होली है भइ होली है रंग बिरंगी होली है। मित्रो एक ओर होली सामने आ खड़ी हुई है।
कल होली है और आज रात को होलिका दहन होना है। होलिका दहन के साथ ही हम होली के
त्योहार के रंगों में डूब जाएँगे। हमारे यहाँ पर यह रंगों का त्योहार पूरे पाँच
दिनों तक चलता है रंग पंचमी को रंगों का सबसे ज़्यादा हल्ला होता है। वैसे तो हमारे
यहाँ मालवा में शीतला सप्तमी के साथ ही होली का समापन होता है। जब महिलाएँ जाकर
होलिका दहन वाले स्थान पर पानी डाल कर होलिका की आग को ठंडा करके आते हैं। उस दिन
घरों में ठंडा ही खाया भी जाता है। रात का बना हुआ बासी खाना। कुछ भी गरम नहीं खाया
जाता है उस दिन। तो होली दहन से लेकर शीतला सप्तमी तक यह पूरा क्रम बना रहता है।
आइये आज से होली के क्रम को प्रारंभ करते हैं।
आओ रंग दें तुम्हें इश्क़ के रंग में
मित्रों इस बार का मुशायरा कठिनाई पर विजय का मुशायरा है। सभी रचनाकारों ने एक
कठिन क़ाफिया बहुत अच्छे से निभा लिया है। तो आइये आज आदरणीय नीरज गोस्वामी जी, पवन
कुमार जी, तिलक राज कपूर जी, सौरभ पाण्डेय जी और मुस्तफ़ा माहिर के साथ मनाते हैं
होली।
पवन कुमार
हुस्न को देख लें इश्क़ के रँग में
आओ रंग दें तुम्हें इश्क़ के रँग में
आओ रंग दें तुम्हें इश्क़ के रँग में
एक धनक सी बिखरती रहे आस पास
शेर कहते रहें इश्क़ के रँग में
शेर कहते रहें इश्क़ के रँग में
दिल के अंदर थीं दुनिया की बेचैनियाँ
मिल गयीं राहतें इश्क़ के रँग में
मिल गयीं राहतें इश्क़ के रँग में
बेक़रारी, जुनूँ और दीवानगी
बेख़ुदी, वहशतें इश्क़ के रँग में
बेख़ुदी, वहशतें इश्क़ के रँग में
पानियों पर नया रँग चढ़ता हुआ
भीगती बारिशें इश्क़ के रँग में
भीगती बारिशें इश्क़ के रँग में
कोई करवट बदलता रहा रात भर
पड़ गयीं सिलवटें इश्क़ के रँग में
पड़ गयीं सिलवटें इश्क़ के रँग में
दिल को पागल बनाये सदा मोर की
कूकती कोयलें इश्क़ के रँग में
कूकती कोयलें इश्क़ के रँग में
सबको पैग़ाम चाहत का देते रहें
सारी दुनिया रंगें इश्क़ के रँग में
सारी दुनिया रंगें इश्क़ के रँग में
पवन जी का मैसेज आया कि भाई ग़फ़लत में रदीफ़ कुछ बड़ा चयन कर लिया है। मैंने
कहा कोई बात नहीं मिसरा तो वही है। तो उन्होंने इश्क़ के रंग में को रदीफ़ बना कर
ग़ज़ल कही है। गुणी शायर हैं तो उनकी ग़ज़ल में भी उनका रंग दिख रहा है। मतला ही
इतना ख़ूब है कि बस, रवायती शायरी का एक सुंदर उदाहरण। इश्क़ अपने रंग में रँग कर
हुस्न को देखना चाहता है। एक धनक का बिखरना और उसके ही रंग में शेर कहते रहना, यही
तो हर कवि की इच्छा होती है हर शायर की चाहत होती है। ख़ूब शेर। दिल के अंदर दुनिया
की बेचैनियों को समेट कर इश्क़ के रंग में राहतें हर रचनाकार तलाशता है, उसे पवन जी
ने बहुत ही सुंदर तरीक़े से व्यक्त किया है। बेक़रारी, जुनूँ, दीवानगी मतलब इश्क़
के सभी तत्वों को समेटे है शेर। बारिशों का भीगना और पानियों पर इश्क़ का रंग चढ़ना
बहुत ही सुंदर शेर है। लेकिन जो शेर ठक से दिल पर आ लगता है वह है कोई करवट बदलता
रहा रात भर… उफ़ क्या मिसरा सानी लगाया है, ग़ज़ब ग़ज़ब। और उतना ही सुंदर है अंतिम
