बहुत खूबसूरत रंग चुना है आपने और टिप्पडी बॉक्स को जो अलग किया उसके लिए भी धन्यवाद
आपका वीनस केसरी
रवि को जन्मदिन की ढेरों बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंऔर ये आपने सही किया कि तहरी मिसरा में किसी शायर का शेर नहीं लेंगे
अभी कुछ ही दिन पहले मैने एक दोस्त के पास एक शेर पढ़ा था,
कुछ तो मजबूरिया रहीं होंगी
यू ही कोई बेवफा नहीं होता
और आगे भी 2 पंक्तियां थी
मुझे पता था ये बशीर बद्र साहब का शेर है, पहले मैं पूछने लगा, फिर मैने सोचा छोड़ो, क्या पूछना
मुझे लगता है, इस तरह से गलत information propagate होती है। आपने अच्छा फैसला किया है।
रवि बाबू को जन्मदिन की ढेरो बधाई!! और बधाई उनके प्रियजनों को भी.
जवाब देंहटाएंतरही में बहुत आनंद आ रहा है, गुरुजी के मेहनत के आगे हम नतमस्तक हैं. ग़ज़ल पढ़ कर फिर आता हूँ.
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