पिछले दिनों दो कवि सम्मेलनों में काव्य पाट करने का मौका मिला और दोनों ही हास्य सम्राट श्री ओम व्यास के संचालन में । एक था राजाखेड़ा राजस्थान में और दूसरा ग्वालियर में । दोनों ही कवि सम्मेलन काफी अच्छे थे । ग्वालियर में तो श्री अशोक चक्रधर श्री प्रदीप चौबे और श्री ओम व्यास जी के साथ काव्य पाठ करने का एक अलग ही अनुभव था । वहां पर श्री चक्रधर ने जो कविता पढ़ी वो अद्भुत थी और उसमें जो निठारी को लेकर पैना व्यंग्य किया गया था वो भी सुनने लायक था । एक बात जो अच्छी लगी वो ये थी कि मंच पर उपस्थ्ति सभी कवियों ने श्री चक्रधर को खूब सम्मान दिया । श्री ओम व्यास ने तो उनको आदरणीय गुरूजी कहकर ही काम किया । वैसे वहां पर श्री चक्रधर को ही संचालन करना था पर उन्होंने स्वयं ही गुरूता दिखाते हुए श्री व्यास को आदेश दिया संचालन का। कवि सम्मेलन के अनुभव और काव्य पाठ के बारे में विस्तार से कल बताउंगा क्योंकि काफी कुछ है बताने के लिये । श्री अशोक जी ने मिलते ही एक बात कही जो मुझे छू गई मैंने जैसे ही पैर छुए उन्होंने कहा ' हूं सुबीर आजकल तो छाए हुए हो ब्लाग की दुनिया में । मैं तुम्हारे सारे लेख पढ़ता हूं ' । अच्छा लगा जानकर कि जिनको आदर्श मान कर सारा काम कर रहा हूं वो मेरे काम पर नज़र रखे हैं । अब शायद ज्यादा संभल कर लिखना होगा ।
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बहुत ही अच्छा, कवि सम्मेलनों की रिपोटॅ सुकून देती हैं। आपके शुक्रगुजार हैं हम।
जवाब देंहटाएंजी भैया अच्छा लगा पढ़कर...अशोक जी को हम बचपन से सुनते आ रहे है...आपके आशीर्वाद से अभी कुछ दिन पहले हमने भी उनकी काव्य कुश्ती में हिस्सा लिया था...यहाँ देखियेगा...
जवाब देंहटाएंhttp://shanoospoem.blogspot.com/2007/11/blog-post_03.html
सुनीता(शानू)
सुबीर भाई ब्लॉग का विस्तार
जवाब देंहटाएंहम सब के लिये खु़शी की बात है..
कविता के साथ ब्लॉग से मिली पहचान भी आनंददायक है
वाह माड़स्साब...आप तो वाकई छाये हुए हो. अब माननीय अशोक जी का आशीष भी है. आप जारी रहें-बहुत शुभकामनायें.
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