उज्जैन में दो साल रहने का मौका मिला है हालांकि वो बहुत बचपन की बात है । मगर उज्जैन की स्मृतियां अभी भी दिमाग़ में हैं । शिवरात्री को लेकर बहुत सी बातें हैं जो स्मृतियों में दर्ज हैं । उनमें से ही कोई एक बात ऐसी है जो मुझे नास्तिक नहीं होने देती है । एक ऐसी घटना जो मुझसे कहती है कि हो जाओ नास्तिक किन्तु उस घटना को कैसे नकारोगे । और मैं नास्तिक नहीं हो पाता । बचपन की वो एक घटना आज भी दिमाग़ में यूं है जैसे कल की ही बात हो । शिव के प्रति बचपन से ही मन में अनुराग रहा है । और उज्जैन के महाकाल के प्रति तो विशेष कुछ रहा है हमेशा मन में । कहते हैं कि महाकाल शिवलिंग जहां पर स्थित हैं वो पृथ्वी का केन्द्र है । उज्जैन की विश्व प्रसिद्ध वेधशाला का वहां होना भी इसका ही प्रमाण है । कृष्ण ने शिक्षा उज्जैन में प्राप्त की । कहते हैं महाकाल कवित्व का वरदान भी देते हैं संस्कृत के महान कवि कालिदास जो उज्जैन के ही थे उनको भी कवित्व का वरदान महाकाल ने ही दिया था । डॉ शिवमंगल सिंह सुमन भी इसी कारण उत्तर प्रदेश छोड़ कर उज्जैन में बस गये थे । उज्जैन के बारे में एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि चूंकि यहां के राजा महाकालेश्वर हैं इसलिये कोई भी दूसरा राजा ( जिसमें मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राज्यपाल शामिल हैं ) उज्जयिनी में रात नहीं रुकता है । भर्तहरी गुफा में एक हवा में लटकी हुई चट्टान पर किसी की पूरी उभरी हथेली आज भी देखने पर रोमांचित कर देती है । और काल भैरव के मुंह पर लगा प्याला जब रीत जाता है तो हैरान रह जाते हैं सब । उज्जैन के महाकालेश्वर में सुब्ह 3 बजे होने वाली भस्म आरती का विशेष महत्व है । पहले ये भस्म ताजा मुर्दे की ही होती थी किन्तु अब परंपरा में कुछ परिवर्तन किया गया है । इस आरती की एक झलक आप नीचे वीडियो में देख सकते हैं ।
और सुकवि रमेश हठीला रचित ये शिव वंदना भी आज के दिन
शिव सत्य है, शिव सुंदरम्।
शिव पूर्ण ब्रह्म सनातनम् ।
शिव शंकरम् प्रलयंकरम् ।
शिव को नमन् शत्-शत् नमन॥
शिव शक्ति है, शिव भक्ति है।
शिव जगत की अभिव्यक्ति है।
शिव तारणम् शिव मारणम् ।
शिव विश्व पालन हारणम् ॥
शिव शंकरम् प्रलयंकरम् ।
शिव को नमन् शत्-शत् नमन॥
शिव ओम भी, ओंकार भी,
शिव व्योम का आधार भी।
शिव रुण्ड मुण्ड त्रिपुण्ड भी।
शिव स्वयं में हवि कुण्ड भी॥
शिव शंकरम् प्रलयंकरम् ।
शिव को नमन् शत्-शत् नमन॥
शिव आदि अनादि अनंत है।
शिव संत पंत बसंत है।
शिव शब्द है शिव नाद है।
शिव ब्रह्म और निनाद है॥
शिव शंकरम् प्रलयंकरम् ।
शिव को नमन् शत्-शत् नमन॥
शिव सत्य है, शिव सुंदरम्।
शिव पूर्ण ब्रह्म सनातनम् ।
शिव शंकरम् प्रलयंकरम् ।
शिव को नमन् शत्-शत् नमन॥
सुकवि रमेश हठीला स्मृति सम्मान
