शुक्रवार, 10 नवंबर 2023

आइए आज तरही मुशायरे का आग़ाज़ करते हैं दो शायरों मन्सूर अली हाशमी तथा डॉ. संजय दानी के साथ

दीपावली का त्यौहार एक बार फिर आ गया है। एक वर्ष कैसे बीत जाता है इसका पता ही नहीं चल पाता है। और एक बार फिर हम उल्लास के आनंद में डूबने को तैयार  हो जाते हैं। दीपावली का यह त्यौहार हमारे जीवन में एक नयी उमंग लेकर आता है। हम एक वर्ष के लिए जीने की ऊर्जा इस त्यौहार से प्राप्त कर लेते हैं। जीवन का नाम यही तो है कुछ ऐसे ही दिनों से हमें आगे जीने की उमंग प्राप्त करनी होती है। पाँच दिवसीय ज्योति पर्व आज से प्रारंभ हो रहा है। आइए आज से हम भी अपना तरही का त्यौहार प्रारंभ करते हैं।

आइए आज तरही मुशायरे का आग़ाज़ करते हैं दो शायरों मन्सूर अली हाशमी तथा डॉ. संजय दानी के साथ

रौशनी की ये नदी बहती रहेगी रात भर



मन्सूर अली हाश्मी
तरही मिसरे के काफिये को 'इ' की जगह 'ए' करने पर ही अशआर निकाल पाया हूं यानि मुअन्निस सेग़े स्त्री वाचक से पुरूष वाचक में तब्दील करना पड़ा है. 'पुरुष प्रधान समाज' में एसा हो जाना आश्चर्यजनक तो नहीं!
सिलसिला मैसेज का चलता रहे है रात भर
दिन में है विश्राम और जागा करे ये रात भर।

अब समझ में आ गया मुझको ये उनका ना-नुकुर
आज-कल करते रहे वो हम न समझे रात भर।
अब गुलाबों सी महक अपने पसीने में कहां
उम्र का तो है तक़ाज़ा खूब सोए रात भर।

दिन में खाने की मनाही, शर्त रोज़े की अगर
पेटुओं ने फ़िर तो सोचा ख़ूब खाए रात भर।
'चुपके चुपके रात दिन' आंसू बहा ना पाए तो
हंस लिये खुद पर कभी तो तिलमिलाए रात भर।

'लीक' होने के लिए दिन का समय मौज़ू नहीं
'पेपरों' के वास्ते हम थे भटकते रात भर।
रस्मे दुनिया को निभाने ये भरम भी रख लिया
हँस के मिल लेते हैं दिन में और झगड़ते रात भर।

सर झुकाकर यकसूई से इक यक़ीनो-आस पर
इल्तेजा करता रहा मअबूद से मैं रात भर।
'हाश्मी' दौरे इलेक्शन में पधारे मन्तरी
दिन में भी हरकत में हैं औ' काम करते रात भर।

तरही मिसरा इस तरह ज़म हो सका है....एक मात्र शे'र!
कुमकुमे जलने लगे अब तीरगी काफ़ूर है
रोशनी की ये नदी बहती रहेगी रातभर।


बहुत अच्छे से कही है ग़ज़ल, हालाँकि क़ाफ़िय में ई के स्थान पर ए कर दिया गया है। मगर नियमित ग्राहकों के लिए इतनी छूट तो दी जा सकती है। उस पर मध्यप्रदेश में अभी चुनाव भी चल रहे हैं। बहुत अच्छे से क़ाफ़िया अपने हिसाब से परविर्तित कर ग़ज़ल कही है। सोशल मीडिया का दिन भर विश्राम करना और रात भर जागना बहुत अच्छे से मतले में व्यक्त हुआ है। वस्ल के अनुरोध का अगला शेर भी सुंदर बना है। गुलाबों की महक और रोज़े का शेर ख़ूब बना है। चुपके-चुपके रात दिन को अगले शेर में बहुत अच्छे से उपयोग में लाया गया है। पेपर लीक कराने के लिए रात भर की मेहनत की अच्छे मंज़रकशी है। इलेक्शन में पधारे मन्तरी का चित्र बहुत अच्छे से खींचा गया है। और अंत में नेग के लिए ई की मात्रा पर गिरह का शेर कहा गया है। बहुत सुंदर ग़ज़ल, वाह वाह वाह।



डॉ. संजय दानी दुर्ग
आशिक़ी की फुलझड़ी जलती रहेगी रात भर,
पर्व में बेखौफ़ वो छत पे दिखेगी रात भर।
दीप के त्यौहार में हम सब जुटेंगे शह्र में,
खुशियों की फिर शह्र में आंधी चलेगी रात भर ।

हम चराग़े-इश्क़ खातिर जान भी दे सकते हैं,
गर हवा-ए-हुस्न हमसे ना मिलेगी रात भर।
अब फटाका फोड़ना अच्छा नहीं लगता हमें ,
पर फटाकों की सदा तो ना थमेगी रात भर।

गर सियासत छुट्टियां दीवाली की कम कर रही,
तो सियासत की पराली ही जलेगी रात भर।
इतनी सैलेरी बढ़ी तो पैसों की इज़्ज़त कहाँ,
फिर जुए के फड़ में ये दुनिया जगेगी रात भर।

