शुक्रवार, 9 नवंबर 2007

सीहोर के कवियों की ओर से सभी को दीपावली की शुभकामनाएं और प्रस्‍तुत हैं दीप पर्व पर विशेष रूप से लिखे गए कुछ छंद और मुक्‍तक

सीहोर मध्‍य प्रदेश के ये कवि अपनी शुभकामनाएं आपको दे रहे हैं । कुछ कवि पारंगत हैं तो कुछ अभी सीखने के दौर में हैं तो कुछ दिवंगत भी हो चुके हैं ।

जब दीपावली के दीप जले ।
जन-जन के मन में प्रीत पले ॥
घर ऑंगन लगते बडे भले ।
कहीं ढोल बजे फुलझड़ी चले ॥ 
स्व.कैलाश रावत ''कैलाश''

नभ के सारे दीप उतर आये हैं धरती पर ।
नये भोर की ओर चले हम केवल स्याही पर॥
पर कुटियों का अंधकार जैसे का तैसा है ।
मुड़कर जब देखा तो है तो खडे थल उसी पर॥
कृष्ण हरि पचौरी

आओ दीपों को फिर जलायें हम ।
दीप धरती पे फिर सजायें हम ॥
हिंसा की जल रही है चिंगारी ।
प्रीत के नीर से बुझायें हम ॥
रमेश हठीला

दीप जलते रहें शुभ प्रकाश हो।
पूर्ण आलोकमय धरती आकाश हो॥
हो अमन चैन खुशियाँ मेरे देश में।
और चारों तरफ हर्ष उल्लास हो ॥
 रमेश गोहिया 

दीपकों की यह जगमग बारात ।
कहीं ठग न ले ये अमावस की रात ॥
उन निगाहों पे लाजिम हैं पहरे ।
जो लगाये हैं रोशनी पर घात ॥
स्‍व. श्री मोहन राय

जगमग दीप अवलि को लख हर्षाया मन मयूर ।
खुशियाँ महकें तेरे घर ऑंगन समृद्धि हो भरपूर ॥
माँ लक्ष्मी प्रसन्न दुख दरिद्र का हो नाश लक्ष्मन ।
करूँ आरती माँ भारती अर्पित रोली अक्षत कपूर ॥
लक्ष्मी नारायण राय

आओ खुशी के दीप जलायें रात अमाँ की है काली ।
मानवता का फर्ज निभाएँ और मनाएँ खुशहाली ॥
देख धरा पर दीपमालिका चाँद सितारे मौन खड़े ।
अंतस का तम दूर भगाएँ मन जावेगी दीवाली ॥
मोनिका हठीला मोना

नव प्रकाश नूतन किरनों का ।
शत शत वंदन है अभिनंदन ।
नव प्रभात नव ज्ञान ज्योति का ।
शत् शत् वंदन है अभिनंदन ।
हरिओम शर्मा दाऊ

दीप माटी का समर तम से है देखो कर रहा ।
हर अंधेरे में उजाले की किरण है भर रहा ॥
रात मावस की अंधेरी हो भले कितनी ही ये ।
हर दिये से रोशनी का एक निर्झर झर रहा ॥
पंकज सुबीर

दीप मालिकाओं का पर्व अद्भुत निराला ।
ज्योति पुंज उत्सर्जित कर फैला उजियारा ॥
अंधियारे को रोशनी की आभा भरता ।
अन्तस की वेदनाओं की पीड़ा को हरता ॥
प्रदीप एस चौहान

दीप तेल के अस्तित्व में जलता है ।
जीवन आशा के प्रवाह में बहता है ॥
समय की ऑंधी में कभी  लौ डगमगाती है ।
धीरज की ओट दे आशा फिर जलाती है ॥
श्रीमति सूर्यकान्ती चंदेल कान्ति

रोशनी का पर्व ये उमंग और उल्लास भरा ।
खुशियों के दीप घर घर में जलाइये ॥
रोशन ख्याल बन दूर करो कालिमा ।
भीतर का अंधेरा सारा ही मिटाइये ॥
प्रदीप कश्यप

दीपावली पर दीपों के संग में
दिल भी हो जाये झिल मिल ।
समृद्धि सुख शांति हो जाये ॥
और रहें सब हिल मिल ॥
विवेकपाराशर

हे मन के दीप सदा उजियारा करना तुम ।
हर तम की निशा उदित बसेरा करना तुम ॥
पाया है ज्योति सा पावन अमर जीवन ।
सागर सा गहराता रतन पारस से चुनना तुम  ॥
द्वारका बाँसुरिया

नफरत के सिक्के न ढाला कीजिए ।
कर्म न कोई अब काला कीजिए ॥
जग में अमन और शांति के लिए ।
दीप बन हमेशा उजाला कीजिए॥
विनोद पंसारी

सुख सहित सौ साल तक देखो दीवाली की छटा ।
न कभी छाये ह्रदय आकाश में दुख की घटा ॥
चौथमल वर्मा

भूख गरीबी बेकारी का तम हरने इक दीप जलाओ ।
सबके जीवन से अंधियारा कम करने इक दीप जलाओ॥
घर ऑंगन में चैन अमन खुशहाली और समृद्धी हो।
हर ऑंगन उजियारे के मोती भरने इक दीप जलाओ॥
ब्रजेश शर्मा

हरी-भरी फिर प्रेम की डाली हो ।
जन-जन के अधरों पर लाली हो ॥
तम की छाया ऑंगन द्वार न झाँके।
हर दिवस रंगोली रात दिवाली हो ॥
जोरावर सिंह

झिलमिल झिलमिल दीप बनें हम हो रोशनी भारत में ॥
भारत माँ सब को समेटे अपने प्यारे ऑंचल में ॥
ओमप्रकाश तिवारी

इस बार की दीवाली हम ऐसे मनाएँगे ।
जनजन में भाई चारा खुशियाँ बरसाएँगे ॥
मिठाई सी मिठास सभी के जीवन में भर जाए ।
लक्ष्मी प्रसन्न हो सुख शांति सबके घर में आये ॥
ममता दुबे

2 टिप्‍पणियां:

  1. आओ खुशी के दीप जलायें रात अमाँ की है काली ।
    मानवता का फर्ज निभाएँ और मनाएँ खुशहाली ॥
    देख धरा पर दीपमालिका चाँद सितारे मौन खड़े ।
    अंतस का तम दूर भगाएँ मन जावेगी दीवाली

    सुंदर! अति सुंदर! दीपावली की शुभकामनाएं!

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  2. बहुत सुंदर और सारगर्भित !ज्योति - पर्व की ढेर सारी बधाईयाँ !

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