शेर दुनिया भर में प्रेम का संदेश फैलाने को लेकर की गई एक दुआ एक प्रार्थना। आमीन,
ईश्वर इसे सच करे। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल क्या बात है वाह वाह वाह।
नीरज गोस्वामी
झुर्रियाँ क्या छुपीं फाग के रंग में
हम जवाँ-से ठुमकने लगे रंग में
हम जवाँ-से ठुमकने लगे रंग में
इन गुलालों से होली बहुत मन चुकी
आओ रँग दें तुम्हें इश्क के रंग में
आओ रँग दें तुम्हें इश्क के रंग में
तल्खियाँ हों नदारद अगर खुश रहें
तू तेरे रंग में, मैं मेरे रंग में
तू तेरे रंग में, मैं मेरे रंग में
बात कुछ तो फ़िज़ाओं में फागुन की है
हर कोई लग रहा है मुझे रंग में
हर कोई लग रहा है मुझे रंग में
कोई चाहत कभी कोई कोशिश न की
जो मिला हम उसी के रँगे रंग में
जो मिला हम उसी के रँगे रंग में
उन सियारों के सिक्के चले तब तलक
जब तलक रह सके वो छुपे रंग में
जब तलक रह सके वो छुपे रंग में
बिन तेरे रंग में रंग “नीरज” न था
यूँ रँगा था सभी ने मुझे रंग में
यूँ रँगा था सभी ने मुझे रंग में
मतला तो उसी रंग में है जिसको कि रंग-ए-नीरज कहा जाता है। अपने आप को सदा जवान
मानने का रंग। उम्र को हराने का रंग। बहुत सुंदर। उसके ठीक बाद गिरह का शेर भी
ख़ूब बना है। सचमुच जीवन में प्रेम के आने से पहले ही खेली जाती है गुलाल से होली,
उसके बाद तो इश्क़ का ही रंग चलता है। वाह। और अगला ही शेर सारी तल्ख़ियों को एक
दूसरे के रंग घोल कर बहा देने का इतना अच्छा संदेश दे रहा है कि उसे पूरी दुनिया
में प्रसारित करने की इच्छा हो रही है। बहुत ही सुंदर शेर है। कोई चाहत कभी कोई
कोशिश न की में मिसरा सानी बहुत ही सुंदर भावना लिए हुए है। सच में यदि हम हर किसी
के रंग में अपने आप को रँगने का हुनर सीख जाएँ तो जीवन कितना आसान हो जाएगा हमारे
लिए। लेकिन हम तो अपने रंग में दूसरों को रँगना चाहते हैं। उन सियारों के सिक्के
चले एक गंभीर व्यंग्य समेटे है। लोक कथा को साहित्य में उपयोग करने का अनुपम
उदाहरण। यह एक बड़ी कला होती है। और उसके बाद मकते का शेर भी बहुत गहरी बात कह रहा
है सच तो यही है कि हमें दुनिया के सारे रंग लगा दिये जाएँ तो भी रंग तो हम पर किसी
एक का ही चढ़ता है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल कही है, क्या बात है वाह वाह वाह।
तिलक राज कपूर
इस तरफ़ बदनसीबी खिले रंग में
उस तरफ़ खुशनसीबी दबे रंग में।
उस तरफ़ खुशनसीबी दबे रंग में।
नोटबुक के सभी वर्क़ कोरे थे पर
देखिये खिंच गये हाशिये रंग में।
देखिये खिंच गये हाशिये रंग में।
आप कोरे हैं दिल के सुना था मगर
आपने भी लिखे फै़सले रंग में।
आपने भी लिखे फै़सले रंग में।
श्वेत भी है मगर देखते वो नहीं
ग़ुम सियासत हरे गेरुए रंग में।
ग़ुम सियासत हरे गेरुए रंग में।
सुब्ह लायेंगे कैसे नयी वो कहो
जिनकी खुशियाँ हैं अँधियार के रंग में।
जिनकी खुशियाँ हैं अँधियार के रंग में।
ज़ेह्न में रात भर प्रश्न उठते रहे
कुछ के उत्तर दिखे अनसुने रंग में।
कुछ के उत्तर दिखे अनसुने रंग में।
जि़न्दगी से शिकायत बहुत हो चुकी
देखिये हर नया पल नये रंग में।
देखिये हर नया पल नये रंग में।
देख अत्फ़ाल की मस्तियों को कभी
खेलते धूप में, धूल के रंग में।
