मित्रों अब तो ऐसा हो ही गया है कि तरही मुशायरे का मिसरा देने में अक्सर कुछ देर हो जी जाती है। इस बार भी बहुत कम समय बचा है और अचानक याद आई कि दीपावली के तरही मुशायरे के लिए तरही मिसरा तो दिया ही नहीं गया है। तो अचानक याद आने पर मिसरा बनाया गया और आज उसे प्रस्तुत किया जा रहा है। जैसा कि हमारे यहाँ की तरही की परंपरा है कि हम किसी प्रसिद्ध शायर की प्रसिद्ध ग़ज़ल का मिसरा तरही के लिए नहीं लेते हैं बल्कि अपना ही मिसरा गढ़ते हैं। तो इस बार भी वही किया जा रहा है। इस बार हम बहरे रमल मुसमन महजूफ़ पर मुशायरे का आयोजन करने जा रहे हैं। जिसका वज़न होता है- 2122-2122-2122-212, यह एक बहुत ही प्रचलित बहर है। तो हम भी इसी बहर पर इस बार का मुशायरा आयोजित करने जा रहे हैं।
दीपावली के मुशायरे के लिए मिसरा
“रौशनी की ये नदी बहती रहेगी रात भर”
(रौशन और रोशन पर बहुत बहस हो चुकी है और अब लगभग सभी शब्दकोश दोनों ही शब्दों को सही मान रहे हैं। हम रौशन का ही उपयोग करेंगे)
तो इस बार की बहर जैसा आपको पता ही है कि कि फाएलातुन-फाएलातुन-फाएलातुन-फाएलुन है।
रौशनी की-फाएलातुन-2122
ये नदी बह-फाएलातुन-2122
ती रहेगी-फाएलातुन-2122
रात भर-फाएलुन-212
इस बार रदीफ़ है ‘रात भर’ और क़ाफ़िया है ‘रहेगी’ में आ रही ‘ई’ की मात्रा। मतलब आप- ही, की, बैठी, अच्छी, टूटी, रहती, गिरती, कैसी, अपनी, कहेगी, कहानी, उदासी, सुलगती, पासबानी, बाग़बानी जैसे क़ाफियों का उपयोग कर सकते हैं।
बहुत इस्तेमाल में आने वाली ग़ज़ल है यह। इस पर बहुत प्रसिद्ध फिल्मी गीत भी हैं जैसे- आपकी नज़रों ने समझा प्यार के क़ाबिल मुझे, होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है, या फिर कुछ प्रसिद्ध ग़ज़लें- सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा, चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है।
बहुत कम दिन बचे हैं तो इंतज़ार किस बात का है, उठाइए क़लम और कह दीजिए एक अच्छी सी ग़ज़ल और भेज दीजिए।
जीवन के तमाम झमेलों के बीच अचानक तरही मुशायरे का ऐलान करती आपकी ई मेल मिलती है तो कितना सकून देती है, मैं बता नही सकता गुरु जी। पिछले महीने पिता जी गुज़र गए हैं और बहुत सी जिम्मेदारियां सर पर आ गई हैं। ये मुशायरा कुछ तो दुख, तनाव और चिंता जरूर कम करेगा। धन्यवाद गुरु जी।
जवाब देंहटाएंआपके पिताजी के देहावसान की सूचना दुखद है। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे।
हटाएंओह बहुत दुख समाचार। अपना और परिवार का ध्यान रखें
हटाएंबहुत दुखद है अपनों का जाना … ईश्वर आपको शक्ति दे
हटाएंजी
हटाएंभाई गुरप्रीत जी, आपके जीवन में हो गयी अपूरणीय क्षति की सूचना दुखद है। लेकिन आप जैसे व्यावहारिक व्यक्ति के लिए जीवन-प्रवाह को समझ लेना कठिन भी नहीं है।
हटाएंसादर
सौरभ
ज़ोरदार। मिसरे को पढ़ कर ही ग़ज़ल अवतरित हो गई। भेजता हूँ।
जवाब देंहटाएंसरल और मेरी प्रिय बहर। अब देखता हूं कितने शेर आते हैं। जल्द ही उपस्थित होने का प्रयास रहेगा।
जवाब देंहटाएंआहा एक खूबसूरत बहर और सुंदर मिसरा … मज़ा आने वाला है
जवाब देंहटाएंदुखद समाचार गुरप्रीत जी हौंसला रखें
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशानदार मिसरा दिया है,पंकज भाई साहिब🌺
जवाब देंहटाएंगुरप्रीत जी, हिम्मत रखें। परमपिता परमात्मा पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें!
रोचक मिसरे ने मन मोह लिया - रोशनी की ये नदी बहती रहेगी रात भर..
जवाब देंहटाएंसौरभ