सूर्य की कश्ती भले साहिल पे लंगर डाल दे,
रौशनी की ये नदी बहती रहेगी रात भर।


आश़िकी की फुलझड़ी का रात भर जलना मतले में बहुत अच्छे से आया है। दीपकों के त्यौहार में ख़ुशियों की आँधी चलने की दुआ बहुत सुंदरता के साथ आयी है। चराग़े इश्क़ की खातिर जान देने की बात अच्छी है। यह बात भी सच है कि एक उम्र के बाद पटाख़े फोड़ना अच्छा नहीं लगता मगर रात भर आवाज़ तो सुनना ही पड़ता है। और यह बात भी सही है कि सैलेरी बढ़ते जाने पर पैसों की क़द्र कम होती जाती है, जब इफ़रात में पैसा आने लगता है तो फिर ग़लत दिशा में उसका बहाव भी तय बात होती है। इस बात को बहुत अच्छे से शेर में कहा गया है। और अंतिम शेर में बहुत ही अच्छे से गिरह को बाँधा गया है। सूरज भले ही पश्चिम में जाकर समुद्र में डूब जाये मगर दीपकों का वादा है कि रौशनी की नदी बहती रहेगी रात भर। बहुत सुंदर ग़ज़ल वाह वाह वाह।

आज के दोनों शायरों ने बहुत अच्छे से शुरुआत कर दी है, आप भी दाद देते रहिए और इंतज़ार कीजिए अगली ग़ज़लों को। 


12 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर शुरुआत। शुभकामनाएं धनतेरस की

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  2. यही दो नहीं ऐसे बहुत से हैं जिनकी वजह से मुझे ग़ज़ल कहना छोड़ना पड़ा। मैं भी कभी अच्छी खासी ग़ज़ल कह लेता था कुछ लोग सच्ची तो कुछ झूठी तारीफों के पुल बांध रहे थे ग़लतफहमी की दौड़ती गाड़ी को इन जैसे शायरों के दल ने लालझंडी दिखा दी। ऐसा मुझे पटरी से उतारा कि मैं वापस लौटने की सोच ही नहीं पाया।
    दोनों शायरों ने अपनी ग़ज़ल से दिल लूट लिया, मजा आ गया। जिंदाबाद जिंदाबाद कहते मन नहीं भर रहा। वाह वाह और वाह 🌻🙏

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    1. बड़ा मासूम सा इल्ज़ाम लगा कर इस बार भी आप जान छुड़ा रहे है!
      मैंने तो पटरी पर से उतरने की बजाय पटरी (काफिये में तब्दीली कर) बदल कर काम चला लिया इस बार......वर्ना इस उम्र में तो मैं भी 'नीरज गोस्वामीमय' हुआ जा रहा हूं.
      अपने पंकज सुबीर भाई भी ग़ज़ब करते है, रदीफ में 'रात भर' दे कर उस वक्त के क्रिया कलापो के सारे राज़ उगलवा लेना चाहते है!
      अब देखते है क्या-कुछ सामने आता है, मैं तो बाल-बाल बचा हूँ. बाक़ी का ख़ुदा ख़ैर करे !
      आपकी हाज़री भी अपेक्षित है...

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    2. मुझे शायर का तमगा देने के लिए आपका धन्यवाद।

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  3. वाह मुशायरे की शुरुआत हो गई और क्या शानदार हुई है। आदरणीय मंसूर अली हाश्मी जी ने अपने अंदाज़ में गंभीर मसलों को हल्के फुल्के मज़ेदार अंदाज़ में बहुत खूबसूरती से पेश किया है। मज़ा आ गया। आदरणीय संजय दानी जी ने अपने शेरों में दीवाली के त्योहार के दृश्य बहुत खूबसूरत तरीके से सजीव कर दिए हैं ।

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  4. आज धनतेरस है। अर्थात, दीपावली ने दस्तक दे ही दी। लेकिन किस धमक से आ गयी मुशायरे की घड़ी कि वाह ! तिसपर दो अंदाज की दो सुगढ़ प्रस्तुतियाँ ! वाह वाह वाह

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  5. जनाब मन्सूर अली हाश्मी साहब ने तनिक दायाँ-बायाँ तो कर लिया लेकिन क्या मिसरे निकाले हैं आपने ! विशेषकर, ’अब समझ में आ गया मुझको..’। इस शे’र के होने पर अशेष बधाइयाँ। लेकिन रात भर तिलमिलाने की सचबयानी भी खूब है। वाकई ये एक सच्चा शे’र हुआ है। हार्दिक बधाई जनाब।
    शुभ दिवाली

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  6. आदरणीय संजय दानी जी की प्रस्तुति के एक शे’र से प्रशासन का बेढंगापन खूब निखर कर साझा हुआ है - गर सियासत छुट्टियाँ...
    लेकिन जिस शे’र ने बरबस ध्यान खींचा है, वह गिरह का शे’र है - सूर्य की कश्ती भले साहिल पे लंगर डाल दे.. कमाल कमाल
    अशेष बधाइयाँ डॉक्टर साहब..
    शुभ दीपावली

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  7. मुशायरे की शानदार शुरुआत के लिए दोनों शायरों को बहुत बहुत बधाई। मिसरा कठिन था इस बार, बहुत अच्छे शेर निकाले दोनों शायरों ने। बहुत बहुत बधाई और धनतेरस के शुभकामनाएँ आदरणीय हाशमी जी और संजय दानी जी को।

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  8. धन्यवाद, सज्जन धर्मेन्द्र जी, आपको भी धनतेरस की हार्दिक बधाई.

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  9. सभी वरिष्ठ साहित्यकारों को उनकी सकारात्मक टिप्पणियों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शुक्रिया व आभार।

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  10. ओपनिंग बैट्समैन के रूप में हाशमी जी का हास्य का तड़का और दूसरे सिरे से संजय जी का साथ, आश्वस्त करने में सफल रहे कि तरही अपनी सफलता के नये स्तर को छुएगी। हाशमी जी और संजय जी को बहुत बहुत बधाई।

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