खेलते धूप में, धूल के रंग में।
अर्थ दीवानगी का समझ जाओगे
”आओ रंग दें तुम्हें इश्क के रंग में।”
”आओ रंग दें तुम्हें इश्क के रंग में।”
इस तरफ़ बदनसीबी और उस तरफ़ ख़ुशनसीबी के दबे और खिले रंग का प्रतीक तिलक जी ने
अपने ही तरीक़े से उपयोग किया है जिसके लिए वह मशहूर हैं। मतला ही बहुत सुंदर बना
है। नोटबुक के कोरे वर्क़ और हाशियों का रंग में होना यह एक गम्भीर पोलेटिकल शेर है
जिसे ध्यान से समझे जाने की आवश्यकता है। अगला ही शेर एक बार फिर पोलेटिकल रंग लिए
हुए है, भले ही वह ऊपर से प्रेम का शेर दिख रहा हो किन्तु है वह भी सुंदर पोलेटिकल
शेर। श्वेत रंग पर किसी की नज़र नहीं पड़ना हमारे समय की सबसे बड़ी विडंबना है जिस
पर किसी की नज़र पड़े न पड़े किन्तु शायर की तो पड़ेगी ही। और देश के किसानों,
मज़दूरों के लिए समर्पित शेर जिनकी ख़ुशियाँ हैं अँधियार के रंग में, बहुत अच्छा
शेर। मकते के ठीक पहले के दोनों शेर एक दम जीवन की सकारात्मकता की ओर ले चलते हैं।
यही तो कविता होती है जो विडम्बनाओं की बात करते-करते सकारात्मक हो जाए। बच्चों की
मस्तियों को देख कर हम सब जीवन को जीने का तरीक़ा सीख सकते हैं। वे जिस प्रकार धूल
और धूप में खेलते हैं उससे सीखा जा सकता है। गिरह को मकते में बहुत ही सुंदर
तरीक़े से लगाया गया है। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल, वाह वाह वाह क्या ही ख़ूब ग़ज़ल।
सौरभ पाण्डेय
दिख रहे थे अभी तक उड़े रंग में
सुर लगा फाग का.. आ गये रंग में
सुर लगा फाग का.. आ गये रंग में
गुदगुदाने लगी फुसफुसाहट, उधर
मौसमों के हुए चुटकुले रंग में
मौसमों के हुए चुटकुले रंग में
ताकि मुग्धा हुई तुम पुलकती रहो
आओ रँग दें तुम्हें इश्क़ के रंग में
आओ रँग दें तुम्हें इश्क़ के रंग में
वो न आयेगा दर पे हमें है पता
अल्पना हम सजाते रहे रंग में
अल्पना हम सजाते रहे रंग में
खेत किसको सुने किसको आगोश दे
फावड़े और फंदे दिखे रंग में
फावड़े और फंदे दिखे रंग में
मुट्ठियाँ भिंच गयीं, दिल दहकने लगा
इस तरह गाँव के दल दिखे रंग में
इस तरह गाँव के दल दिखे रंग में
फिर यही सोच कर थम गयीं सिसकियाँ
या खुदा, फिर खलल मत पड़े रंग में
या खुदा, फिर खलल मत पड़े रंग में
मतला होली के रंग को ख़ूब समेटे हुए है। सच में यही तो होता है, हम सब जीवन की
कठिनाइयों से जूझ रहे होते हैं और अचानक ही फाग का सुर लगता है और हम सब रंग में आ
जाते हैं। बहुत ही सुंदर मतला। और अगले ही शेर में फुसफुसाहट के गुदगुदाहट तथा
मौसमों के चुटकुले, एक पूरा का पूरा शब्द चित्र सामने बन जाता है आँखों के। अगले
शेर में मुग्धा और पुलकित जैसे शब्द ग़ज़ल के सौंदर्य में कई गुना वृद्धि कर रहे
हैं, यही होता है भाषा का सौंदर्य। अगला शेर निराशा के बीच आशा की अल्पना सजाते
रहने की भावना लिए हुए है। प्रेम में इंतज़ार का अपना महत्व होता है, हम कई बार यह
जानते हुए भी इंतज़ार करते हैं कि आने वाले को नहीं आना है। अगले दोनों शेर
विडम्बना की बात करते हैं, जो हमारे समय की विडम्बना है। खेत में किसानों की आत्म
हत्या और दूसरी और गाँव तक सांप्रदायिकता की भावना का पहुँच जाना यह हमारे समय की