तो अब बात करते हैं सुकवि श्री रमेश हठीला की स्मृति में स्थापित किये गये सम्मान की । इस सम्मान के लिये बाकायदा एक समिति बनाई गई थी । समिति के अध्यक्ष ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है जिसमें सारे 6 सदस्यों ने सर्व सम्मति से एक नाम का चयन किया है ( इस समिति में मैं स्वयं शामिल नहीं था और निर्णय में मेरा किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था ) । सुकवि रमेश हठीला जी के स्मृति में ये सम्मान प्रतिवर्ष ब्लाग से जुड़े एक कवि को प्रदान किया जायेगा । तथा हर वर्ष इस सम्मान के नाम की घोषणा जनवरी माह में की जायेगी, तथा उसी वर्ष आयोजन में ये सम्मान समारोह पूर्वक प्रदान किया जायेगा । इस वर्ष के लिये जो चयन समिति बनाई गई थी उसने सर्व सम्मति से वरिष्ठ शायर श्री नीरज जी गोस्वामी के नाम की अनुशंसा की है । चयन समिति ने अपनी चयन प्रक्रिया में पिछले वर्ष के तरही मुशायरों के साथ समग्र रचना प्रक्रिया, साहित्य के प्रति समर्पण जैसी बातों को आधार बनाया है । सो आज महाशिवरात्री के अवसर पर महाकालेश्वर बाबा की अनुमति लेते हुए प्रथम सुकवि रमेश हठीला सम्मान, श्री नीरज गोस्वामी जी को दिये जाने की विधिवत घोषणा की जाती है ।
श्री नीरज गोस्वामी
नीरज गोस्वामी का जन्म 14 अगस्त 1950 को जम्मू में हुआ। इंजिनियरिंग स्नातक नीरज जी लगभग 30 वर्षों के कार्यानुभव के साथ वर्तमान में भूषण स्टील मुम्बई में असिसटैंट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं।
बचपन से ही साहित्य पठन में इनकी रुचि रही है। अनेक जालघरों में इनकी रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने अनेक नाटकों में काम किया और पुरुस्कार जीते हैं। नीरज जी वर्तमान समय के एक महत्वपूर्ण शायर हैं । इनकी ग़ज़लों में बहुत सादगी से बात कही जाती है । साहित्य के प्रति इनका अनुराग ही इनको किताबों की दुनिया से जोड़े हुए है जहां ये कुछ जानी कुछ अनजानी किताबों की चर्चा करते हैं ।
बहुत सी बधाई तथा शुभकामनाएं श्री नीरज जी को ।
अंत में भगवान महाकालेश्वर की सम्पूर्ण मंगला आरती के साथ सबको महाशिवरात्री की मंगल कामनाएं ।
नीरज जी को बहुत- बहुत बधाई ! वे इसके लिए वाकई एक सुयोग्य दावेदार थे ! और सभी को महापर्व शिवरात्रि की मंगलमय कामनाये !
जवाब देंहटाएंशिवरात्री की मंगल कामनाएं सपरिवार आप सबको!
जवाब देंहटाएंसुन्दर स्तुति !
नीरज जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
सादर शार्दुला
महाशिवरात्रि पर्व की एक अनुपम प्रस्तुति है आज यहाँ ! सभी साथीगण को बधाई!!
जवाब देंहटाएंप्रथम सुकवि रमेश हठीला स्मृति सम्मान प्राप्त करने वाले आदरणीय श्री नीरज जी को बहुत बहुत बधाई!
सबसे पहले तो नीरज भाई को दिल के उस कोने से बधाई जो बधाई देने में भारी कंजूस है।
जवाब देंहटाएंमेरा निजि मत भी यही है कि समिति के लिये इससे भिन्न निर्णय लेना तभी संभव होता जब कोई सदस्य उनके बारे में जानता न होता। (इस ब्लॉग और नीरज भाई के ब्लॉग के सभी पाठक हृदय से इस बात से सहमत होंगे ऐसा मेरा मानना है)।
साहित्य के प्रति इनकी प्रतिबद्धता का साक्षी रहा हूँ, किसी भी नये सृजन को एक परियोजना के रूप में लेकर परियोजना प्रबंधक की तरह काम करते हैं।
बधाई, बधाई, बहुत-बहुत बधाई।
अब सम्मान लेने तो आपको आना ही पड़ेगा, इसी बहाने प्रत्यक्ष मुलाकात भी हो जायेगी।
महाकाल बाबा के दर्शन कराने के लिये बहुत-बहुत धन्ययवाद।
जवाब देंहटाएंसर्व प्रथम पूरे ब्लोग परिवार को इस महाशिवरात्री की मंगल कामनाएँ !
जवाब देंहटाएंनीरज जी को इस प्रथम सुकवि श्री रमेश हठीला स्मृति सम्मान के लिए चयनित होने पर बहुत बधाई और शुभकामनाएँ !