सबसे बड़ी समस्याएँ हैं, जिन पर शायर ने अपनी चिंता व्यक्त की है। केवल शायर, कवि
ही तो चिंतित होता है। और अंतिम शेर में सिसकियों का थम जाना एक दुआ के साथ कि फिर
कभी ख़लल न पड़े रंग में । बहुत ख़ूब। क्या बात है बहुत ही सुंदर ग़ज़ल है वाह वाह
वाह।
मुस्तफ़ा माहिर
ऐसे जीना भी क्या बेसुरे रंग में।
आओ रंग दें तुम्हें इश्क़ के रंग में।
आओ रंग दें तुम्हें इश्क़ के रंग में।
रंग असली तेरा कौन सा है बता
हर दफ़ा तू दिखे है नऐ रँग में।
हर दफ़ा तू दिखे है नऐ रँग में।
प्यार गहराया ऐसा कि दिखने लगा
तू मेरे रंग में मैं तेरे रंग में।
तू मेरे रंग में मैं तेरे रंग में।
तुझपे फबती हैं तेरी जफ़ाएं फ़क़त
तू लगे है बुरा दूसरे रंग में।
तू लगे है बुरा दूसरे रंग में।
ज़िन्दगी सबकी बेरंग तस्वीर है
जो रँगी जाए अच्छे बुरे रंग में।
जो रँगी जाए अच्छे बुरे रंग में।
पूछते हो तो कह दूँ जचे है बहुत
तुमपे पटियाला वो भी हरे रंग में।
तुमपे पटियाला वो भी हरे रंग में।
मुस्तफ़ा बहुत दिनों बाद हमारे तरही मुशायरे में शामिल हुए हैं। बहुत ही सुंदर
ग़ज़ल लेकर आए हैं वे। मतला ही कुछ अलग तरीक़े से कहा गया है कि जो कुछ भी प्रेम
में नहीं है, इश्क़ में नहीं है वो बेसुरे रंग में ही होता है। जो इश्क़ के रंग में
रँग जाता है वो सुर में आ जाता है। और अगले ही शेर में जो प्रश्न है कि रंग असली
तेरी कौन सा है बता, बहुत ही सुंदर तरीके से बातचीत के लहजे में शेर को बाँधा है।
मासूमियत के साथ। ख़ूब्र। और प्यार के बढ़ने का वही असर जिसमें हम एक दूसरे के रंग
में ही दिखने लगते हैं। प्रेम यही तो होता है जिसमें एक दूसरे के रंग में हमें रंग
दिया जाता है। लेकिन जफ़ाओं वाला शेर तो एकदम रवायती रंग लिए हुए है। ग़ज़ल के
रवायती रंग में रँगा हुआ है यह शेर। तू लगे है बुरा दूसरे रंग में वाह क्या बात है
ग़ज़ब। उस्तादाना अंदाज़ में कहा गया है यह शेर, कमाल का शेर। ज़िंदगी की बेरंग
तस्वीर में अच्छे और बुरे रंग लगना सूफ़ियाना शेर है अचछा बना है। और अंत का शेर तो
बहुत ही ग़ज़ब बन पड़ा है। हरे रंग के पटियाला सूट में महबूब को देखना और वो भी
शायर की नज़र से, क्या बात है एकदम कमाल का शेर है यह। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल कही है
भाई। क्या बात है वाह वाह वाह।
वाह वाह आज तो सभी रचनाकारों ने मिलकर बहुत ही ख़ूब रंग जमाया है। ऐसी ग़ज़लें
जिनको बार-बार पढ़ा जाए तो भी कम। उस्तादों के रंग में ग़ज़लें कहीं हैं सभी ने। तो
आपका भी काम बढ़ गया है दाद देने का। जितनी सुंदर ग़ज़लें है उतनी ही अच्छी दाद भी
दी जानी चाहिए। तो देते रहिए दाद।
आज तो बड़े बड़े उस्तादों की गजलें पढ़ने मिली हैं.आदरणीय पवन कुमार जी ने बहुत शानदार आगाज कर दिय है आज का.
जवाब देंहटाएंहुस्न को देख लें इश्क़ के रँग में
आओ रंग दें तुम्हें इश्क़ के रँग में
एक धनक सी बिखरती रहे आस पास
शेर कहते रहें इश्क़ के रँग में
दिल के अंदर थीं दुनिया की बेचैनियाँ
मिल गयीं राहतें इश्क़ के रँग में
कोई करवट बदलता रहा रात भर
पड़ गयीं सिलवटें इश्क़ के रँग मे
यह शेअर बहुत पसंद आए.