नीरज जी जिस उर्जा से सहित्य की सेवा करते हैं और समर्पित हैं उसका मैं बहुत बडा कायल हूँ ! उनकी रचनाशिलता और प्रतिबद्धता उन्हें अन्य से अलग करती है ! सो इस मौक़े पर नीरज जी को करोडों बधाईयाँ !
अर्श
Aadarniy pankaj ji, pranaam
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti aur tarahi mushayara bhi bahut badhiya chal raha hai...isake liye aapko dhanywaad..
niraj ji ko samman ke liye badhai..
चहरे पर सहज स्मित सजाये रखने वाले और बेहद सुगमता से अपनी बात गंतव्य तक पहुंचाने में माहिर नीरज जी के नाम के चुनाव पर बहुत प्रसन्नता हुई।
जवाब देंहटाएंनीरज भाई, इस समारोह में मैं भी आप के साथ चलूँगा तथा परिवार के उपस्थित सदस्यों से मिलने का लाभ लेना चाहूँगा।
नीरज भाई जी ,आप को बहुत-बहुत मुबारक हो !
जवाब देंहटाएंसुकवि श्री रमेश हठीला जी की स्मृति में स्थापित सम्मान के लिए बनाई गयी समिति के माननीय सदस्यों द्वारा चयनित किये जाने पर मुझे आश्चर्य मिश्रित हर्ष हो रहा है. मैंने अपने आपको और अपनी रचनाओं को कभी किसी सम्मान के योग्य नहीं पाया. मुझे हमेशा अपनी रचनाओं और अपनी साहित्य के प्रति समर्पण की भावना में कमियां ही नज़र आती रही हैं , शायद इसीलिए मैंने कभी किसी भी सम्मान प्राप्ति के बारे में सपने में भी नहीं सोचा. मैं चयन समिति के माननीय सदस्यों का तहे दिल से आभारी हूँ जिन्होंने मेरी कमियों को नज़र अंदाज़ करते हुए मुझे इस विशेष सम्मान के लिए चुना. साथ ही आभारी हूँ अपने पाठकों का जिनका स्नेह आज मुझे यहाँ तक ले आया है. ये सम्मान मेरे अकेले का नहीं बल्कि मेरे सभी प्रिय पाठकों का है.
जवाब देंहटाएंनीरज
हठीला जी रचित शिव आराधना पढ़ रहा हूँ, मंत्रमुग्ध। हठीला जी की लेखनी को प्रणाम।
जवाब देंहटाएंनीरज जी को बहुत बहुत बधाई,
जवाब देंहटाएंशिववन्दना मनोहारी थी...
नीरज जी को बहुत बहुत बधाई यह महत्वपूर्ण सम्मान पाने के लिए और चयन समिति को बहुत बहुत धन्यवाद बिल्कुल सही चुनाव के लिए।
जवाब देंहटाएंगुरूवर,
जवाब देंहटाएंकालों के काल महाकाल की विशेष अर्चना से प्रारंभ हुई चर्चा बहुत अच्छी लगी।
"सर जी" को प्रथम सुकवि हठीला सम्मान के लिए चुने जाने के लिए हार्दिक बधाईयाँ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
गुरूवर,
जवाब देंहटाएंकालों के काल महाकाल की विशेष अर्चना से प्रारंभ हुई चर्चा बहुत अच्छी लगी।
"सर जी" को प्रथम सुकवि हठीला सम्मान के लिए चुने जाने के लिए हार्दिक बधाईयाँ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बड़ा अजीब इत्तेफाक हैं एक बदई और विस्तृत टिप्पणी कहीं खो गयी और जो दोबारा जल्दी में लिखी दो-बार दिख रही है।
जवाब देंहटाएंमुझे भाँग का असर तो नही हो रहा हैं कहीं।
मुकेश कुमार तिवारी
आ.नीरज जी को दिल की गहराईयों से बधाई. वे वाकई इस सम्मान के असली हकदार हैं.
जवाब देंहटाएंनीरज जी को करोड़ों बधाइयाँ .... he is the most deserving....congratulations sir !
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंनीरज जी जिन्दाबाद....उन्हें अनेक बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.....
नीरज जी को हार्दिक बधाई.मानवता और नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पित उनकी शायरी को सलाम.
जवाब देंहटाएंनीरज गोस्वामी जी को लख लख बधाई
जवाब देंहटाएंरचना-कर्म के प्रति आदरणीय नीरजजी की निष्ठा, उनके सतत सुप्रयास और श्रद्धापूरित संलग्नता को चयन-समिति ने मान दे कर अपनी ही गरिमा को सुस्थापित किया है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय नीरजजी को ढेरम्ढेर बधाइयाँ तथा चयन-समिति को सादर धन्यवाद.