GURPREET SAHAB
हटाएंbahut shukriya.... HOLI ki dili shubhkamnayeN
आदरनीय नीरज गोस्वामी जी का वाकई अलग रंग होता है..क्या शानदार गज़ल है.
जवाब देंहटाएंसभी के सभी अशआर एक से बढ़कर एक लगे.
झुर्रियाँ क्या छुपीं फाग के रंग में..
बात कुछ तो फ़िज़ाओं में फागुन की है
कोई चाहत कभी कोई कोशिश न की
उन सियारों के सिक्के चले तब तलक
बिन तेरे रंग में रंग “नीरज” न था
वाह वाह sir क्या बात है..माँ गए आप को..
सत श्री अकाल जी खाकसार की गजल पसंद करने का शुक्रिया !!!
हटाएंआदरणीय तिलक राज कपूर जी के तो हम शुरू से ही प्रशंसक हैं. क्या कमाल के अशआर कहे हैं उन्होंने इस गज़ल में..
जवाब देंहटाएंनोटबुक के सभी वर्क़ कोरे थे पर
देखिये खिंच गये हाशिये रंग में।
आप कोरे हैं दिल के सुना था मगर
आपने भी लिखे फै़सले रंग में।
श्वेत भी है मगर देखते वो नहीं
ग़ुम सियासत हरे गेरुए रंग में।
सुब्ह लायेंगे कैसे नयी वो कहो
जिनकी खुशियाँ हैं अँधियार के रंग में।
ज़ेह्न में रात भर प्रश्न उठते रहे
कुछ के उत्तर दिखे अनसुने रंग में।
यह शेअर तो बहुत ज्यादा पसंद आए.
आभारी हूँ, गुरप्रीत जी। पढ़ने वालों की मुहब्बत बहुत कुछ करा लेती है, बस वही प्रस्तुत है।
हटाएंआदरणीय सौरभ पाण्डेय जी को पढ़ने का जब भी मौका मिलता है तो मैं दोनों हाथों से लेता हूँ.बहुत कमाल लिखते हैं वो अपने ही अलग अंदाज़ मे. इस गज़ल में भी सभी के सभी शेअर लाजवाब हैं..कौन सा ज्यादा प्रभावित कर गया यह कहना मुश्किल है. शुरू से आखिर तक शानदार गज़ल
जवाब देंहटाएंभाई गुरप्रीत सिंह जी, आपके उदार उत्साहवर्द्धन से अभिभूत हूँ. सहयोग बना रहे.
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ
शुभ-शुभ
आदरणीय मुस्तफ़ा माहिर जी ने भी लाजवाब गज़ल कही है..
जवाब देंहटाएंरंग असली तेरा कौन सा है बता
हर दफ़ा तू दिखे है नऐ रँग में।
तुझपे फबती हैं तेरी जफ़ाएं फ़क़त
तू लगे है बुरा दूसरे रंग में।
ज़िन्दगी सबकी बेरंग तस्वीर है
जो रँगी जाए अच्छे बुरे रंग में।
पूछते हो तो कह दूँ जचे है बहुत
तुमपे पटियाला वो भी हरे रंग में।
यह अशआर बहुत पसंद आए..और आखिरी शेर में आपने मेरे शहर का ज़िक्र भी कर दिया.
आज के सभी रचनाकारों का बहुत शुक्रिया इतनी अच्छी रचनायें पढवाने के लिए
ग़ज़ल कहने वाले जानते हैं कि रदीफ़ जितना लंबा हो उतना कठिन हो जाता है। पवन कुमार जी सधे हुए शायर हैं। चुनावी व्यस्तताओं के बीच भी उनकी ग़ज़ल आई है और पूरी मज़बूती से आई है। मत्ले के शेर में हुस्न पर इश्क़ के रंग का प्रभाव देखने की चाहत, इश्क के रंग से धनक बिखरना, दुनिया की बेचैनियों को इश्क से राहत, बेकरारी से वहशतें तक इश्क का प्रभाव, भीगती बारिशें; क्या क्या नहीं पिरोया है। वाह्ह वाह।
जवाब देंहटाएंनीरज भाई साहब, आप तो सदाबहार हैं, झुर्रियां तो आपको पड़ ही नहीं सकतीं, छुपाने की क्या बात। दुआ है आप हमेशा जवॉं से क्या एक बच्चे से ठुमकते रहें और ठुमकेंगे क्यों नहीं जब इश्क़ से रंगते रहेंगे। जीवन दर्शन से भरी इस खूबसूरत ग़ज़ल का स्वागत है। वाह्ह वाह।
सौरभ भाई, क्या खूबसूरत मत्ला कहा है, सुर लगा फाग का, आ गये रंग में। ताकि मुग्धा हुई तुम पुलकती रहो, वो न आयेगा दर पे हमें है पता, खेत किसको सुने, किसको आगोश दे, मुट्ठियॉं भिंच गयीं, दिल दहकने लगा, फिर यही सोच कर थम गयीं सिसकियाँ; हर शेर एक अलग ही रंग लिये हुए। वाह्ह वाह।
इश्क़ प्रकृति का सुर है और बा-सुर होना सहज लेकिन सामान्य व्यक्ति असहज की ओर खिंचता है; उसे इश्क़ के माध्यम से सुर में लाने की बात करता भाई मुस्तफ़ा माहिर का मत्ले का शेर बहुत खेबसूरत हुआ। देसरे शेर में गिरगिटिया प्रवृत्ति पर प्रहार तो तीसरे में एक रंग हो जाना, एक बच्चे का निर्लिप्त भाव दुनिया के रंग में रंगे जाने की बात और आखिरी शेर में सीधे-सीधे संवाद लिये खूबसूरत ग़ज़ल। वाह्ह वाह।
तिलक भाई मुझे चने के झाड़ पर चढ़ाने की आपकी इस कला का क़ायल हो गया हूँ !! आप सलामत रहें !!
हटाएंKapoor Sahab
हटाएंBahut abhari hoon .... aapki muhabbateN hain. Sneh banaye rakhiyega.Holi ki SubhkamanayeN.
आदरणीय तिलकराज जी, आपकी सदाशयता के लिए हृदयतल से आभार. आपसे मिला उत्साहवर्द्धन ऊरजस्वी रखता है.
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ
सादर
कोई करवट बदलता रहा रात भर
जवाब देंहटाएंपड़ गयीं सिलवटें इश्क़ के रँग में
इसे कहते उस्तादाना शेर !! पवन जी उस्ताद शायर हैं ! हर शेर पुख़्ता है और गजल मुकम्मल !! जितनी बार पढो मन ही नहीं भरता - ज़िंदाबाद !!
तिलक जी के किस शेर को कोट करूँ समझ नहीं पा रहा पूरी गजल एक से बढ़ कर एक बेहतरीन शेरों से सजी पड़ी है ! तिलक जी का व्यक्तित्व उनकी शायरी की तरह ही दिलकश है ! दुआ करता हूँ कि वो सेहतयाब रहें और अपनी बेमिसाल शायरी से हमें नवाजते रहें !
Niraj Saahab
हटाएंaapka comment ek certificate hai hamare liye.... thanks indeed from the core of my heart.Holi ki SubhkamanayeN.
ताकि मुग्धा हुई तुम पुलकती रहो
जवाब देंहटाएंआओ रँग दें तुम्हें इश्क़ के रंग में
भाषा और भाव अपने पूर्ण सौंन्दर्य के साथ सौरभ जी की शायरी में जगमगाता है ! ज़हीन और सलीक़े दार जैसे वो ख़ुद हैं वैसी ही उनकी शायरी है ! चुम्बकीय व्यक्तित्व के स्वामी सौरभ जी की गजल बार बार पढने को विवश करती है ! बहुत ही खूबसूरत शायरी !!
तुझपे फबती हैं तेरी जफायें फ़क़त
तू लगे है बुरा दूसरे रंग में
ये अकेला शेर बतला रहा है कि मुस्तफ़ा उस्तादाना गजल कहने में कितने माहिर हैं ! उर्दू शायरी का मुस्तकबिल अब इन जैसे होनहार युवा शायरों के मज़बूत कंधों पर ही टिका हुआ है ! क्या गजब की गजल कही है भाई ने मजा आ गया !! वाह वाह वाह !!! जियो माहिर जियो !!
आदरणीय नीरज भाईजी, आपको मेरा यह प्रयास रुचिकर लगा यही मेरे लिए आश्वस्तिकारी है. होली के शुभ एवं पावन अवसर आप मुझे लेकर शुभ-शुभ बोल रहे हैं. मैं हृदयतल से आभारी हूँ.
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ
शुभ-शुभ
SACHMUCH RANG GAYE HOLI KE RANG ME, AAP SABHI KO HOLI KI HAARDIK SHUBHKAAMNAYEIN !!