पंकजभाईजी, महाकालेश्वर की मंगला-आरती की वीडियो साझा कर आपने रोमांचित कर दिया है.
बाबा विश्वनाथ (वाराणसी) की मंगला-आरती में शामिल होने का मुझे भी विशिष्ट संयोग मिल चुका है. कहना न होगा, ये अविस्मरणीय क्षण हुआ करते हैं.
सादर
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)--
आदरणीय नीरज गोस्वामी जी ( मेरे बड़े भाई साहिब ) को
जवाब देंहटाएंप्रथम सुकवि रमेश हठीला स्मॄति-सम्मान के लिए हार्दिक बधाई,
साहित्यानुरागी और उत्कृष्ट नाट्यकर्मी नीरज गोस्वामी जी
मानवीय मूल्यों की मधुरता से सम्पन्न रचनाशीलता
तथा अपने बहुत भव्य और बुलन्द व्यक्तित्व के लिए
हम सब के बहुत प्रिय हैं अत: यह सम्मान
उनसे जुड़े हर व्यक्ति क सम्मान है . हार्दिक बधाई
आदरणीय नीरज गोस्वामी जी ( मेरे बड़े भाई साहिब ) को
जवाब देंहटाएंप्रथम सुकवि रमेश हठीला स्मॄति-सम्मान के लिए हार्दिक बधाई,
साहित्यानुरागी और उत्कृष्ट नाट्यकर्मी नीरज गोस्वामी जी
मानवीय मूल्यों की मधुरता से सम्पन्न रचनाशीलता
तथा अपने बहुत भव्य और बुलन्द व्यक्तित्व के लिए
हम सब के बहुत प्रिय हैं अत: यह सम्मान
उनसे जुड़े हर व्यक्ति क सम्मान है . हार्दिक बधाई
नीरज गोस्वामी जी को सुकवि रमेश हठीला स्मृति सम्मान मिलने की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंमहाकाल के दर्शन करने का सौभाग्य मुझे भी एक बार मिला है, एक अलग ही शांति है और उस शांति में ध्यान से महसूस करने पे तरंगों के एक कम्पन का आभास होता है जो शायद इस जगह के पृथ्वी के केंद्र होने के कारन होता हो. हठीला जी की लिखी हुई शिव वंदना अद्भुत है.
महा काल होले नाथ का आठ हो जिस सरस्वती पुत्र पर उसको तो ऊँचाइयों पे ले जाने से कोई रोक नहीं सकता ....
जवाब देंहटाएंनीरज जी को बहुत बहुत बहुत बधाई इस सम्मान पर ... नीरज जी सादगी ... निश्छल मुस्कान और संजीदा ग़ज़लें उनको एक अलग मुकाम देती हैं जिसके वो हकदार हैं ... दिल झूम झूम जा रहा है आज ... एक बार दुबारा से जय हो नीरज जी की ...
लख लख वधाइयां ... नीरज जी नू ...
जवाब देंहटाएंलो आज भोले बाबा का जितना लाजवाब दृश्य देखा है वो पहले कभी नहीं देखा मैंने ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव इसे ब्लॉग पे लगाने का ...
आधी रात होने को आ रही है। १२ बजने में २० मिनट कम हैं और मैं वो आरती देख रही हूँ, जिसे मैं मन से देखना चाह रही थी। कहा जाता है कि यहाँ चढ़ी ताजा मुर्दे की भस्म चखने के बाद अकाल मौत नही होती। बहुत पहले बड़े भईा गये थे और उन्होने बताया था इस अद्भुत दृश्य के बारे में। मैने जाने की इच्छा ज़ाहिर की थी परंतु पता चला कि रुकने की कोई अच्छी व्यवस्था नही और भीड़ में मेरा पहुँचना भी लगभग नामुमकिन ही है।
जवाब देंहटाएंसंयोग से कुछ तो बीमारी के चलते और कुछ अन्य कारणों के इस बार शिवरात्रि को भी पूजन प्रदोष बेला में ही हुआ था और इस समय अर्द्धरात्रि में.....!!
वीनस को जन्मदिन की बधाई दे दी है और नीरज जी को यूँ तो फेसबुक पर बधाई दे ही चुकी हूँ, मगर यहाँ भी बहुत बहुत बधाई नीरज जी