जवाब देंहटाएंहर शायर पर अलग से टिपण्णी करना चाहता था । समयाभाव से ऐसा न कर सके । नीरज गोस्वामी जी, पवन जी,तिलक राज कपूर जी ,सौरभ पाण्डेय जी और मुस्तफा जी ,मज़ा आ गया रसों और रंगों के शेर पढ़कर ।
जवाब देंहटाएंदिल के अंदर थीं दुनिया की बेचैनियाँ
जवाब देंहटाएंमिल गयीं राहतें इश्क़ के रंग में
फिर
कोई करवट बदलता रहा रात भर
पड़ गयीं सिलवटें इश्क़ के रंग में
ऐसे अशाअर शिद्दत से जीता हुआ शाइर ही लिखता है. लिख सकता है. आदरणीय पवन जी, आपकी ग़ज़ल आयोजन की बेहतरीन ग़ज़लों में से है. दाद कुबूल कीजिए.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
शुभ-शुभ
aabhar aapka... aapki muhabbatoN ka shukriya. Happy Holi
हटाएंआदरणीय नीरज भाई, आपके मतले ने ही ये ज़ाहिर कर दिया है कि आपकी पारखी नज़र और जीवन को जीने के अंदाज़ का असर किसी कहन को कितनी दूर प्रभावित कर सकता है. जिस सहजता से आपने मतला कहा है वह आपकी साफ़ग़ोई का सुन्दर उदाहरण है.
जवाब देंहटाएं’तल्ख़ियाँ हों नदारद अगर खुश रहें..’ जैसे सर्वसमाही समाज का आग्रही ही कह सकता है.
’उन सियारों के सिक्के चले तब तलक..’ .. लेकिन् इस शेर ने वाकई ’वाह-वाह’ करने पर मज़बूर कर दिया है. दिल से दाद कुबूल कीजिए, भाई जी.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
शुभ-शुभ
आदरणीय तिलकराज भाई को मैं उस व्यक्ति तौर पर जाना और माना है जिसके आलेखों से हम जैसे लोग शाइरी लायक हुए थे.
जवाब देंहटाएं’नोटबुक के सभी वर्क़ कोरे थे पर..’
’आप कोरे हैं दिल के सुना था मगर ..’
’श्वेत भी मगर देखते वो नहीं..’
और ग़िरह का शेर ! ये सभी अश’आर कड़ी मिहनत और ताड़ने की नज़र के वरदान से संभव हो पाते हैं.
दिल से दाद कुबूल कीजिए आदरणीय
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
शुभ-शुभ
भाई मुस्तफ़ा माहिर के अंदाज़ और लेखन शैली से बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ.
जवाब देंहटाएंतुझ पे फबती हैं तेरी ज़फ़ाएँ फ़क़त
तू लगे है बुरा दूसरे रंग में .. ..
इस शेर ने जिस गहराई से प्रभावित किया है वह किसी शाइर के सच्चे प्रयास की बदौलत ही हुआ करता है. अपनी प्रस्तुति पर ढेर सारी दाद कुबूल कीजिए.
होलीकी हार्दिक शुभकामनाएँ
शुभ-शुभ
पानियों पर नया रंग चढ़ता हुआ
जवाब देंहटाएंभीगती बारिशें इश्क के रंग में
पवनजी की ग़ज़ल के शेरोन में एक अलग ही ताजगी महसूस होती है
=========================================
झुर्रियों से लेकर सियारों तक
नीरज भाई से कहा था की मोगरे का फूल या एक डाली लेकर आयें पर वे तो पूरा का पूरा पेड़ उखाड़ लाये हैं किस शेर पर आह कहें और किस पर वाह
रह गए हम कशमकश भरे जंग में
नोटबुक के सभी वर्क कोरे थे पर
देखिये खिंच गए हाशिये रंग में
ज़िंदगी से शिकायत बहुत हो चुकी
देखिये हर नया पल नए रंग में
तिलक भाई के एक एक शेर पर दांतों में उंगली दबानी पड़ती है. सहजता से उनको गहरी बात कहने में जो महारत हासिल है वह काबिले रश्क है
ताकि मुग्धा हुई तुम पुलकती रहो----क्या बात है सौरभजी
अल्पना हम सजाते रहे रंग में
आपने तो एक नए श्रृंगार गीत की भूमिका बना दी. अशेष बधाई
रंग असली तेरा कौन सा है बता
मुस्ताफाजी को बधाई
Khandelwal Sahab
हटाएंzarranawazi ka shukriya...
आदरणीय पवन sir की ग़ज़ल में रदीफ़ कठिन है, मगर इतनी उम्दा ग़ज़ल हुई है कि लगता है कि इनके लिए यह बहुत सरल रहा होगा।
जवाब देंहटाएंकितनी सरलता से यह रसभरी ग़ज़ल कही है आपने।
हर शेर् धारदार। सभी शेर् उम्दा।
वाह वाह वाह
आदरणीय नीरज sir से बहुत कुछ सीख रहा हूँ। इनकी ग़ज़लों से एक positivity मिलती है। झुर्रियां आपको आ ही नहीं सकतीं। आप सदाबहार हैं sir।
अलग से कहने की ज़रूरत नहीं कि सभी शेर् क़माल के हैं। आप का अंदाज़ कि कटाक्ष भी गुलाब के फूल जैसा कोमल होता है, जिसका उदाहरण आखिरी शेर् में मिलता है। यही तो शायरी है।
आदरणीय तिलक राज जी की ग़ज़ल का भी इंतज़ार हमेशा रहता है। आपका अंदाज़े बयां भी नीरज जी की तरह बहुत कोमल है। सभी शेर् हमेशा की तरह बेमिसाल।
वाह वाह वाह
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ने भी अपने अलग रंग बिखेरे हैं। फाग के आते ही सब के मन में द्वेष कम हो जाने की बात से मतला कमाल कर रहा है। सभी शेर् उम्दा। कमाल को ग़ज़ल।
मुस्तफ़ा जी को पहली बार पढ़ने का अवसर मिला। आप की ग़ज़ल पढ़कर आपकी और गज़लें ढूँढने में जुट गया हूँ। रंग असली तेरा कौन सा है बता... बहुत उम्दा शेर् हुआ है sir। वाह वाह वाह
तुझपे फब्ती हैं तेरी जफ़ायें फकत... यहाँ भी आपकी शायरी का क़माल दिख रहा है। बहुत बहुत बधाई।
सादर
नकुल
Nakul Ji
हटाएंabhaar
पवन जी ने तो बहुत ही ताज़ा से शेर कहे हैं जो होली और प्रेम की मिठास लिए हैं ....इक धनक सी बिखाती रहे आस पास ... सीधे दिल में उतर जाता है ... भीगती बारिशों वाला शेर भी अनोखी ताजगी लिए है ... इश्क की सलवटें और कूकती कोयलें ... प्रेम के सादे रूप को बाखूबी कह रहे हैं .... बहुत बधाई ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय नीरज जी ने तो इस होली की रंगत को चार चाँद लगा दिए हैं ... झुर्रियों को छुपाने और मस्ती में होली खेलना ... नीरज जी की शायरी की एक बानगी है ... फिर गुलाल की बजाये इश्क से रंगना ... फिर सियारों को रंगने वाले शेर का व्यंग और आखरी शेर तो गज़ब गज़ब गज़ब ... क्या बात कह दी है नीरज जी ...
bahut shukriya....
हटाएंआदरणीय तिलक राज जी ने बहुत ही गहरी बातें कहीं हैं इस गज़ल के माध्यम से ... बदनसीबी खुशनसीबी और नोटबुक के माध्यम से राजनीति को साधने की कोशिश ... इसके बाद भी तीन शेर लगातार आज के माहोल और व्यवस्था पर गहरा कटाक्ष है ... पूरी ग़ज़ल कमाल है ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंमस्ती के मूड में लाता मतला आदरणीय सौरभ जी की ताजगी भरी ग़ज़ल की पहचान है ... मौसमों के हुए चुटकले ... बहुत सादा शेर. अगले ही शेर में हिंदी के कोमल शब्दों का सुन्दर प्रयोग ... फिर प्रेम की अल्पना की कल्पना ... फिर लगातार दो शेर आज के माहोल के रंग में और फिर एक आशा भरी इच्छा लिए अंतिम शेर ... सौरभ जी का तो हर शेर लाजवाब है ... बधाई बधाई बधाई जी ...
जवाब देंहटाएंमुस्तफा जी ने तो मतले में ही साफ़ कर दिया की प्रेम के रंग में ही जीवन है ... फिर अगले शेर में असली रंग को जान्ने की ललक ... फिर प्यार की गहरे का फलसफा ... सच है रंग दोनों का एक ही हो जता है ... आख्ती शेर भी बहुत लाजवाब और अलग सा शेर है जो प्रेम के हरे रंग में रंग है ... बहुत बधाई मुस्तफा जी ...
जवाब देंहटाएं